बांग्लादेश-ऑस्ट्रेलिया के आपसी संबंधों की अर्ध-शताब्दी: एक साझा समुद्री (maritime) भविष्य की तलाश!
इस साल बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया अपने राजनयिक रिश्ते की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. समय को पीछे मुड़कर देखें तो, जब बांग्लादेश पूर्वी पाकिस्तान था और अपने ही पश्चिमी अर्ध-भाग से मुक्ति युद्ध लड़ रहा था, तब पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री विलियम मैकमोहन ने संघर्ष के अंत के लिए तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल याहया ख़ान से बातचीत-आधारित राजनीतिक समाधान के लिए आगे बढ़ने का अनुरोध बार-बार किया था. इसके बाद, 1972 में जब पूर्वी पाकिस्तान ने आज़ादी हासिल की, तो ऑस्ट्रेलिया उन पहले देशों में शामिल हुआ जिन्होंने बांग्लादेश को एक स्वाधीन राष्ट्र के रूप में मान्यता दी. स्वाभाविक रूप से, जब दोनों देशों के प्रमुख एक दूसरे के लिए सद्भावना प्रकट कर रहे हैं तो इन यादों को दोबारा ताज़ा किया जा रहा है. यादें ऊर्जा पैदा करती हैं; लिहाज़ा, स्वर्ण जयंती के मौक़े पर वाणिज्य, रक्षा, महामारी से उबरने जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की भावी राहों को भी उजागर किया जा रहा है. यह ग़ौर करना दिलचस्प है कि इन सभी प्रयत्नों को निर्देशित करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक हिंद-प्रशांत प्रतिमान ही है. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक शांतिपूर्ण और ख़ुशहाल हिंद महासागर क्षेत्र के लिए काम करने पर ज़ोर दिया है, जबकि उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष, प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक सुरक्षित, ख़ुशहाल तथा समावेशी हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने के लिए अपना संकल्प दोहराया है. इसलिए, बांग्लादेश-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी का भविष्य काफ़ी हद तक इस भू-रणनीतिक समुद्री (मैरीटाइम) क्षेत्र के अवसरों और चुनौतियों की लहरों से जुड़ा हुआ है.
1972 में जब पूर्वी पाकिस्तान ने आज़ादी हासिल की, तो ऑस्ट्रेलिया उन पहले देशों में शामिल हुआ जिन्होंने बांग्लादेश को एक स्वाधीन राष्ट्र के रूप में मान्यता दी.
बांग्लादेश त्रिकोणीय बंगाल की खाड़ी, जो हिंद महासागर की पूर्वोत्तर शाखा है, के शिखर पर स्थित एक तटीय देश है. अपनी घरेलू ज़रूरतों की हिफ़ाजत करने और व्यापक हिंद-प्रशांत में अपने हितों को पेश करने के लिए समुद्र ही बांग्लादेश का प्राथमिक रास्ता है. हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित ऑस्ट्रेलिया भी अपने आर्थिक और सुरक्षा हितों को पूरा करने के लिए हिंद-प्रशांत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने का इच्छुक है. अपने महत्वपूर्ण जहाज़रानी (शिपिंग) मार्गों के साथ बंगाल की खाड़ी हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच एक प्रमुख आवाजाही मार्ग है, और इस तरह यह व्यापार और कनेक्टिविटी के वास्ते ऑस्ट्रेलिया के लिए बेहद अहम है. हितों में इस एकरूपता को देखते हुए, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया की समुद्री क्षेत्र में साझेदारी का विश्लेषण तीन श्रेणियों के तहत किया जा सकता है: अर्थव्यवस्था, पारंपरिक सुरक्षा और गैर-पारंपरिक सुरक्षा. इनकी एक त्वरित समीक्षा दोनों देशों के भावी सहयोग की संभावनाओं का आकलन करने के क्रम में की जा रही है.
अर्थव्यवस्था
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था समुद्र पर बहुत ज़्यादा निर्भर है. उसके विदेश व्यापार का 94 फ़ीसद परिवहन उसके बंदरगाह करते हैं, जबकि समुद्री संसाधन देश की अर्थव्यवस्था को बल प्रदान करते हैं क्योंकि मछली पकड़ना और संबंधित गतिविधियां एक बड़ा पेशा हैं. इसके अलावा, देश के भौगोलिक क्षेत्र में ठीकठाक अपतटीय तेल एवं प्राकृतिक गैस भंडार मौजूद हैं. महासागरीय अक्षय ऊर्जा के साथ वह इनकी खोज की भी उम्मीद रखता है.
ऑस्ट्रेलिया के लिए, यह मैरीटाइम स्पेस व्यापार के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ ही दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बाजारों तक उसकी पहुंच को बढ़ाता है. नतीजतन, मॉरिसन सरकार ने ऑस्ट्रेलियाई संसाधनों तथा खनन उपकरण, तकनीक व सेवाओं के मामले में दक्षिण एशियाई बाजारों की समझ बेहतर बनाने के लिए 48 लाख डॉलर के निवेश का वादा किया है. इसके अलावा, इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में निवेश के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए 58 लाख डॉलर आवंटित किये गये हैं. कुल मिलाकर, ऑस्ट्रेलिया की योजना इस मैरीटाइम स्पेस में पांच सालों में 365 लाख डॉलर के निवेश की है, जिसमें से 114 लाख डॉलर समुद्री जहाज़रानी, आपदा लचीलेपन तथा सूचनाएं साझा करने पर क्षेत्रीय सहयोग को बेहतर करने के लिए हैं.
हितों में इस एकरूपता को देखते हुए, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया की समुद्री क्षेत्र में साझेदारी का विश्लेषण तीन श्रेणियों के तहत किया जा सकता है: अर्थव्यवस्था, पारंपरिक सुरक्षा और गैर-पारंपरिक सुरक्षा.
इस तरह, हिंद-प्रशांत के इस हिस्से में अपनी मौजूदगी को टिकाये रखने के लिए, ऑस्ट्रेलिया ने बंगाल की खाड़ी के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण तटीय क्षेत्रों के साथ जुड़ने की कोशिश की है. वह केवल भारत के साथ संबंधों को और गहरा बनाने की कोशिशों से परे निकला है. ग़रीबी में कमी और विकास की एक उल्लेखनीय कहानी के साथ दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल बांग्लादेश काफ़ी संभावनाएं रखता है. इसलिए, ऑस्ट्रेलिया ने बांग्लादेश के डिजिटल सेक्टर में नये अवसरों को तलाशने और क्षेत्र में आर्थिक चुनौतियों के आकलन के लिए 102 लाख डॉलर के निवेश का वादा किया है. इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया, भारत और बांग्लादेश के बीच तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की सप्लाई चेन में 43 लाख डॉलर का निवेश रिश्तों को संबल प्रदान करेगा. सितंबर 2021 में, ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश ने एक ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट फ्रेमवर्क अरेंजमेंट पर भी दस्तख़त किये जो आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देगा और व्यापार व निवेश में बाधाओं को कम करेगा. एक मुक्त व्यापार समझौते तक पहुंचने के लिए यह एक शुरुआती क़दम है. फरवरी 2022 में संबंधित विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक में, द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के तरीक़े खोजने, बांग्लादेश के परिधान उद्योग के लिए ऊन निर्यात करने तथा अपतटीय गैस खोज और अक्षय ऊर्जा में सहयोग की संभावनाएं तलाशने पर भी बात हुई है. हालांकि, आर्थिक प्रयत्न तब तक फलदायी नहीं होंगे जब तक कि सुरक्षा भी सुनिश्चित नहीं की जाती.
पारंपरिक सुरक्षा
पूर्वोत्तर हिंद महासागर क्षेत्र में, चीन की बढ़ती दावेदारी वाली मौजूदगी तटीय और गैर-तटीय हितधारकों के बीच एक बड़ी चिंता है. चीन बांग्लादेश का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, और वह चीनी एफडीआई का शीर्ष प्राप्तकर्ता भी है. लेकिन यह छोटा दक्षिण एशियाई देश क़र्ज़ के जाल में फंसने की श्रीलंका जैसी नियति को लेकर भी चिंतामग्न है. इसलिए वह ऑस्ट्रेलिया जैसे मझोली ताक़तों के साथ अपने संपर्कों को मज़बूत करने के लिए उत्साहित है. चीन के साथ अपने संबंध को संतुलित करने के लिए, ऑस्ट्रेलिया पहले से बांग्लादेश के बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास में संलग्न है. ऑस्ट्रेलिया के लिए भी, खाड़ी की जलराशि में चीन की बढ़ती दावेदारी वाली मौजूदगी ने इस क्षेत्र की स्थिरता को लेकर चिंताओं को बढ़ाया है. यह सुशासित मैरीटाइम स्पेस के साथ एक स्थिर और ख़ुशहाल क्षेत्र रखने में उसकी गहरी दिलचस्पी के विपरीत है. ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने इस प्रकार एक रणनीतिक पॉलिसी फ्रेमवर्क बनाना आवश्यक महसूस किया, जिसके द्वारा वह अपने परिवेश को गढ़ने और अपने हितों के ख़िलाफ़ कार्रवाइयों को रोक पाने के लिए सेना तैनात करने में सक्षम हो सके. नतीजतन, ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा 2020 में जारी डिफेंस स्ट्रैटेजिक अपडेट ने, ‘पूर्वोत्तर हिंद महासागर’ को रक्षा योजना बनाने के लिए देश के एक ‘फ़ौरी क्षेत्र’ के रूप में चिह्नित किया.
चीन के साथ अपने संबंध को संतुलित करने के लिए, ऑस्ट्रेलिया पहले से बांग्लादेश के बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास में संलग्न है. ऑस्ट्रेलिया के लिए भी, खाड़ी की जलराशि में चीन की बढ़ती दावेदारी वाली मौजूदगी ने इस क्षेत्र की स्थिरता को लेकर चिंताओं को बढ़ाया है.
दुर्भाग्य से, बांग्लादेश-ऑस्ट्रेलिया सुरक्षा सहयोग अभी तक अपर्याप्त है. सैन्य यात्राएं दुर्लभ हैं, और ऑस्ट्रेलिया बांग्लादेशी सशस्त्र बलों को बतौर सामग्री कोई सहायता या प्रशिक्षण मुहैया नहीं कराता. इसके बावजूद, बांग्लादेश ने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक ज़्यादा व्यापक रिश्ते के एक अंग के रूप में क़रीबी सुरक्षा संबंध विकसित करने की शुरुआत कर दी है. एक ऑस्ट्रेलियाई रक्षा सलाहकार ढाका में तैनात किया जा रहा है, जिससे इस उद्देश्य को अमलीजामा पहनाने में मदद मिलनी चाहिए.
गैर-पारंपरिक सुरक्षा
ये चुनौतियां पर्यावरण और आपराधिक गतिविधियों जैसी गैर-राज्य चीज़ों ( नॉन-स्टेट एंटिटी) से संबंधित हैं. अपनी भौगोलिक स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश खाड़ी से उत्पन्न होने वाली प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के ख़तरे से घिरा है. इसलिए उसने इन चिंताओं से निपटने के लिए आपसी सहयोग में संलग्न होना चाहा है. बांग्लादेश अवैध ढंग से मछली पकड़े जाने और अवैध प्रवासन जैसी मानव-निर्मित समस्याएं भी काफ़ी झेलता है. द्विपक्षीय आधार पर, ऑस्ट्रेलिया की योजना बांग्लादेश को आपदा एवं जलवायु लचीलापन विकसित करने में मदद करने के साथ-साथ रोहिंग्या और स्थानीय समुदायों दोनों की सामाजिक एकजुटता और आत्मनिर्भरता के लिए मानवीय सहायता पहुंचाने की है. स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं के ज़रिये महामारी से उबरने के लिए पहलक़दमियां भी ली गयी हैं. बहुपक्षीय रूप से, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन इन दोनों देशों को इन समस्याओं को संयुक्त रूप से हल करने के लिए साझा मंच मुहैया कराता है. इस तरह की संलग्नता न केवल पारदेशीय (ट्रांसनेशनल) चिंताओं को हल करने में मदद करती है, बल्कि राजनयिक नेटवर्क बनाने में भी सहायता करती है, जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र मज़बूत होता है.
बांग्लादेश-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी हालांकि क्षमता में बराबर के जोड़ की नहीं है, लेकिन एक साझा दृष्टि और संभावनाओं की साझेदारी ज़रूर है. एक अनुकूल रणनीतिक आबोहवा में, इस प्रकार एक मज़बूत संभावना है कि यह आधी सदी पुरानी साझेदारी अपनी साझा तरक्की के लिए हिंद-प्रशांत की लहरों को पार पा लेगी.
इस प्रकार यह देखा जा सकता है कि बांग्लादेश-ऑस्ट्रेलिया साझेदारी हालांकि क्षमता में बराबर के जोड़ की नहीं है, लेकिन एक साझा दृष्टि और संभावनाओं की साझेदारी ज़रूर है. एक अनुकूल रणनीतिक आबोहवा में, इस प्रकार एक मज़बूत संभावना है कि यह आधी सदी पुरानी साझेदारी अपनी साझा तरक्की के लिए हिंद-प्रशांत की लहरों को पार पा लेगी.
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