Published on Apr 30, 2022 Updated 1 Days ago

वित्तीय तकनीक जिसे अब आम तौर पर फिनटेक कहा जाता है, वो कारोबार का ऐप, प्रक्रिया या मॉडल है, जो कारोबार तकनीक और वित्तीय इनोवेशन से पैदा हुआ है.

अफ्रीका का तेज़ी से उभरता क्षेत्र: फिनटेक का विकास

ये लेख हमारी- रायसीना एडिट 2022 सीरीज़ का हिस्सा है.


वित्तीय तकनीक ने दुनिया के वित्तीय क्षेत्र में इंक़लाब ला दिया है और इसके हमारे पैसे जमा करने, बचाने, निवेश करने, किसी को देने और उधार लेने के तरीक़े को बुनियादी तौर पर बदल दिया है. वित्तीय तकनीक जिसे अब आम तौर पर फिनटेक कहा जाता है, वो कारोबार का ऐप, प्रक्रिया या मॉडल है, जो कारोबार तकनीक और वित्तीय इनोवेशन से पैदा हुआ है.

विश्व स्तर पर, इन्फॉर्मेशन और कम्युनिकेशन की तकनीकों (ICTs) के मामले में नए आविष्कारों ने फिनटेक के लगातार विकास और इसमें सुधार लाने का काम किया है. फिनटेक की प्रगति की राह में एक बानगी यह देखने को मिली है कि वो वित्तीय वैल्यू चेन में एक साथ कई सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं और उसके बाद सुरक्षा का एक मज़बूत और ठोस सिस्टम बनाती हैं, जिससे इस तकनीक को सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सके. पूरे अफ्रीका महाद्वीप में फिनटेक क्षेत्र में असाधारण प्रगति देखने को मिल रही है. इस लेख में हम अफ्रीका के आर्थिक विकास और प्रगति के साथ-साथ वित्तीय समावेश में वित्तीय तकनीक द्वारा निभाई जा रही भूमिका की पड़ताल करेंगे.

फिनटेक की प्रगति की राह में एक बानगी यह देखने को मिली है कि वो वित्तीय वैल्यू चेन में एक साथ कई सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करती हैं और उसके बाद सुरक्षा का एक मज़बूत और ठोस सिस्टम बनाती हैं, जिससे इस तकनीक को सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सके.

अफ्रीका में वित्तीय तकनीक

अफ्रीका में मोबाइल से पैसे का लेन-देन, सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली वित्तीय तकनीक के तौर पर उभरा है. आज ये तकनीक 40 अफ्रीकी देशों में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जा रही है. दिसंबर 2020 तक अफ्रीका में मोबाइल के ज़रिए होने वाले पैसे के लेन-देन का दो तिहाई हिस्सा सहारा क्षेत्र के अफ्रीकी देशों में किया जा रहा था, जिसके तहत लगभग 490 बिलियन डॉलर का लेन-देन किया गया था. हालांकि, वित्तीय तकनीक अपनाने और उसके उपयोग में पूर्वी अफ्रीका अभी भी अव्वल बना हुआ है. अफ्रीका में इतने बड़े पैमाने पर मोबाइल से लेन-देन की तकनीक के इस्तेमाल की सबसे बड़ी वजह क्षेत्र में बैंक और एटीएम की कमी है, जिसकी वजह से पैसे भेजना और यहां तक कि बिल का भुगतान करना बहुत मुश्किल और कई बार तो असंभव हो गया है.

पूर्वी अफ्रीका ने आसानी से पैसे भेजने का बिल्कुल नया तरीक़ा विकसित कर लिया है. इस क्षेत्र में दूरसंचार पर आधारित नियामक मॉडल को तरज़ीह दी जा रही है, जहां पर हर देश में सेवा देने वाली एक मुख्य कंपनी है. इससे ये सुनिश्चित होता है कि किसी कंपनी के पास बाज़ार में एक बड़ी हिस्सेदारी होती है, जहां एक साथ वित्तीय तकनीक की कई सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं. मिसाल के तौर पर केन्या में वित्तीय तकनीक की सेवा देने वाली सबसे बड़ी कंपनी सफारीकॉम है. वहीं तंज़ानिया के बाज़ार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी वोडाकॉम  की है. एक कंपनी की सेवा वाली इस व्यवस्था ने व्यवस्था में तालमेल और दूसरी कंपनियों के नेटवर्क में संचालन की दिक़्क़त कम होती है. इसे राष्ट्रीय पहचान की व्यवस्था से और मज़बूती मिलती है, जिससे सुरक्षित लेन देन करना और आसान हो जाता है. इन बातों की मदद से वित्तीय तकनीक, भुगतान की पारंपरिक व्यवस्था से आगे बढ़ चुकी है और इससे न केवल वित्तीय समावेश को बढ़ावा मिलता है, बल्कि विकास के अन्य क्षेत्रों में भी प्रगति होती है. हालांकि कुल मिलाकर अफ्रीका में तकनीक के मूलभूत ढांचे को और मज़बूत किए जाने की ज़रूरत है; आज भी बहुत से इलाक़ों में बिजली की नियमित आपूर्ति एक चुनौती बनी हुई है. इंटरनेट सेवा भी बहुत कम जगहों पर उपलब्ध है. वहीं, दूरसंचार के क्षेत्र में प्रवेश की राह में कई बड़े रोड़े हैं, जिसकी वजह से उद्योग कुछ सीमित जगहों पर ही केंद्रित हैं. ये मुद्दे ICT पर आधारित सेवाओं की प्रगति में बाधा बना हुआ है.

आज भी बहुत से इलाक़ों में बिजली की नियमित आपूर्ति एक चुनौती बनी हुई है. इंटरनेट सेवा भी बहुत कम जगहों पर उपलब्ध है. वहीं, दूरसंचार के क्षेत्र में प्रवेश की राह में कई बड़े रोड़े हैं, जिसकी वजह से उद्योग कुछ सीमित जगहों पर ही केंद्रित हैं. ये मुद्दे ICT पर आधारित सेवाओं की प्रगति में बाधा बना हुआ है.

M-Pesa की मिसाल: केन्या और तंज़ानिया

एम-पेसा (M-Pesa), केन्या और तंज़ानिया में मोबाइल पर आधारित पैसों के लेन-देन की सबसे लोकप्रिय व्यवस्था है. केन्या और तंज़ानिया के दो बड़े मोबाइल नेटवर्क, सफ़ारीकॉम और वोडाकॉम ने 2007 में एम-पेसा की शुरुआत की थी. दोनों ही कंपनियों पर मालिकाना हक़ वोडाफ़ोन का है. इस सेवा के ज़रिए ग्राहकों को पैसे जमा करने, भेजने और निकालने की सुविधा मिलती है. एम-पेसा की सेवाएं अब अन्य देशों में भी चलाई जा रही हैं. एम-पेसा के 2.83 करोड़ सक्रिय यूज़र हैं और केन्या में इसके लगभग दो लाख 48 हज़ार एजेंट हैं. मार्च 2021 में एम-पेसा के ज़रिए 200 बिलियनलेन-देन हुए थे, जो केन्या की GDP के लगभग दो गुने के बराबर है.

एम-पेसा ने केन्या और तंज़ानिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत सकारात्मक असर डाला है. इससे प्रति व्यक्ति खपत का स्तर बढ़ा है और बहुत से परिवारों को ग़रीबी से निजात मिली है. इस सेवा के ज़रिए ज़्यादा बचत को बढ़ावा मिला है और लोगों की वित्तीय क्षमता में इज़ाफ़ा भी हुआ है. एम-पेसा की सेवाएं लेने की फ़ीस- जो हर भुगतान और यहां तक कि कंपनी के सीमित प्लेटफॉर्म पर भी लगाई जाती है- वो संचार कंपनियों की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा है. एम-पेसा के माध्यम से एम-श्वारी नाम की एक लोन की योजना से भी आमदनी होती है. ये सेवा 2021 में शुरू की गई थी; लिपा ना एम-पेसा, कारोबारियों को दी जाने वाली एक सेवा है, जो इसके ज़रिए भुगतान लेते हैं; इस सेवा के माध्यम से फुलिज़ा नाम की एक ओवरड्राफ्ट सुविधा भी दी जाती है, जिसे 2019 में शुरू किया गया था. इसमें ग्राहकों को अपने खाते में पर्याप्त पैसा न होने पर भी भुगतान करने की सुविधा मिलती है.

इस प्रकार, एम-पेसा की ज़बरदस्त कामयाबी का श्रेय अन्य कारणों के अलावा, इस बात को भी दिया जा सकता है कि लोगों के पास बैंक और एटीएम जैसी स्थानीय सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं; ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए इसकी क़ीमत को लेकर स्मार्ट रणनीति बनाई गई है; और एम-पेसा को इस तरह से बनाया गया है कि वो बाज़ार की ज़रूरतों के हिसाब से फिट बैठती है, क्योंकि इसकी कंपनी केन्या के केंद्रीय बैंक के साथ लंबे समय से काम कर रही है.

एम-पेसा की सेवाएं लेने की फ़ीस- जो हर भुगतान और यहां तक कि कंपनी के सीमित प्लेटफॉर्म पर भी लगाई जाती है- वो संचार कंपनियों की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा है. एम-पेसा के माध्यम से एम-श्वारी नाम की एक लोन की योजना से भी आमदनी होती है.

अफ्रीका में वित्तीय तकनीक वाली अन्य सेवाएं

एम-पेसा के अलावा, अफ्रीका के अन्य क्षेत्रों में कई दूसरी वित्तीय सेवाएं भी विकसित की गई हैं. मिसाल के तौर पर, 2009 में बनाया गया पगा (Paga Bank) नाम का डिजिटल बैंक पैसों के लेन-देन, बिल के भुगतान, इंटरनेट पर भुगतान और तनख़्वाह देने जैसी सेवाएं देने के काम आता है. पगा को मुख्य रूप से नाइजीरिया में इस्तेमाल किया जाता है और इसके ग्राहकों की तादाद अच्छी ख़ासी है. घाना, नाइजीरिया, युगांडा और केन्या में ब्रिटेन से चलने वाली मनी ट्रांसफर सेवा सिंबा पे काम कर रही है. सिंबा पे ऐप के ज़रिए कोई भी इंसान मौजूदा मनी वॉलेट सेवाओं से पैसे भेज सकते हैं; जिन देशों में ये ऐप उपलब्ध है, वहां इसका इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ़ रहा है.

कोटे डी आइवर (Côte d’Ivoire) , बोत्सवाना और कैमरून में ऑरेंज मनी नाम की भुगतान और पैसे निकालने की सेवा काम कर रही है. ऑरेंज मनी ने MTN समूह के साथ मिलकर ‘मोवाली’ (अलग अलग मोबाइल वॉलेट के बीच काम करने) की सेवा विकसित की है, जो पूरे अफ्रीका में ऐसी ही अन्य सुविधाओं के साथ मिलकर काम करने में मददगार है. बैंकिंग सेक्टर में इसकी सेवाओं के विस्तार के लिए ज़ूना नाम का मोबाइल पेमेंट सिस्टम विकसित किया गया है. इसके तहत ‘सुंगा पॉकेट्स’ नाम की सेवा दी जाती है, जिससे ग्राहकों को अपना पैसा निकालने और रखने की सुविधा मिलती है. ज़ूना ने अब किवा नाम के ऐप के साथ साझेदारी की है, जिससे स्थानीय उद्यमियों को वित्तीय और दूसरी तरह की मदद दी जा सके. इसी तरह सेनेगल की स्टार्ट-अप कंपनी विज़ाल इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सेवा देती है, जिससे ग्राहकों को पश्चिमी अफ्रीका में पैसे ट्रांसफर करने में मदद मिलती है. इसी तरह, विज़िट नाम की भुगतान कंपनी ने अपना विस्तार माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में भी किया है और अब विश्व बैंक के साथ मिलकर छोटे कारोबारियों को अपने कारोबार के विस्तार के लिए क़र्ज़ भी दे रही है.

ऊपर जिन मिसालों का ज़िक्र किया गया है, वो सभी ये इशारा करती हैं कि अफ्रीका में फिनटेक का लगातार विकास हो रहा है, जो अफ्रीकी देशों में मोबाइल सेवा के विस्तार और इस्तेमाल के अनुपात में ही बढ़ रहा है. वित्तीय तकनीकी सेवाओं की वजह से बहुत सी स्टार्ट-अप कंपनियां भी शुरू हो रही हैं, जो लोगों को रोज़गार के तमाम तरह के मौक़े मुहैया करा रही हैं. इसके साथ-साथ स्टार्ट-अप हब बनाने से वित्तीय तकनीक वाली सेवाओं के अफ्रीकी इकोसिस्टम को अपना और विस्तार करने में मदद मिल रही है. वित्तीय तकनीक अब लगातार अफ्रीका के मूलभूत ढांचे और विकास वाले क्षेत्रों, जैसे कि स्वास्थ्य और कृषि की प्रगति में सकारात्मक योगदान दे रही है. अभी हाल ही में केन्या में एम-कोपा नाम की नई सेवा शुरू हुआ है, जो देश के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को डिजिटल लोन हासिल करने में मदद कर रही है, जो इसका इस्तेमाल सोलर पावर कनेक्शन लेने में कर सकते हैं. इसलिए, अब वित्तीय तकनीक की सेवाएं लोगों को अपने घरों के लिए सौर ऊर्जा हासिल करने में भी मदद कर रही हैं.

ज़ूना ने अब किवा नाम के ऐप के साथ साझेदारी की है, जिससे स्थानीय उद्यमियों को वित्तीय और दूसरी तरह की मदद दी जा सके. इसी तरह सेनेगल की स्टार्ट-अप कंपनी विज़ाल इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की सेवा देती है, जिससे ग्राहकों को पश्चिमी अफ्रीका में पैसे ट्रांसफर करने में मदद मिलती है.

निष्कर्ष

वित्तीय तकनीक अब अफ्रीका में तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहे सेक्टर के तौर पर ज़बरदस्त कामयाबी हासिल कर रही है. साल 2021 में इस सेक्टर में निवेश की गई कुल पूंजी पिछली साल की तुलना में 1.49 अरब डॉलर ज़्यादा हो गई, जो अफ्रीका के फिनटेक सेक्टर में निवेश में नए रिकॉर्ड बनाने का साल साबित हुआ. इसके ज़रिए हो रहे सौदों और एक सौदे का औसत आकार दोनों में ही टिकाऊ विकास होता दिख रहा है. एक महाद्वीप के तौर पर पूरी दुनिया में अफ्रीका में सबसे युवा आबादी रहती है. यहां की कुल आबादी में 15 साल या इससे कम उम्र के लोगों की तादाद क़रीब 40 प्रतिशत है. दुनिया भर में दिख रहे चलन बताते हैं कि 21वीं सदी के युवा नई वित्तीय तकनीक को सबसे ज़्यादा अपनाते और इस्तेमाल करते हैं. इसलिए, अफ्रीका में इस सेक्टर के विकास में आबादी के युवा होने का भी काफ़ी योगदान जारी रहने की उम्मीद है.

इसके अलावा, चूंकि अफ्रीका में आबादी के एक बड़े हिस्से को बैंकिंग की सुविधा नहीं है- मोटे अनुमान के मुताबिक़, 2022 में अफ्रीका की लगभग 42 फ़ीसद आबादी या क़रीब 46 करोड़ लोगों की बैंकिंग सेवा तक पहुंच नहीं है. आबादी का ये बड़ा हिस्सा, फिनटेक सेवाएं देने वालों के लिए अपने कारोबार और बाज़ार के विस्तार का एक बड़ा मौक़ा देते हैं, जो मोबाइल फोन के ज़रिए वैकल्पिक वित्तीय समाधान और बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराते हैं. ऐसे में इस बात से हैरानी नहीं होनी चाहिए कि 2020 में अफ्रीका में दुनिया भर में मोबाइल के ज़रिए सबसे ज़्यादा लेन-देन किया गया था, जो दक्षिण एशिया से 374 प्रतिशत ज़्यादा था. जबकि दक्षिण एशिया मोबाइल के ज़रिए पैसों के लेन-देन का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार है. आज जिस तरह से युवा वर्ग ऐसी सेवाओं का मूल्य बढ़ा रहे हैं, उसे देखते हुए पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में वित्तीय स्टार्ट अप कंपनियों के विकास, उनके नियमन और फिनटेक के केंद्र विकसित करने के लिए सब तरह की कोशिशें की जानी चाहिए, जिससे काबिल लोग आकर्षित किए जा सकें और फिर इससे आर्थिक प्रगति को बढ़ावा दिया जा सके.

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