Author : Dawoon Jung

Expert Speak Raisina Debates
Published on Sep 24, 2025 Updated 2 Days ago

ऑटोनोमस जहाज़ का दौर भारत के लिए जोख़िम और फ़ायदे दोनों साथ लेकर आया है. इस परिस्थिति में नए कानून, बेहतर बंदरगाह और कुशल समुद्री कार्यबल की दरकार है.

ऑटोनोमस जहाज़ के दौर में भारत के समुद्री उद्योग को नया आकार देने का समय

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यह 'सागरमंथन एडिट 2025' सीरीज का हिस्सा है।


इंटरनेशनल मेरीटाइम आर्गेनाईजेशन (IMO) की स्ट्रेटेजिक योजना 2024-2029 में व्याप्त एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता 'नियामक ढांचे में नई और उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करना' है. समुद्री क्षेत्र में नई और उन्नत प्रौद्योगिकियों का एक बेहतरीन उदाहरण ऑटोनोमस जहाज़ हैं. शिपिंग उद्योग पहले ही ऑटोनोमस जहाज़ों के विकास की ओर बढ़ रहा है, क्योंकि यह परिचालन लागत को काफ़ी हद तक कम कर सकता है. यह जहाज़ की सुरक्षा बेहतर कर सकता है और मानवीय त्रुटियों को भी कम कर सकता है. निकट भविष्य में, अलग-अलग स्तरों की स्वायत्तता वाले ऑटोनोमस  जहाज़ों के पारंपरिक जहाज़ों के साथ-साथ चलने की उम्मीद है. वे समुद्री क्षेत्र में एक गेम-चेंजिंग तकनीक का आगाज़ हैं और इसके लिए सुरक्षा और बचाव के नियमों के साथ-साथ उनके पर्यावरणीय प्रभाव का मौलिक पुनर्मूल्यांकन करना ज़रूरी है. इसके प्रभाव से जहाज़ पर और तट पर, दोनों जगह कर्मियों पर भी असर होगा और इसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार की गतिशीलता को फिर से आकार देने की भी क्षमता है.

ऑटोनोमस जहाज़ों के विकास के बीच, IMO ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि नियामक ढाँचा मज़बूत रहे और वह ऑटोनोमस जहाज़ों के तेज़ी से विकास के प्रति जवाबदेह हो. यह मेरीटाइम ऑटोनोमस सरफेस शिप्स (MASS) को "जहाज़ों के रूप में परिभाषित करता है जो अलग-अलग स्तर पर मानवीय संकेतों से स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं." IMO संस्था MASS को स्वायत्ता के चार स्तरों में वर्गीकृत करती है, जिसमें "स्वचालित प्रक्रियाओं और निर्णय में सहायता करने वाले जहाज़ (पहला स्तर), जहाज़ पर नाविकों के साथ दूर से नियंत्रित होने वाले जहाज़ (दूसरा स्तर), जहाज़ पर नाविकों के बिना दूर से नियंत्रित होने वाले जहाज़ (तीसरा स्तर), और आख़िर में, पूरी तरह से ऑटोनोमस जहाज़ (चौथा स्तर)" शामिल है. 2021 में रेगुलेटरी स्कोपिंग एक्सरसाइज के पूरा होने के बाद, जो मौजूदा नियामक ढांचे के भीतर MASS के उपयोग का एक व्यवस्थित विश्लेषण प्रदान करता है, IMO एक गैर-ज़रूरी (नॉन-मेंडेटरी) MASS कोड विकसित कर रहा है जिसके 2026 तक अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है और बाद में 2030 तक मेंडेटरी MASS कोड पर काम पूरा किया जाएगा.

भारत के लिए रणनीतिक परियोजना: ‘SWAYAT’ पहल

परिवहन, रसद, नियामक ढांचे, इंजीनियरिंग और वित्त सहित सभी समुद्री क्षेत्रों के लिए MASS के व्यापक प्रभावों को देखते हुए, नियमों, प्रौद्योगिकियों और उद्योग प्रथाओं में अडॉप्टेशन की एक स्पष्ट ज़रूरत नज़र रही है. भारत के लिए, MASS का विकास उसके समुद्री उद्योग के भविष्य के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों लेकर आया है. भारत समुद्री उद्योग में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है, वह 12 प्रमुख बंदरगाहों का संचालन करता है और वैश्विक समुद्री उद्योग के लिए नाविकों का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता है. इसके अलावा, दिसंबर 2024 में, इंडियन रजिस्टर ऑफ़ शिपिंग ने भारत के पहले ऑटोनोमस  जहाज़ों को विकसित करने के लिए 'SWAYAT' नामक एक स्वदेशी परियोजना शुरू की. यह पहल MASS के विकास में अपनी क्षमताओं को आगे बढ़ाने के लिए भारत की स्ट्रेटेजिक प्रतिबद्धता को उजागर करती है.  MASS से संबंधित इन हालिया विकासों के मद्देनज़र, भारत के समुद्री उद्योग को बेहतर बनाने के लिए कई सुधारों पर विचार किया जा सकता है. 

भारत सरकार को MASS के विकास के चलते बंदरगाह सुविधाओं, संचार नेटवर्क और डिजिटल निगरानी प्रणालियों में निवेश करना चाहिए. MASS पर साइबर हमलों से उत्पन्न संभावित जोख़िमों को देखते हुए, मज़बूत प्रणालियों को विकसित करना भी ज़रूरी है जो साइबर सुरक्षा को बेहतर करे और इसके संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

सबसे पहली बात, MASS के विकास कार्यक्रम के मद्देनजर जो कि जहाज़ पर नाविकों के बिना पूरी तरह से ऑटोनोमस जहाज़ों की परिकल्पना की ओर विकसित हो रही एक तकनीक है, मौजूदा नियमों का व्यापक पुनर्मूल्यांकन करना ज़रूरी है क्योंकि वे सब इस धारणा पर आधारित है कि नाविक और एक मास्टर जहाज़ पर मौजूद हैं. इसके लिए सुरक्षा मानकों, प्रमाणीकरण की ज़रूरतों, नाविकों की ज़रूरतों और दायित्व संबंधी चिंताओं जैसे प्रमुख मुद्दों पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है. यहां यह बात उल्लेखनीय है कि भारत ने IMO की समुद्री सुरक्षा समिति को एक बयान प्रस्तुत किया है जिसमें ‘ड्राफ्ट MASS कोड में MASS और एक पारंपरिक जहाज़ के बीच सुरक्षा की समानता' का सुझाव दिया गया है. यह इस बात पर ज़ोर देता है कि विकसित हो रहा MASS कोड यह सुनिश्चित करे कि सुरक्षा, बचाव और पर्यावरण संरक्षण का स्तर मौजूदा IMO साधनों द्वारा प्रदान किए गए स्तर के बराबर हो. इस दिशा में IMO में चल रहे काम की तर्ज़ पर MASS के लिए एक राष्ट्रीय क़ानूनी ढाँचा स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि IMO के मानक समुद्री संचालन के लिए वैश्विक मानक के रूप में कार्य करते हैं.  हालांकि, अगले साल अंतिम रूप दिए जाने वाला IMO का गैर-मेंडेटरी MASS कोड क़ानूनी रूप से बाध्य नहीं है, लेकिन यह एक राष्ट्रीय क़ानूनी ढांचा स्थापित करने में बहुमूल्य मार्ग प्रशस्त कर सकता है. 

दूसरी बात यह है कि MASS के विकास के लिए प्रासंगिक बुनियादी ढांचे और तकनीकी एकीकरण की ज़रूरत है, जैसे की उन्नत सेंसर, नेविगेशन सिस्टम और रिमोट निगरानी के यंत्र. इसके लिए MASS के साथ सुरक्षित रूप से डोक करने और बातचीत करने के लिए प्रासंगिक प्रणाली के साथ स्मार्ट पोर्ट सुविधाओं को विकसित करने की ज़रूरत है. कई राज्यों ने उन्नत ऑटोनोमस प्रणालियों को शामिल करते हुए स्मार्ट पोर्ट ढांचे को विकसित करना प्रारंभ कर दिया है और वे ख़ुद को ऑटोनोमस जहाज़ों को प्रभावी ढंग से समायोजित करने के लिए अपने आप को स्थापित कर रहे हैं. भारत सरकार को MASS के विकास के चलते बंदरगाह सुविधाओं, संचार नेटवर्क और डिजिटल निगरानी प्रणालियों में निवेश करना चाहिए. MASS पर साइबर हमलों से उत्पन्न संभावित जोख़िमों को देखते हुए, मज़बूत प्रणालियों को विकसित करना भी ज़रूरी है जो साइबर सुरक्षा को बेहतर करे और इसके संचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करें.

नाविकों के लिए नए प्रशिक्षण कार्यक्रम और रोजगार के अवसर

तीसरी अहम् बात यह है कि, हालांकि निकट भविष्य में पूरी तरह से ऑटोनोमस जहाज़ संभव नहीं हो सकते हैं, लेकिन अलग-अलग स्तर पर  जहाज़ स्वचालन की गति बढ़ने के साथ नाविकों की भूमिका में भी बदलाव होने की संभावना है. ऑटोनोमस जहाज़ों पर नाविकों द्वारा वहन की जा रही पारंपरिक जहाज़ों के तरह की ज़िम्मेदारियां तो होंगी ही लेकिन वे ऑटोनोमस संचालन के चलते आने वाले नए कार्यों से संबंधित अतिरिक्त कर्तव्यों को भी वहन करेंगे जैसे कि रिमोट ऑपरेशन सेंटर से संबंधित कार्य. समुद्री डिजिटल सिस्टम को विकसित करने के लिए नाविकों को प्रभावी ढंग से कुशल बनाने के लिए, MASS के संचालन और रखरखाव में जहाज़ के कर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठ्यक्रम विकसित करना ज़रूरी है. इसके अलावा, MASS का सतत विकास अनिवार्य रूप से कुछ पारंपरिक नाविकों की भूमिकाओं में गिरावट का कारण बनेगा. हालांकि, यह नए प्रकार की नौकरियां भी उत्पन्न करेगा, जैसे रिमोट ऑपरेटर और जहाज़ रखरखाव और साइबर सुरक्षा के लिए तट पर कर्मी. सरकार को तट-आधारित कर्मियों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठ्यक्रम विकसित करना चाहिए ताकि एक रिमोट संचालन केंद्र को प्रभावी ढंग से मदद मिल सके और ऑटोनोमस  जहाज़ों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. 

समुद्री डिजिटल सिस्टम को विकसित करने के लिए नाविकों को प्रभावी ढंग से कुशल बनाने के लिए, MASS के संचालन और रखरखाव में जहाज़ के कर्मियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम और पाठ्यक्रम विकसित करना ज़रूरी है

निष्कर्ष

निष्कर्ष यह है कि जहाज़ों के लिए विकसित हो रही तकनीक कई महत्वपूर्ण चुनौतियां भी पेश करती है जिन चुनौतियों के बारे में पारंपरिक शिपिंग सेक्टर को उम्मीद नहीं होती लेकिन यह परिस्थिति एक राष्ट्रीय नियामक ढांचे के विकास और बंदरगाह के बुनियादी ढांचे के तकनीकी एकीकरण और जहाज़ पर और तट पर दोनों जगह व्यापक तौर पर कर्मियों के प्रशिक्षण के माध्यम से भारत के समुद्री उद्योग को फिर से आकार देने का एक अवसर है. यह स्थिति पूरे भारत के मेरीटाइम उद्योग को डिजिटाइज करने का भी एक मूल्यवान अवसर प्रदान करती है. 


डेवून जंग ऑस्ट्रेलियन नेशनल सेंटर फॉर ओशियन रिसोर्सेज एंड सिक्योरिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ़ वोलोंगोंग में लेक्चरर हैं. 

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