Published on Jan 05, 2021 Updated 0 Hours ago

चीन ने अपनी आर्थिक रणनीति को विश्व मंच पर पेश किया

चीन के घरेलू बाज़ार पर शी जिनपिंग का दांव होगा कितना कामयाब?

पिक्चर कैप्शन-4 नवंबर को शंघाई में तीसरे चाइना इंटरनेशनल इंपोर्ट एक्सपो के उद्घाटन समारोह में भाषण देते हुए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने देश की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन का संकेत दिया है. शी जिनपिंग ने इसके लिए 19 नवंबर 2020 को हुए एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) के CEO डायलॉग के मंच का उपयोग किया. चीन की नई आर्थिक नीति को ‘डुअल सर्कुलेशन’ या दोहरे प्रसार का नाम दिया गया है. चीन के मीडिया में इसकी चर्चा तो बहुत दिनों से चल रही थी. लेकिन APEC के मंच पर शी जिनपिंग के भाषण से चीन की नई आर्थिक नीति की तस्वीर कुछ और साफ़ हुई है.

जब से देंग शाओपिंग ने चीन की कमान संभाली और अपने देश की अर्थव्यवस्था में ‘खुलेपन और सुधार’ की शुरुआत की, तब से लेकर अगले तीन दशकों के दौरान चीन, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए चीन ने अपने यहां बनने वाले हर उत्पाद का बाक़ी दुनिया को निर्यात करने का मॉडल अपनाया था. 

जब से देंग शाओपिंग ने चीन की कमान संभाली और अपने देश की अर्थव्यवस्था में ‘खुलेपन और सुधार’ की शुरुआत की, तब से लेकर अगले तीन दशकों के दौरान चीन, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए चीन ने अपने यहां बनने वाले हर उत्पाद का बाक़ी दुनिया को निर्यात करने का मॉडल अपनाया था. लेकिन, अब ऐसा लगता है कि शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन के योजनाकारों को ये एहसास हो गया है कि उन्हें निर्यात के भरोसे विकास पर आधारित इस रणनीति (या बाहरी प्रसार) को बिना पूरी तरह त्याग किए बग़ैर बदलना ही होगा.

चीन की आर्थिक रणनीति में इस परिवर्तन की धुरी होगा उसका ‘घरेलू बाज़ार’ (guónèi shìchǎng — 国内市场). इसके प्रमुख कारण इस तरह हैं:

पहले तो चीन की अर्थव्यवस्था अब बढ़कर 100 ख़रब युआन या (लगभग 15 ख़रब डॉलर) की हो चुकी है. अब देश की प्रति व्यक्ति GDP 10 हज़ार डॉलर को पार कर चुकी है. इसके चलते आज चीन, दुनिया में मध्यम आय की सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश बन चुका है.

दूसरी बात ये कि वर्ष 2016 से 2020 के बीच चीन के शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के छह करोड़ से अधिक अवसरों का सृजन किया गया और क़रीब पांच करोड़ लोगों को ‘रहने के अयोग्य’ ठिकानों से हटाकर, शहरों में स्थित नए मकानों में बसाया गया.

आज जब अमेरिका, कोविड-19 महामारी को लेकर पूरी दुनिया में चीन को अलग-थलग करने में जुटा हुआ है. ऐसे में जब शी जिनपिंग ने ये कहा कि, ‘चीन के अंदरूनी प्रसार से पूरी दुनिया की अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों, तकनीकों और सेवाओं की मांग और बढ़ेगी’, तो ऐसा लगता है कि चीन ने अमेरिका से तनातनी के बीच, अन्य देशों की तरफ़ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है.

क्यों दे रहा है चीन दोहरे प्रसार पर ज़ोर?

चीन की ‘दोहरे प्रसार’ की आर्थिक नीति को लेकर हो परिचर्चा की शुरुआत इस तर्क से होती है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे घरेलू खपत इसका केंद्र बिंदु बनती जाती है. इसके कारण चीन की GDP में निर्यात का योगदान उसी अनुपात में घटता जा रहा है. अक्टूबर महीने में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की विशिष्ट सेंट्रल कमेटी का वार्षिक महाधिवेशन हुआ था. इस अधिवेशन का मक़सद 14वीं पंचवर्षीय आर्थिक योजना पर आख़िरी मुहर लगाना और ऐसे उपायों पर परिचर्चा करना था, जिनकी मदद से चीन ‘वर्ष 2035 तक तकनीकी इनोवेशन में विश्व में अग्रणी’ बनना चाहता है. अब दोहरा प्रसार, चीन की आर्थिक रणनीति का प्रमुख तत्व बन चुका है. आधिकारिक दस्तावेज़ों में चीन के दोहरे प्रसार पर ज़ोर देने की वजह ‘जोखिमों’ और ‘बाहरी चुनौतियों’ को बताया जा रहा है. चीन का इशारा अपने व्यापारिक साझीदारों की मौजूदा स्थिति से है. क्योंकि ये देश महामारी से जूझ रहे हैं. जिसके कारण उनके यहां चीन के उत्पादों की मांग में कमी आ रही है. चीन का व्यापक स्तर पर उत्पादन का जो मॉडल है, उसे अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के व्यापार युद्ध से भी झटका लगा है. ट्रंप ने चीन की टिकटॉक और हुआवेई जैसी तकनीकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिए हैं और अपने यहां से चीन को सेमीकंडक्टर चिप के निर्यात पर भी पाबंदियां लगा दी हैं

चीन की ‘दोहरे प्रसार’ की आर्थिक नीति को लेकर हो परिचर्चा की शुरुआत इस तर्क से होती है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ती है, वैसे-वैसे घरेलू खपत इसका केंद्र बिंदु बनती जाती है. इसके कारण चीन की GDP में निर्यात का योगदान उसी अनुपात में घटता जा रहा है.

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) की सेंट्रल कमेटी ने चीन में आधुनिक औद्योगिक उत्पादन की व्यवस्था विकसित करने और देश की आर्थिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए इन्हीं क़दमों का हवाला दिया है. चूंकि, चीन अभी भी तकनीक के कई मामलों में पश्चिमी देशों पर निर्भर है, तो अपनी नई आर्थिक रणनीति में चीन ने आधुनिकीकरण के लिए स्वदेशी तकनीक के विकास पर ज़ोर दिया है. चीन ने जिस एक अन्य क्षेत्र को प्राथमिकता देने का फ़ैसला किया है, वो है इनोवेशन के इकोसिस्टम को विकसित करना. इसके लिए निरंतर मानवीय पूंजी के निर्माण के माध्यम से पश्चिम पर निर्भरता को कम करने का लक्ष्य रखा गया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी ने अपने अंदरूनी विकास पर भी ध्यान केंद्रित करते हुए एक मज़बूत घरेलू बाज़ार, ख़ास तौर से कृषक और ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी के वितरण में सुधार करने का लक्ष्य रखा है. केंद्रीय समिति ने बाक़ी दुनिया के साथ ऐसे आर्थिक संबंध विकसित करने की प्रतिबद्धता भी जताई है, जो दोनों पक्षों के लिए फ़ायदेमंद हो.

दोहरे प्रसार की आर्थिक नीति का लक्ष्य?

चूंकि दोहरे प्रसार की आर्थिक नीति का लक्ष्य, आर्थिक विकास में घरेलू खपत की भूमिका बढ़ाने पर केंद्रित है, तो इसके लिए चीन को अपने यहां के लोगों की आमदनी बढ़ाने के साथ साथ उसके उचित वितरण को भी उच्चतम स्तर तक पहुंचाना होगा. ऐसा लगता है कि चीन ने एक ऐसे सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें ऐसा कर पाने की संभावना सबसे अधिक है. वो क्षेत्र है लॉजिस्टिक और परिवहन का नेटवर्क. निर्माण केंद्रों से उत्पादों का खपत वाले इलाक़ों तक वितरण करना, GDP का महत्वपूर्ण कारक है. चूंकि लॉजिस्टिक सेक्टर के विकास का असर ज़मीन और श्रमिक वर्ग पर भी पड़ता है, तो इसकी मदद से रोज़गार के नए अवसर पैदा करने और जीवन स्तर सुधारने की काफ़ी संभावनाएं हैं.

चीन की सरकार ने दुनिया के तमाम देशों की इन आशंकाओं को दूर करने की भी कोशिश की है कि घरेलू खपत पर ज़ोर देकर वो कहीं, ख़ुद को बाक़ी दुनिया से अलग-थलग न कर ले. चीन की सरकार ‘अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड’ वाले ऐसे छोटे और मध्यम दर्ज़े के उद्योगों को बढ़ावा देगी, जो कपड़े बनाने के काम में लगे हों. 

शी जिनपिंग मानते हैं कि एक ‘प्रभावी लॉजिस्टिक्स सिस्टम’ घरेलू और अंतररराष्ट्रीय, दोनों ही मोर्चों पर आर्थिक प्रसार के लिए ‘अहम’ होगा. इसीलिए शी जिनपिंग ने देश में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क और अंतरराष्ट्रीय हवाई मालवाहक क्षमताओं के विकास पर ज़ोर देने की बात की है. यही वजह है कि चीन में वर्ष 2035 तक एक्सप्रेसवे, हाइवे, जल परिवहन, गैस व तेल पाइपलाइन के नेटवर्क वाली परिवहन व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की योजना पर काम चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि ट्रांसपोर्ट की इस नई ग्रिड की मदद से चीन अपने दूर-दराज़ के इलाकों को जोड़ सकेगा और एक प्रांत के अंदरूनी इलाक़ों के बीच संपर्क को बेहतर बना सकेगा.

इनोवेशन को बढ़ावा देने का सीधा असर आमदनी के विकास और आत्मनिर्भर तरीक़े से तकनीकी क्षमता के निर्माण पर असर पड़ेगा. आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की क्षमताओं के विकास से लॉजिस्टिक्स और डिजिटल इकॉनमी जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के विकास में मदद मिलेगी. चीन में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास में काफ़ी दिलचस्पी ली जा रही है. कोशिश ये है कि अगले एक दशक में चीन को AI तकनीक के मामले में पूरी दुनिया का केंद्र बनाया जा सके

शी जिनपिंग इस बात पर भी ज़ोर देते रहे हैं कि आज चीन को स्वदेशी तकनीक के विकास पर ध्यान देने की सख़्त ज़रूरत है. अब ये ज़रूरत और शिद्दत से महसूस की जा रही है, क्योंकि अमेरिका ने महत्वपूर्ण तकनीकी सामान हासिल करने की चीन की कोशिशों में अड़ंगा डाल दिया है.

चीन की सरकार ने दुनिया के तमाम देशों की इन आशंकाओं को दूर करने की भी कोशिश की है कि घरेलू खपत पर ज़ोर देकर वो कहीं, ख़ुद को बाक़ी दुनिया से अलग-थलग न कर ले. चीन की सरकार ‘अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड’ वाले ऐसे छोटे और मध्यम दर्ज़े के उद्योगों को बढ़ावा देगी, जो कपड़े बनाने के काम में लगे हों. इसके अलावा चीन वर्चुअल रियलिटी, बिग डेटा और 5G के क्षेत्र में भी ऐसी ही कंपनियों को बढ़ावा देगी. इसकी मदद से चीन का इरादा विदेशी बाज़ार के विस्तार के साथ साथ मुक्त व्यापार क्षेत्रों में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना है.

कुल मिलाकर कहें, तो चीन को ये बात समझ में आ गई है कि, उसने चार दशक पहले ‘खुलेपन और सुधार’ की जो नीतियां लागू करनी शुरू की थीं, उनसे देश की आर्थिक तस्वीर बदल गई है. लेकिन इस समय महामारी के कारण, चीन के व्यापारिक साझीदारों की आर्थिक संभावनाएं काफ़ी कमज़ोर दिख रही हैं, क्योंकि वो अभी इसी चुनौती से जूझ रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका के साथ चीन के बिगड़ते संबंधों ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को मज़बूर किया है कि वो विकास के ऐसे नए आयाम की ओर बढ़े, जिसमें घरेलू और विदेशी बाज़ार एक दूसरे के पूरक बनें और घरेलू बाज़ार आर्थिक प्रगति की अगुवाई करे.

हम ये कह सकते हैं कि शी जिनपिंग के दिमाग़ में दोहरे प्रसार या ‘डुअल सर्क्युलेशन’ का विचार काफ़ी दिनों से चल रहा था. वर्ष 2012 में राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद ही शी जिनपिंग ने चीन की जनता के रहन-सहन को सुधारने की ज़रूरत बताई थी. इसके लिए जिनपिंग ने शिक्षा की सब्सिडी और इनोवेशन पर आधारित विकास की रणनीति बनाने पर ज़ोर दिया था. जिनपिंग ने अपनी किताब, ‘द गवर्नेंस ऑफ़ चाइना’ में लिखा था कि इस नुस्खे से चीन, अपनी अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत को बढ़ावा दे सकता है. शी जिनपिंग इस बात पर भी ज़ोर देते रहे हैं कि आज चीन को स्वदेशी तकनीक के विकास पर ध्यान देने की सख़्त ज़रूरत है. अब ये ज़रूरत और शिद्दत से महसूस की जा रही है, क्योंकि अमेरिका ने महत्वपूर्ण तकनीकी सामान हासिल करने की चीन की कोशिशों में अड़ंगा डाल दिया है.

चीन को इस बात का विश्वास है कि, घरेलू खपत को अपने आर्थिक विकास का प्रमुख तत्व बनाने से उसकी आम ग्राहकों के लिए उत्पाद बनाने वाली कंपनियों में निवेश को बढ़ावा मिलेगा. इसकी वजह ये है कि चीन की मध्यम आमदनी वाली आबादी का आकार बहुत बड़ा है. चीन का मानना है कि समय के साथ साथ इनोवेशन आधारित इकोसिस्टम को बढ़ावा देने से इन कंपनियों में विदेशी निवेश भी आएगा. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका से चीन को सेमीकंडक्टर के निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, उससे चीन की राष्ट्रीय औद्योगिक क्षमताओं की कमियां खुलकर सामने आ गई हैं.

चीन को इस बात का अंदाज़ा है कि उसे अपने ये सपने पूरे करने के लिए पूंजी की ज़रूरत होगी. इसीलिए, ज़मीनी स्तर पर इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है. चीन के बैंकरों के सम्मेलन-यानी अक्टूबर 2020 में बुलाए बंड शिखर सम्मेलन- का मक़सद ये दिखाना भी था कि किस तरह ‘चीन बाक़ी दुनिया के साथ अपने वित्तीय संबंधों को मज़बूत कर रहा है.’ चीन के वित्तीय क्षेत्र के नियामकों ने वादा किया है कि वो अपने यहां के पूंजी बाज़ार में निवेश की राह प्रशस्त करने के लिए और अवसरों का निर्माण करेंगे. इसके अलावा उन्होंने अपने यहां के शेयर बाज़ार में विदेशी कंपनियों की पहुंच बढ़ाने का भी वादा किया है.

 घरेलू स्तर पर इनोवेशन को बढ़ावा देने का मतलब?

चीन द्वारा घरेलू स्तर पर इनोवेशन को बढ़ावा देने का मतलब साफ़ है. आने वाले कुछ वर्षों के बाद चीन, अन्य देशों से उच्च तकनीक वाले आयात को कम करने जा रहा है. ये दक्षिण कोरिया और जर्मनी जैसे देशों के लिए चिंता की बात है. चीन के मीडिया के विश्लेषकों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था की मज़बूत बुनियाद ने इसे मौजूदा तूफ़ान का सामना करने में काफ़ी मदद की है. इन्हीं कारणों से चीन इस महामारी के दौरान भी ‘सकारात्मक आर्थिक विकास कर पाने वाला दुनिया का इकलौता देश’ बन सका है. चीन के ये एक्सपर्ट वर्ल्ड इकॉनमिक आउटलुक रिपोर्ट का भी हवाला देते हैं. इस रिपोर्ट में ये आकलन किया गया है कि चीन का ‘घरेलू ग्राहक बाज़ार’ वर्ष 2021 में अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए, बढ़कर 45 ख़रब युआन का हो जाएगा. चीन के एक्सपर्ट अपने देश के मज़बूत विकास दर बनाए रखने की एक वजह इसे भी बताते हैं.

14वीं पंचवर्षीय योजना, जिसका प्रमुख तत्व डुअल सर्कुलेशन है, उसे चीन की नेशनल पीपुल्स कांफ्रेंस द्वारा मार्च 2021 तक मंज़ूरी देने की उम्मीद है. हालांकि, अब दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के आगे के सफर पर दुनिया की बारीक़ नज़र होगी.

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