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Published on Dec 31, 2024 Updated 0 Hours ago

तुर्की की मध्यस्थता से हुई अंकरा घोषणा के उथल पुथल के हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाक़े में स्थिरता लाने में बड़ी भूमिका अदा करने की उम्मीद है. इसके साथ ही ये समझौता इस क्षेत्र में तुर्की के दबदबे को भी मज़बूत बनाएगा

अंकारा घोषणा: अफ्रीका में तुर्किये की कूटनीति का नया अध्याय

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ऐसा लगता है कि थियोपिया और सोमालीलैंड के विवाद ने पहले से ही उथल-पुथल के शिकार क्षेत्र को धीरे धीरे और भी स्थिर बना दिया है और आशंका इस बात की है कि इस मुद्दे की वजह से वैसा ही छद्म युद्ध फिर से शुरू हो सकता है, जैसा शीत युद्ध के ज़माने में देखा गया है. आज जब इस इलाक़े के देश इस विवाद में किसी किसी का पक्ष लेते दिख रहे हैं, तो जिस एक देश ने निरपेक्ष रुख़ बनाए रखकर, अपने दम पर इस क्षेत्र के समीकरणों को बदल दिया, वो तुर्की है. 11 दिसंबर को तुर्की ने ऐलान किया कि इथियोपिया और सोमालिया ने अंकारा घोषणा पर दस्तख़त किए हैं, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है. इस इलाक़े के दो अहम मुद्दों से निपटने के क़दम के तौर पर ये समझौता एक तरह से सेफ्टी वाल्व का काम कर सकता है: पहला, सोमालिया में इथियोपिया के सैनिकों की तैनाती का भविष्य. और दूसरा, सोमालीलैंड द्वारा एक स्वतंत्र देश के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने पर ज़ोर देने की मुहिम. इस समझौते की कामयाबी से इस इलाक़े में तुर्की के प्रभाव को भी ताक़त मिलेगी.

11 दिसंबर को तुर्की ने ऐलान किया कि इथियोपिया और सोमालिया ने अंकारा घोषणा पर दस्तख़त किए हैं, जिसकी वजह से दोनों देशों के बीच तनाव कम हुआ है.

इसकी शुरुआत उस वक़्त हुई थी, जब इथियोपिया ने 1 जनवरी 2024 को सोमालिया के बाग़ी इलाक़े सोमालीलैंड के साथ एक सहमति पत्र (MoU) पर दस्तख़त करने का ऐलान किया था. इस समझौते के नतीजे में जो कुछ होने वाला था, उसकी वजह से इस इलाक़े में ही नहीं, दूर दूर तक हंगामा बरपा हो गया. इस विवादास्पद समझौते के तहत इथियोपिया ने सोमालीलैंड की लंबे समय से चली रही कूटनीतिक मान्यता की मांग को पूरा करने का वादा किया था और इसके एवज़ में उसे सोमालीलैंड के बंदरगाह का कारोबारी और सैन्य इस्तेमाल करने की मंज़ूरी मिलनी थी. इस समझौते की वजह से चारों तरफ़ ज़मीन से घिरे इथियोपिया को लाल सागर में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण बेरबारा बंदरगाह तक पहुंच हासिल होनी थी. वहीं, ये समझौता सोमालिया की संप्रभुता के लिए सीधी चुनौती भी था, क्योंकि सोमालिया की सरकार सोमालीलैंड को अपना अभिन्न अंग समझती है.

 

इथियोपिया-सोमालीलैंड विवाद

 

इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच हुआ ये समझौता और इसकी वजह से सोमालीलैंड को जो मान्यता मिलनी थी, उसका फ़ायदा संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को भी होना था. संयुक्त अरब अमीरात ने बेरबरा बंदरगाह और इसके आस-पास के मुक्त व्यापार क्षेत्र के विस्तार में 30 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. उसने इसके अलावा भी सोमालीलैंड में दूसरे निवेश किए हैं और उसकी आर्थिक मदद की है. इसके अतिरिक्त, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया के साथ मिलकर बेरबरा गलियारे का विकास भी कर रहा है, जिससे चारों तरफ़ ज़मीन से घिरे इथियोपिया को इस बंदरगाह तक पहुंच हासिल होगी. इन योगदानों के बदले में सोमालीलैंड ने संयुक्त अरब अमीरात को बेरबरा में एक हवाई और एक नौसैनिक अड्डा बनाने की इजाज़त दी है.

 

इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच हुए इस समझौते की वजह से पूरे साल, हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाक़े में अस्थिरता का माहौल बना रहा और इस दौरान इस समझौते के जवाब में या इसे नाकाम करने के लिए कई क़दमों का ऐलान किया गया. समझौते के ऐलान के फ़ौरन बाद सोमालिया ने इसे सिरे से अवैध घोषित कर दिया और सोमालीलैंड पर अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए ज़रूरत पड़ने पर युद्ध लड़ने को तैयार होने की भी धमकी दे डाली. इसी दौरान, नील नदी के पानी को साझा करने और ग्रेट इथियोपियन रिनेसां डैम (GERD) को लेकर इथियोपिया के साथ विवाद में उलझे मिस्र ने भी क़दम उठाने का फ़ैसला किया. मिस्र ने सोमालिया और इरीट्रिया के साथ मिलकर एक इथियोपिया विरोधी गठबंधन बना लिया, जिसमें सामूहिक सुरक्षा की रूप-रेखा भी शामिल थी. जब 10 अक्टूबर को अस्मारा में तीनों देशों के नेता मिले, तो ये साफ़ था कि तनाव बढ़ रहा है जिससे इस पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैल सकती है और हो सकता है कि आने वाले समय में तबाही मचाने वाला युद्ध भी छिड़ जाए.

इथियोपिया और सोमालीलैंड के बीच हुए इस समझौते की वजह से पूरे साल, हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाक़े में अस्थिरता का माहौल बना रहा और इस दौरान इस समझौते के जवाब में या इसे नाकाम करने के लिए कई क़दमों का ऐलान किया गया.

दिसंबर की शुरुआत में ख़बरे आईं कि हो सकता है कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन सोमालीलैंड को अलग देश के रूप में मान्यता दे दे. इस ख़बरे हालात और नाज़ुक हो गए. रिपब्लिकन पार्टी के कई सीनेटर बरसों से सोमालिया से सोमालीलैंड की स्वतंत्रता का समर्थन करते रहे हैं. उल्लेखनीय है कि अपने पिछले कार्यकाल के आख़िरी दिनों में ट्रंप ने सोमालिया से अमेरिकी सैनिक वापस बुलाने का फ़ैसला किया था. हालांकि, बाद में जो बाइडेन सरकार ने 2021 में ट्रंप के इस फ़ैसले को पलट दिया था. सीनेट की समिति के नेता भी, बाग़ी सोमालीलैंड की आज़ादी का समर्थन कर रहे हैं. ऐसे में उसको अमेरिका से मान्यता मिलने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

 

पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश होने की वजह से सोमालीलैंड के ब्रिटेन के साथ ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. ऐसे में अगर ट्रंप औपचारिक तौर पर सोमालीलैंड को आज़ाद देश के तौर पर मान्यता दे देते हैं, तो ब्रिटेन पर भी ऐसा करने का दबाव बढ़ जाएगा. इससे विवादों का एक पिटारा खुल सकता है, दूसरे देश भी अमेरिका और ब्रिटेन के नक़्श--क़दम पर चलते हुए सोमालीलैंड को मान्यता दे सकते हैं. हाल ही में सोमालीलैंड ने एक और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराया, जिसके बाद सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ. इसने आज़ादी की उसकी मांग को और मज़बूती दी है.

 

इसके जवाब में, हॉर्न ऑफ अफ्रीका के लिए चीन राजदूत ने सोमालीलैंड पर सोमालिया के संप्रभु अधिकारों का समर्थन करने का वादा किया है, ताकि सोमालीलैंड को मान्यता मिलने की बढ़ती संभावना का जवाब दे सके. असल में सोमालीलैंड के ताइवान से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं. ताइवान और सोमालीलैंड द्वारा दूसरे को वास्तविक तौर पर मान्यता देने से चीन को खीझ होती है और इसीलिए वो एकजुट सोमालिया की वकालत करता रहा है. चीन के ऐसा करने की सूरत में भारत भी इस इलाक़े में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने के आसान विकल्प को आज़माने के लिए प्रेरित हो सकता है. भारत भी अमेरिका के रास्ते पर चलते हुए सोमालीलैंड के साथ अपने मौजूदा रिश्तों को और मज़बूती देने पर विचार कर सकता है.

 

अंकारा समझौते की सफलता, लगातार अस्थिर होते जा रहे हॉर्न ऑफ अफ्रीका इलाक़े में स्थिरता क़ायम करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है. अर्दोआन के इथियोपिया और सोमालिया के नेताओं के साथ बहुत पुराने संबंध रहे हैं और तुर्की ने 2011 से ही सोमालिया में काफ़ी निवेश किया है. सोमालिया की राजधानी मोगादिशू में तुर्की ने विदेश में अपना सबसे बड़ा सैनिक अड्डा बनाया हुआ है. उसने सोमालिया के हज़ारों सैनिकों को प्रशिक्षण दिया है, और सोमालिया को काफ़ी मानवीय और सैन्य सहायता भी उपलब्ध कराई है. इसी बीच 2021 में अर्दोआन द्वारा तुर्की के हथियारबंद ड्रोन, इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबीय अहमद को बेचने के फ़ैसले ने इथियोपिया के गृह युद्ध का पलड़ा अबीय के पक्ष में झुकाने में अहम भूमिका अदा की है, जिसकी वजह से टिगरे के बलों के ख़िलाफ़ उन्हें बढ़त हासिल हुई है.

 

वैसे तो अभी ये कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन अभी तो अंकारा का समझौता दो देशों के बीच विवाद बढ़ने की आशंका टालने में सफल रहा है. इस समझौते ने इथियोपिया की फौज के सोमालिया में बने रहने और उसके सोमालीलैंड के साथ हुए सहमति पत्र के दायरे से अलग बंदरगाह तक पहुंच हासिल करने का मंच मुहैया कराया है. अंकारा घोषणा के तहत सोमालिया ने आने वाले समय में अफ्रीकन यूनियन सपोर्ट ऐंड स्टेबिलाइजेशन मिशन इन सोमालिया (AUSSOM) में इथियोपिया के शामिल होने पर अपना ऐतराज़ वापस ले लिया है. शांति बहाली का ये मिशन, फ्रीकन यूनियन ट्रांज़िशन मिशन इन सोमालिया (ATMIS) की जगह लेगा. इस इलाक़े में इथियोपिया के फौजी तजुर्बे को देखते हुए, उसके सैनिकों की भागीदारी निश्चित रूप से सोमालिया में जिहादी संगठनों के ख़िलाफ़ सुरक्षा के प्रयासों को ताक़तवर बनाएगी. ये बात इथियोपिया के लिए भी अहम है. क्योंकि शांति बहाली के इस मिशन में उसकी भागीदारी से उसके सैन्य बलों को अंतरराष्ट्रीय मदद हासिल हो सकेगी, जिससे इथियोपिया के अपनी सामरिक सुरक्षा के दूसरे मक़सद हासिल कर पाने में मदद मिल सकेगी.

अंकारा घोषणा ने एक दूसरे के विरोधी दो देशों के नेताओं को आपसी लाभ वाले समाधानों पर चर्चा का मंच तो मुहैया कराया ही है. चूंकि दोनों ही देशों के साथ तुर्की के सामरिक हित जुड़े हुए हैं.

हालांकि, सोमालिया के साथ दुश्मनी ख़त्म करने की इथियोपिया की इस कोशिश ने सोमालीलैंड के साथ उसके समझौते पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इथियोपिया को जिबूती के कारोबारी बंदरगाह तक पहुंच हासिल है. भले ही इसके एवज़ में उसे जिबूती को हर साल 1.5 अरब डॉलर की भारी-भरकम रक़म देनी पड़ती है. इसीलिए, इथियोपिया शायद सोमालीलैंड से और बड़ी मांग करें. जैसे कि एक नौसैनिक अड्डा बनाने की इजाज़त मांगे. वैसे तो सोमालिया के साथ हुआ समझौता इथियोपिया को लाल सागर तक पहुंच हासिल करने में मदद करेगा. लेकिन, सोमालिया की सरकार से नौसैनिक अड्डे की इजाज़त हासिल कर पाना एक बड़ी चुनौती होगी.

 

आगे की राह 

 

इसके अतिरिक्त अगर अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप, सोमालीलैंड को मान्यता दे देते हैं, तो हो सकता है कि वो अपनी आदत के मुताबिक़, जिबूती में अमेरिका के सैनिक अड्डे के साथ साथ सोमालीलैंड के 850 किलोमीटर लंबे समुद्र तटीय क्षेत्र में भी अमेरिका की हिस्सेदारी मांगें. इसी वजह से इथियोपिया, सोमालीलैंड के साथ साथ सोमालिया के साथ भी अपने रिश्तों का संतुलन बना रहा है, भले ही उसकी ये कोशिश नाज़ुक डोर से अटकी हो.


अभी तो बाइडेन प्रशासन ने तुर्की की अगुवाई में हुए समझौते का समर्थन किया है और कहा है कि इससे आपसी हितों के आधार पर सहयोग, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बढ़ावा मिलेगा. अभी तो ये निश्चित नहीं है कि ट्रंप इन हालात पर कैसा रुख़ अपनाते हैं. लेकिन, अंकारा घोषणा ने एक दूसरे के विरोधी दो देशों के नेताओं को आपसी लाभ वाले समाधानों पर चर्चा का मंच तो मुहैया कराया ही है. चूंकि दोनों ही देशों के साथ तुर्की के सामरिक हित जुड़े हुए हैं. ऐसे में संभावना इसी बात की है कि अर्दोआन अपने कूटनीति संसाधन इस समझौते को सफल बनाने