Author : Nivedita Kapoor

Published on Sep 11, 2020 Updated 0 Hours ago

फर्गाल की रिहाई की मांग करते हुए विभिन्न अनुमानों के अनुसार 11 जुलाई को खबरोव्स्क नगर की सड़कों पर 10,000 से 40,000 तक लोग जमा हुए और पुतिन विरोधी नारे भी लगाए.

रूस में बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय विरोध प्रदर्शन: एक विश्लेषण

रूस के सुदूर पूर्व स्थित खबरोस्क क्राई के अनेक नगरों में 11 जुलाई से अचानक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होने लगे. लोगों ने इन नगरों में जमा होकर अपने क्षेत्रीय गवर्नर सर्गेई फर्गाल की गिरफ्तारी को चुनौती दी. गवर्नर को 15 वर्ष पूर्व व्यवसायियों की हत्या के कथित आदेश देने के आरोप में मुकदमे से पूर्व दो महीने हिरासत में रखने का आदेश मास्को की अदालत द्वारा दिया गया है. फर्गाल राष्ट्रवादी दक्षिणपंथी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी आॅफ रशिया (एलडीपीआर) के सदस्य हैं और इस पद पर सितंबर, 2018 में निर्वाचित हुए थे. उन्होंने ख़ुद पर लगे आरोपों का खंडन किया है.

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को और दो कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने का मत मिलने और राष्ट्रव्यापी संवैधानिक जनमत संग्रह प्रक्रिया पूरी होने के कुछ ही दिन बाद हुई फर्गाल की गिरफ्तारी का समय अंत्यंत महत्वपूर्ण है.

सत्तारूढ़ यूनाइटेड रशिया के उम्मीदवार को चुनाव में हराने और फिर रीजनल/क्षेत्रीय डुमा एवं खबरोव्स्क नगर डुमा का नियंत्रण एलडीपीआर को सौंप देने वाले क्षेत्र में गवर्नर की गिरफ्तारी के विरूद्ध रोजाना प्रदर्शन हो रहे हैं. फर्गाल की रिहाई की मांग करते हुए विभिन्न अनुमानों के अनुसार 11 जुलाई को खबरोव्स्क नगर की सड़कों पर 10,000 से 40,000 तक लोग जमा हुए. उन्होंने पुतिन विरोधी नारे भी लगाए. क्षेत्र के अन्य नगरों कोत्सोमोल्स्क ऑन अमूर बिकिन तथा अमर्स्क में भी प्रदर्शन हुए हैं. ‘अपूर्व’ बताए जा रहे दृश्यों के तहत तब से रोज़ाना प्रदर्शन हो रहे हैं और उनमें लोग अपनी सुविधानुसार भाग ले रहे हैं. गवर्नर चुनने के लिए हुए पिछले चुनाव में इस क्षेत्र ने सत्तारूढ़ यूनाइटेड ​रशिया पार्टी के उम्मीदवार को हरा कर क्षेत्रीय डुमा तथा खबरोव्स्क् नगर डुमा का नियंत्रण एलडीपीआर को सौंप दिया था और अब अपने पसंदीदा गवर्नर की गिरफ्तारी के ख़िलाफ रोज प्रदर्शन हो रहे हैं. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को और दो कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने का मत मिलने और राष्ट्रव्यापी संवैधानिक जनमत संग्रह प्रक्रिया पूरी होने के कुछ ही दिन बाद हुई फर्गाल की गिरफ्तारी का समय अंत्यंत महत्वपूर्ण है. पूर्व उल्लिखित विवरण के अनुसार फर्गाल साल 2018 में पदस्थ गवर्नर और यूनाइटेड रशिया के अपने प्रतिद्वंद्वी व्याचेस्लाव श्पोर्ट को हरा कर गवर्नर निर्वाचित हुए थे. श्पोर्ट 2009 में गवर्नर नियुक्त हुए और 2013 में पुन: निर्वाचित हुए. साल 2013 के चुनाव में श्पोर्ट ने फर्गाल को हरा दिया था. श्पोर्ट ने 2013 में 63.9 प्रतिशत मत हासिल किए जबकि फर्गाल महज 19.1 फीसद मत ही जुटा पाए थे. साल 2018 के चुनाव में बाजी पलट गई जब पहले दौर में किसी को भी स्पष्ट जनादेश नहीं मिला मगर दूसरे दौर में फर्गाल जीत गए. उन्हें कुल 69.6 प्रतिशत मत प्राप्त हुए.

साल 2018 के मुकाबले से पूर्व फर्गाल को यूनाइटेड रशिया उम्मीदवार के सामने ‘तकनीकी उम्मीदवार’ ही माना जाता था. यह ऐसी धारणा थी जिसका 2013 में माकूल परिणाम आया.

विरोध में मत का कारण 2018 में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने तथा ‘प्रस्तावित बहुत से नए करों’ के प्रति लोगों में पैदा हुआ गुस्सा माना गया. इसकी वजह से सत्तारूढ़ दल के प्रति विरोध की आंधी चली और यूनाइटेड रशिया पार्टी के उम्मीदवार उस साल चार क्षेत्रीय चुनावों में हार गए. ऐसी व्यवस्था में यह महत्वपूर्ण संकेत था जहां 2012 में गवर्नर का निर्वाचन पुन: स्थापित होने के बाद ‘पिछले छह साल में’ विपक्ष का सिर्फ एक ही उम्मीदवार चुनाव जीत पाया था. खबरोव्स्क में अपनी जीत की तो वास्तव में एलडीपीआर ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. साल 2018 के मुकाबले से पूर्व फर्गाल को यूनाइटेड रशिया उम्मीदवार के सामने ‘तकनीकी उम्मीदवार’ ही माना जाता था. यह ऐसी धारणा थी जिसका 2013 में माकूल परिणाम आया. फर्गाल ने 2018 में जिस चुनाव में जीत हासिल की उसमें मतदान से पहले उन्होंने श्पोर्ट के लिए समर्थन विज्ञापित करते हुए अपना एकदम मामूली प्रचार किया था. इसे, उस अहसान का बदला परिभाषित किया गया जब पिछली बार राज्य डुमा के लिए उनकी उम्मीदवारी के समय यूनाइटेड रशिया द्वारा उनके सामने उम्मीदवार नहीं उतारने पर वे चुनाव जीत गए थे. फर्गाल की तमाम हरकत दरअसल उनके दल के राष्ट्रीय रूख के अनुरूप ही थीं क्योंकि एलडीपीआर को सत्तारूढ़ दल एवं क्रेमलिन के प्रति समर्थन के कारण ‘ वफ़ादार विपक्ष’ कहा जाता है. इनमें से कोई भी तौर-तरीका रूस के लिए नया नहीं है क्योंकि 2017 में ’16 गवर्नरों के चुनाव में से 13 में’ सिर्फ उन्हीं  उम्मीदवारों को तत्कालीन गवर्नरों का मुकाबला करने दिया गया जो कोई चुनौती देने लायक ही नहीं थे. उम्मीदवार के चयन और उनके रजिस्ट्रेशन को परदे के पीछे से प्रभावित करने की यह रणनीति हाल के वर्षों में सामान्य हो गई है ताकि मतदान में धांधली के गंभीर आरोपों से बच कर चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष होने का भ्रम पैदा किया जा सके. इन दावपेच का परिणाम यूनाइटेड रशिया की 2015 में ’21 गवर्नरों के चुनाव में 19 पर, 2016 में सभी सात और 2017 में सभी 16 पदों पर’ भारी भरकम जीत में झलकता है.

इसके बावजूद 2018 में पहला दौर जीतने के बाद फर्गाल ने चुनावी मुकाबले से हटने से इंकार कर दिया और विश्लेषकों की जैसी राय है अपनी जीत के बाद से उन्होंने मौके का भरपूर फायदा उठाकर ‘लोक लुभावन गवर्नर’ की छवि बना ली. खबरोव्स्क में 2018 की हार के बाद 2019 में यूनाइटेड रशिया को नगर एवं क्षेत्रीय डुमा के नियंत्रण से हाथ धोकर और भी राजनीतिक नुक्सान उठाना पड़ा. नगर डुमा में एलडीपीआर ने 35 में 34 सीट जीतीं जबकि क्षेत्रीय डुमा में 56.12 प्रतिशत वोट पाकर एलडीपीआर को बहुमत मिला और कम्युनिस्ट पार्टी को 17 एवं यूनाइटेड रशिया को 12 फीसद मत पार्टी लिस्ट में हासिल हुए। क्षेत्रीय डुमा में एकल जनादेश वाले ज़िलों में एलडीपीआर ने 24 में से 22 सीट जीतीं. इस प्रकार क्रेमलिन में चुनाव जीतने के प्रशासनिक संसाधनों के अभाव में यहां यूनाइटेड रशिया के मत प्रतिशत में भारी कमी आई. यूनाइटेड रशिया के सदस्यों द्वारा पार्टी के झंडे के बजाय नवगठित ‘टाइम फॉर चेंज यानी परिवर्तन की वेला’ के मंच से अनेक महीने तक चुनाव प्रचार करने के बावजूद यह अभियान गति नहीं पकड़ सका. फर्गाल के गवर्नर निर्वाचित हो जाने के कारण खाली हुई कोमसोमोल्स्क-ऑन-अमूर में स्टेट/राज्य डुमा की सीट के 2019 में उपचुनाव में भी एलडीपीआर का सदस्य ही निर्वाचित हुआ. उसी साल हुई रायशुमारी/पोल में खबरोव्स्क में यूनाइटेड रशिया की लोकप्रियता दर 21 प्रतिशत आंकी गई जबकि राष्ट्रीय स्तर पर उसे 34 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया.

उम्मीदवार के चयन और उनके रजिस्ट्रेशन को परदे के पीछे से प्रभावित करने की यह रणनीति हाल के वर्षों में सामान्य हो गई है ताकि मतदान में धांधली के गंभीर आरोपों से बच कर चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष होने का भ्रम पैदा किया जा सके.

इसके परिणामस्वरूप समूचा क्षेत्रीय सत्ता तंत्र विपक्षी दल के नियंत्रण में चला गया है. दिसंबर, 2018 में फार ईस्टर्न फेडरल डिस्ट्रिक्ट यानी सुदूर पूर्व गणतांत्रिक ज़िले की राजधानी को खबरोव्स्क से व्लादिवोस्तोक ले जाने के निर्णय को सही व्यक्ति नहीं चुनने की सजा के रूप में परिभाषित किया गया है जिससे ज़ाहिर है कि स्थानीय लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं. सत्ताधारी, हाल में हुए संवैधानिक जनमत संग्रह में हुए कम मतदान से भी क​थित रूप में नाराज़ हैं. हालांकि, उनमें से 62.28 प्रतिशत मतदाताओं ने संशोधनों के पक्ष में मतदान किया. खबरोव्स्क क्षेत्र में सुपात्र मतदाताओं में सिर्फ 44.23 प्रतिशत ने ही मतदान किया जबकि उसका राष्ट्रीय औसत 67 फीसद था. आगत के कुछ संकेत तो फर्गाल के समर्थक एवं पूर्व गवर्नर विक्टर ईशाएव से संबंधित मुकदमों पर फिर से कार्रवाई होने और गवर्नर के पूर्व व्यावसायिक सहयोगी की गिरफ्तारी से मिल ही रहा है. फर्गाल पर लगे आरोप हालांकि, सरासर अविश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे 1990 के अराजक दशक में व्यावसायिक शख्सियत के रूप में उनके अतीत से संबंधित हैं. लेकिन उन पर 15 साल बाद कार्रवाई पर उंगली उठ रही हैं विशेषकर गवर्नर द्वारा 2018 से पहले निर्बाध तीन बार नेशनल/स्टेट डुमा में सदस्य रहने के कारण. खबरोव्स्क में पैदा होते हालात से निपटने के लिए फार ईस्टर्न फेडरल डिस्ट्रि​क्ट के प्रभारी उप प्रधानमंत्री यूरी त्रुत्नेव क्षेत्र में पहुंच गए हैं. ‘उन्होंने ‘क्षेत्र में निवेश की स्थिति खराब होने तथा अन्य मुद्दों’ के लिए कथित रूप में ‘स्थानीय अधिकारियों’ को जिम्मेदार ठहराया है.’ औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण खबरोव्स्क की 80 फीसद आबादी शहरी केंद्रों में निवासरत है. यहां की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका कृषि एवं विनिर्माण गतिविधियों की है तथा खनन भी होता है. हाल के वर्षों में रूस की अर्थव्यवस्था की गति मंद पड़ने का असर क्षेत्र पर ‘अत्यधिक’ पड़ा है. विशेषकर खबरोव्स्क में विनिर्माण क्षेत्र 2015 के बाद बहुत प्रभावित हुआ है. ऊपर से कोविड-19 महामारी कहर ढा रही है. लगातार ऐसे हालात के कारण उबलता जनाक्रोश अब फर्गाल के समर्थन में बड़े पैमाने में बाहर आ गया है क्योंकि लोग उन पर कार्रवाई को राजनीतिक बदला समझ रहे हैं. क्रेमलिन द्वारा इससे पहले चुनिंदा सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों पर तो प्रदर्शनों को बर्दाश्त किया गया है मगर ज़ाहिर तौर पर राजनीतिक मकसद वाले विरोध को वह फुर्ती से कुचलता रहा है. खबरोव्स्क के प्रदर्शनकारियों द्वारा लगातार पुतिन विरोधी नारे लगाने और विरोध की लहर रूस के अन्य शहरों एवं क्षेत्रों में फैलने की आशंका के कारण मास्को द्वारा उनकी अनदेखी की गुंजाइश कम ही है.

    रूसी प्रशासन के लिए एक ही क्षेत्र में इन प्रदर्शनकारियों से निपटना हालांकि, कोई कठिन प्रतीत नहीं होता मगर 2020 में क्षेत्रीय चुनाव एवं 2021 में संसदीय चुनाव के ऐन पहले जनता के रूख पर ध्यान देना भी अहम होगा. मास्को एवं सेंट पीटर्सबर्ग में ताजा पारित संविधान संशोधनों के विरूद्ध प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं. गहराते आर्थिक संकट एवं यूनाइटेड रशिया की गिरती लोकप्रियता के कारण जतन से सींचे गए लोकतंत्र पर अपनी पकड़ बरकरार रखने पर उतारू व्यवस्था के लिए और भी आवश्यक हो जाता है.

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