Author : Seema Sirohi

Published on Nov 21, 2018 Updated 0 Hours ago

जैसा कि 2016 और अब 2018 में साबित हो चुका है कि ट्रम्प से नफरत करना ही काफी नहीं है। उसी तरह, ट्रम्प भी शायद इस मुकाम तक पहुंच चुके हैं, जहां किसी को भड़काने और एक पक्ष को दूसरे के पक्ष के खिलाफ खड़ा करने से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा कि कुछ करके दिखाया जाए।

ट्रम्प का मध्यावधि आकलन: मिले-जुले नतीजे

अमेरिका के मध्यावधि चुनावों को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में राष्ट्रीय जनमत संग्रह के तौर पर देखा गया। महीनों के नकारात्मक बयानबाजी भरे प्रचार के बाद आए मिले-जुले नतीजों ने साबित कर दिया है कि ट्रम्प का प्रभाव लगभग आधे देश पर बदस्तूर बना हुआ है।

यह फैसला उदार, समावेशी, शहरी और विविध जातियों के मतदाता बनाम रुढ़िवादी, विदेशियों को पसंद न करने वाले, ग्रामीण और ज्यादातर श्वेत समकक्षों वाली — राष्ट्रीय सांस्कृतिक रूपरेखा — का स्पष्ट प्रतिबिम्ब था। इनमें से एक “ट्रम्पवाद” को दफन कर देना चाहता है, तो दूसरा इसकी सराहना करना चाहता है।

ट्रम्प के निर्वाचन के बाद से ही, रिपब्लिकन विचारकों सहित विशेषज्ञों ने “शाइनिंग सिटी ऑन अ हिल” यानी अमेरिका को उनके द्वारा पहुंचाए गए नुकसान का विलाप करना बंद नहीं किया है, जो उनके सत्तारूढ़ होने तक नैतिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का लगभग उत्कृष्ट मिश्रण हुआ करता था।

अब वक्त आ गया है कि टीकाकार अमेरिका के वास्तविक मिश्रित स्वरूप को स्वीकार कर लें।

यदि 2016 उदारवादियों के लिए कठोर सदमे की तर​ह था, तो 2018 आकलन है — अमेरिका में निर्वाचन की दृष्टि से ऐसे लोग पर्याप्त तादाद में हैं, जो बदलते जनसांख्यकीय स्वरूप को लेकर चिंतित हैं, जिसे वे “अमेरिका में अश्वेतों की तादाद बढ़ना” या ब्राउनिंग ऑफ अमेरिका करार देते हैं। वे ट्रम्प के राजनीतिक ब्रांड के समर्थक हैं और मतदान भी करते हैं।

जैसा कि व्यापक रूप से अपेक्षित था, डेमोक्रेट्स को हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में जबकि रिपब्लिकन्स को सीनेट में बहुमत प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं, डेमोक्रेट्स ने सात राज्यों की गवर्नरशिप भी रिपब्लिकन्स की झोली से छीन ली और इस तरह 23 राज्यों में नीला परचम लहरा दिया।

यदि 2016 उदारवादियों के लिए कठोर सदमे की तरह थातो 2018 आकलन है — अमेरिका में निर्वाचन की दृष्टि से ऐसे लोग पर्याप्त तादाद में हैंजो बदलते जनसांख्यकीय स्वरूप को लेकर चिंतित हैंजिसे वे अमेरिका में अश्वेतों की तादाद बढ़ना या ब्राउनिंग ऑफ अमेरिका करार देते हैं।

क्या यह “नीली लहर” थी, जिसकी उम्मीद बहुतों ने लगा रखी थी? ऐसा नहीं था, लेकिन यह उस पार्टी के लिए काफी अच्छा प्रदर्शन माना जाएगा, जो कुछ आंतरिक आत्मविश्लेषणों और पीढ़ियों के बीच टकराव से ग्रसित थी।

डेमोक्रेट्स अगर “संरचनात्मक नुकसान की स्थिति” — रिपब्लिकन्स के नियंत्रण वाले राज्यों में मतदाता पंजीकरण के जटिल नियमों — का सामना नहीं कर रहे होते, तो उनका प्रदर्शन कुछ बेहतर हो सकता था। क्योंकि इन कानूनों ने विशेष तौर पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया और मतदान को बेहद मुश्किल कार्य बना दिया।

या फिर किसी एक पार्टी को अनुचित लाभ दिलाने के लिए कांग्रेस के निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण करने की कला थी और रिपब्लिकन्स ने विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण में हेर-फेर किया था।

सीनेट में अपनी बढ़त बना चुके रिपब्लिकन्स, तर्कसंगत तरीके से कह सकते हैं कि ये नतीजे ट्रम्प की हाई-वॉल्टेज, मूल निवासियों की हिमायत करने वाली तथा उत्तेजक राजनीति को ठुकराया जाना नहीं हैं, जिसका कुछ लोगों ने अंदेशा जताया था। लेकिन मतदाता निंदा का संदेश भेज चुके हैं।

दूसरी ओर ट्रम्प ने, अपने खास अंदाज में जीत की घोषणा की है और अपनी राजनीतिक शैली का समर्थन करने वाले तथा अपने साथ जुड़ने वाले रिपब्लिकन्स के लिए कुछ करने का श्रेय लिया है। उन्होंने खुले तौर पर खुद को केंद्रीय हस्ती घोषित किया है, जबकि मतदान से ऐसा नहीं हुआ है।

हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में डेमो​क्रेट्स के बहुमत से ट्रम्प को अपना राजनीतिक एजेंडा लागू करने में अड़चने आएंगी और वह जवाबी कार्रवाई करेंगे।

चुनावों के बाद ट्रम्प का पहला कार्य

चुनावों के बाद ट्रम्प का पहला आधिकारिक कदम अपने अटॉर्नी जनरल, जैफ सेशन्स को बर्खास्त करना था, जिनके साथ एक साल से ज्यादा अर्से से उनका विवाद चल रहा था। ट्रम्प ने उनकी जगह अपने भरोसेमंद और समर्थक मैथ्यू व्हिटेकर को नामित किया है।

डेमोक्रेट्स को संदेह है कि ट्रम्प इसके बाद रॉबर्ट मुलर का मुंह बंद करना चाहते हैं, जो कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में कथित रूसी हस्तक्षेप के मामले की पड़ताल करने वाले स्पेशल काउंसल हैं।

 व्हिटेकर की मदद से ट्रम्प मुलर के अधिकार में कटौती करना चाहते हैं — उनके बजट, उनके अधिकार को सीमित करना चाहते हैं — ताकि जांच कार्य मुश्किल बनाया जा सके। इसके परिणामस्वरूप संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है और इसमें कांग्रेस कदम उठा सकती है।

डेमोक्रेट्स के बहुमत वाला सदन राष्ट्रपति पर एक तरह से अंकुश लगा सकता है, क्योंकि जांच का अधिकार रखने वाली प्रमुख समितियों के नेतृत्व मे परिवर्तन होगा। ट्रम्प के निजी कर, वित्त, पारिवारिक संबंध और रूस के साथ संपर्क जांच के दायरे में आ सकते हैं।

बड़ा प्रश्न यही है कि रिपब्लिकन्स के खिलाफ “जंग” का ऐलान करने में डेमोक्रेट्स किस हद तक जाते हैं। क्या वे समस्त अपमानों का बदला लेंगे?

महिलाओं की रिकॉर्ड संख्या ने सीटे जीती हैं — सदन की कुल 435 सीटों में से 115 महिलाओं के खाते में हैं, जिनमें से पहली मुस्लिम अमेरिकन, पहली दो मूल अमेरिकन और सबसे कम आयु की महिला सांसद भी शामिल है। वे #मीटू आंदोलन के आवेग तथा ट्रम्प की साख और रिकॉर्ड को देखते हुए अपना प्रभाव उत्पन्न करेंगी।

बड़ा प्रश्न यही है कि रिपब्लिकन्स के खिलाफ “जंग” का ऐलान करने में डेमोक्रेट्स किस हद तक जाते हैं। क्या वे समस्त अपमानों का बदला लेंगे?

बहुमत प्राप्त रिपब्लिकन्स ने जिस तरह यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के बावजूद रुढ़िवादी ब्रैट कवानॉग की सुप्रीम कोर्ट में विवादास्पद नियुक्ति पर बल दिया है, उसके मद्देनजर डेमोक्रेट्स को यकीनन यह बात याद आएगी कि किस तरह पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को महज इसलिए सुप्रीम कोर्ट का जज नामजद करने नहीं दिया गया था, क्योंकि रिपब्लिकन्स ने नियमों को पलट कर यह घोषणा कर दी थी कि 2016 के चुनाव सम्पन्न होने तक नामांकन नहीं किया जाएगा।

ज्यादा आक्रामक डेमोक्रेट्स “सम्मनों की सुनामी” और संभावित महाभियोग की कार्यवाही के बारे में कड़ा रुख अख्तियार कर रहे हैं, लेकिन सबसे वरिष्ठ डेमोक्रेट नेता नेन्सी पेलोसी, जिनके एक बार फिर से सदन का अध्यक्ष बनने की संभावना है, अब तक नरम रुख अख्तियार किए हुए हैं।

उनका कहना है कि डेमोक्रेट्स का “संवैधानिक दायित्व” है कि वे व्हाइट हाउस की निगरानी में रहें, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि “अपने देश की एकता की खातिर” वह रिपब्लिकन्स के साथ द्विदलीय सहयोग की मूलभावना के साथ काम करने को तैयार हैं।

ट्रम्प पहले ही बदले की कार्रवाई का आधार तैयार कर चुके हैं कि यदि डेमोक्रेट्स ने उनके अतीत को बढ़ चढ़ कर खंगालना शुरु किया, तो वह सीनेट में अपने सह​योगियों के इस्तेमाल के जरिए डेमोक्रेट्स के कथित कदाचारों की जांच कराएंगे।

 नतीजों के बाद अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में ट्रम्प ने कहा कि यदि डेमोक्रेट्स ने उनके खिलाफ कोई कदम उठाया तो वह “जंग का ऐलान कर देंगे।” उन्होंने कहा, “वे खेल सकते हैं, लेकिन हम उनसे बेहतर ढंग से खेल सकते हैं।” और वास्तव में, वे इस खेल को बेहतर ढंग से खेल सकते हैं, क्योंकि वह नियम वहीं बनाते हैं, जो उनके मुताबिक हों।

डेमोक्रेट्स के पास यही रास्ता है कि वे या तो कुछ ऐसा हासिल करें, जो दोनों पक्षों के मतदाताओं के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता हो जैसे — स्वास्थ्य सेवा — या ट्रम्प का मुकाबला करें और उनका रास्ता रोकें। उन्हें फैसला करना होगा कि उन्हें मिले जनादेश का वास्तव में क्या अर्थ है और उसका सम्मान कैसे करना है।

जैसा कि 2016 और अब 2018 में साबित हो चुका है कि ट्रम्प से नफरत करना ही काफी नहीं है। उसी तरह, ट्रम्प भी शायद इस मुकाम तक पहुंच चुके हैं, जहां किसी को भड़काने और एक पक्ष को दूसरे के पक्ष के खिलाफ खड़ा करने से ज्यादा महत्वपूर्ण होगा कि कुछ करके दिखाया जाए। चाहे दवाओं की कीमत हो या बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाएं हों, उन्हें घरेलू मोर्चे पर ही समझौते करने की शुरुआत करनी होगी।

हालात बेहतर होने से पहले बदतर हो सकते हैं, लेकिन इस बात की संभावना बहुत कम है कि द्विदलीय सहयोग शुरु हो जाए।

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