Author : Rumi Aijaz

Published on May 15, 2017 Updated 0 Hours ago

मास्को का स्वास्थ्य विभाग वर्ष 2011 से ही स्थानीय सूचना तकनीक विभाग के साथ करीबी साझेदारी में काम कर रहा है ताकि अपने नागरिकों को उच्च स्तरीय सेवा मुहैया करवा सके।

जन स्वास्थ्य में क्या सीख सकते हैं रूस से

भारत में जन स्वास्थ्य सेवा चिंताजनक स्थिति में है। लोगों को व्यवस्थित स्वास्थ्य सेवा हासिल करने में समस्या आ रही है। अच्छी सेवा उपलब्ध नहीं होने का समाज पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों (जैसे कि डब्लूएचओ, यूएनडीपी) ने स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए लक्ष्य तय किए हैं और उन्हें हासिल करने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि इस लिहाज से उठाए गए कदमों का सकारात्मक प्रभाव दिखना अभी बाकी है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए हमें मौजूदा तौर-तरीकों की समीक्षा कर उनमें सुधार लाने की जरूरत है ताकि हम बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवा सकें।

किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य बहुत से कारकों पर निर्भर करता है। इस लिहाज से समय से स्वास्थ्य सेवा का उपलब्ध होना बेहद महत्वपूर्ण है।

इस संदर्भ में भारत की सघन आबादी वाले शहरों की स्थिति बहुत उलझी हुई है। समाज के विभिन्न तबकों से आने वाली भारी मांग की वजह से सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों पर बहुत अधिक दबाव रहता है, क्योंकि ये सब्सिडी आधारित दरों पर सेवा मुहैया करवाती हैं। ऐसे में यहां अव्यवस्था फैली रहती है। कई बार गरीब लोगों को एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों के आगे इलाज पाने के लिए कई कई दिनों का इंतजार करना होता है।

इतनी ज्यादा मांग को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों के दौरान निजी और असंगठित संस्थान चारों ओर फैल गए हैं। लेकिन डॉक्टरों की फीस और मेडिकल जांच आदि बेहद महंगे हैं। इतना ही नहीं, कई संस्थान तो बेहद ऊंची कीमत लेने के बाद भी घटिया सेवा देते हैं।

भारत में शहरी शासन स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिहाज से मास्को शहर से बहुत कुछ सीख सकते हैं। अहम क्षेत्रों में डिजिटल तकनीक के तेजी से बढ़ते उपयोग की वजह से मास्को में काफी बदलाव आ रहे हैं। इसी तरह भारत भी नई तकनीक की ओर से मुमकिन हो रही संभावनाओँ का उपयोग कर बहुत लाभ उठा सकता है। साथ ही इससे लोगों का भी भला होगा।

पांच साल पहले तक मरीजों को मास्को के सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट लेने के लिए कई दिनों का इंतजार करना होता था। जब उन्हें अप्वाइंटमेंट मिल भी जाता था तो उनमें से बहुत से मरीज इलाज की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं होते थे।

शहरी शासन ने स्वास्थ्य ढांचे के विकास के लिए काफी राशि लगाई और यह सुनिश्चित करने में काफी प्रयास किए कि हर व्यक्ति को अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा समय से मिल सके।

मास्को का स्वास्थ्य विभाग 2011 से ही सूचना तकनीक विभाग के साथ नजदीकी साझेदारी में काम कर रहा है ताकि वह नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता वाली सेवाएं मुहैया करवाने का लक्ष्य हासिल कर सके। पिछले पांच वर्षों में आधुनिकतम उपकरण खरीदे गए हैं, बहुत से कार्यक्रम और सिमुलेशन मॉडल विकसित किए गए हैं ताकि डॉक्टरों की पेशेवर योग्यता बढ़ाई जा सके। वेब आधारित प्लेटफार्म इंटेगरेटेड मेडिकल इंफोर्मेशन एलालिटिकल सिसट्म (आईएमआईएएस) तैयार किया गया है।

जुलाई, 2016 तक शहर के विभिन्न हिस्सों में स्थित सभी 660 सरकारी ओपीडी क्लीनिक, 23,600 स्वास्थ्य कार्यकर्ता, और 90 लाख मरीज (मास्को की 70% आबादी) इस आईएमआईएएस प्लेटफार्म पर आ गई। साथ ही इस प्लेटफार्म को सरकारी अस्पतालों के संग जोड़ने का काम चल रहा है।

राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था के रणनीतिक प्रबंधन के लिए आईएमआईएएस मोनिटरिंग सेंटर एक बेहद अहम उपकरण बन गया है। इससे मिलने वाले तथ्यों और इससे मिलने वाले आंकड़ों के आधार पर ओपीडी क्लीिनिक और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों में काम का इस तरह बंटवारा किया जाता है कि सभी पर बराबर बोझ रहे। डॉक्टरों और नर्स आदि को इससे जरूरी सूचना तुरंत हासिल हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग इससे दिखाई देने वाले रुझान पर नजर रखता है और सभी स्तर (शहर, जिले, ओपीडी आदि) पर उठने वाले मुद्दों का समाधान करता है। लाइव आंकड़ों की उपलब्धता और विश्वस्त सूचना बेहतरीन फैसले लेने के लिए बेहद उपयोगी होते हैं। इसी तरह सरकार ओपीडी सुविधा की उपलब्धता की ऑनलाइन निगरानी कर पाती है।

आज हर क्लीनिक में लगाए गए वीडियो कैमरे की मदद से चौबीसों घंटे इनकी निगरानी की जाती है। केंद्रीय नियंत्रण कक्ष में निगरानी में लगे कर्मचारी हरेक क्लीनिक में हरेक मरीज और डॉक्टर की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। उदाहरण के तौर पर डॉक्टर अपने कमरे में कितने बजे आए, मरीज को डॉक्टर से मिलने के लिए कितने समय इंतजार करना पड़ा, डॉक्टर को कितने मरीज देखने हैं, हर डॉक्टर का डेली क्या काम रहता है। आंकड़े बताते हैं कि 70% मामलों में डॉक्टर मरीज को दिए गए अप्वाइंटमेंट समय के १५ मिनट के अंदर उसे देख लेते हैं। इसी तरह खुद से अप्वाइंटमेंट ले कर आने वाले मरीजों के लिए वेटिंग लिस्ट में औसतन आधे की कमी आ गई है।

काम की गुणवत्ता, प्राप्त इलाज, क्लीनिक की स्वच्छता आदि पर मरीजों की राय जानने के लिए एक फीडबैक व्यवस्था भी तैयार की गई है। आंकड़े बताते हैं कि यहां आने वाले 90% मरीज यहां मिलने वाली मेडिकल सुविधा से संतुष्ट हैं।

मरीजों को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुविधा हासिल करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता। इसकी बजाय क्लीनिक को पूरा धन मेडिकल इंश्योरेंस और बजट (संघीय, क्षेत्रीय और निगम) से मिल जाता है।

मास्कोवासियों को नई ऑनलाइन व्यवस्था अपनी स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने में बेहद मददगार लग रही हैं। इससे उन्हें नजदीकी क्लीनिक ढूंढ़ने, अप्वाइंटमेंट बुक करने, डॉक्टर की पर्ची प्राप्त करने, बीमारी का सर्टिफिकेट लेने और जांच के लिए निर्देश हासिल करने में मदद मिल जाती है। हर रोज लगभग 35 हजार लोग इस ऑनलाइन व्यवस्था का उपयोग करते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर का अप्वाइंटमेंट लेने के लिए ऑफ लाइन व्यवस्था भी है।

इस तरह यह कदम कई तरीके से मददगार साबित हो रहा है। इसमें रीयल टाइम और विश्वसनीय मेडिकल आंकड़े पैदा करने व उनकी प्रोसेसिंग करने, सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था और मेडिकल संगठनों की निगरानी और स्वास्थ्य संस्थानों की रीयल टाइम निगरानी और क्लीनिक में कार्यरत कर्मियों के काम का अधिकतम उपयोग (डॉक्टर के लिए लगने वाली लाइन को छोटा करने, फ्रंट डेस्क पर बोझ कम करने) और मरीजों के एलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकार्ड रखने, मरीज के फ्लो मैनेजमेंट और एलेक्ट्रॉनिक पर्ची जारी करने में मिलने वाली मदद शामिल है।

इसके अलावा ऑनलाइन व्यवस्था मेडिकल व्यवस्था में पारदर्शिता और कार्यकुशलता लाती है। उदाहरण के तौर पर डॉक्टर फर्जी अप्वाइंटमेंट के लिए धन का दावा नहीं कर पाएंगे जो पहले बहुत सामान्य था। सरकार का अधिकतम जोर इस बात पर है कि डॉक्टर अपना पूरा ध्यान मरीज की समस्या पर लगाएं। एक पर्ची तैयार करने में जहां पहले छह मिनट लगता था, अब एक मिनट लग रहा है। इस तरह जो समय बच रहा है वह भी एक अहम बचत है, साथ ही सालाना 3.1 करोड़ पेपर शीट की भी बचत होती है। इससे प्रति वर्ष कुल 2.96 अरब रूबल यानी 3.4 अरब रुपये की बचत होती है। हाथ से बनाए जाने से पर्ची में होने वाली गलतियां भी दूर हो गई हैं।

शुरुआत में डॉक्टर, नर्स और परामेडिकल स्टाफ डिजिटल प्लेटफार्म पर जाने से कतरा रहे थे। लेकिन जल्दी ही इसके फायदे दिखाई देने लगे। जागरुकता और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन से बदलाव की यह प्रक्रिया आसान हो सकी।

मास्को से संबंधित सूचनाएं लेखक के मास्को स्वास्थ्य विभाग के दौरे पर आधारित हैं।

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