Author : Snehashish Mitra

Expert Speak Raisina Debates
Published on Jan 22, 2024 Updated 0 Hours ago

आने वाले समय में भूटान के शहरों का विस्तार भारत के शहरी योजनाकारों के लिए स्थायी विकास (सस्टेनेबिलिटी) के स्वरूप पर आधारित शहरी मॉडल को नज़दीक से देखने का एक बहुत अच्छा अवसर होगा.  

भूटान का ग्रीन सिटी का लक्ष्य: भारत-भूटान के बीच विकास का समन्वय भरा पथ!

17 दिसंबर 2023 को भूटान के राष्ट्रीय दिवस समारोह के दौरान भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने एलान किया कि भूटान भारत के साथ लगती अपनी दक्षिणी सीमा पर 1,000 वर्ग किमी. से ज़्यादा इलाके में एक ‘अंतर्राष्ट्रीय शहर’ का निर्माण करेगा. अंतर्राष्ट्रीय शहर का ये विकास भूटान के सरपंग ज़िले में मौजूदा शहर गेलेफू के इर्द-गिर्द केंद्रित रहेगा. नए अंतर्राष्ट्रीय शहर को भूटान में व्यापक तौर पर प्रचलित सतत और पर्यावरण अनुकूल पद्धति, जिसकी वजह से भूटान दुनिया में इकलौता कार्बन-निगेटिव देश बना है, के अनुरूप ‘ग्रीन सिटी’ बनाने की भी योजना है. भूटान की राजशाही के प्रमुख राजा जिग्मे वांगचुक ने भूटान के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शहर बनाने की आकांक्षा के पीछे भारत की भूमिका को स्वीकार किया. इसके लिए उन्होंने असम के कोकराझार और भूटान में गेलेफू के बीच एक रेलवे लाइन बनाने के लिए पिछले दिनों भारत की घोषणा का ज़िक्र किया. ये रेलवे रूट भूटान से असम एवं पश्चिम बंगाल (दोनों भारतीय राज्य भूटान के साथ सीमा साझा करते हैं) तक व्यापार और क्रॉसिंग प्वाइंट के साथ महत्वपूर्ण सड़कों को जोड़ेगा. राजा जिग्मे वांगचुक के द्वारा बताए गए लक्ष्यों के अनुसार नई गेलेफू इंटरनेशनल सिटी दक्षिण एशिया के आर्थिक कायापलट में भूटान की भागीदारी को आसान बनाएगी और भूटान को “नए अवसरों, बाज़ारों, पूंजी, नए विचारों एवं तकनीक” के रास्ते पर ले जाएगी. 

भूटान की राजशाही के प्रमुख राजा जिग्मे वांगचुक ने भूटान के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय शहर बनाने की आकांक्षा के पीछे भारत की भूमिका को स्वीकार किया. इसके लिए उन्होंने असम के कोकराझार और भूटान में गेलेफू के बीच एक रेलवे लाइन बनाने के लिए पिछले दिनों भारत की घोषणा का ज़िक्र किया.

राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए शहरीकरण 

हाल के दिनों तक भूटान के राजस्व का प्रमुख स्रोत पनबिजली निर्यात और पर्यटन रहा है. कोविड-19 महामारी के नतीजतन पर्यटन उद्योग की आमदनी में काफी ज़्यादा गिरावट आई. भूटान ने हाल के वर्षों में युवाओं और पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स के देश से बाहर जाने में बढ़ोतरी और बेरोज़गारी का आंकड़ा 20 प्रतिशत तक पहुंचने को भी देखा है. इन समस्याओं का समाधान करने के लिए विकास पर केंद्रित शहरी परियोजना की ज़रूरत महसूस हुई जिसने प्रस्तावित ‘इंटरनेशनल सिटी’ के रूप में आकार लिया. किंग जिग्मे वांगचुक के भाषण और उसके बाद भूटान में मीडिया कवरेज में इस प्रोजेक्ट को ‘गेलेफू स्मार्ट सिटी’ और ‘गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी’ के नाम से भी जाना जाता है. परियोजना की इस तरह की अलग-अलग ब्रांडिंग अनगिनत लक्ष्यों के साथ जुड़ी हुई है जिन्हें भूटान कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और द्विपक्षीय/बहुपक्षीय संबंधों के मामले में निकट भविष्य में हासिल करना चाहता है. इस तरह के विकास को भूटान के अपने विज़न और सकल राष्ट्रीय खुशी (ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस या GNH) के मूल्यों के साथ जोड़ा जाएगा जो उसे विकास के पारंपरिक मॉडल से अलग करते हैं. 

दूसरी सड़क-रेल पहलों के साथ गेलेफू केंद्रित कनेक्टिविटी परियोजनाएं भारत और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे कि म्यांमार, लाओस, वियतनाम, कंबोडिया और सिंगापुर के साथ आदान-प्रदान और विनिमय (एक्सचेंज) को बढ़ाने के मकसद से हैं. कई मायनों में केंद्रित शहरीकरण के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्यों को हासिल करने का भूटान का विज़न भारत की एक्ट ईस्ट नीति के एजेंडे के साथ अच्छी तरह मेल खाता है. पूरे पूर्वोत्तर भारत में सीमावर्ती शहर भारत की एक्ट ईस्ट नीति में प्रमुखता रखते हैं और भारत ने बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर स्थित शहरों को विकसित करने में अच्छा-ख़ासा निवेश किया है. म्यांमार में हाल के दिनों की राजनीतिक उथल-पुथल ने पूर्वोत्तर भारत के ज़रिए संपर्क का विस्तार करने में भारत के हाथ बांध दिए हैं. सीमा पर मौजूद गेलेफू में एक शानदार शहर विकसित करने की भूटान की कोशिश एक द्विपक्षीय व्यवस्था और सहयोग के माध्यम से भारत के कनेक्टिविटी लक्ष्य को अच्छी तरह तेज़ कर सकती है.   

भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय कनेक्टिविटी और संबंधों में बेहतरी पूर्वोत्तर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करती है. ख़ास तौर पर असम, जो भूटान की सीमा पर स्थिति है, गेलेफू इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट से काफी लाभ हासिल कर सकता है.

विकेंद्रित विकास के लिए अवसर 

भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय कनेक्टिविटी और संबंधों में बेहतरी पूर्वोत्तर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पेश करती है. ख़ास तौर पर असम, जो भूटान की सीमा पर स्थिति है, गेलेफू इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट से काफी लाभ हासिल कर सकता है. भूटान की भविष्य की योजनाओं में असम की अहमियत का पता राजा जिग्मे वांगचुक और असम के मुख्यमंत्री के बीच बैठक से चलता है. ये मुलाकात नवंबर 2023 में भूटान के राजा के भारत दौरे में हुई थी. महत्वपूर्ण बात ये है कि गेलेफू की सीमा असम के चिरांग ज़िले से मिलती है. चिरांग बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) के तहत आने वाले क्षेत्र के पांच ज़िलों में से एक है. BTC एक स्वायत्त परिषद है जिसकी स्थापना भारत के संविधान की छठी अनुसूची के तहत की गई थी. BTC उस बोडोलैंड आंदोलन का नतीजा है जिसमें असम के भीतर बोडो आबादी वाले क्षेत्रों में विकास की कमी का हवाला देकर अलग-अलग रूपों (अलग राज्य, अलग देश) में स्वायत्तता की मांग की गई थी. पूर्वोत्तर भारत की दूसरी स्वायत्त परिषदों की तरह BTC को भी फंड के लिए अपने राज्य के बजट आवंटन पर निर्भर रहना पड़ता है. गेलेफू इंटरनेशनल सिटी प्रोजक्ट चिरांग ज़िले और BTC के दूसरे ज़िलों में आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोतरी कर सकता है, इससे BTC के राजस्व में इज़ाफ़ा होगा और उसे फंड के लिए राज्य और केंद्र की सरकारों पर कम निर्भर रहना पड़ेगा. बोंगाईगांव, काजलगांव और कोकराझार जैसे BTC में आने वाले शहर कनेक्टिविटी और व्यापार को आसान बनाकर अधिक महत्वपूर्ण बन सकते हैं. दूसरी तरफ, कनेक्टिविटी भूटान की सीमा के पास स्थित BTC के गांवों, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर हैं, में इको-टूरिज़्म की संभावनाओं को खोल सकती है. 

मानस राष्ट्रीय उद्यान, जहां मानस वन्यजीव अभयारण्य (वर्ल्ड हेरिटेज साइट) है, की नज़दीकी का फायदा इस क्षेत्र में टिकाऊ पर्यटन की पहल (सस्टेनेबल टूरिज़्म इनिशिएटिव) का एक नेटवर्क तैयार करने के लिए किया जा सकता है. इसके अलावा गेलेफू का विस्तार एक अंतर्राष्ट्रीय शहर में होने पर अधिक कनेक्टिविटी की सुविधा हासिल होने के बाद भारत-भूटान सीमा पर मौजूद वाइल्डलाइफ पार्क को शामिल करके एक अनूठा टूरिज़्म सर्किट तैयार किया जा सकता है. इसमें भारत के मानस नेशनल पार्क और भूटान के जिग्मे सिंग्ये फिबसू वन्यजीव अभयारण्य, रॉयल मानस नेशनल पार्क एवं फिबसू वन्यजीव अभयारण्य को शामिल किया जा सकता है. टिकाऊ पर्यटन (सस्टेनेबल टूरिज़्म) के भूटान के मौजूदा उदाहरण के साथ भारत और दूसरे देशों के सैलानियों की खर्च करने की क्षमता भारत-भूटान सीमा के दोनों तरफ के स्थानीय लोगों के लिए एक फायदेमंद स्थिति हो सकती है. स्थानीय शासकीय (गवर्निंग) संस्थानों जैसे कि BTC के द्वारा क्षेत्रीय और शहरी विकास में सक्रिय भागीदारी भारत के 74वें संविधान संशोधन अधिनियम (CAA), 1992 में शामिल विकेंद्रीकरण के जनादेश को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा. 

भू-राजनीतिक स्तर पर भारत पहले से ही क्षेत्रीय विकास की मध्यस्थता करने में एक सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इसके लिए भारत ने पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी के ज़रिए भूटान के व्यापार वाले सामानों को बांग्लादेश के चिलाहाटी तक निर्यात करने को मंज़ूरी दी है. इससे उत्तरी पश्चिम बंगाल के साथ दक्षिणी भूटान और उत्तरी बांग्लादेश का विकास शुरू होने की संभावना है. भूटान और भारत के द्वारा साझा किए गए इस तरह के सामूहिक और अनुकूल विकास से जुड़े लक्ष्य क्षेत्रीय भू-राजनीति में अच्छा योगदान दे सकते हैं जहां दोनों देश चीन के साथ सीमा विवाद में उलझे हुए हैं. 

आने वाले समय में भूटान के शहरों का विस्तार, जो कि मूल्यों के साथ विकास की उसकी बहुत पुरानी प्रथा के साथ जुड़ा है, भारत के शहरी योजनाकारों और नीति निर्माताओं के लिए निरंतरता (सस्टेनेबिलिटी) की प्रकृति में आधारित व्यावहारिक शहरी मॉडल को नज़दीक से समझने का एक बहुत अच्छा अवसर होगा.

शहरी विकास के लिए सबक 

भूटान के इंटरनेशनल सिटी प्रोजेक्ट में भारत की नज़दीकी भागीदारी भारत के योजना बनाने वालों और प्रशासकों के लिए सीखने का एक बहुत बड़ा अवसर हो सकता है. भारत में शहरीकरण की रफ्तार तेज़ है और संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार 2030 तक भारत में 40 करोड़ से ज़्यादा लोग शहरों में रहेंगे. भूटान का विकास भूटान की अनोखी विशेषताओं को बनाए रखने के सिद्धांत पर आधारित है जिसमें भूटान की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की छाप गहरी है. भूटान के विकास की कहानी में कम होती ग़रीबी और बढ़ते मानव विकास सूचक (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडिकेटर्स या HDI) दिखाई देते हैं. इस तरह का दृष्टिकोण निष्कर्षित (एक्सट्रैक्टिव) आर्थिक प्रथाओं और विकास के मॉडल के ख़िलाफ़ गार्डरेल (रेलिंग) के रूप में काम करते हैं. वैसे तो भारत में इस बात को लेकर एहसास बढ़ रहा है कि न्यायसंगत, समावेशी और लचकदार शहर बनाने की दिशा में शहरों को अपनी नीति और प्रथाओं में बहुत ज़्यादा सुधार करने की आवश्यकता है लेकिन एक सक्षम बनाने वाली रूप-रेखा तैयार करने के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है. आने वाले समय में भूटान के शहरों का विस्तार, जो कि मूल्यों के साथ विकास की उसकी बहुत पुरानी प्रथा के साथ जुड़ा है, भारत के शहरी योजनाकारों और नीति निर्माताओं के लिए निरंतरता (सस्टेनेबिलिटी) की प्रकृति में आधारित व्यावहारिक शहरी मॉडल को नज़दीक से समझने का एक बहुत अच्छा अवसर होगा.

स्नेहाशीष मित्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन के अर्बन स्टडीज़ में फेलो हैं.

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