Author : Olivia Enos

Expert Speak Raisina Debates
Published on Mar 04, 2023 Updated 0 Hours ago

नीति-निर्माताओं के सामने चीन द्वारा सुरक्षा के मोर्चे पर पेश किए जा रहे ख़तरों से जूझने के लिए ज़रूरी साधनों की पहचान करने के साथ-साथ मानव अधिकारों पर चोट के निपटारे की चुनौती है.

चीन में मानवाधिकार उल्लंघनों के प्रतिकार के लिए प्रभावी रणनीति की ज़रूरत!

ये लेख हमारी श्रृंखला रायसीना एडिट 2023 का हिस्सा है.


मानवाधिकार की धज्जियां उड़ाने में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का नाम दुनिया के सबसे बदनाम अपराधियों में शुमार है. पिछले कई वर्षों से दुनिया CCP को शिनजियांग प्रांत में वीगर मुसलमानों का लगातार नरसंहार करते देख रही है. उसने हॉन्ग कॉन्ग में स्वतंत्रता को कमज़ोर किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दमनकारी हरकतें बढ़ा दी हैं. इनमें से हर रुझान चिंताजनक है. CCP द्वारा सुरक्षा और अर्थतंत्र के मोर्चे पर पेश किए जा रहे ख़तरों के मद्देनज़र ये पूरे हालात और संगीन हो जाते हैं. चीन द्वारा वैश्विक मानदंडों के उल्लंघनों के ख़िलाफ़ एक मज़बूत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की ज़रूरत अब वक़्त की मांग बन चुकी है.

एंड्रयू नैथन और एंड्रयू स्कॉबेल ने अपनी क़िताब चाइनाज़ सर्च फ़ॉर सिक्योरिटी में लिखा है कि विदेश नीति के मोर्चे पर CCP की दो प्रमुख प्राथमिकताएं हैं: पहला, चीन की आंतरिक स्थिरता बनाए रखना और दूसरा, चीन की संप्रभुता की हिफ़ाज़त करना.

चीन में मानव अधिकार के उल्लंघनों के ख़िलाफ़ प्रभावी नीतियों का निर्माण, दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती है. दरअसल CCP अपनी सत्ता बरक़रार रखने के हथकंडे के तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़ी कार्रवाइयों को अंजाम देती है. एंड्रयू नैथन और एंड्रयू स्कॉबेल ने अपनी क़िताब चाइनाज़ सर्च फ़ॉर सिक्योरिटी में लिखा है कि विदेश नीति के मोर्चे पर CCP की दो प्रमुख प्राथमिकताएं हैं: पहला, चीन की आंतरिक स्थिरता बनाए रखना और दूसरा, चीन की संप्रभुता की हिफ़ाज़त करना. चीन की सरकार मानव अधिकारों के उल्लंघन को इन्हीं दोनों लक्ष्यों की दुहाई देकर जायज़ ठहराती है. चीन दावा करता है कि वो इन्हीं दोनों सिद्धांतों के सामने प्रस्तुत ख़तरों की प्रतिक्रिया के तौर पर ऐसी कार्रवाइयां करता है. 

राजनीतिक बंदीगृह 

मिसाल के तौर पर CCP वीगर मुसलमानों पर चरमपंथी समूह (जैसा कि वो सभी पंथों के लोगों के साथ करती है) होने का झूठा इल्ज़ाम लगाती है. CCP के मुताबिक ये समूह चीन की संप्रभुता और स्थायित्व के लिए ख़तरा पेश करता है. इस काल्पनिक ख़तरे का जवाब देने के लिए वो निगरानी प्रौद्योगिकी को अधिनायकवाद के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है. पार्टी इन हथकंडो के ज़रिए वीगरों का बहुत तेज़ गति से और सामूहिक रूप से दमन करती है. चीन ने फ़िलहाल पूरे शिनजियांग में राजनीतिक बंदीगृहों का मकड़जाल बना रखा है. इनमें 10 लाख से लेकर 30 लाख तक की तादाद में वीगर मुसलमान क़ैद हैं. यहां बंदी लोगों का जबरन मतांतरण किया जाता है, उन्हें यातनाएं दी जाती हैं और कई बार मौत के घाट तक उतार दिया जाता है. महिलाओं के साथ बलात्कार किए जाते हैं और उन्हें तमाम तरह की यौन हिंसा का सामना करना पड़ता है. CCP ने वीगर महिलाओं के उत्पीड़न में सारी सीमाएं लांघ दी हैं. चीन के जाने-माने विद्वान एड्रियन ज़ेंज़ ने अपनी एक रिपोर्ट में CCP के घोषित उद्देश्य का दस्तावेज़ी ब्योरा पेश किया है. दरअसल चीन ने शिनजियांग के कुछ हिस्सों में प्रजनन योग्य आयुवर्ग की 80 फ़ीसदी वीगर महिलाओं का जबरन बंध्याकरण करने (sterilising) का लक्ष्य रखा है. वीगरों पर ढाए जा रहे ज़ुल्म इतने संगीन हैं कि अमेरिकी सरकार ने इसे लगातार जारी नरसंहार और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध की श्रेणी में रखा है.  

CCP द्वारा टोही प्रौद्योगिकी के निर्यात की क़वायद इस कड़ी में ख़ासतौर से एक घातक उदाहरण है. CCP महज़ प्रौद्योगिकी का ही निर्यात नहीं करती बल्कि वो इसके ज़रियों और तौर-तरीक़ों को समझाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण भी मुहैया कराती है.

वीगर इकलौते नहीं हैं. CCP ने मोटे तौर पर हॉन्ग कॉन्ग को उसके हाल पर छोड़ दिया था. 2019 में लाखों लोग अपनी स्वायत्ता और आज़ादी के बचाव में प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतर गए. CCP ने हॉन्ग कॉन्ग के लोगों को चीन की स्थिरता और संप्रभुता के लिए ख़तरे की तरह देखकर उनके ख़िलाफ़ ताबड़तोड़ कार्रवाइयां कीं. 2020 में वहां राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (NSL) लागू कर दिया गया, जिसे CCP ने जायज़ ठहराया. NSL का हॉन्ग कॉन्ग की नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रताओं पर विनाशकारी असर हुआ है. नतीजतन वहां क़ानून के राज में गंभीर रूप से गिरावट आ गई है, जो अब भी बदस्तूर जारी है. एक वक़्त पर हॉन्ग कॉन्ग का वैधानिक ढांचा बेहद साफ़-सुथरा था, लेकिन चीन अब राजनीतिक बंदियों को निशाना बनाने के लिए इसी का इस्तेमाल कर रहा है. इनमें जोशुआ वोंग और जिमी लेई जैसी जानी-मानी शख़्सियतें शामिल हैं. अतीत में प्रेस की स्वतंत्रता के झंडाबरदार रहे एप्पल डेली और स्टैंड न्यूज़ पर ताले लग चुके हैं. हॉन्ग कॉन्ग का कारोबारी माहौल भी बदहाल हो चुका है. वहां की सरकार पाबंदियों से बचने, मनी लॉन्ड्रिंग करने और तमाम अन्य ग़ैर-क़ानूनी वित्तीय गतिविधियों का समर्थन करती दिख रही है.   

वीगरों और हॉन्ग कॉन्ग वासियों की दुर्दशा CCP के चिर-परिचित हथकंडों को साफ़तौर से दर्शाती हैं: पार्टी की हुकूमत के सामने पेश ख़तरे की पहचान करना, जानमाल के नुक़सान की परवाह किए बिना उसका दमन करना और चीन में अधिकारों और आज़ादियों को कमज़ोर करना. बहरहाल चीन की करतूत सिर्फ़ उसकी सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं. सरहद के आर-पार दमनकारी गतिविधियां, CCP का हथकंडा बन चुकी हैं. CCP द्वारा टोही प्रौद्योगिकी के निर्यात की क़वायद इस कड़ी में ख़ासतौर से एक घातक उदाहरण है. CCP महज़ प्रौद्योगिकी का ही निर्यात नहीं करती बल्कि वो इसके ज़रियों और तौर-तरीक़ों को समझाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण भी मुहैया कराती है. चीन अपने नागरिकों और दुनिया भर के देशों की टोह लेने के लिए जिन तकनीकों का इस्तेमाल करता है, उनका प्रशिक्षण भी देता है. CCP की अंतरराष्ट्रीय दमनकारी गतिविधियों के अन्य उदाहरणों में विदेशों से वीगरों को जबरन चीन वापस भेजा जाना; विदेशों में CCP द्वारा संचालित पुलिस चौकियों में इज़ाफ़ा; अमेरिका, यूरोप और अन्य स्थानों में कंफ़्यूशियस इंस्टीट्यूट्स के दुष्प्रचार और CCP की आलोचना करने वाले चीनी प्रवासियों पर निशाना साधने की कार्रवाइयां शामिल हैं. CCP इन तमाम हरकतों को इसलिए अंजाम देती है क्योंकि उसे भरोसा है कि ये पार्टी के फ़ायदे में है. CCP को लगता है कि इन हथकंडों को नहीं आज़माने से आंतरिक रूप से चीन में अस्थिरता पैदा होने का ख़तरा रहेगा.

ठोस रणनीति की आवश्यकता

चीनी सरकार मानव अधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी कार्रवाइयों को काफ़ी अहमियत देती है. दुनिया के नेता चीन द्वारा प्रस्तुत ख़तरों को मिटाने के लिए तमाम तरह की रणनीतियां बना रहे हैं. ऐसे में ये चिंताजनक है कि इन रणनीतियों में CCP की करतूतों के प्रतिकार पर काफ़ी कम ज़ोर दिया जा रहा है. ये बात इसलिए भी अहम है क्योंकि इनमें से कई ख़तरों के प्रभाव इन देशों की सरहदों के भीतर पड़ते हैं. इस कड़ी में हम बाइडेन प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की मिसाल ले सकते हैं. इसमें चीन को “प्रतिस्पर्धा में पछाड़ने” की क़वायद को विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकता बताया गया है. बहरहाल, अमेरिकी रणनीति में CCP द्वारा मानव अधिकारों के उल्लंघनों किए जाने की क़वायदों का प्रतिकार करने पर ख़ास ज़ोर नहीं दिया गया है. यूरोप और एशिया के बाक़ी देशों में तो चीन में मानव अधिकार के उल्लंघनों से जुड़ी समस्या के निपटारे पर और भी कम ध्यान दिया जाता है. हक़ीक़त ये है कि कई देशों ने तो CCP द्वारा पेश किए जा रहे ख़तरों पर अब जागना शुरू किया है. 

चीन में मानव अधिकारों के उल्लंघनों से निपटने की समग्र रणनीति में जवाबदेही से जुड़ी व्यवस्थाओं को शामिल किया जाना चाहिए. इनमें लक्षित वित्तीय पाबंदियां, वीज़ा प्रतिबंध और अवैध कारनामों से निपटने के लिए व्यापक आधार वाले औज़ार शामिल हैं.

बहरहाल, नीति-निर्माताओं के सामने चीन की ओर से सुरक्षा के मोर्चे पर पेश किए जा रहे ख़तरों से निपटने के तरीक़ों की पहचान करने के साथ-साथ मानव अधिकारों पर चोट का निपटारा करने की दोहरी चुनौती है. इस दिशा कामयाबी के लिए अमेरिका को अपने गठबंधन सहयोगियों और दोस्तों के साथ मिलकर विदेश नीति से जुड़े अपने पिटारे में तमाम औज़ारों का प्रयोग करना चाहिए. इसके ज़रिए चीन में सत्ता के संतुलन में बदलाव लाने की कोशिश की जानी चाहिए. साथ ही वहां की सरकार की शक्तियों में कमी लाते हुए चीनी नागरिकों को ज़्यादा से ज़्यादा अधिकार दिए जाने पर ज़ोर दिया जाना चाहिए.

चीन में मानव अधिकारों के उल्लंघनों से निपटने की समग्र रणनीति में जवाबदेही से जुड़ी व्यवस्थाओं को शामिल किया जाना चाहिए. इनमें लक्षित वित्तीय पाबंदियां, वीज़ा प्रतिबंध और अवैध कारनामों से निपटने के लिए व्यापक आधार वाले औज़ार शामिल हैं. इस सूची में वीगर जबरन मंज़दूरी रोकथाम अधिनियम और मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्त की समस्याओं के निपटारे से जुड़े तौर-तरीक़े भी जुड़े हैं. इन रणनीतियों के अलावा चीन में स्वतंत्रता के सीमित दायरों की हिफ़ाज़त के उपाय किए जाने भी ज़रूरी हैं. इसके लिए अन्य बातों के साथ-साथ इंटरनेट की स्वतंत्रता, प्रेस की आज़ादी और धार्मिक स्वतंत्रता की हिफ़ाज़त किए जाने की आवश्यकता है. राजनीतिक बंदियों की रिहाई के लिए भी सक्रिय प्रयास किए जाने की दरकार है. कूटनीतिक मुहिमों के ज़रिए शिनजियांग में बंदी गृहों को बंद किए जाने की कोशिशें होनी चाहिए. कई लोगों के पास चीन से पलायन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को ऐसे शरणार्थियों के लिए सुरक्षित आशियानों की व्यवस्था करने में उदारवादी रुख़ दिखाना चाहिए. 

राष्ट्रपति शी के मातहत CCP की दमनात्मक कार्रवाइयों पर नज़र डालें तो एक बात बिलकुल साफ़ हो जाती है. दरअसल पार्टी को अपनी जनता के अलावा शायद ही किसी और बात का डर सताता है. CCP चीनी जनता को अस्थिरताकारी बदलाव के एजेंट के तौर पर देखती है. पार्टी के मुताबिक चीनी जनता के पास हुकूमत की मज़बूती और ताक़त को कमज़ोर करने की क्षमता मौजूद है. अगर वाकई ऐसा है तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय प्रतिक्रिया के तौर पर कुछ और शक्तिशाली कार्रवाइयां कर सकती हैं. साथ ही आज़ादी की तलाश कर रहे चीनी नागरिकों को भी सशक्त बनाने की क़वायद की जा सकती है. 

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