Author : Anthony Bergin

Published on Dec 25, 2021 Updated 0 Hours ago

अवैध रूप से मछली पकड़ने का मुद्दा हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच मछली पकड़ने में प्रबंधन को लेकर सहयोग और इन चुनौतियों का समाधान करने में पर्याप्त अवसर प्रदान करता है. 

अवैध रूप से मछली पकड़ने के मामले में हिंद और प्रशांत महासागर को कैसे एकजुट किया जाए

ये लेख निबंध श्रृंखला इंडो-पैसिफिक में सामरिक तौर पर ऊंची लहरें: अर्थशास्त्र, पर्यावरण और सुरक्षा का हिस्सा है. 


बंगाल की खाड़ी अवैध, अनियंत्रित और बिना सूचना (आईयूयू) के मछली पकड़ने की संवेदनशील जगह है. हिंद महासागर टूना आयोग (आईओटीसी) के संरक्षण और प्रबंधन मापदंडों का उल्लंघन करते हुए समुद्र में टूना मछली पकड़ी जा रही है और उन्हें भेजा जा रहा है. तटीय राज्य और आईओटीसी को कम रिपोर्ट की गई या रिपोर्ट नहीं की गई. कई जहाज़ हैं जो सुविधा के झंडे के तहत संचालित हो रहे हैं, देशविहीन जहाज़ हैं जो फ़र्ज़ी रजिस्ट्री के दस्तावेज़ों का इस्तेमाल करते हैं, धुंधले निशान वाले या पूरी तरह बिना निशान वाले जहाज़ हैं और बिना दस्तावेज़ वाले जहाज़ हैं. ये सभी हिंद महासागर की अवैध मछली पकड़ने की व्यापक समस्या का हिस्सा हैं. 

2019 में पश्चिमी मध्य प्रशांत महासागर में 2.96 मीट्रिक टन टूना मछली पकड़ी गई जो कि पूरे विश्व में पकड़ी गई टूना मछली का 55 प्रतिशत है. एफएफए सदस्यों की समुद्र में पकड़ी गई टूना मछली की क़ीमत 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर है. ये उद्योग 22,000 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मुहैया कराता है.

प्रशांत महासागर में 17 द्वीपों वाली फोरम फिशरीज़ एजेंसी (एफएफए) के सदस्यों का विशेष आर्थिक क्षेत्र (ईईज़ेड) दुनिया के ईईज़ेड के 28 प्रतिशत के बराबर है. 2019 में पश्चिमी मध्य प्रशांत महासागर में 2.96 मीट्रिक टन टूना मछली पकड़ी गई जो कि पूरे विश्व में पकड़ी गई टूना मछली का 55 प्रतिशत है. एफएफए सदस्यों की समुद्र में पकड़ी गई टूना मछली की क़ीमत 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर है. ये उद्योग 22,000 से ज़्यादा लोगों को रोज़गार मुहैया कराता है. इनमें से ज़्यादातर लोग तट पर काम करते हैं जबकि कुछ लोग जहाज़ों के चालक दल के सदस्य और पर्यवेक्षक के रूप में भी काम करते हैं. प्रशांत महासागर में स्थित द्वीपों के जहाज़ों का बेड़ा बढ़ता जा रहा है और इस क्षेत्र में सक्रिय 255 मछली पकड़ने वाले जहाज़ों में से क़रीब एक-तिहाई पर प्रशांत महासागर में स्थित देशों के झंडे लगे हुए हैं. इसके विपरीत समुद्र में व्यावसायिक तरीक़े से मछली पकड़ने के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले जहाज़ों पर मुख्य रूप से चीन, जापान, ताइवान, दक्षिण कोरिया, फिलिपींस और अमेरिका का वर्चस्व है. 

दूसरे महासगरों की तरह प्रशांत द्वीपों के लिए अवैध मछली पकड़ने की प्रक्रिया कई तरह के रूप-रंग में अपनाई जाती है और इसकी विशाल क़ीमत इन द्वीपों को चुकानी पड़ती है. लेकिन कई तरह से पश्चिमी मध्य प्रशांत महासागर अवैध रूप से मछली पकड़ने की निरंतर और हठी समस्या का मुक़ाबला करने का सबसे अच्छा तरीक़ा बताता है. 

अवैध ढंग से मछली पकड़ने की प्रकृति

आईयूयू फिशिंग शब्द में तीन चीज़ें हैं: अवैध, अनियमित और बिना सूचना. ज़रूरी नहीं कि इनमें से हर चीज़ पारस्परिक रूप से एक-दूसरे से अलग हों. अगर एक शरारती जहाज़ अवैध रूप से मछली पकड़ रही है तो इस बात की संभावना नहीं है कि वो जहाज़ उत्तरदायित्व के लिए अपनी गतिविधियों को लॉगबुक में रिकॉर्ड करने जा रहा है. इस तरह से गतिविधि बिना सूचना के होती है. इसी तरह शरारती जहाज़ आम तौर पर देशविहीन होते हैं या ऐसे देश से संचालित होते हैं जहां ढीला  नियामक माहौल होता है. इस प्रकार उस जहाज़ की गतिविधियां अनियमित भी होती हैं. इस तरह इनमें से हर चीज़ एक-दूसरे से काफ़ी मिलती हैं. वैश्विक स्तर पर बिना सूचना वाला पहलू सबसे ज़्यादा घातक है और आईयूयू जोखिम में सबसे बड़ा स्थान रखता है. बिना सूचना में कम जानकारी, ग़लत जानकारी और बिल्कुल भी जानकारी नहीं देना भी शामिल हैं. बिना सूचना के मछली पकड़ना अनियमित और अवैध मछली पकड़ने को काटता है. 

गतिविधियों और मछली पकड़ने की ग़लत जानकारी या पूरी तरह जानकारी नहीं देने या कम जानकारी देने के लिए व्यावसायिक प्रोत्साहन है. सूचना नहीं देने की वजह कोटा की पाबंदी से परहेज करना या फीस, शुल्क और लेवी से बचना हो सकता है. इसकी एक वजह संरक्षित प्रजातियों से बातचीत को छिपाना या उन क्षेत्रों में गतिविधियों पर पर्दा डालना हो सकता है जहां किसी तरह की गतिविधि नहीं होनी चाहिए. इसलिए अगर कम जानकारी या ग़लत जानकारी इरादतन दी जा रही है या लापरवाही- क्योंकि ये उद्योग उन सावधानियों का पालन नहीं कर रहा है जो उसे करना चाहिए- के कारण दी जा रही है तो ये सीधे-सीधे आईयूयू फिशिंग की श्रेणी में आती है. 

अनियमित ढंग से मछली पकड़ना इस फॉर्मूले का सबसे निराशाजनक हिस्सा है क्योंकि ये सरकारों की उस नाकामी की तरफ़ इशारा करते हैं कि वो एकजुट होकर मत्स्य पालन के लिए सहयोग और प्रबंधन व्यवस्था को विकसित करने में नाकाम रही हैं.

छेड़छाड़ किए गए आंकड़े स्टॉक आकलन की सटीकता पर असर डालते हैं. ये प्रबंधन व्यवस्था की निगरानी और क्रियान्वयन की क्षमता को कमज़ोर करता है. बिना सूचना के मछली पकड़ने से समुदायों को वो आर्थिक और सामाजिक फ़ायदे नहीं मिलते हैं जो उन्हें मत्स्य पालन से मिलना चाहिए. बिना सूचना के मछली पकड़ने के साथ मुख्य बिंदु ये है कि हर देश के द्वारा ये करना महत्वपूर्ण है कि वो इस बात का आकलन करे कि बिना सूचना के उसका जोखिम क्या है और उसके आधार पर उन औज़ारों को तैनात करे जो जोखिम का समाधान करते हैं. 

अनियमित ढंग से मछली पकड़ना इस फॉर्मूले का सबसे निराशाजनक हिस्सा है क्योंकि ये सरकारों की उस नाकामी की तरफ़ इशारा करते हैं कि वो एकजुट होकर मत्स्य पालन के लिए सहयोग और प्रबंधन व्यवस्था को विकसित करने में नाकाम रही हैं. प्रशांत महासागर के अनुभव की तरफ़ देखने से पहले और हिंद महासागर के लिए इसके सबक़ से पहले कुछ प्रमुख संदेश हैं. 

पहला संदेश ये है कि आईयूयू फिशिंग एक वैश्विक समस्या है और इसका वैश्विक समाधान करने की ज़रूरत है. ऐसा कोई भी देश, क्षेत्रीय मत्स्य पालन प्रबंधन संगठन या एनजीओ नहीं है जो अपने दम पर आईयूयू फिशिंग की समस्या का समाधान कर सके. दूसरा संदेश ये है कि कोई आईयूयू फिशिंग में सिर्फ़ अवैध मत्स्य पालन पर ध्यान केंद्रित करने का जोखिम नहीं उठा सकता है. तीसरा संदेश है कि ग़लत जानकारी समेत बिना जानकारी वाली मत्स्य पालन की गतिविधियों का मत्स्य पालन प्रबंधन व्यवस्था के जोखिम पर आंकड़े से छेड़छाड़ के ज़रिए अवैध मत्स्य पालन से भी ज़्यादा प्रवाह है. चौथा संदेश है कि अनियमित मत्स्य पालन से सरकारी स्तर पर निपटा जाना चाहिए. पांचवां संदेश है कि हर देश को अपने हिसाब से लगातार नज़र रखने की ज़रूरत है कि उसके लिए आईयूयू फिशिंग का जोखिम क्या है. वैसे तो ये संभव नहीं है कि आईयूयू के हर हिस्से का जवाब दिया जाए लेकिन ये महत्वपूर्ण है कि सबसे ज़रूरी चीज़ों का समाधान किया जाए. आख़िर में, जिस तरह हर तटीय देश आईयूयू मत्स्य पालन के जोखिम का पर्याप्त ढंग से समाधान करने के लिए दूसरे देश पर निर्भर करता है, वैसे में सहयोग बेहद अहम है. 

अवैध मछली पकड़ने को लेकर प्रशांत महासागर से सबक़ 

आईयूयू फिशिंग का मुक़ाबला करने में प्रशांत महासागर से हिंद महासागर के लिए सबसे ज़रूरी सबक़ ये है कि एक क्षेत्र तटीय देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग के ज़रिए निगरानी नियंत्रण और चौकसी के प्रभाव को कई गुना बढ़ा सकता है. जहाज़ों की निगरानी की प्रणाली और आंकड़ों को साझा करने के मामले में हिंद महासागर के संगठनों के साथ प्रशांत महासागर के लिए आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण अवसर हैं. प्रशांत महासागर अब मत्स्य पालन पर्यवेक्षण को बढ़ाने और उसमें मदद देने में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली की तरफ़ आगे बढ़ रहा है. 

हिंद महासागर के लिए सोलोमन द्वीप के होनियारा में स्थित रीजनल फिशरीज़ सर्विलांस सेंटर से सीखने का एक वास्तविक अवसर है. हिंद महासागर राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र पर्यवेक्षकों के मानकीकृत पर्यवेक्षक प्रशिक्षण के बारे में प्रशांत महासागर से काफ़ी कुछ सीख सकता है; ये प्रशांत महासागर के मुक़ाबले हिंद महासागर में बहुत कम विकसित है. 

तथाकथित हिंद महासागर टूना आयोग के समान विचार वाले 16 तटीय देशों का ग्रुप (जी16) हिंद महासागर में प्रशांत महासागर की द्वीपीय फोरम फिशरीज़ एजेंसी के तटीय देशों का सबसे नज़दीकी समूह है. जी16 आईयूयू के मुद्दे को बड़ी चुनौती के रूप में ले सकता है और अपने सदस्य देशों के बीच प्रशांत महासागर में मछली पकड़ने वाले संस्थानों के साथ हिस्सेदारी के ज़रिए क्षमता और विश्वास का निर्माण कर सकता है. 

जहाज़ों की निगरानी की प्रणाली और आंकड़ों को साझा करने के मामले में हिंद महासागर के संगठनों के साथ प्रशांत महासागर के लिए आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण अवसर हैं. प्रशांत महासागर अब मत्स्य पालन पर्यवेक्षण को बढ़ाने और उसमें मदद देने में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली की तरफ़ आगे बढ़ रहा है.

हिंद महासागर में सीमित मत्स्य पालन की जानकारी में काफ़ी कुछ एक साथ मौजूद हैं. हिंद महासागर के अलग-अलग मछली पकड़ने वाले संस्थान तीन अलग-अलग संस्थाओं के पास जाते हैं. हिंद महासागर में प्रशांत महासागर के साथ सहयोग की संभावना है, संभवत: सूचना के आंकड़ों के लिए एक केंद्रीय प्रबंधन को स्थापित करने में सहायता के विकल्प की.

तटीय देशों के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन में मत्स्य पालन के लिए एक समान न्यूनतम शर्तों और परिस्थितियों के विकास पर हिंद महासागर प्रशांत महासागर के मत्स्य पालन संस्थानों के साथ ज़्यादा बातचीत का फ़ायदा उठा सकता है. इससे मछली पकड़ने वाले बड़े देशों के द्वारा एक द्वीपीय देश को दूसरे से लड़ाने से रोका जा सकता है. हिंद महासागर में जहाज़ों के ज़रिए भेजने का प्रबंधन एक बड़ा मुद्दा है: इस मामले में प्रशांत महासागर के साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान उपयोगी होगा. 

प्रशांत महासागर से हटकर हिंद महासागर के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक ज़ोन के बदले समुद्र में काफ़ी ज़्यादा मत्स्य पालन होता है. इस वजह से हिंद महासागर के तटीय देशों के लिए अपने मत्स्य पालन पर नियंत्रण पाना काफ़ी ज़्यादा मुश्किल है. लेकिन हिंद महासागर के तटीय देशों के पास बंदरगाह पर सरकार का नियंत्रण है, 200 मील से आगे क्या होता है उस पर अपनी स्थिति को वो प्रभावित और एकजुट कर सकते हैं. बंदरगाह पर सरकार के नियंत्रण की भूमिका सागर के पार सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए उपयोगी क्षेत्र हैं. 

प्रशांत महासागर से हटकर हिंद महासागर में मत्स्य पालन विज्ञान का एक भी स्वतंत्र प्रदान कर्ता नहीं है. प्रशांत महासागर इस मामले में भाग्यशाली है कि वहां नॉमी में पैसिफिक कम्युनिटी रीजनल ऑर्गेनाइज़ेशन के ज़रिए स्वतंत्र विज्ञान की क्षमता है. प्रशांत महासागर के स्वतंत्र विज्ञान के मॉडल को देखकर हिंद महासागर के लिए अवसर हैं. प्रशांत महासागर को इस बात का लाभ है कि उसने आईयूयू के एक व्यापक मात्रा निर्धारण अध्ययन को पूरा किया है. 

14 दिसंबर 2021 को एफएफए ने एक ताज़ा अध्ययन जारी किया जिसमें अनुमान लगाया गया है कि 2017-19 के बीच आईयूयू गतिविधियों के द्वारा प्रशांत महासागर में 1,92,186 टन टूना मछली का उत्पादन हुआ या उसे जहाज़ के द्वारा भेजा गया. इसकी क़ीमत क़रीब 333 मिलियन अमेरिकी डॉलर है (जहाज़ से उतारने के बाद क़ीमत). इससे पहले के एक अध्ययन में 2010-15 के बीच आईयूयू गतिविधियों के ज़रिए 3,06,440 टन मछलियों का उत्पादन हुआ या उसे जहाज के द्वारा भेजा गया जिसकी क़ीमत 616 मिलियन डॉलर थी. 

एक मात्रा निर्धारण का अध्ययन हिंद महासागर के तटीय देशों के लिए आईयूयू फिशिंग की समस्या को लेकर साथ काम करने में प्रोत्साहन और आंकड़े मुहैया कराएगा. 

हिंद महासागर में ग़ैर-सरकारी संगठनों के लिए उपयोगी भूमिका है जैसे कि ग्लोबल फिशिंग वॉच. फिश-I अफ्रीका पश्चिमी हिंद महासागर में अवैध रूप से मछली पकड़ने का मुक़ाबला करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के कार्यान्वयन विभागों, क्षेत्रीय संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को इकट्ठा करता है. दी स्टॉप इलिगल फिशिंग ग्रुप अफ्रीका के देशों के साथ काम करता है. ये एनजीओ आईयूयू के मुद्दे पर प्रशांत महासागर के क्षेत्रीय मत्स्य पालन संस्थाओं के साथ बातचीत का लाभ उठा सकते हैं. हिंद महासागर और प्रशांत महासागर खाद्य और कृषि संगठन की मत्स्य पालन समिति जैसे मंचों पर आईयूयू को लेकर वैश्विक चर्चा के संबंध में नज़दीकी सहयोग का भी फ़ायदा उठा सकते हैं. 

लेकिन ये रातों-रात नहीं होगा. हिंद महासागर में शुरू करने की सबसे अच्छी जगह है पूरे क्षेत्र में मत्स्य पालन के निगरानी नियंत्रण और चौकसी अधिकारियों के बीच भरोसे के अनौपचारिक नेटवर्क का निर्माण. मत्स्य पालन प्रबंधन पर कुछ असहमति वाले मुद्दों के मुक़ाबले आईयूयू पर सहयोग हिंद महासागर के लिए संभवत: ज़्यादा आसान है. ये उस स्थिति के लिए भी सही है जब बाद में किसी समय पर ये क्षेत्र अपने मत्स्य पालन वाले तटीय देशों के समूह को एक संधि की व्यवस्था में बदल लेता है. आईओटीसी का जी16 समूह वर्तमान में अनौपचारिक है लेकिन ये संभवत: (या कोई अलग समूह) औपचारिक संधि की बातचीत के ज़रिए बन सकता है. 

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