Author : Anchal Vohra

Published on Jan 25, 2021 Updated 0 Hours ago

मानवाधिकार और कूटनीति आधारित विदेश नीति को अख़्तियार कर जो बाइडेन को उम्मीद है कि एक बार फिर से दुनिया में अमेरिका का सम्मान बढेगा और अरब के मुल्क़ अमेरिका को एक सच्चे मध्यस्थ के रूप में स्वीकार कर पाएंगे.

जो बाइडेन की टीम में बराक़ ओबामा के सलाहकारों की भरमार

अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही अमेरिका में बाइडेन युग का आग़ाज़ हो गया और इसी के साथ जो बाइडेन ने अपनी सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े प्रशासनिक विभाग के लिए देश के पूर्व राष्ट्रपति बराक़ ओबामा के साथ काम करने वाले महत्वपूर्ण सलाहकारों की नियुक्ति की. बाइडेन ने अपने साथ उन्हीं पुरुष और महिला की टीम को जोड़ा है जिस पर वो भरोसा करते हैं और जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मिडिल ईस्ट पॉलिसी में 180 डिग्री तक बदलाव लाने की तैयारियों में जुट गए हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने मिडिल ईस्ट के साथ संबंधों को लेकर ज़्यादातर बेबाकी वाली अवधारणा को अपनी नीति बनाई और पूरे क्षेत्र के साथ अमेरिका के संबंधों के भविष्य को अपने नौसिखिए दामाद जैरेड कुशनर के हवाले कर दिया था. जबकि, जो बाइडेन पहले से भरोसेमंद और अनुभवी कूटनीतिक, सुरक्षा विशेषज्ञों और बुद्धिजीवियों की टीम के साथ इस दिशा में आगे बढ़ने की सोच रहे हैं.

बाइडेन ने अपने साथ उन्हीं पुरुष और महिला की टीम को जोड़ा है जिस पर वो भरोसा करते हैं और जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मिडिल ईस्ट पॉलिसी में 180 डिग्री तक बदलाव लाने की तैयारियों में जुट गए हैं. 

डोनाल्ड ट्रंप अपने सहयोगियों – सऊदी अरब और इज़रायल के लिए ईरान को सज़ा देने के लिए आतुर थे, क्योंकि इन दोनों देशों ने ईरान को हमेशा से अपने लिए सैन्य चुनौती माना और जिन्हें ज्वाइंट कॉम्प्रिहेन्सिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) या अमेरिका-ईरान के बीच हुए न्यूक्लियर समझौते को लेकर ज़बरदस्त परेशानी थी. ये दोनों देश इस बात को लेकर भी काफी तनाव में थे कि वाशिंगटन और तेहरान के बीच हुए समझौते में पर्दे के पीछे भी इन्हें कोई जगह नहीं दी गई थी.

अब जबकि जो बाइडेन साफ कर चुके हैं कि वो एक बार फिर से इस डील में शामिल होंगे और विलियम बर्न्स और जेक सुलिवन – वो दो शख़्स जिन्होंने ओमान में इस ख़ुफ़िया संवाद का नेतृत्व किया था – उन्हें वापस अपनी टीम में जगह देंगे. दरअसल ये वो ख़ुफ़िया डील थी जिसकी बदौलत साल 2015 मे अमेरिका और ईरान के बीच समझौता हो पाया और जिसने कई देशों की त्योरियां चढ़ा दी. बर्न्स अमेरिकी ख़ुफ़िया विभाग सीआईए के नए डायरेक्टर होंगे तो सुलिवन राष्ट्र के नए सुरक्षा सलाहकार होंगे.

हालांकि, ये दोनों नियुक्तियां इस क्षेत्र में ट्रंप के सहयोगियों के लिए हैरान करने वाली ख़बर होगी. ट्रंप के व्हाइट हाउस छोड़ने से कुछ दिन पहले इज़रायल ने अपने संबंधों का भरपूर इस्तेमाल करते हुए ईरान, जिसे वो अपनी सुरक्षा के लिए बड़ा ज़ोख़िम मानता है उसके ख़िलाफ़ हमले तेज़ कर दिया था. अमेरिका में जब चुनाव नतीज़े घोषित किए गए तब ईरान के परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले एक वैज्ञानिक की हत्या कर दी गई जिसमें इज़रायल की संलिप्तता हर तरफ़ पाई गई तो सीरिया में ईरान की परिसंपत्तियों को इज़रायल ने दो दो बार निशाना बनाया. पिछले सप्ताह ही इज़रायली हमले में सीरिया में 57 लोगों की मौत हो गई.

सऊदी अरब में बाइडेन को लेकर चिंता

सऊदी अरब तो इसे लेकर और भी चिंतित है. ट्रंप हमेशा से उस क्षेत्र के सबसे शक्तिशाली शख़्सियत के साथ डील करने को प्राथमिकता देते थे लेकिन जो बाइडेन ने हमेशा से सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को दंडित किया है. बाइडेन उस अमेरिकी ख़ुफ़िया रिपोर्ट पर भरोसा करते हैं जिसमें कहा गया कि सऊदी अरब से बग़ावत करने वाले पत्रकार ज़माल ख़ाशोग़ी की हत्या मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) के इशारे पर की गई थी. इतना ही नहीं बाइडेन यमन में सऊदी अरब की भूमिका को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं. इसमें दो राय नहीं कि बाइडेन सऊदी अरब को हथियार बेचना बंद कर दें और राजशाही को उनके मानवाधिकार संबंधी रिकॉर्ड को ठीक करने पर मजबूर कर देंगे.

जो बाइडेन के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटनी ब्लिनकेन ने पहले ही इस बात को रेखांकित कर दिया है कि अमेरिका की मिडिल ईस्ट नीति में आमूल चूल परिवर्तन होगा जिसमें कूटनीति और मानवाधिकार को ज़्यादा प्रभावी बनाने की कोशिश होगी तो अमेरिका को सभी को साथ लेकर चलने वाले देश की तरह प्रस्तुत किया जाएगा. जो बाइडेन एमबीएस के लिए ट्रंप के नरम रूख़ से हमेशा असहमत रहे हैं और मिस्र में अधिकारवादी राष्ट्रपति अब्देल फ़तह अल-सिसि की ट्रंप की स्वीकार्यता की आलोचना करते रहे हैं.

ब्लींकेन आरोप लगाते रहे हैं कि ट्रंप ने एमबीएस को “ग़लत नीतियों को आगे बढ़ाने, जिसमें यमन में जंग की शुरुआत करना और पत्रकार ज़माल ख़ाशोग़ी की हत्या कराने जैसे अपराध शामिल हैं” को बढ़ावा देकर एक तरह से एमबीएस के हाथों में ‘खाली चेक’ सौंप दिया. हालांकि, ब्लींकेन ने इज़रायल को यह भरोसा भी दिलाया है कि बाइडेन प्रशासन हर हाल में इस क्षेत्र में इज़रायल की सुरक्षा को सबसे पहली प्राथमिकता देगा. ब्लींकेन ने कई बार यह बयान दिया है कि अमेरिका “कभी भी इज़रायल की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ नहीं करेगा, उस वक्त भी जब कि अमेरिका इज़रायल की किसी नीति से सहमत नहीं भी होगा”.

बाइडेन की नई टीम फ़िलिस्तीनी चिंताओं को लेकर भी सजग रहेगी. बताया जा रहा है कि बाइडेन ने अपनी टीम में ओबामा प्रशासन के एक अधिकारी की नियुक्ति करने का विचार किया है जो फिर से फ़िलिस्तीन को वित्तीय सहयोग जारी रखने पर विचार कर सकते हैं.

लेकिन इन सबके अलावा बाइडेन की नई टीम फ़िलिस्तीनी चिंताओं को लेकर भी सजग रहेगी. बताया जा रहा है कि बाइडेन ने अपनी टीम में ओबामा प्रशासन के एक अधिकारी की नियुक्ति करने का विचार किया है जो फिर से फ़िलिस्तीन को वित्तीय सहयोग जारी रखने पर विचार कर सकते हैं. सामांथा पॉवर जो ओबामा के शासन के दौरान संयुक्त राष्ट्र के राजदूत थे अब बाइडेन के राज में यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) का नेतृत्व करेंगे. जो बाइडेन ने यूएसएआईडी प्रशासक के पद को और ताक़त मुहैया कराकर उसे राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिलाने का काम किया है. ऐसा कर बाइडेन ने अमेरिका की विदेश नीति की प्राथमिकताओं में कूटनीति और सुरक्षा के मुक़ाबले विकास को भी तरज़ीह देने की नीति अपनाई है.

“आत्मा और नैतिक स्पष्टता के लिए दुनिया भर में मशहूर आवाज़” के तौर पर बाइडेन ने समांथा पॉवर की पहचान को सार्वजनिक किया.

मिडिल ईस्ट पर भी नई रणनीति

तुर्की जो नाटो का सदस्य देश है और मिडिल ईस्ट में सबसे ज़्यादा प्रभावी भी है उसके साथ भी अमेरिका के संबंधों में तल्ख़ी आ सकती है. बाइडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में मिडिल ईस्ट पॉलिसी का नेतृत्व करने के लिए ब्रेट मैकगर्क का चुनाव किया है. उन्होंने बुश, ओबामा और ट्रंप प्रशासन में काम किया है और उनके आखिरी असाइनमेंट के दौरान उन्हें अमेरिका के “एंटी आईएसआईएस ज़ार” का उपनाम दिया गया था. आईएसआईएस के ख़िलाफ़ जंग में दुनिया के गठबंधन का बतौर राष्ट्रपति  के ख़ास दूत के रूप में नेतृत्व करते हुए मैकगर्क काफी प्रचलित रहे लेकिन जैसे ही ट्रंप ने सीरिया से तुर्की के समर्थन में अमेरिका के पुराने सहयोगी कुर्द की मांगों को नज़रअंदाज़ कर अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने का फ़ैसला किया, मैकगर्क ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. उन्होंने तुर्की पर इस क्षेत्र में आईएसआईएस को मदद देने का आरोप लगाया था.

बाइडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में मिडिल ईस्ट पॉलिसी का नेतृत्व करने के लिए ब्रेट मैकगर्क का चुनाव किया है. उन्होंने बुश, ओबामा और ट्रंप प्रशासन में काम किया है

बाइडेन अपनी टीम में जिन लोगों का चुनाव कर रहे हैं उससे यही साबित होता है कि वो सबसे ज़्यादा अराजक और जटिल क्षेत्र में ट्रंप की एकतरफ़ा डील करने वाली नीतियों के चलते संबंधों में पैदा हुई दरार को पाटने की भरसक कोशिशों में जुटे हैं. मानवाधिकार और कूटनीति आधारित विदेश नीति को अख़्तियार कर जो बाइडेन को उम्मीद है कि एक बार फिर से दुनिया में अमेरिका का सम्मान बढेगा और अरब के मुल्क़ अमेरिका को एक सच्चे मध्यस्थ के रूप में स्वीकार कर पाएंगे.

लेकिन ट्रंप के शासन काल के दौरान जिन लोगों ने काफी बेहतर समय बिताया वो अब पूरी तरह से सकपकाए हुए हैं. इसके साथ ही टीम बाइडेन को ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए काफी कोशिशें करनी होंगी.

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