#PMModi in Quad Summit: क्वॉड बैठक में पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन की मुलाकात पर रूस की नज़र?
Quad and China: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापानी दौरा इस लिहाज से काफी अहम है, क्यों कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान तीन देशों के राष्ट्राध्यक्ष एक मंच साझा करेंगे. इस दौरे में वह अमेरिका, जापान व आस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अलग-अलग मुलाकात करेंगे. इन नेताओं की मुलाकात ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन जंग के दौरान भारत और क्वॉड देशों (Quad Summit) के बीच मतभेद गहरे हुए थे. क्वॉड की इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी सम्मलित हुए. कूटनीतिक लिहाज से क्वॉड की यह बैठक बेहद उपयोगी है. भारत चीन सीमा विवाद को देखते हुए भारत के लिए क्वॉड बेहद उपयोगी मंच है. आइए जानते हैं कि कूटनीतिक लिहाज से यह बैठक भारत के लिए कितनी उपयोगी है. इस बैठक पर रूस और चीन की पैनी नजर क्यों है. क्वॉड का गठन क्यों हुआ. इसके गठन के पीछे क्या निहितार्थ हैं.
.यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका व क्वॉड देशों के संबंधों में थोड़ा खिंचाव देखने को मिला है. खासकर अमेरिका व आस्ट्रेलिया ने रूस के प्रति भारत की तटस्थता नीति की खुलकर निंदा की है. इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी भाग ले रहे हैं. इस लिहाज से यह बैठक और उपयोगी हो जाती है.
क्वॉड शिखर सम्मेलन की यह बैठक क्यों है अहम ?
1- प्रो हर्ष वी पंत ने कहा कि जापान में हो रही क्वॉड बैठक भारत के लिहाज से काफी अहम है. रूस और चीन की इस बैठक पर पैनी नजर होगी. उन्होंने कहा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिका व क्वॉड देशों के संबंधों में थोड़ा खिंचाव देखने को मिला है. खासकर अमेरिका व आस्ट्रेलिया ने रूस के प्रति भारत की तटस्थता नीति की खुलकर निंदा की है. इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी भाग ले रहे हैं. इस लिहाज से यह बैठक और उपयोगी हो जाती है.
2- इस बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे. यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बैठक के बाद भारत और क्वॉड देशों के संबंध एक बार फिर मधुर होने में मदद मिलेगी. खासकर अमेरिका और आस्ट्रेलिया से संबंध सामान्य होंगे. प्रो पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान क्वॉड के प्रमुख देशों (अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान) के राष्ट्राध्यक्षों के साथ पीएम मोदी एक मंच साझा करेंगे. तीनों देशों के बीच यूक्रेन जंग के दौरान रूस के साथ संबंधों को लेकर मतभेद उत्पन्न हुए थे. खासकर अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत का रूस के प्रति झुकाव का आरोप लगाया था.
यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बैठक के बाद भारत और क्वॉड देशों के संबंध एक बार फिर मधुर होने में मदद मिलेगी. खासकर अमेरिका और आस्ट्रेलिया से संबंध सामान्य होंगे.
3- हालांकि, भारत ने अपने स्टैंड को क्लीयर कर दिया था. भारत का कहना है कि वह किसी भी तरह के जंग के खिलाफ है. भारत का मत है दोनों देशों को वार्ता के जरिए अपने मतभेदों का समाधान करना चाहिए. अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ हुए मतदान में भाग नहीं लेकर अमेरिका को और नाराज कर दिया था. भारत ने इस मामले में अपने दृष्टिकोण को साफ किया था. भारत ने साफ कर दिया था कि भारत और रूस के द्विपक्षीय संबंध काफी मायने रखते हैं. इसलिए वह रूस के खिलाफ मतदान में भाग नहीं ले सकता है. भारत ने यह भी कहा था कि अमेरिका को भारत के हितों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए.
4- उन्होंने कहा कि भारत के सामरिक जरूरतों के लिए रूस जितना उपयोगी है, उतना ही चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका और क्वॉड देशों का भी उसे साथ चाहिए. उन्होंने कहा भारत चीन सीमा विवाद को देखते हुए क्वॉड भारत के लिए काफी अहम है. इसके अलावा दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता भारत समेत दुनिया के लिए चिंता का विषय है. ऐसे में क्वॉड भारत के लिए काफी अहम है.
मार्च 2021 में डिजिटल माध्यम से हुई पहली बैठक
उन्होंने कहा कि इस बैठक में क्वॉड नेताओं को हिंद-प्रशांत से जुड़े घटनाक्रम, साझा हितों से जुड़े समसामयिक वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के अलावा जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एवं आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हिस्सा लेंगे. बता दें कि मार्च 2021 में डिजिटल माध्यम से हुई पहली बैठक के बाद क्वॉड नेताओं के बीच यह चौथी वार्ता है. वाशिंगटन में सितंबर 2021 में क्वॉड नेताओं ने उपस्थित होकर बैठक में हिस्सा लिया था, जबकि मार्च 2022 में डिजिटल माध्यम से बैठक हुई थी.
भारत के सामरिक जरूरतों के लिए रूस जितना उपयोगी है, उतना ही चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका और क्वॉड देशों का भी उसे साथ चाहिए. उन्होंने कहा भारत चीन सीमा विवाद को देखते हुए क्वॉड भारत के लिए काफी अहम है.
आखिर कैसे बना क्वॉड ग्रुप
2004 में हिंद महासागर में आई भयंकर सुनामी से कई तटीय देश प्रभावित हुए थे. इसी विनाशकारी सुनामी के बाद राहत कार्य के लिए भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका एक साथ आए. इसी के बाद 2007 में जापान के तत्कालीन पीएम शिंजो अबे ने कथित तौर पर एक चतुर्भुज सुरक्षा संवाद की अपील की. इसी साल क्वॉड देशों ने बंगाल की खाड़ी में नौसैनिक अभ्यास किया. वर्ष 2013 से परिस्थितियों में बदलाव आना शुरू हुआ वर्ष 2017 तक आस्ट्रलिया, जापान, अमेरिका और भारत के चीन से संबंध खराब होते चले गए. इसके बाद कोरोना महामारी और भारत के साथ चीन सीमा विवाद के चलते चारों देश फिर से एक साथ आए और क्वॉड अस्तित्व में आया.
चीन ने कहा एशियाई नाटो
प्रो पंत का कहना है कि चीन क्वॉड को ड्रैगन के वैश्विक उदय को रोकने के लिए एक टूल की तरह देखता है. चीन के विदेश मंत्रालय ने क्वॉड ग्रुप पर चीन के हितों को कम करने के लिए समर्पित होने का आरोप लगाया था. इसके साथ ही चीन ने कई मौकों पर क्वॉड को छोटा नाटो और एशियाई नाटो का नाम दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि क्वॉड ग्रुप अप्रचलित शीत युद्ध और सैन्य टकराव की आशंकाओं में डूबा हुआ है. यह समय की प्रवृत्ति के विपरीत चलता है और इसका खारिज होना तय है.
ओआरएफ हिन्दी के साथ अब आप Facebook, Twitter के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं. नए अपडेट के लिए ट्विटर और फेसबुक पर हमें फॉलो करें और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें. हमारी आधिकारिक मेल आईडी [email protected] के माध्यम से आप संपर्क कर सकते हैं.
The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.