Author : Vivek Mishra

Published on Jan 30, 2024 Updated 0 Hours ago

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक के बाद एक तमाम क़ानूनी दांव-पेचों के ज़रिए 'बाइडेनॉमिक्स' के एजेंडे को लगातार आगे बढ़ाना जारी रखा है.

अमेरिका: राष्ट्रपति बाइडेन के लिए खींचतान से भरा रहा वर्ष 2023!

अमेरिका में बाइडेन प्रशासन के लिए वर्ष 2023 बेहद उतार-चढ़ाव वाला रहा है. इस साल बाइडेन प्रशासन को जहां घरेलू मोर्चे पर तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वहीं देश के बाहर भी कई परेशानियों से जूझना पड़ा. राष्ट्रपति बाइडेन को अपने कार्यकाल के शुरुआत में इस प्रकार के अवरोधों का सामना नहीं करना पड़ा था. वर्ष 2023 की शुरुआत में ही, यानी जनवरी महीने में बाइडेन प्रशासन के समक्ष अमेरिकी ऋण का संकट खड़ा हो गया था और तब उसे ख़र्च में कटौती की रिपब्लिकन की मांगों को मानना पड़ा था. ख़र्चों में कटौती की वजह से बाइडेन प्रशासन को अपनी तमाम गतिविधियों को रोकने के लिए विवश होना पड़ा था. हालात कुछ संभले ही थे, तभी पहले जून और फिर अक्टूबर में आर्थिक मोर्चे पर बाइडेन प्रशासन के सामने तमाम दिक़्क़तें खड़ी होने लगीं, नतीज़तन, केविन मैक्कार्थी को स्पीकर पद से हटा दिया गया. इसके साथ ही वर्तमान में राष्ट्रपति बाइडेन की वैश्विक स्तर पर साख गिरती जा रही है और वे अपने रुतबे को बनाए रखने की कोशिशों में जुटे हैं. इन परिस्थितियों की वजह से शायद चुनावी साल में वह विभिन्न आर्थिक मामलों और विदेश नीति से जुड़े मामलों पर सख़्त फैसले नहीं ले पा रहे हैं. विदेश नीति की बात की जाए, तो यूक्रेन और इजराइल के मोर्चों पर खुला समर्थन करने के बावज़ूद राष्ट्रपति बाइडेन को वैश्विक स्तर पर अमेरिका के वर्चस्व को बरक़रार रखने में तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, चीन और ताइवान के बीच बढ़ती तनातनी के बीच ताइवान के समुद्री क्षेत्र में एक तीसरा मोर्चा भी खुल रहा है और यह भी अमेरिका के लिए एक चुनौती साबित हो सकता है.

इस पूरी क़वायद का मकसद नवाचार को बढ़ाना देना तो है ही, साथ ही साथ इन प्रौद्योगिकियों के संभावित दुरुपयोग और इनसे सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होने की किसी भी संभावना को भी रोकना है.

जिस प्रकार से वर्ष 2023 में बाइडेन प्रशासन खींचतान में उलझा रहा है, ऐसे में अमेरिका की प्राथमिकताओं के मुताबिक़ आसानी से समझा जा सकता है कि वह तीन तरह की चुनौतियों का सामना कर रहा है.

 

तकनीक़ की अगुवाई 

वैश्विक स्तर पर तेज़ गति से टेक्नोलॉजी का विकास हो रहा है और सुरक्षा संबंधी तमाम मसलों का सामना करते हुए अमेरिका ने तकनीक़ के क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता को बनाए रखने की पुरज़ोर कोशिश की है. अमेरिका का तकनीक़ी बढ़त बनाए रखने का यह प्रयास महत्वपूर्ण एवं तेज़ी से उभरते सेक्टरों में शुरुआती बढ़त बनाए रखने के मकसद से था, इसमें ख़ास तौर पर सेमीकंडक्टर निर्माण का क्षेत्र शामिल था. वर्ष 2023 में बाइडेन प्रशासन की नीतियां कहीं कहीं आपूर्ति श्रृंखलाओं को सशक्त करने एवं भविष्य के उद्योगों को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित थीं. ज़ाहिर है कि अमेरिका द्वारा अगस्त 2022 में जिस चिप्स एंड साइंस एक्ट को कार्यान्वित किया गया था, वो इसी पहल का हिस्सा था. भविष्य की तकनीक़ से संबंधित अमेरिका के इस समग्र नज़रिए में तमाम उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को लेकर नियम-क़ानून बनाना शामिल था. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और जैव प्रौद्योगिकी को शामिल किया गया था. इस पूरी क़वायद का मकसद नवाचार को बढ़ाना देना तो है ही, साथ ही साथ इन प्रौद्योगिकियों के संभावित दुरुपयोग और इनसे सुरक्षा के लिए ख़तरा पैदा होने की किसी भी संभावना को भी रोकना है. देखा जाए तो बाइडेन प्रशासन के अंतर्गत नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही, सुरक्षा के लिहाज़ से भी हर संभव प्रावधानों को अमल में लाने को भी प्राथमिकता में रखा गया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नियम-क़ानून के दायरे में लाने के लिए पिछले साल अक्टूबर में बाइडेन प्रशासन द्वारा एक अधिशासी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए थे और शायद प्रौद्योगिकी के नियंत्रित विकास की दिशा में किए गए उसके तमाम फैसलों में से यह एक था.

 

बाइडेनॉमिक्स

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव का वक़्त नज़दीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे बाइडेन प्रशासन द्वारा घरेलू स्तर पर आर्थिक वातावरण को सशक्त करने के तमाम तरीक़े अपनाए गए हैं. बाइडेन प्रशासन द्वारा देश के भीतर आर्थिक मज़बूती लाने के लिए जिन मुद्दों को प्राथमिकता दी जा रही है, उनमें बढ़ती हुई मुद्रास्फ़ीति पर लगाम लगाना तो शामिल है ही, साथ ही रोज़गार के अवसरों में बढ़ोतरी, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हर तरह के प्रयास करना भी शामिल है. ज़ाहिर है कि कोविड-19 महामारी की वजह से जो परिस्थितियां पैदा हुई थीं, उनसे अभी तक निजात नहीं मिल पाई है और इन हालातों ने कहीं कहीं बाइडेन प्रशासन की आर्थिक तरक़्क़ी के इन प्रयासों में रोड़ा अटकाने का काम किया है. आर्थिक प्रगति की दिशा में किए जा रहे इन प्रयासों को मुकम्मल करने के लिए एक ऐसे बहुआयामी नीतिगत दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो सिर्फ़ बाहरी परेशानियों को संभाल सके, बल्कि देश के लिए अत्यंत आवश्यक क़दमों की राह में आने वाली रुकावटों को भी दूर करे. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक के बाद एक तमाम क़ानूनी दांव-पेचों के ज़रिए 'बाइडेनॉमिक्स' के एजेंडे को लगातार आगे बढ़ाना जारी रखा है. ज़ाहिर है कि अगस्त 2022 में मुद्रास्फ़ीति न्यूनीकरण अधिनियम पर हस्ताक्षर किया जाना, राष्ट्रपति बाइडेन के इसी तरह के प्रयासों का ही उदाहरण था.

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक के बाद एक तमाम क़ानूनी दांव-पेचों के ज़रिए 'बाइडेनॉमिक्स' के एजेंडे को लगातार आगे बढ़ाना जारी रखा है.

अमेरिका की विदेश नीति की बात की जाए, तो बाइडेन प्रशासन वैश्विक स्तर पर छिड़े दो युद्धों के मोर्चों से लगातार जूझ रहा है और वर्ष 2023 के अंत में यूक्रेन को वित्तीय मदद को लेकर बाइडेन को कांग्रेस में विरोध का भी सामना करना पड़ा. बावज़ूद इसके बाइडेन प्रशासन ने चीन के साथ मुक़ाबले का एक नया मोर्चा खोलने का काम किया है. ज़ाहिर है कि ऐसे में बाइडेन प्रशासन को जहां एक ओर यूक्रेन के मोर्चे पर पश्चिम एशिया में अमेरिका की स्थिति को मज़बूत करने के लिए राजनीतिक एवं आर्थिक दिक़्क़तों का समाधान करने के लिए जूझना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर चीन का कड़ाई से मुक़ाबला करने के लिए भी चुनौती का सामना करना पड़ा. चीन को जवाब देने के लिए सबसे बड़ी ज़रूरत चीन की उसी के क्षेत्र में घेराबंदी करना था, यानी ख़ास तौर पर दक्षिण चीन सागर में ही उसे घेरना आवश्यक था. पिछले साल अमेरिका ने केवल पैसिफिक रीजन में सहयोगी देशों के साथ अपने रिश्तों को सशक्त करने के लिए सक्रियता से कार्य किया है, बल्कि विस्तृत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने साझेदार देशों के साथ पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बहुत मेहनत की है. उल्लेखनीय है कि बाइडेन प्रशासन द्वारा जो भी कूटनीतिक चर्चाएं की गईं और जिन नीतियों को लागू किया गया, उनके केंद्र बिंदु में कहीं कहीं साइबर सुरक्षा सहयोग और जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दे थे.

 

बाहरी कारक

अमेरिका ने वर्ष 2023 में एक तरफ जहां उथल-पुथल वाली भू-राजनीति का सामना किया है, वहीं दूसरी ओर चीन के साथ कड़ी आर्थिक प्रतिस्पर्धा भी देखी है. ऐसी परिस्थितियों के बीच रूस और चीन जैसी वैश्विक ताक़तों के साथ अमेरिका के ऊंच-नीच वाले संबंध क़ायम रहे हैं और पिछले साल भी इनमें कोई सुधार नहीं देखा गया. बाइडेन प्रशासन ने प्रशांत क्षेत्र में अपने सहयोगी देशों में विश्वास भरने के लिए काफ़ी प्रयास किए हैं. अमेरिका ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वियतनाम, जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस जैसे देशों के साथ अपने सैन्य रिश्तों को सशक्त करने के लिए कई क़दम उठाए हैं. हालांकि, इन वैश्विक ताक़तों के साथ टेक्नोलॉजी, व्यापार और प्रभाव जैसे क्षेत्रों में अमेरिका की होड़ जारी रही और कहीं कहीं इसकी वजह से अमेरिका को अपने सहयोगी देशों के साथ सुरक्षा संबंधों, आर्थिक साझेदारियों और तकनीक़ी नवाचार को लेकर नीतिगत फैसले लेने में मदद मिली. इसके अलावा, अमेरिका द्वारा ऐसे क्षेत्रों को लेकर, जहां टकराव की बहुत अधिक संभावना थी, वहां कूटनीतिक तरीक़ों का इस्तेमाल कर अपने लिए रणनीतिक लिहाज़ से अनुकूल हालात बनाने की कोशिश की गई. ज़ाहिर है कि वर्ष 2022 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की तत्कालीन स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफ़ी बढ़ गया था और चीन के 'जासूसी गुब्बारे' से जुड़ी घटना ने तो दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों की आग में घी का काम किया था. तब तनाव इतना बढ़ गया था कि चीन और अमेरिका के बीच होने वाली सैन्य वार्ता तक रद्द कर दी गई थी. इसके अतिरिक्त, पिछले साल नवंबर में आयोजित हुई सैन फ्रांसिस्को APEC समिट के दौरान भी दोनों देशों के बीच तनातनी साफ देखने को मिली थी. गौरतलब है कि जिस प्रकार से आने वाले वर्षों में वैश्विक व्यवस्था में ज़बरदस्त बदलाव की संभावना है, ऐसे में अमेरिका और चीन के बीच होड़ और भी तीखी होने की उम्मीद है

 

जहां तक वर्ष 2023 के आखिरी दिनों की बात है, तो इजराइल-हमास टकराव बाइडेन प्रशासन के सामने खड़ा था और इसको लेकर उसे कई मोर्चों पर एक साथ जूझना पड़ा. देश के भीतर बाइडेन प्रशासन को युद्ध में ख़र्च की जाने वाली रकम को लेकर रिपब्लिकन की ओर से ज़बरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा था. दरअसल, वर्ष 2022 के प्रारंभ से ही अमेरिका द्वारा युद्धरत यूक्रेन को आर्थिक सहायता दी जा रही है और रिपब्लिकन द्वारा इस पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं. देश के बाहर की बात की जाए, तो अमेरिका को पश्चिम एशिया में अपनी मौज़ूदगी को लेकर फिर से विचार करने को कहा गया. निसंदेह तौर पर अमेरिका द्वारा अपने सबसे नज़दीकी सहयोगी, यानी इजराइल को आश्वस्त करने के लिए पश्चिम एशिया में दो विमान वाहक युद्धपोत तैनात किए गए थे और इसका उद्देश्य क्षेत्रीय दुश्मनों की ओर से अपने ठिकानों पर भी किसी संभावित हमले को रोकना था. इसके बावज़ूद इस क्षेत्र में अमेरिका द्वारा उठाए गए क़दमों पर सवाल किए गए.

जिस प्रकार से राष्ट्रपति बाइडेन यूक्रेन और इजराइल के साथ पूरे दमखम के साथ खड़े हुए हैं, उसके पीछे पुख्ता रणनीति तो है ही, साथ ही घरेलू स्तर पर राजनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए भी ऐसा किया गया है.

वास्तविकता में देखा जाए, तो पिछले साल बाइडेन प्रशासन द्वारा घरेलू स्तर पर जो भी नीतिगत फैसले लिए गए, वे कहीं कहीं देश के बाहर उसके द्वारा लिए गए निर्णयों से प्रेरित रहे हैं. जिस प्रकार से राष्ट्रपति बाइडेन यूक्रेन और इजराइल के साथ पूरे दमखम के साथ खड़े हुए हैं, उसके पीछे पुख्ता रणनीति तो है ही, साथ ही घरेलू स्तर पर राजनीतिक समर्थन हासिल करने के लिए भी ऐसा किया गया है. हालांकि, देखा जाए तो अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करने एवं इजराइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध को आस-पास के हिस्सों में फैलने से रोकने जैसे अपने बाहरी लक्ष्यों को तो ज़रूर कुशलतापूर्वक हासिल कर लिया है, लेकिन साल का अंत होते-होते इस तरह के क़दमों का राष्ट्रपति बाइडेन को घरेलू स्तर पर फायदा होगा, इसमें संदेह बना हुआ है.


विवेक मिश्रा ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो हैं.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.