Published on Jan 15, 2019 Updated 0 Hours ago

वैश्वीकरण ने समुदायों को एक समान लाभ नहीं पहुंचाया है, लाखों लोग अब भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं, साथ ही बहुत से देश अब तक मध्य आय दर्जे तक भी नहीं पहुंच सके हैं।

हम प्रतिस्पर्धी की तरह भविष्य का रुख नहीं कर सकते: दांतों सेरी अनवर बिन इब्राहिम

मलेशिया की पार्टी कीएडिलान राकयात के अध्यक्ष दातो सेरी अनवर बिन इब्राहिम ने कहा कि वर्तमान के अनिश्चितता भरे दौर में भविष्य का अनुमान लगाना मुश्किल है। वह रायसीना डायलॉग के चौथे संस्करण में समापन भाषण दे रहे थे, जो तीन दिन तक चले गहन विचार-विमर्श और चर्चाओं के बाद आज रात सम्पन्न हो गया।

उन्होंने कहा कि हमने 11 सितम्बर की घटनाओं के बाद ‘गलत कार्रवाइयों’ के परिणामस्वरूप बहुत से क्षेत्रों में संघर्ष का उदय देखा है, चौकसी रखने वाली सरकार का उदय और नागरिक स्वतंत्रताओं में कमी होते देखी है और हम 2008 के वित्तीय संकट के राजनीतिक परिणामों के साक्षी बने हैं।

जिसे इतिहास का अंत समझ लिया गया था वह अब और भी ‘ज्यादा भयावह’ — अलगाववादी राष्ट्रवाद के उदय रूप में सामने आया है।

उन्होंने कहा कि कई “हाइड्रा हैडिड” आशंकाएं हैं, जो सिर उठा रही हैं, इनमें से अनेक पहचान और असुरक्षा से संबंधित हैं।

श्री अनवर ने कहा कि जब हम भारत, चीन और ज्यादा व्यापक रूप से कहें तो एशिया के उदय के साक्षी बन रहे थे, तो उसी समय इन बदलावों का सिलसिला जारी था। उन्होंने कहा कि इससे कई मायनों में उन कहानियों की हवा निकल गई, जिनमें कहा गया था कि किसी अकेले क्षेत्र ने वैश्वीकरण को जन्म दिया है।

उन्होंने कहा कि ये “पुन: स्थापन” बड़ी तस्वीर के रूझान हैं — और “हम प्रतिस्पर्धी ज़ीरो सम गेम की तरह भविष्य का रुख नहीं कर सकते।”

उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्वीकरण ने समुदायों को एक समान लाभ नहीं पहुंचाया है, लाखों लोग अब भी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं, साथ ही बहुत से देश अब तक मध्य आय दर्जे तक भी नहीं पहुंच सके हैं।

उन्होंने कहा कि पूरे एशिया में हमने देखा कि अब तक पुरानी इंडस्ट्रीयल नौकरियों तक सीमित लोगों और आज के ज्ञान और सूचना युग से लाभान्वित लोगों के बीच में विरोधाभास है।

उन्होंने कहा कि लाखों लोग अभी तक बुनियादी संसाधनों और सामाजिक गतिशीलता के साधनों के साथ अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में काम करना जारी रखे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने इनमें से बहुत से विरोधाभासों को मूर्त रूप दिया है — जिन्होंने उसे ‘रहस्यमय देश’ बना दिया है। उन्होंने कहा कि इसकी समृद्ध संस्कृति और लोकतांत्रिक प्रक्रिया ने विशेष तौर पर ऐसा किया है।

श्री अनवर ने चीन के उदय और दुनिया के लिए उसके परिणामों के बारे में भी अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने चीन और भारत को एक-दूसरे के साथ संतुलित संबंध बनाने का आह्वान किया।

मोटे तौर पर, उन्होंने कहा कि पूर्व और पश्चिम को आवश्यक रूप से “वैकल्पिक भविष्यों के प्रति उदार बनना होगा,” जो सहयोगपूर्ण और मिलकर कार्य करने वाले हैं।

सांप्रदायिक सद्भाव और प्रत्येक धर्म का आदर करने का आह्वान करते हुए श्री अनवर ने इतिहास के जख्मों को भरने के लिए एक नए मार्ग का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा देश है, जहां विभिन्न धर्म अपने मतभेदों को भुला सकते हैं।


तीन दिन तक चले इस सम्मेलन में 92 देशों के 600 प्रतिनिधियों और वक्ताओं सहित 1,800 से ज्यादा प्रतिभागियों ने शिरकत की। इस सम्मेलन का आरंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की मौजूदगी में नॉर्वे की प्रधानमंत्री एर्ना सोलबर्ग के उद्घाटन भाषण के साथ हुआ था।

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