Published on Aug 29, 2017 Updated 0 Hours ago

इस सम्मेलन की कल्पना ए​क बहु हितधारक, नीति निर्माताओं एवं क्षेत्रवार विशेषज्ञों की अंतःक्षेत्रीय संवाद के रूप में की गई है।

एसडीजी युग में प्रगति एवं विकास को गतिशील बनाना

स्थान: शांगरि-ला’ज़ इरोज़ होटल, नई दिल्ली

तारीख: 30 अगस्त 2017 (10.30-17.15):

सितंबर 2015 में अपनाए गए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 2030 के लिए विकास प्राथमिकताओं और आकांक्षाओं को निर्धारित करते हैं तथा समान ध्येयों एवं लक्ष्यों के एक समूह के इर्द गिर्द वैश्विक प्रयासों को गतिशील बनाने का प्रयास करते हैं। इन विकास प्रयासों पर भारत का प्रदर्शन निर्धारित करेगा कि विश्व एसडीजी हांसिल कर पाता है नहीं।

सितंबर 2017 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उद्घाटन के दौरान आयोजित वैश्विक लक्ष्य सप्ताह सरकारों, सिविल सोसाइटी एवं व्यवसाय के प्रमुख हितधारकों को एकजुट करेगा जिससे कि एसडीजी के लिए विचारों, समाधानों एवं साझीदारियों के निर्माण की आवश्यकता पर फिर से जोर दिया जा सके।

यूएनजीए में वैश्विक लक्ष्य सप्ताह 2017 की तैयारी के लिए ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) बिल एंड मेलिन्डा गेट्स फाउंडेशन के सहयोग से 30 अगस्त 2017 को नई दिल्ली में एक परामर्श सम्मेलन ‘एसडीजी युग में प्रगति एवं विकास को गतिशील बनाना’ का आयोजन कर रहा है। इस परामर्श सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी के बारे में संवाद को और बढ़ाना है। बहु-क्षेत्रवार कार्रवाई की आवश्यकता को प्रदर्शित करते हुए, विविध मंत्रालयों एवं एजेन्सियों से जुड़े शीर्ष व्यक्ति इसमें भाग लेंगे और राष्ट्रीय लक्ष्य अर्जित करने में सहायता करने के लिए उपयुक्त समाधानों पर चर्चा करेंगे।

इस सम्मेलन की कल्पना ए​क बहु हितधारक, नीति निर्माताओं एवं क्षेत्रवार विशेषज्ञों की अंतःक्षेत्रीय संवाद के रूप में की गई है जो लक्ष्यों के बीच आपसी संपर्कों एवं भारत की आर्थिक प्रगति में उसके महत्व को रेखांकित करता है। सम्मेलन के दौरान जिन प्रमुख विषय-वस्तुओं पर चर्चा जाएगी, उनमें शामिल हैं :

  • एसडीजी अर्जित कर लेने से भारत के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है
  • लक्ष्यों के बीच मजबूत संपर्कों को देखते हुए, अगर उन पर समग्र रूप से विचार किया जाए तो एसडीजी की प्रगति में तेजी आना संभव है।
  • नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा के बगैर भारत की गरीबी में कमी लाने का लक्ष्य लगभग असंभव है।

समारोह में भाग लेने वाले वक्ताओं में शामिल हैं

आशाकपूर मेहता, प्रोफेसर, आईआईपीए, नई दिल्ली

अमरजीत सिन्हा, सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय

अमिताभ कांत, सीईओ, नीति आयोग

अनिरूद्ध दत्ता, कैपिटल ग्रुप

सी.के. मिश्रा, सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

डेविड विल्सन, ग्लोबल लीड, डेसिजन एंड डिलीवरी साईंस, विश्व बैंक

मनोज झालानी, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

नचिकेता मोर, कंट्री डायरेक्टर, बिल एंड मेलिन्डा गेट्स फाउंडेशन

प्रताप भानु मेहता, कुलपति, अशोक विश्वविद्यालय

पूर्णिमा मेनन, सीनियर रिसर्च फेलो, आईएफपीआरआई

राकेश श्रीवास्तव, सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

समीर सरन, उपाध्यक्ष, ओआरएफ

संतोष मेहरोत्रा, प्रोफेसर, जेएनयू

सौम्या स्वामीनाथन, डीजी, आईसीएमआर एवं सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग

संजोय जोशी, निदेशक, ओआरएफ

कार्यक्रम

प्रारंभिक सत्र (10.30-11.30): विश्व के लिए भारत, भारत के लिए भारत

विश्व लक्ष्यों को हासिल कर सके, इसके लिए एसडीजी पर भारत का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है। क्या ऐसा कोई ‘इंडिया मॉडल’ है जो विश्व को कोई ज्ञान दे सके ? इसके लिए भारत को अनिवार्य रूप से न्यायसंगत तरीके से एसडीजी अर्जित करना चाहिए एवं अपने प्रत्येक नागरिक का विकास सुनिश्चित करना चाहिए। भारत को समेकित तरीके से एसडीजी पर कार्य करने के द्वारा इस एजेंडा को आगे बढ़ाने की जरुरत है। प्रत्येक राष्ट्रीय लक्ष्य, एवं उनकी सामूहिक आर्थिक गतिविधियों में भारत के आर्थिक विकास में योगदान देने की क्षमता है।

स्वागत भाषण

श्री संजोय जोशी, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन

प्रारंभिक संबोधन

डा. डेविड विल्सन, ग्लोबल लीड, डेसिजन एंड डिलीवरी साईंस, विश्व बैंक। ‘समग्र कार्यनीतियां समाजों को आर्थिक समृद्धि अर्जित करने में प्रेरित करने में मदद कर सकती हैं।’ आर्थिक विकास के मूलभूत अंगों-स्वास्थ्य, पोषाहार एवं महिला सशक्तीकरण पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

सवाल-जवाब

तकनीकी पैनल 1 (11.30-12.30): भारत की 5 ट्रिलियन रुपये की चुनौती: सभी लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना

स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करने से भारत को अपनी विशाल जनसंख्या का लाभ उठाने एवं अपनी विकास क्षमताओं को अर्जित करने में मदद मिलेगी। अन्य कारणों के अतिरिक्त, भारत को एनसीडी एवं मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों से होने वाले उत्पादकता हानियों की वजह से 4.58 ट्रिलियन रुपए का नुकसान होता है। हर वर्ष 60 लाख से अधिक व्यक्ति स्वास्थ्य खर्चों के कारण गरीबी रेखा के नीचे आ जाते हैं। भारत की प्रगति एवं विकास क्षमता उसकी मानव पूंजी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय जीडीपी का केवल 1.2 प्रतिशत है। हालांकि भारत का कुल स्वास्थ्य व्यय जीडीपी का 4.7 प्रतिशत (लगभग 5 ट्रिलियन रूपये) है जिसका अधिकांश हिस्सा परिवारों द्वारा सीधे किया जाने वाला स्वास्थ्य व्यय है। इसी प्रकार, जहां सार्वजनिक क्षेत्र के जरिये 20-30 प्रतिशत स्वास्थ्य चिकित्सा की जाती है, लगभग 70 प्रतिशत चिकित्सा निजी क्षेत्र के माध्यम से होती है।

भारत में स्वास्थ्य के लिए वित्तपोषण एवं सेवा प्रावधान के सार्वजनिक-निजी मिश्रण को देखते हुए, क्या इसका समाधान भी मिला जुला होना होना चाहिए ? एसडीजी इसका एक व्यापक समाधान प्रस्तुत करता है-लक्ष्य आंतरिक रूप से जुड़े होते हैं, वे बहु-क्षेत्रवार कार्रवाई पर फोकस करते हैं और समानता पर जोर देते हैं। क्या भारत पूरी स्वास्थ्य प्रणाली का लाभ उठाने के जरिये स्वास्थ्य चुनौती का समाधान प्रस्तुत कर सकता है-सार्वजनिक और निजी क्षेत्र राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरुप प्रदर्शन कर सकते हैं ?

अध्यक्षता

श्री सी.के. मिश्रा, सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

वक्ता

श्री अनिरूद्ध दत्ता, कैपिटल ग्रुप

श्री संतोष मेहरोत्रा, प्रोफेसर, जेएनयू

श्री नचिकेता मोर, कंट्री डायरेक्टर, बिल एंड मेलिन्डा गेट्स फाउंडेशन

तकनीकी पैनल 2 (12.30-13.30): एक बहु-क्षेत्रवार दृष्टिकोण के जरिये कुपोषण का समाधान: अधूरा एजेंडा एवं उभरती चुनौतियां

भारत की तेज आर्थिक प्रगति एवं एवं बढ़ते खाद्य उत्पादन ने देश की आबादी की पोषण संबंधी स्थिति को परिवर्तित नहीं किया है: कुपोषण का बच्चों के ज्ञान संबंधी विकास गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसा अनुमान है कि पोषण पर 1 डॉलर के निवेश का भारत में 36 डॉलर का रिटर्न होता है (वैश्विक औसत से तीन गुना अधिक)।

अनुसंधान एवं भारत के अपने अनुभव से प्रदर्शित होता है कि कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए एक बहु-क्षेत्रवार दृष्टिकोण-गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, जेंडर सशक्तीकरण, कृषि, स्वच्छता-सभी में प्राथमिकता के साथ कदम उठाने की आवश्यकता है। कार्यक्रमों को पोषण के लिहाज से संवेदनशील बनाने, स्वतंत्र कार्यान्वयन एवं संयुक्त निगरानी के लिए संयुक्त योजना का निर्माण करना कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक है। यह पैनल इस बात पर चर्चा करेगा कि किस प्रकार बहु-क्षेत्रवार दृष्टिकोण भारत के सामने खड़ी जटिल चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है।

अध्यक्षता

श्री राकेश श्रीवास्तव, सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय

वक्ता

डा. सौम्या स्वामीनाथन, डीजी, आईसीएमआर एवं सचिव, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग

डा. पूर्णिमा मेनन, सीनियर रिसर्च फेलो, आईएफपीआरआई

श्री अमरजीत सिन्हा, सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय

लंच ब्रेक (13.30-14.30)

तकनीकी पैनल 3 (14.30-15.30): बेहतर निर्णयों के लिए बेहतर आंकड़े: जवाबदेही के जरिये समानता

आंकडों की कमी अक्सर स्वास्थ्य योजनाओं के कारगर मूल्यांकन में बाधा पैदा करती है और इससे बीच की अवधि में सुधार लाए जाने की गुंजाइश कम हो जाती है। यह पैनल भिन्न भिन्न स्तरों पर लक्ष्यों की स्थिति का पता लगाने, प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाने के लिए टेक्नोलॉजी और एक एकीकृत प्रणाली जो विभिन्न डाटा समूहों में विश्लेषण किए जाने में सक्षम बनाता है, के उपयोग के लिए राष्ट्रीय सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत बनाने की जरुरत पर चर्चा करता है। हितधारकों द्वारा डाटा उपयोग के अनुभव पर चर्चा की जाएगी जिससे कि भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुभव-आधारित निर्णय निर्माण की प्रणालीगत बाधाओं की पहचान की जा सके।

अध्यक्षता

डा. डेविड विल्सन, ग्लोबल लीड, डिसिज़न एंड डिलीवरी साईंस, विश्व बैंक

वक्ता

श्री मनोज झालानी, संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

श्री आशीष शर्मा, पार्टनर, स्ट्रैटजी एवं

प्रो. आशाकपूर मेहता, प्रोफेसर, आईआईपीए, नई दिल्ली

टी ब्रेक (15.30-16.00)

वार्तालाप (16.00-17.00): बहुमुखी चुनौतियों के लिए एकीकृत समाधान: टेक्नोलॉजी का उपयोग

अर्थव्यवस्था एवं समाज को चुनौती देने वाले जटिल मुद्वों का निपटारा करने के लिए एकीकृत समाधान आवश्यक है। जेंडर, स्वास्थ्य एवं पोषण पर प्रगति सुनिश्चित करना भारत की आर्थिक प्रगति एवं विकास को प्रेरित करने का मुख्य तत्व होगा। जहां भारत ने सुधारों के एक समूह पर ध्यान केंद्रित किया है, मानव विकास क्षेत्र के सुधारों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। ये सुधार भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत को राष्ट्रीय लक्ष्यों के बीच मजबूत संपर्कों को स्वीकार करना चाहिए और विकास परिणामों को बेहतर बनाने के लिए मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान एवं जन धन-आधार-मोबाइल की त्रिमूर्ति जैसी राष्ट्रीय पहलों का लाभ उठाना चाहिए।

श्री अमिताभ कांत, सीईओ, नीति आयोग एवं प्रो. प्रताप भानु मेहता, कुलपति, अशोक विश्वविद्यालय की ओआरएफ के उपाध्यक्ष डा. समीर सरन के साथ बातचीत

समापन टिप्पणियां एवं धन्यवाद ज्ञापन (17.00-17.15)

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