Author : Chetan Khanna

Published on Jun 15, 2019 Updated 0 Hours ago

अफ्रीका में ढांचागत बदलाव का एक नया स्‍वरूप उभर रहा है. दरअसल, कई अफ्रीकी देशों में आईसीटी आधारित सेवाएं, पर्यटन और परिवहन तेज विकास के मामले में विनिर्माण क्षेत्र को पछाड़ रहे हैं.

अफ्रीका: औद्योगीकरण बिना विकास

लंबे समय तक आर्थिक दृष्टि से निराशाजनक माने जाने वाला उप-सहारा अफ्रीका अपनी आजादी के बाद से ही विकास के लिहाज से अपने सबसे अच्छे वर्षों या दौर की ओर अग्रसर हो रहा है. हो सकता है कि इसमें प्राकृतिक संसाधन अत्‍यंत मददगार साबित हुए हों, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि संसाधनों की दृष्टि से काफी संपन्न माने जाने वाले देशों से अलग भी यहां उत्‍साहवर्धक आर्थ‍िक विकास देखने को मिल रहा है. इथियोपिया और रवांडा जैसे देश नब्‍बे के दशक से ही पूर्वी एशियाई देशों की विकास दर जैसी रफ्तार से प्रगति पथ पर निरंतर कुलांचे भर रहे हैं. यही नहीं, कारोबारी और राजनेता देश के भविष्य को लेकर अब भी उम्‍मीदों से लबरेज हैं.

ऐसे में यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या इस शानदार प्रदर्शन को आगे भी बरकरार रखा जा सकता है. अब तक अफ्रीका ‘अनुकूल बाह्य परिवेश’ और जिंसों के अंतरराष्‍ट्रीय मूल्‍य काफी ज्‍य़ादा रहने और ब्याज दरें कम होने से काफी लाभान्वित हुआ है. निजी पूंजी के प्रवाह ने बढ़ी हुई सरकारी सहायता में पूरक के तौर पर अहम योगदान किया है. चीन में बड़ी तेजी से हुए आर्थिक विकास की बदौलत इस क्षेत्र में उपलब्‍ध प्राकृतिक संसाधनों की मांग एकदम से काफी बढ़ गई और इसके साथ ही अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं में प्रत्यक्ष निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला. हालांकि, चीन और शेष विश्‍व में लंबे समय से छाई आर्थिक सुस्‍ती को ध्‍यान में रखते हुए यह सवाल किया जा रहा है कि क्या अफ्रीका में विकास की तेज रफ्त़ार को लंबे समय तक बरकरार रखा जा सकता है.

इन अर्थव्यवस्थाओं में हुए ढांचागत बदलावों में जो अंतर्निहित खामी है, दरअसल वही मुख्‍य समस्या है. पूर्वी एशियाई देश औद्योगिक क्रांति के बाद विकसित राष्ट्रों द्वारा किए गए उपायों के ही नक्‍शेकदम पर चलते हुए बड़ी तेजी से विकास करने में कामयाब रहे थे. हालांकि, वहां तेज़ विकास अपेक्षाकृत कम समय में ही संभव हो गया था. इन देशों ने अपने किसानों को विनिर्माण कामगारों में बदल कर दिया, अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाई और बड़ी संख्या में परिष्कृत वस्‍तुओं का निर्यात करने पर विशेष ज़ोर दिया.

जहां तक अफ्रीका का सवाल है, वहां इस प्रक्रिया का मामूली अंश ही देखने को मिल रहा है. कुछ अध्ययनों के अनुसार अफ्रीका के आर्थिक स्‍वरूप में मामूली बदलाव हुआ है जो नीति निर्माताओं के लिए अत्‍यंत चिंता का विषय है. अफ्रीकी विकास बैंक, अफ्रीका के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग, अफ्रीकी संघ और आर्थिक बदलाव के लिए अफ्रीकी केंद्र सभी ने इस क्षेत्र में ढांचागत बदलाव के स्‍वरूप एवं गति पर चिंता व्यक्त की है.

ऐतिहासिक रूप से, अर्थव्यवस्थाओं में ढांचागत बदलाव औद्योगीकरण, विशेष रूप से विनिर्माण द्वारा संचालित होता है. औद्योगीकरण के मामले में अफ्रीका का अनुभव अत्‍यंत निराशाजनक रहा है. वर्ष 2014 में उप-सहारा राष्ट्रों में विनिर्माण की औसत हिस्सेदारी सत्‍तर के दशक से आंकी जा रही 10 प्रतिशत पर ही अपरिवर्तित पाई गई थी. यही कारण है कि कई विद्वानों ने तो अब औद्योगीकरण की धीमी गति पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं और इसके साथ ही अफ्रीका में विकास की निरंतरता पर सवालिया निशान लगाना शुरू कर दिया है.

ठीक इसी समय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) और परिवहन लागत में हुए परिवर्तनों ने इस क्षेत्र में उद्योग के दायरे में तब्‍दीली लाना शुरू कर दिया है. जब आर्थिक आंकड़ों की वर्तमान प्रणाली तैयार की गई थी, तो इसमें कोई संदेह नहीं था कि इन उद्योगों का दायरा क्या था: खनन, विनिर्माण, जनोपयोगी सेवाएं और निर्माण, इनमें से विनिर्माण ‘चिमनी या धूएं की नाल (स्मोकस्टैक) वाला उद्योग’ था और उसे ढांचागत बदलाव का एक प्रमुख वाहक माना जाता था.

आज इस क्षेत्र में कृषि-औद्योगिक उत्पादों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला उभर कर सामने आने लगी है. ये निश्चित तौर पर विनिर्माण के साथ कई विशेषताओं को साझा करते हैं जैसे कि ये व्यापार योग्य हैं, इनमें प्रति कामगार अच्‍छा-खासा मूल्य वर्धन निहित होता है और ये बड़ी संख्‍या में सामान्‍य कुशल कामगारों को खपाने में सक्षम हैं. ये कृषि विकास और तकनीकी बदलाव से भी लाभान्वित होते हैं. यह व्‍यर्थ की बात नहीं है कि अफ्रीका को अब ‘चिमनी या औद्योगीकरण के बिना ही तेज विकास’ वाला क्षेत्र माना जाता है.

हाल ही के एक अध्ययन में यह पाया गया है कि अफ्रीका में ढांचागत बदलाव का एक नया स्‍वरूप उभर रहा है. दरअसल, कई अफ्रीकी देशों में आईसीटी आधारित सेवाएं, पर्यटन और परिवहन तेज विकास के मामले में विनिर्माण क्षेत्र को पछाड़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, वर्ष 1998 और वर्ष 2015 के बीच सेवाओं का निर्यात इस क्षेत्र में वाणिज्यिक निर्यात की तुलना में छह गुना से भी अधिक तेजी से बढ़ा. इसके अलावा, एक अन्य अध्ययन में यह पाया गया कि रवांडा, केन्या, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका ने अब आईसीटी आधारित दमदार सेवाएं विकसित कर ली हैं. रवांडा के कुल निर्यात में 30 प्रतिशत की अहम हिस्‍सेदारी के साथ पर्यटन देश की आर्थिक गतिविधि में सर्वाधिक योगदान देने वाला क्षेत्र बन गया है. देश में 9.5 मिलियन पर्यटकों के आगमन की बदौलत वर्ष 2014 में पर्यटन ने दक्षिण अफ्रीका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 3 प्रतिशत का योगदान दिया. इथियोपिया, घाना, सेनेगल और केन्या अब सक्रिय रूप से वैश्विक बागवानी मूल्य श्रृंखलाओं (वैल्‍यू चेन) में भाग ले रहे हैं.

रवांडा के कुल निर्यात में 30 प्रतिशत की अहम हिस्‍सेदारी के साथ पर्यटन देश की आर्थिक गतिविधि में सर्वाधिक योगदान देने वाला क्षेत्र बन गया है. एक हालिया अध्ययन के अनुसार, यह पाया गया कि व्यापार योग्य सेवाएं, कृषि-उद्योग और विभिन्‍न उद्योग दरअसल विनिर्माण के साथ कई विशेषताओं को साझा करते हैं. विनिर्माण का वैश्विक वितरण अब भी निवेश के माहौल और निर्यात एवं संचय करने की क्षमता के दम पर ही समुचित स्‍वरूप हासिल करता है. उधर, ढांचागत बदलाव के लिए कोई उपयुक्‍त रणनीति तैयार करना संभव है.

निवेश माहौल के प्रमुख तत्वों में बुनियादी ढांचागत सुविधाएं, कौशल और प्रतिस्पर्धा शामिल हैं. इस क्षेत्र की सरकार को बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में मौजूद गंभीर समस्‍याओं को सुलझाने की आवश्यकता है. यही नहीं, सरकार को अफ्रीकी फर्मों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक प्रेरक या सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करने की भी आवश्यकता है. निर्यात को बढ़ावा देने वाली रणनीति को सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए और इसके साथ ही निर्यात के मार्ग में मौजूद बाधाओं को पूरे क्षेत्र में हटाया जाना चाहिए.

विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) में निवेश करके अफ्रीकी सरकारें संभवत: विनिर्माण की तरह कृषि-प्रसंस्करण सेवाओं, बागवानी और आईसीटी-आधारित सेवाओं को आवश्‍यक प्रोत्‍साहन या सहयोग दे सकती हैं. यह विशेष आर्थिक जोन के निर्माण के माध्यम से संभव है. वैसे तो केन्या का आई-हब रोजगार सृजित करने के लिए विशेष आईसीटी जोन को सरकारों द्वारा पोषि‍त किए जाने का एक अच्‍छा उदाहरण है, लेकिन इस क्षेत्र की सरकारें यदि युवा आबादी के लिए सार्थक रोजगार सृजित करना चाहती हैं तो उन्‍हें आईसीटी एसईजेड में और भी अधिक निवेश करना चाहिए. विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) में निवेश करके अफ्रीकी सरकारें संभवत: विनिर्माण की तरह कृषि-प्रसंस्करण सेवाओं, बागवानी और आईसीटी-आधारित सेवाओं को आवश्‍यक प्रोत्‍साहन या सहयोग दे सकती हैं. यह विशेष आर्थिक जोन के निर्माण के माध्यम से संभव है.

कुल मिलाकर यह माना जा सकता है कि बगैर चिमनी (स्मोकस्टैक) वाले उद्योगों के लिए एक व्यापक परिभाषा तय करने के बारे में सोचने की आवश्यकता है, ताकि अफ्रीका में जारी अद्वितीय ढांचागत बदलाव को सही ढंग से समझा जा सके. नए सेक्‍टर या क्षेत्र ढांचागत बदलाव की दिशा में एक नए और पूरक मार्ग के लिए व्‍यापक संभावनाएं प्रदान करते हैं. इनमें से कई उद्योगों ने पहले से ही अफ्रीका में बड़ी संख्या में युवाओं को खपाना शुरू कर दिया है. अब जरूरत इस बात की है कि आर्थिक योजनाकार अफ्रीका में उभर रहे ढांचागत बदलाव के इस नए स्‍वरूप की बारीकियों को समझने पर और ज्‍यादा फोकस करें तथा इसके साथ ही और ज्‍यादा सटीक निर्णय लेने के लिए अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की अन्य सर्वोत्तम प्रथाओं या तौर-तरीकों को लागू किया जाए.

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