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इस योजना में एक स्थायी एकीकृत स्मॉल बोट्स ऑपरेशनल कमांड गठित किए जाने, इमिग्रेशन ऑफिसरों की क्षमता बढ़ाने, शरण मांगने वालों को ठहराने के लिए होटल का इस्तेमाल रोकने, उनसे जुड़े वर्करों की संख्या बढ़ाने और अल्बानिया के साथ नया समझौता करने की बात शामिल है.
‘बस, बहुत हुआ!’ यह कहकर सिस्टम के सिर दोष मढ़ते हुए ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने पिछले हफ्ते अवैध प्रवासियों से निपटने की पांच सूत्री योजना हाउस ऑफ कॉमंस में पेश कर दी. इस योजना में एक स्थायी एकीकृत स्मॉल बोट्स ऑपरेशनल कमांड गठित किए जाने, इमिग्रेशन ऑफिसरों की क्षमता बढ़ाने, शरण मांगने वालों को ठहराने के लिए होटल का इस्तेमाल रोकने, उनसे जुड़े वर्करों की संख्या बढ़ाने और अल्बानिया के साथ नया समझौता करने की बात शामिल है. देखा जाए तो यह अवैध प्रवास (इलीगल इमिग्रेशन) से निपटने की हाल में ब्रिटिश सरकार द्वारा अब तक की गई सबसे महत्वाकांक्षी पहल है.
इस बिल को हाउस ऑफ कॉमंस में तो कोई समस्या नहीं होगी. वहां कंजर्वेटिव्स को विशाल बहुमत हासिल है. लेबर पार्टी भी इसका विरोध महज इस आधार पर कर रही है कि यह व्यावहारिक नहीं है. वह इसके पीछे निहित मूल विचार का विरोध नहीं कर रही है.
सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि ऐसा कदम प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने उठाया है, जो खुद प्रवासी हैं. सवाल यह है कि आखिरकार उन्होंने यह कदम क्यों उठाया?
नए प्रवासी कानून की घोषणा करते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक
इस बिल को हाउस ऑफ कॉमंस में तो कोई समस्या नहीं होगी. वहां कंजर्वेटिव्स को विशाल बहुमत हासिल है. लेबर पार्टी भी इसका विरोध महज इस आधार पर कर रही है कि यह व्यावहारिक नहीं है. वह इसके पीछे निहित मूल विचार का विरोध नहीं कर रही है. तो हाउस ऑफ कॉमंस में तो रास्ता साफ है. लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में चुनौतियां मिल सकती हैं, संशोधन लाए जा सकते हैं. अदालतें भी दखल दे सकती हैं. ध्यान रहे, खुद प्रिंसिपल सेक्रेटरी मान चुकी हैं कि इसे गैरकानूनी पाए जाने के 50 फीसदी से ज्यादा आसार हैं. सुनक ने संकेत दिए हैं कि वह यूरोपियन कन्वेंशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) से बाहर निकलने पर विचार कर सकते हैं ताकि इमिग्रेशन पॉलिसी को बेहतर ढंग से अमल में ला सकें.
यह इमिग्रेशन पॉलिसी लेबर पार्टी के बरक्स उनकी स्थिति को मजबूत भले बना दे, इस बात की गारंटी नहीं है कि इससे छोटी नावों का अवैध तौर पर चैनल पार करना सचमुच बंद हो जाएगा.
इस इमिग्रेशन बहस के नतीजे राजनीतिक क्षेत्र की सीमाओं को पार करते दिख रहे हैं. सबसे महंगे प्रेजेंटर गैरी लिनेकर के सस्पेंशन के बाद बीबीसी दबाव में नजर आने लगा. पिछले हफ्ते उन्होंने ब्रिटेन की इमिग्रेशन पॉलिसी को ‘दुनिया के सबसे कमजोर लोगों की ओर निर्देशित ऐसी क्रूर नीति’ बताया था जिसकी भाषा ‘तीस के दशक में जर्मनी में इस्तेमाल की गई भाषा से खास अलग नहीं है’. इस आलोचना के बाद जब उन्हें सस्पेंड किया गया तो कई और प्रेजेंटर उनके समर्थन में आ गए. आखिरकार बीबीसी को लिनेकर मामले में माफी मांगनी पड़ी. वहीं, सुनक ने इन विवादों में पड़ने से इनकार कर दिया. हालांकि यह जरूर रेखांकित किया कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए इसका संदर्भ ध्यान में रखना जरूरी है, खासकर तब, जब पिछले साल ही चैनल को गैरकानूनी ढंग से पार करने की कोशिश में 45,000 लोगों ने अपनी जान दांव पर लगा दी हो.
बीबीसी का संकट सिर्फ यह बताता है कि इमिग्रेशन पॉलिसी कितनी तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कर रही है और कैसे सुनक यह उम्मीद कर रहे हैं उनका कड़ा रुख टोरीज के बीच उनकी स्थिति को मजबूत बनाते हुए उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचाएगा. 2023 की शुरुआत में उन्होंने एलान किया था कि छोटी नावों से निपटना उनकी प्राथमिकता में रहेगा और अब वह इस वादे को पूरा करते नजर आ रहे हैं. हालांकि यह इमिग्रेशन पॉलिसी लेबर पार्टी के बरक्स उनकी स्थिति को मजबूत भले बना दे, इस बात की गारंटी नहीं है कि इससे छोटी नावों का अवैध तौर पर चैनल पार करना सचमुच बंद हो जाएगा. फिर भी सुनक ने यह बड़ा राजनीतिक दांव लगाने का फैसला किया है और अब वह उम्मीद कर रहे हैं कि इस चुनावी बेला में ब्रिटेन के लोग उन्हें समर्थन देंगे.
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यह लेख नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है.
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Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...
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