Author : Anulekha Nandi

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Published on Apr 26, 2024 Updated 0 Hours ago

टेक जाइंट्स विशाल कम्प्यूटेशनल संसाधनों का उपयोग करते हैं और जटिलता और विक्रेता निर्भरता को बढ़ावा देते हैं और ये सब बातें छोटे व्यवसायों के कंप्यूटिंग पावर प्राप्त करने की ज़रूरत के लिए स्थानीय क्षमता के विकास की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.

उच्च दर्जे की AI अर्थव्यवस्थाएं

AI सिस्टम के मॉडल के विकास और प्रशिक्षण के लिए डेटा और कम्प्यूटेशनल क्षमता की व्यापक मांग के चलते हाइपर स्केलर्स नामक वर्टिकल एकीकृत सेवा, मंच और बुनियादी ढांचे को प्रदान करने वाली की एक नई श्रेणी का उद्भव हुआ है. यह नेटवर्किंग, स्टोरेज और सर्वर जैसे कुशल हार्डवेयर संसाधन प्रदान करता है और यह उस पारिस्थितिक तंत्र को प्रदान करता है जिसमें ऍप्लिकेशन्स को विकसित, प्रबंधन और होस्ट करने के लिए, और उद्योग स्तर के उपयोगकर्ताओं की ज़रूरतों के आधार पर रिमोट एक्सेस करने के लिए सॉफ्टवेयर प्रदान करता है. कुल मिलाकर, वे AI के विकास और उत्पादन को सक्षम करने वाली स्थितियां बनाते हैं और महत्वपूर्ण संरचना और संसाधनों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो AI ऍप्लिकेशन्स के भावी नवाचार के लिए आवश्यक है. ये सब नए प्रावधान AI विकास की कम्प्यूटेशनल और डेटा संचालित प्रक्रियाओं के लिए अति आवश्यक अपरिमित गति और स्तर का परिणाम है. 

 जेनेरेटिव AI के साथ हो रहे औद्योगिक, क्षेत्रीय और संगठनात्मक परिवर्तनों के कारण हाइपरस्केल क्लाउड कंप्यूटिंग की मांग में वृद्धि हुई है. 

हाइपरस्केल एक तकनीकी शब्द है जो IT आर्किटेक्चर पर लादे जाने वाले मांगों के जवाब में उसकी क्षमता के विस्तार की क़ाबिलियत को दर्शाता है और यह एक विशेषण सूचक शब्द भी है जो कुछ सबसे बड़े क्लाउड सेवा प्रदाताओं में से कुछ के लिए उपयोग में लिया जाता है जो AI की विकास यात्रा में अग्रणी होने के साथ साथ उनका इस बाज़ार पर भी एकाधिकार है. ऐमेज़ॉन वेब सर्विसेज, गूगल क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म और माइक्रोसॉफ्ट ऐज़ूर जैसे हाइपरस्केलर उन्नत AI मॉडल को विकसित करने और उसे प्रशिक्षित करने के लिए डेटा और कम्प्यूटेशनल पावर का विशाल मात्रा में संग्रहण करते हैं. ये तीन कंपनियां अकेले दुनिया भर के बाज़ार के 67 प्रतिशत पर अपना नियंत्रण रखती हैं

 

जेनेरेटिव AI के साथ हो रहे औद्योगिक, क्षेत्रीय और संगठनात्मक परिवर्तनों के कारण हाइपरस्केल क्लाउड कंप्यूटिंग की मांग में वृद्धि हुई है. बढ़ती हुई मांग के साथ-साथ विभिन्न देशो में नए डेटा संप्रभुता नीतियों के जाने से इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियां हाइपरस्केल सुविधाओं में निवेश कर रही हैं, जो बुनियादी ढांचे, प्लेटफॉर्म और सॉफ्टवेयर की सेवाएं डेटा केंद्रों में भौतिक संरचनात्मक में निवेश के साथ उपलब्ध करवाने की तैयारी में है. हालांकि, यह पारस्परिक रूप से प्रबल फीडबैक लूप वर्टिकली संकलित प्रौद्योगिकी कंपनियों के बड़े पैमाने की विशाल आर्थिक क्षमताओं के कारण है और यह ज़मीनी स्तर पर हो रहे नवाचारों के लिए संसाधन की उपलब्धता पर सवालिया निशान लगाते है

 

गतिशील क्षमता और संसाधनों का उपार्जन और विस्तार 

 

हाइपरस्केलर्स ने शुरू में अपनी आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया लेकिन अब वे मांग के आधार पर कम्प्यूटेशनल क्षमता को व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अब उनके उत्पाद और सेवा क्षमताओं के पैमाने का निर्धारण इस आधार पर किया जा रहा है कि वे कितना अपने मौजूदा व्यवसाय के मॉडल से उत्पाद और सेवा द्वारा डेटा संसाधनों को एकीकृत करने में कामयाब रहे हैं. इन फर्मों के पास समृद्ध डेटा संसाधन हैं जो उन्हें बड़े डेटाबेस के साथ AI का लाभ उठाने और इसमें निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. यह कदम उनके ट्रेनिंग मॉडल की कम्प्यूटेशनल लागत को कम करती हैं और डेटासेट बढ़ते ही प्रेडिक्टिव एक्यूरेसी भी बढ़ती है. इसका यह मतलब है कि बड़े डेटा सेट वाली कंपनियों को अपने AI उत्पाद के लिए कम लागत लगती है और बेहतर रिटर्न भी मिलते है. AI का उपयोग AI की सटीकता में वृद्धि के साथ साथ क्लाउड इंडस्ट्री को भी पोषित करता है, जिससे उनकी क्लाउड सेवाओं के लिए ज़्यादा मांग होती है. कई क्लाउड प्रोवाइडर्स AI प्लेटफॉर्म के भी मालिक हैं जिससे उन्हें इस उद्योग के एक बड़े भाग को अपने नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है.

 AI मॉडल को प्रशिक्षित करना एक गहन लागत की प्रक्रिया होती है जो लाखों डॉलर तक जा सकती है और इसके चलते स्टार्ट-उप जैसी कंपनियों के लिए ये अनुकूल नहीं होता है. 

डेटा एडवांटेज के चलते ये कंपनियां प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण जैसे मशीन लर्निंग के बढ़ते विकास क्षेत्रों में अपने उच्च स्तर के चलते ख़ासा फ़ायदा उठाती है. AI मॉडल को प्रशिक्षित करना एक गहन लागत की प्रक्रिया होती है जो लाखों डॉलर तक जा सकती है और इसके चलते स्टार्ट-उप जैसी कंपनियों के लिए ये अनुकूल नहीं होता है. जबकि, हाइपरस्केलर्स के लिए AI को उपयोग में लाने के लिए उनके पास मौजूद डेटा, स्केल, प्रक्रिया परिवर्तन की क्षमता और संवर्धित क्षमताओं से सकारात्मक प्रतिक्रिया लूप के चलते लगभग के बराबर लागत लगती है. उनकी क्लाउड सेवा सकारात्मक प्रतिक्रिया लूप के चलते उनकी वर्चस्व की स्थिति को और भी पुष्ट करती है क्योंकि उनके प्लेटफ़ॉर्म के उपयोग से अधिक डेटा उत्पादित होता है जो उनकी क्षमताओं को और बढ़ाता है. हाइपर्सक्लर्स अक्सर अपनी रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से अपने वर्चस्व की अवस्था को और भी पुख़्ता करते है जैसे की माइक्रोसॉफ्ट ऐज़ूर की ChatGPT के लिए OpenAI के साथ और Llama के लिए Meta के साथ फाउंडेशनल मॉडल के लिए रणनीतिक साझेदारी है। AWS के फाउंडेशनल मॉडल बेडरॉक को AI21, स्टेबिलिटी AI और अमेज़न, और टाइटन मॉडल के साथ Cohere साझेदारी में परस्पर समर्थित है. हालांकि, इनमें से कई मॉडल जैसे AI यूनिकॉर्न Cohere एक तरफ गूगल (Google) क्लाउड के ग्राहक हैं जो की जटिल बहुस्तरीय लिंकेज का एक उदाहरण हैं जो पारिस्थितिकी तंत्र के परे और मार्केट के बड़े खिलाड़ियों के इर्द गिर्द केंद्रित हैं. जबकि कुछ का मानना है कि इस तरह का मार्केट समाहरण एक चिंता का विषय नहीं है क्योंकि ये कंपनियां ही डाउनस्ट्रीम एप्लिकेशन डेवलपर्स के लिए बुनियादी ढांचे को उपलब्ध करवाते है लेकिन ये भी सच है कि वे जटिलता, विक्रेता लॉक-इन और अप्रत्याशित मूल्य निर्धारण जैसे चुनौतियों भी पैदा करती है. वे डाउनस्ट्रीम इनोवेशन में शुरुआती तौर पर बाधाएं पैदा करते हैं और इसके अलावा बड़े फॉउण्डेशनल मॉडल उनको आधार बनाकर विकसित किए गए एप्लिकेशन में डेटा संबंधी समस्या आती है.

 

वैश्विक रूप से परस्पर जुड़े हाइपरस्केलर की कार्यशैली और विश्व भर में फ़ैले इसके व्यापक बाज़ार ने राष्ट्रीय क्षमताओं के विकास की प्रक्रियाओं को कमज़ोर किया है और इसी कारण से कुछ देशों ने घरेलू प्रतिस्पर्धा की रक्षा के लिए नीतियों को लागू किया है

 

नवाचार का प्रजातंत्रीकरण

 

अमेरिका से संचालित हाइपरस्केलर्स के प्रभुत्व के चलते यूरोपीय संघ में यह एक रणनीतिक नीति का मुद्दा बन गया है और फ्रांस स्वदेशी हाइपरस्केलर्स के प्रोत्साहन को और मजबूत करना चाहता है. यूरोप की ट्रेड बॉडी क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विस प्रोवाइडर्स (CISPE) ने माइक्रोसॉफ्ट की लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं के ख़िलाफ़ यूरोपीय संघ के एंटीट्रस्ट संस्थान में एक शिकायत दर्ज़ की है जिसमें वह यह आरोप लगा रहे है कि माइक्रोसॉफ्ट की लाइसेंसिंग प्रणाली उसकी अपनी ऐज़ूर प्लेटफार्म को फ़ायदा पहुंचाती है और उपयोगकर्ताओं को उनके प्लेटफार्म पर सीमित विकल्प प्रदान करती है. यह सब जर्मनी के नेक्स्टक्लाउड (NextCloud), फ्रांस के OVHCloud, इटली के अरूबा और डेनिश क्लाउड सेवा प्रदान करने वालो के एक संघ की शिकायतों के बीच हुआ है. उल्लेखनीय है कि 26 छोटे यूरोपीय क्लाउड सेवा प्रदाताओं के अलावा CISPE में AWS भी शामिल है. जबकि माइक्रोसॉफ्ट द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से इन शिकायतों को हल करने की कोशिश कर रहा है, यह सब यूरोप में कुछ यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों की चिंताओं के बीच हो रहा है जो यूरोप में संवेदनशील अनुबंध प्राप्त करने वाले विदेशी हाइपरस्केलर्स के प्रति है विशेष रूप से डेटा एक्सेस प्रावधानों के संबंध में. उदाहरण के लिए US क्लाउड एक्ट 2018 के प्रावधानों के अनुसार अमेरिका से संबंध रखने वाली कंपनियां जो विदेश में डेटा संग्रहीत करती है उसे सरकार को सौंपना होता है जो द्विपक्षीय सहयोग और सहायता के लिए बनी पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (MLAT) समझौते का उल्लंघन करती है. हालांकि शीर्ष स्तर पर बहुत मांग है, AI समुदाय AI यूनिकॉर्न द्वारा दी जाने वाली वैकल्पिक और अतिरिक्त सेवाओं की भी तलाश कर रहा है जो सह-विशेषज्ञता के रूप में उनके साथ काम कर सकते हैं. चीनी सरकार द्वारा AI समूहों को दी जाने वाली मदद ने जो की डिजिटल लाभांश का भुगतान करती है अमेरिकी सरकार के नॉन-इंटरवेंशन की भूमिका के ख़िलाफ़ कई शिक्षाविदों को हाइपरस्केलर्स पर निर्भरता को कम करने के लिए सरकारी मदद का आह्वान करने को प्रेरित किया है

 नवाचार की कीमत और लागतों को स्टार्ट-अप समुदायों के लिए कम करने के लिए और कम्प्यूटेशनल संसाधनों को आसानी से मुहैया कराने के बाबत डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सार्वजनिक निवेश, सही नीति और नियामक स्तर पर समर्थन की आवश्यकता होगी.

हर महीने टेराबाइट्स की मात्रा में 5G पेनेट्रेशन, OTT की ख़पत, सोशल मीडिया के उपयोग और जनरेटिव AI के उदय के कारण डेटा के उद्भव के चलते रुझानों के अनुसार यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले हाइपरस्केलर भारत से निकल सकते हैं. इसके चलते Yotta और E2E नेटवर्क जैसी डेटा सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां भारत में अपने डेटा सेंटर के विस्तार पर विचार कर रही हैं. यह सब तब हो रहा है जब रिलायंस, टाटा, और अडानी जैसी कंपनियों द्वारा रणनीतिक भागीदारी के माध्यम से डेटा सेंटर के क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए काम कर रही है और ऐसे में अगले 7-10 वर्षों में भारत से अगला वैश्विक हाइपरस्केलर उभरने की संभावना है. हालांकि इन कंपनियों में बड़े वित्तीय निवेश की क्षमता हो सकती है जो उन्हें कम्प्यूटेशनल पावर और सर्वर स्पेस प्राप्त करने में मदद कर सकती है लेकिन जब डेटासेट की बात आती है जो AI सिस्टम और मॉडलों के लिए प्राणदायक है तो तीन शीर्ष दावेदारों को अभी भी एक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हो सकता है. नवाचार की कीमत और लागतों को स्टार्ट-अप समुदायों के लिए कम करने के लिए और कम्प्यूटेशनल संसाधनों को आसानी से मुहैया कराने के बाबत डिजिटल सार्वजनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सार्वजनिक निवेश, सही नीति और नियामक स्तर पर समर्थन की आवश्यकता होगी.


अनुलेख़ा नंदी ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में फेलो है.

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