Author : Rajen Harshé

Published on Sep 02, 2020 Updated 0 Hours ago

सोमालिया 1991 में सईद बर्रे सरकार के पतन के बाद से राजनीतिक रूप से स्थिर सरकार बनाने के लिए जूझ रहा है. 1995 में संयुक्त राष्ट्र की वापसी के बाद ज़मीन पर कोई भी ठोस नतीजा नहीं निकला.

सोमालिया की अस्थिरता और पूर्वी अफ़्रीका में अल शबाब की आतंकवादी गतिविधियां

सोमालिया से संचालित उपद्रवी आतंकवादी संगठन अल शबाब मुख्य रूप से हॉर्न ऑफ अफ़्रीका (पूर्वी अफ़्रीका) में सक्रिय है. 2012 में एक बहुराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल क़ायदा के साथ अल शबाब के विलय ने इसकी ताक़त बढ़ा दी है. अप्रैल 2020 में गठन के बीस साल पूरे करने के बाद भी इसके ख़ात्मे का कोई संकेत नहीं दिख रहा है. दक्षिणी और मध्य सोमालिया के इलाकों पर पकड़ मजबूत करने और टैक्स वसूली की अल शबाब की कोशिशों ने 2012 में बनी सोमालिया की संघीय सरकार (एफजीएस) के प्रभाव को कमज़ोर किया हैं. इसके अलावा 28 दिसंबर, 2019 को मोगादिशू में जांच चौकी पर अल शबाब द्वारा किए गए बम धमाके में 85 लोगों, जिसमें सोमालियाई सैनिकों के साथ-साथ तुर्की इंजीनियर भी शामिल थे, की जान गई. इसी तरह 6 जनवरी, 2020 को सोमालिया से संचालित आतंकवादी संगठन ने लामू के पास केन्याई सैन्य अड्डे पर हमला किया, जिसमें केन्या में तैनात एक अमेरिकी सैनिक की मौत हो गई. उनका निशाना केन्या के समुद्र तट के पास मंडा खाड़ी थी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका का एक अग्रिम टोही अड्डा है. यह संयुक्त राज्य अमेरिका के 475वें एयर एक्सपीडिशनरी एयर बेस स्क्वाड्रन का एक ठिकाना है जो अल शबाब के खिलाफ ड्रोन युद्धनीति के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

मोटे तौर पर पूर्वोत्तर अफ़्रीकी महाद्वीप के सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया, सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और केन्या मिलकर हॉर्न ऑफ अफ़्रीका के के भौगोलिक-सामरिक क्षेत्र का गठन करते हैं.

इस अड्डे ने आतंक का मुकाबला करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के अफ़्रीकी सहयोगियों की रणनीतियों को प्रशिक्षण, सहायता देने और समर्थ बनाने में भी मदद की है. अल शबाब ने यरुशलम को इज़रायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की अमेरिकी कोशिशों के खिलाफ़ बदले की कार्रवाई के तौर पर मंडा खाड़ी हमले को पेश किया. दावा किया गया कि यह हमला अल क़ायदा के मार्गदर्शन और नेतृत्व  में किया गया था. ऐसे हमलों के बावजूद, फरवरी 2020 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने 2020 में होने वाले सोमालिया के भावी दूरगामी नतीजों वाले चुनावों को लेकर चिंता जताई थी. ज़ाहिर है, अल शबाब की आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ते ख़तरे के बीच सोमालिया में ऐसे हमलों को इस क्षेत्र की सामरिक स्थिति, जिसमें बड़ी शक्तियों के हित शामिल हैं, के परिप्रेक्ष्य में रख कर देखा जाना चाहिए.

मोटे तौर पर पूर्वोत्तर अफ़्रीकी महाद्वीप के सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया, सूडान, दक्षिण सूडान, जिबूती और केन्या मिलकर हॉर्न ऑफ अफ़्रीका के के भौगोलिक-सामरिक क्षेत्र का गठन करते हैं. असल में अरेबिया और अफ़्रीका के बीच स्थित बाब अल मंदेब जलडमरूमध्य लाल सागर को अदन की खाड़ी और हिंद महासागर से जोड़ता है. स्वेज़ नहर को लाल सागर के ज़रिये भूमध्य सागर और हिंद महासागर से जोड़ने के कारण यह क्षेत्र एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय जलमार्ग रहा है. 1967 में स्वेज़ के पूर्वी हिस्से से ब्रिटेन की वापसी से पहले, इस क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका, भूतपूर्व सोवियत संघ और फ़्रांस जैसी कुछ सबसे महत्वपूर्ण विश्व शक्तियों की नौसेनाएं मौजूद थीं. इसके अलावा चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए 2017 में जिबूती में सैन्य अड्डा बनाया है. सोमालिया में  चीनी दूतावास 2014 से कार्यरत है. साथ ही, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के भीतर तनाव बढ़ रहा है, जिसका असर निश्चित रूप से इस क्षेत्र के सबसे लंबे समुद्र तट वाले संघर्षरत सोमालिया पर पड़ा है. नतीजतन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सोमालीलैंड और अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र पुंटलैंड से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, जबकि क़तर तुर्की के साथ, सोमालियाई एफजीएस का साथ दे रहा है.

अल शबाब ने सोमालीलैंड और पुंटलैंड में सोमालिया की संघीय सरकार का नियंत्रण ख़त्म करने की कोशिश की, हालांकि वह नाकाम रहा. सार यह है कि सभी बाहरी शक्तियों को स्थानीय सहयोगियों के संरक्षण के लिए लगातार विभिन्न अंतर-क्षेत्रीय संघर्षों से निपटना होगा और अपनी दमदार मौजूदगी सुनिश्चित करनी होगी. इस क्षेत्र में संघर्ष मुख्य रूप से औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा तय की गई क्षेत्रीय सीमाओं की स्वीकार्यता की कमी से उपजा है. क्षेत्र के कुछ रुझानों में से एक है ब्रिटिश, फ़्रांसिसी और इतालवी हिस्सों को मिलाकर ‘ग्रेटर सोमालिया’ बनाना, 1977-78 के दौरान बने ओगाडेन रीजन को लेकर सोमालिया-इथोपिया में युद्ध, लंबे गृहयुद्ध के बाद इथोपिया से इरिट्रिया (1993) की आज़ादी और सूडान से दक्षिण सूडान की आज़ादी (2011) को इसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए. इथोपिया और सूडान से, क्रमशः लंबे समय तक गृह युद्ध के बाद इस प्रकाश में देखा जा सकता था. इसी तरह अक्सर क्षेत्र में नागरिक सरकार का गठन बड़ी चुनौती रहा है.

इस क्षेत्र में संघर्ष मुख्य रूप से औपनिवेशिक शक्तियों द्वारा तय की गई क्षेत्रीय सीमाओं की स्वीकार्यता की कमी से उपजा है. क्षेत्र के कुछ रुझानों में से एक है ब्रिटिश, फ़्रांसिसी और इतालवी हिस्सों को मिलाकर ‘ग्रेटर सोमालिया’ बनाना,

सोमालिया 1991 में सईद बर्रे सरकार के पतन के बाद से राजनीतिक रूप से स्थिर सरकार बनाने के लिए जूझ रहा है. 1995 में संयुक्त राष्ट्र की वापसी के बाद ज़मीन पर कोई भी ठोस नतीजा नहीं निकला. ना तो संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के तत्वावधान में 1990 के दशक में संयुक्त राज्य अमेरिका की अगुवाई में बहुराष्ट्रीय दख़ल ने और न ही अफ़्रीकी संघ द्वारा आयोजित लगभग बीस सम्मेलन, अफ़्रीकन यूनियन (एयू), यूएन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) सोमालिया में शांति क़ायम करने में कामयाब हुए. हालांकि, 2004 के बाद से सोमालिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वित्त पोषित संक्रमण-कालीन संघीय सरकार (ट्रांज़ीशनल फ़ेडरेशन गवर्नमेंट- टीएफ़जी) है. सत्ता पर कब्जे़ के लिए वहां एक तरफ़ संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थित टीएफ़जी, स्थानीय सैन्य बल, और दूसरी ओर से इस्लामिक कोर्ट्स यूनियन (आईसीयू) के बीच संघर्ष था. आख़िरकार आईसीयू जिसने अल शबाब सहित इस्लामिक रुझान वाले कई गुटों को एकजुट किया, 2006 में थोड़े समय के लिए सत्तारूढ़ हुआ.

टीएफ़जी के लिए आईसीयू की चुनौती अल्पकालिक थी, क्योंकि सोमालिया में राजनीतिक स्थिरता लाने के एजेंडे पर अक्सर अतिवादी ताक़तों द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया. इथोपिया, मुख्य रूप से एक ईसाई देश है, जहां यूएसए के समर्थन से दिसंबर 2006 में आईसीयू को सत्ता से बाहर कर दिया गया. संयुक्त राज्य अमेरिका से आतंकवादी घोषित अलक़ायदा जैसे संगठनों के साथ कथित रिश्तों के कारण आईसीएयू सरकार को हटा दिया गया था. इसके बाद इथोपिया, युगांडा, बुरुंडी, केन्या और जिबूती ने जनवरी 2007 में अफ़्रीकन यूनियन मिशन इन सोमालिया (AMISOM) के तहत अफ़्रीकन यूनियन बल में योगदान दिया, जो आतंकवादी संगठनों की चौतरफ़ा गतिविधियों का मुक़ाबला करने में संघीय सरकार की मदद कर रहा है. ज़ाहिर है, सोमालिया में सरकार को असहज हालात से जूझना पड़ा है क्योंकि इथोपिया, एयू और यूएसए द्वारा समर्थित संघीय सरकार को सोमालियाई राजधानी मोगादिशु के आसपास के क्षेत्रों में अपनी वैधता स्थापित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा था. इथोपियाई हमला वास्तव में अल शबाब, जिसका शाब्दिक अर्थ है युवावस्था/तरक़्क़ी का दौर, के लिए बढ़त दिलाने वाला साबित हुआ, अल शबाब मुख्य रूप से पश्चिम समर्थित सरकार का विरोध करता है और शरिया कानून के लिए प्रतिबद्ध है. एक इस्लामिक राज्य के निर्माण की कोशिश में, इसने संघीय सरकार और उसके मददगारों पर लगातार हमला किया है

सोमालिया में सरकार को असहज हालात से जूझना पड़ा है क्योंकि इथोपिया, एयू और यूएसए द्वारा समर्थित संघीय सरकार को सोमालियाई राजधानी मोगादिशु के आसपास के क्षेत्रों में अपनी वैधता स्थापित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा था..

ऊपर वर्णित दिसंबर 2019 और जनवरी 2020 के हमलों के अलावा, अल शबाब के कुछ दूसरे बड़े हमले हैं- 2010 में कंपाला (युगांडा) में अल शबाब के हमले में 74 लोग मारे गए. 2013 में नैरोबी (केन्या) में शॉपिंग मॉल पर इसके हमले में 67 लोग मारे गए. अलक़ायदा द्वारा 1998 में तंज़ानिया और केन्या में अमेरिकी दूतावासों में कुख्यात बम धमाके के बाद, अल शबाब ने 2015 में केन्या के गरिसा शहर में बड़ा हमला किया था, जिसमें 147 लोगों की मौत हुईं. इसके अलावा, अल शबाब तेज़ी से अपनी गतिविधियों में परिष्कृत और अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ा रहा है. 15 अक्टूबर, 2017 को अपने एक सबसे घातक हमले में डबल ट्रक बमबारी से अल शबाब ने लगभग 320 लोगों की जान ली. ज़ाहिर तौर पर यह भय की मनोवृत्ति के ज़रिये संघीय सरकार को धमका रहा है.

हालांकि, अस्थिरता के दबाव का सामना करते हुए एफ़जीएस ने अपनी कोशिशों से 2017 के चुनाव में सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के माध्यम से और राजनीतिक स्थिरता के निर्माण के लिए राष्ट्रीय विकास योजना (एनडीपी) की घोषणा कर और कड़ी चुनौतियों के बीच आर्थिक सुधार सुनिश्चित करके थोड़ी वैधता हासिल की है. उदाहरण के लिए, 2015 और 2016 में अर्थव्यवस्था में क्रमशः 5 और 7 फ़ीसद की वृद्धि दर्ज की गई लेकिन 2019 में यह 3 फ़ीसद से कम थी. 2019 के सर्वेक्षणों के अनुसार गरीबी की दर 69 फ़ीसद है, और भारी संख्या में नौजवान अभी भी बेरोज़गार हैं.

विकसित संसार से प्राप्त सहायता के साथ सोमालियाई लोगों से मिलने वाली मदद कर्ज़दार, कमज़ोर और सूखे की मार झेल रही अर्थव्यवस्था के हालात में सुधार के लिए नाकाफ़ी साबित हुई है. सोमालिया में दुनिया की छठी सबसे बड़ी विस्थापित आबादी है, जिसमें से 25 लाख से ज़्यादा केन्या में रहते हैं जो लगातार अल शबाब के हमलों का निशाना हैं. विकास की समस्याओं का सामना करने के दौरान, एफ़सीजी को चारों तरफ़ फैले अल शबाब जैसे आतंकवादी संगठन के साथ-साथ 150 से अधिक सक्रिय कबीलाई हथियारबंद गुटों से निपटना पड़ता है, जो अपनी गतिविधियों को चलाने के लिए सभी मुमकिन साधनों का सहारा लेते हैं.

असल में अल क़ायदा और इसके सहयोगियों से समर्थन पाने के अलावा, अल शबाब ने केन्या भर में प्रतिबंधित चीनी का कारोबार किया. इसने चारकोल निर्यात पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के बावजूद 2012 के बाद से चारकोल के अवैध कारोबार से भारी कमाई की है. इसके अलावा इसे समुद्री डकैती, अपहरण, उगाही, स्थानीय कारोबार और किसानों से पैसा मिलता है. हालांकि, आतंकवाद को समुद्री डकैती से गड्डमड्ड नहीं करना चाहिए क्योंकि समुद्री डकैती अपने आप में एक अलग धंधा है और इसकी जांच का दायरा अलग है.

वर्ष 2008 से भारतीय नौसेना सोमालियाई तट पर समुद्री डकैतों का मुकाबला करने में लगी है. हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति होने के कारण भारत को उन महत्वपूर्ण शक्तियों की गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है, जो क्षेत्र में चल रही हैं.

जिस तरह 9/11 के बाद यूएसए ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक युद्ध का ऐलान किया था, अल शबाब ने भी दुनिया के देशों का ध्यान खींचना शुरू कर दिया है. 2001-05 के दौरान यूएसए ने मोगादिशु में संदिग्ध अल क़ायदा के सदस्यों को पकड़ने के लिए स्थानीय लड़ाका गुटों के साथ मिलकर काम किया. सोमालिया के खिलाफ औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा किए बिना संयुक्त राज्य अमेरिका सैन्य स्तर पर सोमालिया में सक्रिय है और ट्रंप सरकार के तहत गतिविधियों का विस्तार किया है. 2007-14 के दौरान इसने 15 से 21 ड्रोन हमले किए थे, लेकिन ड्रोन हमलों की गिनती अकेले 2018 में 46 हो गई, जिसमें कुछ नागरिकों सहित 326 लोग मारे गए. चूंकि संयुक्त राज्य अमेरिका अफ़्रीकी समस्याओं के लिए अफ़्रीकी समाधान के सिद्धांत का समर्थन करता है, इसलिए उसने लगभग 22,000 सोमाली लड़ाकों को प्रशिक्षित किया है जो एमिसोम (AMISOM) का एक हिस्सा हैं. इसने निजी सुरक्षा फर्मों से अनुबंध किया जो फ्रांस, दक्षिण अफ़्रीका और स्कैंडिनेविया के सैनिकों के लिए भुगतान करती हैं. भ्रष्टाचार के कारण खाद्य, ईंधन और हथियारों जैसी चीज़ों का हिसाब नहीं दे पाने पर दिसंबर 2017 में ट्रंप प्रशासन ने सोमालिया को हथियारों की मदद रोक दी थी. जहां तक भारत का सवाल है इसके लिए सोमालिया एक दूर का समुद्री पड़ोसी है और इसके व्यापार का बड़ा हिस्सा अदन की खाड़ी से होकर गुजरता है. भारतीय मालवाहक जहाज़ों को समुद्री डाकुओं के साथ-साथ आतंकवादी संगठनों से सुरक्षा की ज़रूरत है. वर्ष 2008 से भारतीय नौसेना सोमालियाई तट पर समुद्री डकैतों का मुकाबला करने में लगी है. हिंद महासागर क्षेत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक बड़ी शक्ति होने के कारण भारत को उन महत्वपूर्ण शक्तियों की गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है, जो क्षेत्र में चल रही हैं.

सार यह है कि, अल शबाब की आतंकवादी गतिविधियां और सोमालिया की अस्थिरता ने अफ़्रीकी देशों और बड़ी विदेशी शक्तियों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, चीन, तुर्की, यूएई और क़तर को पूर्वी अफ़्रीका में अपने हितों की रक्षा के लिए AMISOM के तहत एकजुट किया है. हालांकि हालात को स्थिर करने के अपने प्रयासों में सोमालिया की संघीय सरकार ने थोड़ी कामयाबी हासिल की  है, फिर भी अल शबाब के लगातार हमलों के कारण शांति और स्थिरता की संभावनाएं अभी कमज़ोर नज़र आती हैं.

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