Published on Sep 01, 2018 Updated 0 Hours ago

क्या है जो इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) को इंडिया पोस्ट से अलग करता है? IPPB इसमें टेक्नोलॉजी पर आधारित पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर की वैल्यू ऐड करता है।

क्या इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक वित्तीय तौर पर टिकाऊ है?

1.55 लाख पोस्ट ऑफिस, 650 बैंक ब्रांच, 3 लाख कर्मचारी और 10 हज़ार से ज्यादा पोस्टमैन।

ये वो आंकड़े हैं जो पीएम मोदी 1 सितंबर को संचार मंत्री मनोज सिन्हा के साथ इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक को लॉन्च करते समय दे सकते हैं। ये कार्यक्रम दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होगा।

इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के लिए अपार मौके और संभावनाएं हैं और उम्मीद है कि भारत निकट भविष्य में भारत की समावेशी आर्थिक तस्वीर में बड़े परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

इसे दुनिया में सबसे बड़े पोस्ट ऑफिस नेटवर्क होने का फायदा मिल सकता है। इनमें से 1.40 लाख पोस्ट ऑफिस ग्रामीण भारत में हैं। इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ऐसी जगहों पर डिजिटल माध्यम से वित्तीय सेवाएं देने के लक्ष्य को हासिल कर सकता है, जहां आज भी कमर्शियल बैंकों की पहुंच नहीं है। एक पेमेंट बैंक के तौर पर IPPB बड़ी तादाद में भारतीयों को बैंक अकाउंट खोलने, पैसा जमा करने और निकालने का मौका देगा।

लोगों की उस आदत को तोड़ने में भी समय लगेगा जिसके तहत वो नकदी और सोना अपने पास रखना चाहते हैं और अपनी छोटी-छोटी बचत से लेने-देन में बढ़ावा लाकर अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देंगे।

ये दलील भी दी जा सकती है कि इंडिया पोस्ट तो पहले से ही कई बैंकिंग सेवाएं दे रहा है। वहां बचता खाता खुलवा सकते हैं, पैसे निकाल और जमा कर सकते हैं और इन सबका रिकॉर्ड पासबुक में भी दर्ज होता है। हांलाकि पेमेंट बैंक की तरह इसमें भी लोन नहीं मिलता है। तो IPPB और इसके पूर्वज में क्या फर्क है? क्या ये अंतर है कि वो अपने व्यापक पोस्ट ऑफिस नेटवर्क को बनाए रखने के साथ टेक्नोलॉजी से चलने वाले पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर की वैल्यू ऐड करेगा। इंडिया पोस्ट IPPB के लिए बैंकिंग एक्सेस प्वाइंट होंगे।

इसके अलावा 10 हज़ार पोस्टमैन की सेना घर-घर जाएगी ताकि लोगों को डोर टू डोर (सीधे घर तक) बैंकिंग सेवाएं दी जा सकेंगी।

यहीं बात IPPB को पेटीएम जैसे मौजूदा पेमेंट बैंक पर बढ़त दिलाती है। गांवों में पहुंच के मामले में पेटीएम पीछे और गांवो में पैठ बढ़ाने के लिए बेताब है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक में अपार संभावनाएं हैं इसमें कुछ कमजोरियां भी जुड़ी हुई हैं। कंपनी को ये पक्का करना होगा कि वो कई सरकारी कंपनियों की तरह घाटे की मशीन न बन जाए जैसे एयर इंडिया है। ये जरूरी है कि सरकार अगामी महीनों में इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के सामने आने वाली चुनौतियों और ख़तरों को नजरअंदाज न करें। दो तरह के खतरे नजर आ रहे हैं।

पहला, फाइनेंशियल यानी वित्तीय। सरकारी संस्थाओं के ढांचों की विरासत IPPB की सफलता पर असर होगा। 2016-17 के वित्तीय वर्ष में इंडिया पोस्ट का राजस्व घाटा 11,969 करोड़ रुपये का है, ये इससे पहले के साल के 5,962 करोड़ रुपये की तुलना में करीब दोगुना हो गया है।

इसका टेक्नोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट बैंकों की तुलना में पुराना और अच्छे दर्जे का नहीं है। IPPB पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाला है और संभवत: डिपार्टमेंट ऑफ़ पोस्ट ही इसके ऑपरेशन का काम देखेगा। इस तरह के सरकारी दखल से IPPB ब्यूरोक्रेसी के दलदल में फंस सकता है और इससे बैंकिंग जैसी सक्रिय इंडस्ट्री में इसे मुकाबला करने में दिक्कत आ सकती है।

पेमेंट बैंकिंग के लिए RBI के सख्त मानक और नियम के चलते IPPB को फायदे में लाना आसान नहीं होगा। आरबीआई के मुताबिक सभी पेमेंट बैंक को डिमांड डिपॉजिट का 75% सरकार से जुड़े सिक्योरिटी और ट्रेजरी बिलों में इंवेस्ट करना होता है।

इस दौरान अगस्त 2018 में कमाई 6.2% से 7.3%. के बीच है।

इसलिए IPPB का डिपॉजिट सर्विस से प्रॉफिट कमाना मुश्किल है, जबकि उसे जमा पैसे पर 5.5% ब्याज देनी है।

और दूसरी वजह है प्राइसिंग (मूल्य तय करना)। IPPB को प्रॉफिट में लाने के लिए दूसरे पेमेंट बैंक की तरह सर्विस ऑफर करनी होंगी जैसे इंश्योरेंस और थर्ड पार्टी प्रोडक्ट। इसकी अधिकृत वेबसाइट के मुताबिक पेमेंट बैंक से DTH, पानी और गैस के पेमेंट किए जा सकेंगे। ये अकल्पनीय है कि एक किसान जो अपने बच्चे को शिक्षा नहीं दे पा रहा है वो इस तरह की सुविधाओं का इस्तेमाल क्यों करेगा।

इसके अलावा इसकी वेबसाइट को देखकर पता चलता है कि बैंक हर बार नकदी निकालने और जमा करने पर 25 रुपये चार्ज कर सकता है। हर डिजिटल लेनदेन के लिए 15 रुपये चार्ज कर सकता है। ये चार्ज तभी लगेंगे जब आप डोर स्टेप (सीधे घर तक) बैंकिंग सेवा का इस्तेमाल करेंगे। इस तरह के चार्ज लेना सामाजिक और व्यवसायिक तौर पर ठीक नहीं है क्यों कि गांव के लोग अपनी छोटी-छोटी बचत के पैसों से इस तरह की फीस नहीं देना चाहेंगे इसलिए ये IPPB के लिए खात्मे की घंटी की तरह है।

भले ही IPPB के कई फायदे हैं लेकिन उसे इन बाधाओं (फाइनेंशियल और प्राइसिंग) से पार पाना होगा ताकि वो खुद को एयर इंडिया न बनने दे। IPPB निश्चित रूप से शुरूआती बढ़त हासिल करता है क्योंकि ग्रामीण भारत में उसकी पहुंच और विश्वसनीयता है लेकिन उसे अपने एक्शन प्लान को दुरुस्त करते हुए चुनौतियों का हल निकालना होगा।


लेखक ORF दिल्ली में रिसर्च इंटर्न हैं।

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