-
CENTRES
Progammes & Centres
Location
रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र को क्षेत्रीय विकास में सुस्त रूसी अर्थव्यवस्था के असर का सामना करना पड़ रहा है और 2018 में यहां कारोबारी गतिविधियों में गिरावट आई है.
मिले-जुले आर्थिक और भू-राजनीतिक कारकों से प्रेरित होकर रूस ने प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न सुदूर पूर्व रूस (आरएफ़ई) के विकास को ‘21वीं सदी के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता घोषित किया है.’ पूरब की धुरी होने के चलते आरएफ़ई के विकास की ज़रूरत है, इसे तेज़ी से विकसित होते हिंद-प्रशांत क्षेत्र से तालमेल रखना है और एक रणनीतिक स्थान को सुरक्षित करना है जो पूर्वोत्तर एशिया से सटा है और प्रशांत महासागर तक पहुंच प्रदान करता है. 2014 के बाद मास्को के पश्चिम से संबंध टूटने के बाद क़रीब आए रूस और चीन के बीच तेज़ी से बढ़ते क़रीबी आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक रिश्तों को देखते हुए आरएफ़ई में चीन की बड़े पैमाने पर मौजूदगी की समीक्षा ज़रूरी है.
2014 के बाद मास्को के पश्चिम से संबंध टूटने के बाद क़रीब आए रूस और चीन के बीच तेज़ी से बढ़ते क़रीबी आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक रिश्तों को देखते हुए आरएफ़ई में चीन की बड़े पैमाने पर मौजूदगी की समीक्षा ज़रूरी है.
भौगोलिक रूप से चीन फ़ार ईस्टर्न फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट (एफ़ईएफ़डी) के ग्यारह में से चार रीजन को छूता है. 1990 के दशक के उलट, जब चीनी आव्रजन में बढ़ोत्तरी को लेकर बहुत ज़्यादा आशंकाएं थीं, आरएफ़ई आज चीन के साथ संबंध बनाने को लेकर ज़्यादा फ़िक्रमंद नहीं है, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और जिसकी आरएफ़ई में भागीदारी इसके विकास के लिए महत्वपूर्ण है. यह तथ्य इसका महत्व बताने के लिए काफ़ी है कि वर्ष 2019 में रूसी निर्यात और आयात में फ़ार ईस्टर्न फ़ेडरल डिस्ट्रिक्ट (एफ़ईएफ़डी) का क्रमशः 6.8 फ़ीसद और 3.4 फ़ीसद योगदान था. इस हिस्से में से सख़ालिन ओब्लास्त, प्रिमोर्स्की क्राइ, सख़ा रिपब्लिक और ख़ाबारोव्स्क क्राइ नाम के चार रीजन ने क्रमशः 6 फ़ीसद और 3 फ़ीसद का योगदान दिया.
चीन एफ़ईएफ़डी के मगदान ओब्लास्त, जूइश ऑटोनोमस ओब्लास्त और चुकोतका ऑटोनोमस ओक्रुग के साथ भी व्यापार करता है, लेकिन उनका कुल योगदान रूसी व्यापार के नज़रिये से बहुत कम है. चीन की सीमा वाले चार एफ़ईएफ़डी रीजन— प्रिमोर्स्की, अमूर, जूइश ऑटोनोमस ओब्लास्त और ख़ाबारोव्स्क— का उभरती महाशक्ति के साथ बहुत क़रीबी व्यापारिक संबंध है. आरएफ़ई के लिए चीन के आकार की अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका से कोई इनकार नहीं कर सकता है. हालांकि, यह इकलौता खिलाड़ी होने से बहुत दूर है— खासकर निर्यात में— जैसा कि नीचे दी गई तालिका से समझा जा सकता है.
यह तालिका बताती है कि चीन और दक्षिण कोरिया आरएफ़ई के मुख्य़ व्यापारिक साझीदार हैं, जिसका कुल कमोडिटी टर्नओवर 27% और 25% है. दोनों देशों ने जापान के साथ 2017 के दौरान आरएफ़ई से ‘निर्यात और आयात में उल्लेखनीय वृद्धि’ की है. जबकि आरएफ़ई का निर्यात तीन पूर्वोत्तर एशियाई देशों के बीच विविधतापूर्ण है, इसके आयात में चीन का भारी प्रभुत्व है, जिसमें मुख्य रूप से मशीनरी, उपकरण और धातुएं शामिल हैं.
संपर्क परियोजनाओं के माध्यम से चीन के साथ संबंधों को और मज़बूत करने की योजना है. ब्लागोवेशचेंस्क व हाइहे के बीच अमूर नदी पर बना पहला सड़क पुल क्रमशः रूसी और चीनी साइड से जोड़ता है, जिसका मक़सद दोनों पक्षों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है. अमूर नदी पर एक रेलवे पुल 2020 के अंत में चालू होने की उम्मीद है. प्राइमोरये-1 और प्राइमोरये-2 अंतरराष्ट्रीय परिवहन कॉरि़डोर जो चीन के पूर्वोत्तर प्रांतों को आरएफ़ई और उससे आगे तक जोड़ने के अलावा, चीनी को जापान सागर तक पहुंच प्रदान करते हैं, के बुनियादी ढांचे में सुधार के प्रयास जारी हैं. प्राइमोरये -2 पर बुनियादी ढांचे के लिए अभी काफ़ी काम करने की ज़रूरत है, जबकि दूसरा रूट काफ़ी बेहतर हालत में है. लेकिन मौजूदा आकलन बताते हैं कि रूट ग़लत अनुपात में ‘‘चीन से व्यापार’ पर पूरी तरह निर्भर होगा और रूस के एशिया के साथ संबंधों में विविधता लाने में इसकी भूमिका सीमित होगी.
संपर्क परियोजनाओं के माध्यम से चीन के साथ संबंधों को और मज़बूत करने की योजना है. ब्लागोवेशचेंस्क व हाइहे के बीच अमूर नदी पर बना पहला सड़क पुल क्रमशः रूसी और चीनी साइड से जोड़ता है, जिसका मक़सद दोनों पक्षों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना है.
दोनों देशों के बीच आर्थिक क्षमताओं में भारी अंतर के कारण, चीन पर बहुत ज़्यादा निर्भरता परंपरागत रूप से इस क्षेत्र के लिए समझदारी भरा कदम नहीं माना जाता है. लेकिन मौजूदा क्षेत्रीय हालात को देखते हुए, आरएफ़ई ने मुख्य रूप से चीन को कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता के तौर पर काम किया है और जरूरी ‘बाजार एकीकरण’ नहीं किया जा सका है. न ही साझीदारी उस स्तर तक पहुंची, जो आरएफ़ई की स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा दे सके.
पूर्वोत्तर चीन और रूस के सुदूर पूर्व व पूर्वी साइबेरिया (2009-2018) के बीच सहयोग का कार्यक्रम भी अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है. विश्लेषकों ने बताया है प्रस्तावित परियोजनाओं को वित्तीय परेशानियों का सामना करना पड़ा और 20 फ़ीसद से कम परियोजनाओं को लागू किया गया. इसके अलावा, रूस में केवल आठ परियोजनाएं 1.77 अरब डॉलर का चीनी निवेश आकर्षित करने में क़ामयाब हुई थीं. यह भी कहा गया कि स्थानीय आर्थिक ज़रूरतों पर विचार नहीं किया गया और ऊपर से नीचे वालों के लिए आए निर्देशों को लागू कर दिया गया. 2018-24 की अवधि के लिए कुछ सिर्फ़ आरएफ़ई पर केंद्रित एक नई योजना पर हस्ताक्षर किया गया, लेकिन यह पिछली योजना की तुलना में बहुत कम महत्वाकांक्षी पैमाने पर थी.
निवेश के मामले में पश्चिमी साझीदारों— जो 2014 से पहले प्रमुख निवेशक थे— के एफ़डीआई (फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट) में काफी गिरावट आई है जबकि जापान और दक्षिण कोरिया में मामूली बढ़ोत्तरी हुई है. रूसी अधिकारियों ने इस क्षेत्र में चीनी निवेश को बढ़ावा दिया है, जो 2015-16 में 2.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया. हालांकि, चीनी निवेश के आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह जताया जाता है क्योंकि आरएफ़ई के लिए की गई घोषणाएं हमेशा ठोस परियोजनाओं में नहीं बदलीं. असल में, इस क्षेत्र में अधिकांश एफ़डीआई प्राकृतिक संसाधनों के लिए है. आरएफ़ई का लगभग 90% एफ़डीआई हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में और कुछ अन्य खनिजों में है जो मुख्यतः सखा़लिन ओब्लास्त में केंद्रित हैं.
रूसी जनगणना के आंकड़े आरएफ़ई में बहुत ज़्यादा चीनी प्रवासन की आशंकाओं को ख़ारिज करते हैं. क्षेत्र में चीनी प्रवासियों की संख्य़ा लगभग 4,00,000 से 5,50,000 होने का अनुमान है, जिनमें से अधिकांश अस्थायी आधार पर काम के लिए आते हैं. इस तरह, समग्रता में देखें तो मौजूदा समय में आरएफ़ई में रूस-चीन संबंधों की एक मिली-जुली तस्वीर सामने आती है.
इस बीच, रूसी सरकार ने आरएफ़ई को विकसित करने के लिए कई कदम उठाए हैं — जिनमें यहां के मामलों के प्रबंधन के लिए अलग मंत्रालय बनाना, निवेश को आकर्षित करने के लिए सुविधासंपन्न स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाना, क्षेत्र में प्रवास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी फंडिंग, एशियाई देशों के बीच इस क्षेत्र का प्रचार करने के लिए हर साल ईस्टर्न इकोनॉमिक फ़ोरम का आयोजन — लेकिन इस क्षेत्र को क्षेत्रीय विकास में सुस्त रूसी अर्थव्यवस्था के असर का सामना करना पड़ रहा है और 2018 में यहां कारोबारी गतिविधियों में गिरावट देखी गई. अमेरिकी पाबंदियों के असर के चलते निवेश को नुकसान हुआ है. ख़राब कारोबारी माहौल, क्षेत्र से पलायन और अच्छे बुनियादी ढांचे की कमी के कारण अन्य संभावित निवेशक पीछे हट रहे हैं.
रूसी जनगणना के आंकड़े आरएफ़ई में बहुत ज़्यादा चीनी प्रवासन की आशंकाओं को ख़ारिज करते हैं. क्षेत्र में चीनी प्रवासियों की संख्य़ा लगभग 4,00,000 से 5,50,000 होने का अनुमान है, जिनमें से अधिकांश अस्थायी आधार पर काम के लिए आते हैं.
इन कमियों के बावजूद, रूसी नीति में आरएफ़ई के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है. सैन्य आधुनिकीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, ईस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट 2010 में अस्तित्व में आया, और बाद में प्रशांत बेड़े के आधुनिकीकरण के लिए योजनाओं का ऐलान किया गया. इस बीच, आरएफ़ई को अपने स्थानीय विकास पर ध्यान देने की ज़रूरत है, जिसमें चीन निश्चित रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
इसके अलावा, रूसी विदेश नीति में चीन के समग्र महत्व को कम नहीं आंका जा सकता है, और यह पूर्व महाशक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण साझीदार बना रहेगा. हालांकि, अगर रूस इस क्षेत्र में सचमुच विविधतापूर्ण नीति अपनाना चाहता है और चीन के प्रति झुकाव से बचना चाहता है, तो उसे आर्थिक विकास में मदद के लिए दूसरी क्षेत्रीय शक्तियों के साथ संबंधों की लगातार खोज पर गंभीरता से ध्यान देना होगा.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.
Nivedita Kapoor is a Post-doctoral Fellow at the International Laboratory on World Order Studies and the New Regionalism Faculty of World Economy and International Affairs ...
Read More +