Author : Kriti M. Shah

Published on Feb 27, 2019 Updated 0 Hours ago

भारत उस ‘गेम’ को भलीभांति जानता है जो पाकिस्तान खेल रहा है।

पुलवामा का बदला: क्या सर्जिकल स्ट्राइक पाक को सोचने पर मजबूर करेगा?

भारत ने पुलवामा में सीआरपीएफ के 46 जवानों की शहादत का बदला आखिरकार ले लिया है। पुलवामा में जवानों पर कायराना हमले के बाद महज दो हफ्तों के भीतर ही भारत ने पाकिस्तान में आतंकी अड्डों पर ताबड़तोड़ तीन हवाई हमले कर उन्‍हें पूरी तरह से ध्‍वस्‍त कर दिया है। उल्‍लेखनीय है कि महज कुछ ही दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले का बदला लेने का वादा करते हुए कहा था कि देश के सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। मंगलवार को एक तैयार वक्‍तव्‍य पढ़ते हुए विदेश सचिव ने यह पुष्टि की कि इन हवाई हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण कैंपों या अड्डों को निशाना बनाया गया जिनमें इस आतंकवादी समूह के बालाकोट स्थित सबसे बड़े अड्डे भी शामिल हैं।

जैसा कि पहले से ही पता थापाकिस्तान एक अलग ही कहानी बयां कर रहा है। जहां एक ओर पाकिस्तान के सैन्य प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि भारतीय वायुसेना ने मुजफ्फराबाद सेक्टर की तरफ से नियंत्रण रेखा पार की थीवहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने दावा किया है कि पाकिस्तानी वायुसेना की ओर से तत्काल जवाबी कार्रवाई करने पर भारतीय विमान जल्दबाजी में बम कहीं भी फेंक कर वापस लौटने पर विवश हो गए।

पाकिस्‍तान के अनुसार, इसमें कोई हताहत या नुकसान नहीं हुआ है। वैसे तो पाकिस्तान द्वारा इनकार किया जाना आश्चर्यजनक नहीं है, लेकिन उसने यह अवश्‍य ही मान लिया है कि भारत ने उसके हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया है। यह एक ऐसा तथ्य है जिसे उसने वर्ष 2016 में उस समय स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया था जब भारत ने उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इसका मतलब यही है कि यदि पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करता है तो वह इसके लिए भारत द्वारा उसके हवाई क्षेत्र का अतिक्रमण करने को जिम्‍मेदार ठहराएगा। दरअसल, जब पाकिस्‍तान अपने यहां जैश-ए-मोहम्मद के अड्डे होने से ही साफ इनकार कर रहा है, तो ऐसी स्थिति में वह भारत द्वारा इन अड्डों को तबाह कर देने की बात को कैसे स्वीकार कर सकता है?

पुलवामा में शहीद हुए जवान अपने-अपने परिवारों के साथ छुट्टी मनाने के बाद अपनी ड्यूटी ज्‍वाइन करने के लिए घर से वापस लौट रहे थे। ठीक इसी सफर के दौरान उनके वाहन को विस्फोटकों से लदी एक कार ने जानबूझकर टक्‍कर मार दी जिसे आदिल डार (आत्मघाती हमलावर) चला रहा था और जो पिछले ही साल जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा था। यही नहीं, हमले के कुछ ही घंटे बाद जैश-ए-मोहम्मद, जिसका मुख्यालय पंजाब के बहावलपुर में है, ने एक बयान जारी कर हमले की जिम्मेदारी लेने के साथ-साथ डार के बारे में इस जानकारी का खुलासा भी किया कि वह पुलवामा के काकापोरा का रहने वाला था। इसके पीछे मुख्‍य मकसद दुनिया को यह बताते हुए उसकी सोच को प्रभावित करना था कि यह हमला किसी और ने नहीं, बल्कि एक भारतीय कश्मीरी द्वारा किया गया है। हालांकि, ये तथ्य तोड़-मरोड़ कर पेश किए गए उस सच से आगे नहीं बढ़ सके, जिसका प्रचार पाकिस्तान करता रहा है। जैश-ए-मोहम्मद ने डार एवं उसके प्रशिक्षण (पाकिस्तान में) की जिम्मेदारी लेने का दावा किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक कुख्‍यात आतंकवादी समूह होने के बावजूद इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) एजेंसी के संरक्षण में उसके द्वारा अपनी गतिविधियां जारी रखने जैसे जगजाहिर तथ्‍यों के बावजूद पाकिस्तानी मीडिया निरंतर इनकी अनदेखी करता रहा है।

इन हमलों ने एक बार फिर गेंद को पाकिस्तान के पाले में डाल दिया है, ताकि वह घिसे-पिटे शब्‍दों का उपयोग करना जारी रख सके। पिछले कई दशकों से पाकिस्तान के उप पारंपरिक युद्ध को झेलने के बाद भारत ने पाकिस्तान को डराने के तरीके एवं उपाय ढूंढ निकाले हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अब सर्जिकल स्ट्राइक (जो सार्वजनिक रूप से घोषित है) भारत द्वारा बदला लेने का एक स्थापित हथियार बन गई है। एक ‘हथियार’ के रूप में सर्जिकल स्ट्राइक दो उद्देश्यों को पूरा करती है: पहला, उन आतंकी अड्डों को तबाह करना जहां हमले की योजना बनाई जाती है एवं फि‍र उन्‍हें अंजाम दिया जाता है और दूसरा, यह बदला लेने की उस आग को शांत करती है जो आम आदमी के दिल में जलती रहती है। हालांकि, इसके अलावा सर्जिकल स्ट्राइक का असर अत्‍यंत सीमित ही होता है। वहीं, पाकिस्तान भी बड़ी आसानी से इससे साफ इनकार कर देता है, अत: भय उत्‍पन्‍न करने के अकेले हथियार के रूप में सर्जिकल स्ट्राइक कारगर साबित नहीं होती हैं।

बहरहालसर्जिकल स्ट्राइक वैसे तो महज अपने विशिष्ट उद्देश्यों को ही पूरा कर पाती हैलेकिन एक निवारक या एहतियाती सुरक्षा साधन के रूप में भारत द्वारा इसे अपनाने की गुंजाइश पूरी तरह बन गई है।

वर्ष 2016 में की गई सर्जिकल स्ट्राइक की भांति ही सरकार ने इस बार भी घोषणा की है कि वह इस खुफिया जानकारी को लेकर अत्‍यंत सतर्क थी कि निकट भविष्य में फि‍र से आतंकी हमले करने की योजना उक्त कैंपों या अड्डों में बनाई जा रही थी, इसलिए उसने इन अड्डों को एक अनुमानित या अग्रगामी चाल के तहत ध्‍वस्‍त कर दिया। इस दलील के आधार पर जब भी आवश्यक प्रतीत हो, भारत को पीओके एवं पाकिस्तान में सर्जिकल स्‍ट्राइक करनी चाहिए तथा इसके लिए किसी और आतंकवादी हमले का सहारा नहीं लेना चाहिए। भारत में घुसपैठ एवं हमला करने का प्रशिक्षण ले रहे आतंकवादियों द्वारा वास्‍तव में ऐसा करने से पहले ही उन्‍हें सर्जिकल स्‍ट्राइक के जरिए तबाह कर देने से एक नई खतरनाक मिसाल कायम होगी। वैसी स्थिति में पाकिस्तान अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने या लक्षित भारतीय हमलों के लिए नई रेड लाइन या सीमा तय करने पर विवश हो जाएगा।

कल तक ऐसा प्रतीत होता था कि पाकिस्तान अपने कुटिल इरादों में सफल हो रहा है। पाकिस्तान सीमा पार से किसी को भर्ती कर उसे यहां ला सकता है, उसे प्रशिक्षित कर सकता है एवं भारतीय सुरक्षा बलों पर भयावह हमले करा सकता है और फि‍र एक राष्ट्र के रूप में अपनी शराफत पर एक और दाग लगाकर यहां से फरार हो सकता है। पुलवामा हमले के बाद उसके नाम पर कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं। उदाहरणस्‍वरूप, देश के कुछ हिस्सों में कश्मीरी छात्रों एवं कामगारों को पीटा गया, परेशान किया गया और उन्‍हें अपने ही घरों से बाहर निकाल दिया गया। इसको लेकर माहौल के और खराब होने की आशंकाओं को ध्‍यान में रखते हुए इन पीडि़त लोगों में से कई कश्मीर वापस लौट गए। यह ‘भारत में हर तरीके से अशांत एवं नुकसानदेह माहौल बनाए रखने’ संबंधी पाकिस्तान के सिद्धांत में पूरी तरह से फिट बैठता है। पाकिस्तान के जो दीर्घकालिक कुटिल इरादे हैं उनके मुकाबले इन सर्जिकल स्‍ट्राइक के जरिए आतंकवादी अड्डों को नष्ट करने पर आने वाली लागत या इस वजह से चुकाई जाने वाली कीमत नगण्य है। देश भर में कश्मीरियों को निशाना बनाना न केवल शर्मनाक, कट्टरता और किसी भी तार्किक समझदारी से बिल्‍कुल परे है, बल्कि यह पाकिस्तान की इस बयानबाजी को भी तूल देता है कि कश्मीरी भारतीय हाथों में सुरक्षित नहीं हैं। वैसे तो सर्जिकल स्‍ट्राइक से बुनियादी या जमीनी स्‍तर पर कोई बदलाव नहीं होता है, लेकिन इससे यह धारणा पूरी तरह निराधार साबित होती है कि पाकिस्तान बेखौफ होकर आतंकी हमलों को अंजाम देता रहेगा और उसका बाल बांका भी नहीं होगा।

भारत उस ‘गेम’ को भलीभांति जानता है जो पाकिस्तान खेल रहा है और पाकिस्तान ने अपने साथ संबंधों के लिए जो नियम निर्धारित किए हैं, उन्हें भारत कई दशकों से बाकायदा समझ रहा है। ये सर्जिकल स्ट्राइक गेम या नियमों में बदलाव नहीं करती हैं, ये सिर्फ गेम बोर्ड को उल्‍टा-पुल्‍टा कर देती हैं जिससे पाकिस्तान पासा पलटने और भारत पर फि‍र से हमला करने का निर्णय लेने से पहले नए सिरे से सोचने पर विवश हो जाता है।

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