Author : Manoj Joshi

Published on Feb 14, 2019 Updated 0 Hours ago

अमेरिका की मौजूदा चिंताओं का केंद्र-बिंदु इस तथ्य में निहित है कि चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुआवेई खुद को प्रमुख वैश्विक 5जी कंपनी के रूप में स्थापित करना चाहती है।

हुआवेई को लेकर भारत भारी दुविधा में

व्यापार एवं तकनीक को लेकर पश्चिमी देशों और चीन के बीच लंबे समय से जारी तनातनी या टकराव के जल्द खत्म होने की कतई संभावना नहीं है। यही नहीं, चीन अब इस मोर्चे पर एकजुट होकर किए जा रहे जवाबी हमले का सामना कर रहा है। ताजा घटनाक्रम के तहत आपसी टकराव की यह आंच टेलीकॉम क्षेत्र की दिग्गज कंपनी ‘हुआवेई’ महसूस कर रही है, जिसके मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वानझोऊ को पिछले महीने कनाडा में गिरफ्तार कर लिया गया था। द न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में इस कंपनी के अलग-थलग रहने वाले प्रमुख रेन झेंगफेई ने अपनी कंपनी पर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मुझे अपने देश और कम्युनिस्ट पार्टी से काफी लगाव है, लेकिन मैं दुनिया के किसी भी देश को नुकसान पहुंचाने के लिए कभी भी कुछ नहीं करूंगा।” [1]

जुलाई 2018 में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के गठबंधन यानी ‘फाइव आइज’ के जासूसी प्रमुखों ने कनाडा में बैठक की और उन्‍होंने इस बात पर सहमति जताई कि हुआवेई को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता है। तभी से चीन की इस कंपनी के साथ काम करने से जुड़े खतरों को दुनिया के सामने उजागर करने के लिए एक व्यवस्थित अभियान चलाने के साथ-साथ लॉबिंग भी की जा रही है। [2]

दरअसल, वर्ष 2012 में अमेरिकी सदन की खुफिया समिति की रिपोर्ट के बाद हुआवेई को अमेरिकी बाजार से पहले ही बाहर किया जा चुका है। इस रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि चीन के स्वामित्व वाली हुआवेई और जेडटीई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं क्योंकि उन्हें आशंका थी कि इन कंपनियों के उपकरण अमेरिका में संचार को बाधित करके उन्‍हें पढ़- सुन (इंटरसेप्‍ट) भी सकते हैं। इतना ही नहीं, चीन की सरकार के साथ इन कंपनियों के गहरे ताल्‍लुकात होने की भी आशंका जताई गई थी। हालांकि, उस समय इन दोनों ही कंपनियों ने पूरी दृढ़ता के साथ अपने कामकाज के रिकॉर्ड का बचाव किया था। [3]

जनवरी 2018 में अमेरिका की दिग्गज कंपनी एटीएंडटी ने हुआवेई के नए स्मार्टफोन ‘मेट 10’ को बेचने के लिए किए गए सौदे को नकार दिया था। उन्नत स्क्रीन और विशेष एआई (आर्टिफि‍शियल इंटेलिजेंस) माइक्रोचिप वाले इस फोन को कंपनी के अत्याधुनिक उत्पाद के रूप में पेश किया जा रहा था, जिसकी कीमत काफी अधिक 1000 डॉलर तय की गई थी। [4]

इससे पहले वर्ष 2016 में अमेरिका के वाणिज्य विभाग ने यह मांग की थी कि कंपनी क्यूबा, ईरान, उत्तरी कोरिया, सूडान और सीरिया को अमेरिकी प्रौद्योगिकी के निर्यात या पुनर्निर्यात से जुड़ी तमाम जानकारियां प्रस्‍तुत करे। बाद में अमेरिका के ट्रेजरी या वित्‍त विभाग ने भी इस कंपनी को एक सम्मन जारी किया। इस कंपनी पर तो विशेष रूप से किसी भी गलत काम का आरोप नहीं लगाया गया था, लेकिन इसकी छोटी समकक्ष कंपनी जेडटीई ने अमेरिकी प्रतिबंधों को तोड़ने का जुर्म कबूल लिया था और उस पर 1.19 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया था। [5]

चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी हुआवेई का अभ्‍युदय बड़ा ही दमदार रहा है, लेकिन शुरू से ही उस पर यह आरोप लगाया जाता रहा है कि इसके अलग-थलग रहने वाले संस्थापक रेन झेंगफेई एक समय ‘पीएलए’ के सदस्य थे।

आज 1,80,000 कर्मचारियों के साथ यह 100 अरब डॉलर की अनुमानित वार्षिक बिक्री करने वाली दुनिया की दूरसंचार उपकरणों की सबसे बड़ी निर्माता कंपनी बन गई है। इस कंपनी ने अनुसंधान एवं विकास में भारी-भरकम निवेश किया है और यह 5जी सेगमेंट में विश्‍व स्‍तर पर अग्रणी कंपनी के रूप में उभर कर सामने आई है।

अमेरिका की मौजूदा चिंताओं का केंद्र-बिंदु इस तथ्य में निहित है कि यह कंपनी खुद को प्रमुख वैश्विक 5जी कंपनी के रूप में स्थापित करना चाहती है। वर्ष 2016 में यह कंपनी काफी सक्रिय थी और इसने 5जी तकनीक के लिए उन मानकों को तय करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी जिनके निहितार्थ औद्योगिकीकरण की अगली पीढ़ी के लिए होंगे और जिसमें ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्‍स’ का भी कमाल दिखेगा। [6]

इसी वजह से अमेरिका ने यह कहते हुए ब्रॉडकॉम को क्वालकॉम का अधिग्रहण करने से रोक दिया था कि इस अधिग्रहण से ‘संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा पर आंच आ सकती है। [7] ट्रम्प प्रशासन ने यह भी प्रस्ताव रखा कि अमेरिकी सरकार एक केंद्रीकृत 5जी नेटवर्क का निर्माण एवं संचालन करे। यह एक ऐसा प्रयास है जो चांद पर मानव भेजने की परियोजना की याद ताजा करता है। [8]

नॉर्वे जैसे यूरोप के कई देश इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जासूसी से जुड़ी चिंताओं को ध्‍यान में रखते हुए उन्हें इस कंपनी को 5जी नेटवर्क बनाने से बाहर कर देना चाहिए या नहीं। ब्रिटेन में बीटी मौजूदा 3जी एवं 4जी नेटवर्कों से हुआवेई के उपकरण को हटा रही है और वह अपने 5जी नेटवर्क के लिए हुआवेई के किसी भी प्रमुख कलपुर्जे का उपयोग नहीं करेगी। दरअसल, सभी ‘फाइव आइज’ देश यथा अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड अब अपनी-अपनी 5जी नेटवर्क योजनाओं से हुआवेई को बाहर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जापान ने भी सरकारी ठेके प्राप्त करने से हुआवेई पर प्रतिबंध लगा दिया है।

हालांकि, जर्मनी और एक हद तक फ्रांस ने भी ‘फाइव आइज’ के नजरिए को अपनाने में संकोच किया है। इन दोनों में से किसी भी देश ने 5जी नेटवर्क से जुड़े प्रयोजनों के लिए हुआवेई के उपकरण के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए कोई भी नीतिगत दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है। हालांकि, इन दोनों ही देशों में इस कंपनी के खिलाफ अमेरिका द्वारा लॉबिंग की जा रही है। [9]

हुआवेई के खिलाफ चेक गणराज्य जैसे देशों में भी दबाव बढ़ रहा है जहां खुफिया सेवा ने इस कंपनी की गतिविधियों और इसके सॉफ्टवेयर के उपयोग के खतरे के खिलाफ आगाह किया है। यही नहीं, प्रधानमंत्री द्वारा कदाचित इस पर माफी मांगने पर विवाद उत्‍पन्‍न हुआ। [10] इसकी गूंज पोलैंड में भी सुनी गई है, जहां प्रधानमंत्री ने हाल ही में चीन एवं रूस के खिलाफ ‘प्रतिरोध’ को बनाए रखने की आवश्यकता जताई है। यही नहीं, पोलैंड के विदेश मंत्रालय ने दिसंबर 2018 में साइबर जासूसी से जुड़े मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए एक वक्‍तव्‍य जारी किया, जिसमें ‘उसके साझेदारों द्वारा चीन पर आक्षेप लगाने से जुड़ी बातें भी शामिल हैं।’ [11]

नए साल में पौलैंड के अधिकारियों ने चीन के लिए जासूसी करने के मद्देनजर हुआवेई के एक चीनी कर्मचारी सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया। एक अदालत ने उन्हें तीन महीने हिरासत में रखने का आदेश दिया। हालांकि, इन दोनों ने ही जुर्म नहीं कबूला है। [12]

वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, पोलैंड मध्य एवं पूर्वी यूरोप में हुआवेई का सबसे बड़ा बाजार रहा है और पिछले साल वहां की सरकार ने इस कंपनी को अपनी 5जी रणनीति के आधिकारिक साझेदार के रूप में निर्दिष्ट किया था। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह भी कहा था कि यह कंपनी राजधानी में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र का निर्माण करेगी, जो उसके द्वारा वहां पहले से ही संचालित की जा रही अनुसंधान एवं विकास यूनिट के अलावा होगी। [13]

भारत और हुआवेई

इस बीच, भारत ने आपत्तियां या चिंताएं जताए जाने के बावजूद हुआवेई को 5जी उपकरण के क्षेत्र परीक्षणों (फील्‍ड ट्रायल) में भाग लेने की अनुमति देकर एक स्वतंत्र मार्ग अपनाया है। भारतीय एजेंसियों ने भारतीय नेटवर्कों में चीन द्वारा निर्मित दूरसंचार उपकरणों के उपयोग पर कई मर्तबा चिंताएं व्यक्त की हैं। हालांकि, भारतीय कंपनियों ने यह पाया है कि चीन द्वारा निर्मित उपकरणों की बदौलत ही वे उन मामूली दरों पर अपनी सेवाएं मुहैया कराने में सक्षम हो पाई हैं जो संभवत: दुनिया में सबसे कम हैं। [14]

हुआवेई पिछले कई दशकों से भारत में सक्रिय है। वर्ष 1999 में इस कंपनी ने बेंगलुरू में एक अनुसंधान एवं विकास केंद्र की स्थापना की थी जिसे कंपनी द्वारा संचालित उसकी सबसे बड़ी विदेशी इकाई या यूनिट माना गया है। लगभग 4,000 इंजीनियरों वाली यह यूनिट उभरती तकनीकों से जुड़े अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर का विकास करने सहित कई गतिविधियों में जुटी हुई है।[15] हुआवेई के 4जी स्मार्टफोन भारत में व्यापक रूप से उपयोग किए जा रहे हैं, जबकि ‘ऑनर’ को सर्वाधिक बिकने वाले फोनों में से एक बताया जा रहा है। [16]

भविष्य पर नजर

इन आरोपों के बावजूद कि हुआवेई के उपकरण कहीं से भेजे गए संचार को बाधित करके उन्‍हें पढ़-सुन (इंटरसेप्‍ट) भी सकते हैं, किसी ने भी अब तक इस आरोप को सही साबित नहीं किया है। वर्ष 2012 में अमेरिकी कांग्रेस में सुनवाई के दौरान हुआवेई और जेडटीई के अधिकारियों ने इन कंपनियों पर चीन की सरकार का नियंत्रण होने की बात से साफ इनकार किया।

समस्या दरअसल चीन में सरकार और निजी उद्यमों के आपसी संबंधों के स्‍वरूप से उत्पन्न होती है। पार्टी की समितियां अब निजी क्षेत्र की सभी कंपनियों में अनिवार्य हैं। चाहे कुछ भी हो, इनमें से ज्‍यादातर उद्यम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, सरकार-समर्थित फंडों और विशेष प्रयोजन वाहनों या विशिष्‍ट कंपनी (एसपीवी) के जरिए सरकार से जुड़े होते हैं।

चीन की कंपनियां सरकारी संस्थाओं द्वारा की गई साइबर-जासूसी के अनगिनत उदाहरणों के कारण लगाए जाने वाले गंभीर या कष्‍टदायक आरोपों से बच नहीं सकती हैं। स्‍वयं इस कंपनी ने अपने आलोचकों द्वारा उद्धृत हर दृष्टांत से साफ इनकार किया है।

अब नवंबर 2017 में नेशनल पीपुल्स कांग्रेस द्वारा पारित चीन के एक कानून के रूप में एक बड़ी समस्या है, जिसके तहत सरकार के खुफिया कार्यों में चीन के लोगों और संस्थाओं के सहयोग को अनिवार्य कर दिया गया है। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राष्ट्रीय खुफिया कानून के अनुच्छेद 7 में कहा गया है कि ‘सभी संगठन एवं नागरिक, कानून के अनुसार, राष्ट्रीय खुफिया कार्य का समर्थन करेंगे और इसमें सहयोग करेंगे।’ अनुच्छेद 12 में यह लिखा हुआ है कि सरकार की खुफिया एजेंसियां ‘संबंधित व्यक्तियों एवं संगठनों के साथ सहयोगात्‍मक संबंध स्थापित कर सकती हैं और उन्हें प्रासंगिक कार्य करने का जिम्‍मा सौंप सकती हैं।’ [17]

वैसे तो इस बात की ही प्रबल संभावना है कि हुआवेई मुद्दा 5जी उपकरणों के लिए दुनिया को दो प्रौद्योगिकी मानकों में विभाजित कर सकता है, लेकिन विभिन्‍न देशों जैसे कि भारत के लिए यह वास्तव में एक दुविधा है क्‍योंकि उसका बाजार कीमतों के मामले में अत्‍यंत संवेदनशील है।

जहां तक जासूसी का सवाल है, भारत दरअसल चीन या पश्चिमी देशों के आपूर्तिकर्ताओं से जुड़े जोखिम को टाल नहीं सकता है क्‍योंकि वह अपने ज्‍यादातर दूरसंचार उपकरणों का आयात करता है। हालांकि, भारत अधिक-से-अधिक इतना ही कर सकता है कि वह स्वयं की संतुष्टि की खातिर इन उपकरणों की जांच के लिए विभिन्‍न प्रोटोकॉल और परीक्षण विकसित कर सकता है। हालांकि, यदि दो अलग-अलग आर्थिक एवं तकनीकी क्षेत्रों में दुनिया का नए सिरे से सीमांकन होता है, तो वैसी स्थिति में अन्य विकासशील देशों के साथ-साथ भारत भी नुकसान में रह सकता है।


[1] Raymond Zhong, “Huawei’s reclusive founder rejects spying and praises Trump”, New York Times Jan 15, 2019.

[2] Rob Taylor and Sara Germano, “At gathering of spy chiefs, U.S., allies agree to contain Huawei”, Wall Street Journal updated on December 14, 2018.

[3] Bloomberg News, “Chinese telecom executives deny government control at US hearing”, New York Times, September 14, 2012.

[4] Paul MOzur, “AT&T drops Huawei’s new smartphone amid security worries”, New York Times Jan 9, 2018.

[5] Paul Mozur, Huawei, “Chinese technology giant, is focus of widening US Investigation”, New York Times, April 26, 2017.

[6] Louise Lucas and Nic Fildes, “Huawei to help set 5G standards”, Financial Times November 30, 2016.

[7] Elsa Kania “Much ado about Huawei (part 1)” The Strategist (ASPI) March 27, 2018.

[8] Maegan Vazquexz, Joshua Berlinger and Betsy Klein, “FCC chief opposes Trump administration 5G network plan“, CNN Politics January 30, 2018.

[9] Huawei claims Germany, France and Japan using its 5G products”, Asia Times December 22, 2018.

[10] “Documentary: What NUKIB writes in Huawei’s warning”, Neovlivini.cz, December 27, 2018.

[11] “Poland MFA statement on commercial cyber espionage”, Twitter December 21, 2018.

[12] Charles Riley and Antonia Mortenson “Huawei executive arrested in Poland on spying charges”, CNN January 11, 2019

[13] Drew Hinshaw and Dan Strumpf “Chinese Huawei executive is charged with espionage in Poland”, Wall Street Journal, January 11, 2019 .

[14] Amitendu Palit, “India took right call on Huawei”, Financial Express December 27, 2018.

[15] https://www.bgr.in/news/huaweis-bengaluru-rd-centre-now-largest-for-the-company/

[16] Abhishek Baxi, “Huawei is finally making a significant dent in the Indian smartphone market”, Forbes April 30, 2018.

[17] Elsa Kania, “Much ado about Huawei (part 2) The Strategist (ASPI)” March 28, 2018.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.