Published on May 29, 2024 Updated 0 Hours ago

गज़ा संकट मानवाधिकारों और गरिमा को बरकरार रखने के लिए जवाबदेह अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की कमियों का साफ सबूत है

गाज़ा में ध्वस्त स्वास्थ्य सेवा: अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून को बरकरार रखने में पूरी दुनिया नाकाम

अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है अलग-अलग देशों के द्वारा युद्ध और संघर्ष की अव्यवस्था के बीच स्वास्थ्य देखभाल को लेकर स्पष्ट प्रतिबद्धता. अराजकता और दुश्मनी के माहौल में अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) गोलीबारी में फंसे लोगों की मदद करने के लिए हेल्थकेयर सिस्टम और मेडिकल मिशन की रक्षा के अपने निर्देशों के माध्यम से इस सर्वसम्मति को दोहराता है. इसके बावजूद गज़ा एन्क्लेव की मौजूदा वास्तविकताएं एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती हैं.  

लगातार बमबारी और हमलों ने परेशानी में फंसी गज़ा पट्टी में लगभग सभी स्वास्थ्य देखभाल की सुविधाओं को अस्थायी युद्ध के मैदान में बदल दिया है. ये मानवीय मूल्यों में दुखद गिरावट है. गज़ा में हेल्थकेयर सिस्टम ध्वस्त हो गया है; UN के डेटा के अनुसार (11 अप्रैल 2024 तक) स्वास्थ्य देखभाल के केंद्रों पर चौंका देने वाले 804 हमले दर्ज किए गए हैं जिसकी वजह से 36 में से केवल 10 अस्पताल आंशिक रूप से काम कर रहे हैं. लगातार मांग और घटते संसाधनों की वजह से इन केंद्रों की सुविधाएं चरमरा गई हैं. स्वास्थ्य केंद्रों और कर्मियों पर निशाना बनाकर किए गए हमलों के साथ-साथ जान-बूझकर सहायता न पहुंचने देने से पहले से ही ख़राब स्थिति और बिगड़ गई है. गज़ा को अपनी चपेट में लेने वाला स्वास्थ्य संकट पूरी तरह से तबाही की तस्वीर की तस्वीर पेश करता है और दुनिया भर में संघर्ष के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक हमलों को उजागर करता है.  

ये लेख दलील देता है कि गज़ा संकट केवल भू-राजनीतिक गतिरोधों से आगे है. ये मानवाधिकारों एवं गरिमा और कम-से-कम मानवीय कानून के सिद्धांतों को बरकरार रखने के लिए जवाबदेह अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की कमियों का साफ सबूत है.

ये लेख दलील देता है कि गज़ा संकट केवल भू-राजनीतिक गतिरोधों से आगे है. ये मानवाधिकारों एवं गरिमा और कम-से-कम मानवीय कानून के सिद्धांतों को बरकरार रखने के लिए जवाबदेह अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की कमियों का साफ सबूत है. ये कड़वी वास्तविकता दुनिया भर में संघर्ष के क्षेत्रों में हेल्थकेयर पर हमलों के व्यापक पैटर्न का सामना करने के लिए एक जटिल कानूनी चर्चा की तुरंत आवश्यकता को रेखांकित करती है.      

गज़ा-फिलिस्तीन में स्वास्थ्य से जुड़े व्यापक नतीजे

जैसे-जैसे गज़ा में युद्ध के महीने बीत रहे हैं, जिसे बहुत से लोग 21वीं शताब्दी के सबसे ख़तरनाक और सबसे भयानक सैन्य अभियानों में से एक के रूप में बताते हैं, वैसे-वैसे मानवीय जीवन और स्वास्थ्य पर असर बुरा होता जा रहा है. संघर्ष शुरू होने के बाद से 34,900 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जो कि इस क्षेत्र में हुए पहले के संघर्षों में मौतों से ज़्यादा है. लेकिन गज़ा में स्वास्थ्य संकट युद्ध के तात्कालिक हताहतों से ज़्यादा फैला हुआ है.

मेडिकल सप्लाई, बिजली और साफ पानी की बहुत ज़्यादा कमी के साथ ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता ने बेहद ख़राब स्थिति बना दी है. हाल की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि लाखों लोग भुखमरी और कुपोषण के ख़तरों का सामना कर रहे हैं जबकि गज़ा पट्टी की पूरी आबादी बहुत ज़्यादा खाद्य असुरक्षा से जूझ रही है. UN रिपोर्ट के अनुसार गज़ा में अकाल का ख़तरा मंडरा रहा है. इस संकट ने पूरी जनसंख्या को गैर-संचारी रोगों, मानसिक स्वास्थ्य में ख़राबी और संक्रामक बीमारी के प्रकोप समेत कई तरह की स्वास्थ्य चुनौतियों को लेकर असुरक्षित बना दिया है.

जिनेवा समझौता (IV) कहता है कि संघर्ष में शामिल पक्षों को आम लोगों, ख़ास तौर पर घायलों और बीमारों, की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके साथ-साथ चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले लोगों जैसे कि मैटरनिटी के मामलों, बीमारी से पीड़ितों, नवजात शिशुओं और तत्काल इलाज की देख-रेख वाले किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए.

स्वास्थ्य सुविधाओं और सहायता कर्मियों पर लगातार हमलों ने स्थिति को केवल बिगाड़ा है और ये  गज़ा को उस तरफ ले जा रहा है जो जल्द ही हाल के समय का सबसे ख़राब मानवीय संकट बन सकता है. इसके नतीजतन गज़ा में पहले से कमज़ोर हेल्थकेयर सिस्टम ध्वस्त होने के कगार पर है जो न केवल तुरंत स्वास्थ्य देखभाल के लिए ख़तरा है बल्कि लोगों की सेहत से जुड़ी ज़रूरत का जवाब देने में दीर्घकालीन क्षमता के लिए भी. 

अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून की भूमिका

IHL मानवीय उद्देश्यों के लिए सशस्त्र संघर्षों के असर को कम करने में सावधानीपूर्वक नियम तय करता है. इसमें अंतर्राष्ट्रीय संधियों और पारंपरिक नियमों समेत नियमों की एक सार्वभौमिक (यूनिवर्सल) रूप-रेखा शामिल है जो सशस्त्र संघर्षों की वजह से आने वाली मानवीय चुनौती का समाधान करने के लिए तैयार की गई है. इसके मूल में चार जिनेवा समझौते हैं जिन्हें सैनिकों और आम लोगों पर युद्ध के असर को ठीक करने के लिए 1864 और 1949 के बीच अपनाया गया था. इसके अलावा तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल हैं जिन्हें 1977 और 2005 के बीच अपनाया गया था.

जिनेवा समझौता (IV) कहता है कि संघर्ष में शामिल पक्षों को आम लोगों, ख़ास तौर पर घायलों और बीमारों, की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. इसके साथ-साथ चिकित्सा सहायता की आवश्यकता वाले लोगों जैसे कि मैटरनिटी के मामलों, बीमारी से पीड़ितों, नवजात शिशुओं और तत्काल इलाज की देख-रेख वाले किसी भी व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. अतिरिक्त प्रोटोकॉल I के अनुच्छेद 8 (a) में इसका ज़िक्र किया गया है. ये कानून व्यापक रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं और कर्मियों पर भी इस सुरक्षा को लागू करता है. जिनेवा समझौता (I) के अनुच्छेद 24 के अनुसार विशेष रूप से चिकित्सा देखभाल प्रदान करने, बीमारियों की रोकथाम या बीमार और घायल लोगों को ले जाने में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का सम्मान करने और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता है जो कि बीमार और घायल लोगों को दी जाने वाली सुरक्षा के समान है.  

पहले जिनेवा समझौते का अनुच्छेद 19 इस बात पर ज़ोर देता है कि स्थायी प्रतिष्ठानों और मोबाइल मेडिकल यूनिट पर किसी भी परिस्थिति में हमला नहीं होना चाहिए बल्कि संघर्ष में शामिल सभी पक्षों के द्वारा हर समय उनका सम्मान और सुरक्षा होनी चाहिए. इसी तरह चौथे जिनेवा समझौते का अनुच्छेद 18 स्पष्ट रूप से गैर-सैन्य अस्पतालों पर हमलों को रोकता है जबकि अनुच्छेद 19 लगातार इनके सम्मान और सुरक्षा पर ज़ोर देता है जब तक कि इनका इस्तेमाल दुश्मन के लिए नुकसानदायक न हो.  

अंतर्राष्ट्रीय अपराध अदालत के रोम अधिनियम के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ परिवहन एवं नागरिक संरचना, आस-पास के क्षेत्रों और लोगों पर जान-बूझकर हमले भी युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं.

इन प्रावधानों के बावजूद गज़ा में हाल की घटनाएं इन सिद्धांतों को बनाए रखने की अवहेलना के स्पष्ट उदाहरण हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं एवं कर्मियों पर जान-बूझकर हमला और एंबुलेंस के आवागमन पर प्रतिबंध के साथ मेडिकल सप्लाई को रोकने वाली नाकेबंदी यूनिवर्सल मानवीय नियमों के ज़बरदस्त उल्लंघन के बारे में बताती है. 

इज़रायल की सेना, जो आनुपातिकता और नुकसान कम करने के सिद्धांतों का हवाला देती है, नागरिकों और सिविलियन इंफ्रास्ट्रक्चर पर जान-बूझकर हमलों के बारे में गंभीर सवाल उठाती है. इस औचित्य का विस्तार इज़रायल के द्वारा कानूनी बाध्यताओं की व्याख्या तक है, विशेष रूप से अतिरिक्त प्रोटोकॉल I के अनुच्छेद 57(2)(a)(iii) में निहित आनुपातिकता के कर्तव्य तक. हालांकि नागरिकों के नुकसान, ख़ास तौर पर अस्पतालों पर हमले, को कम करने के लिए उठाई गई व्यावहारिक सावधानियों की सीमा को लेकर संदेह पैदा होता है जो अनुच्छेद 19 के तहत छूट के उपनियम की स्पष्टता में कमी को उजागर करता है.  

व्यापक हमले न केवल ज़रूरी मानवीय सिद्धांतों को लेकर इज़रायल की अवहेलना के बारे में चिंता बढ़ाते हैं बल्कि अलग-अलग अंतर्राष्ट्रीय समझौतों में उल्लिखित दायित्वों का भी उल्लंघन करते हैं. उदाहरण के लिए, सशस्त्र संघर्ष में नागरिकों की सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) का प्रस्ताव नागरिकों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा की ज़रूरत पर ज़ोर देता है. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2286 अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (IHL) के महत्व को रेखांकित करता है और संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से अनुरोध करता है कि वो पूरी तरह से इसका पालन करें, विशेष रूप से चिकित्सा कर्मियों और स्वास्थ्य सुविधाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में. 

मानवीय संकट में बढ़ोतरी को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं पर हमलों को युद्ध अपराध की श्रेणी में रखने की मांग ने ज़ोर पकड़ा है. अंतर्राष्ट्रीय अपराध अदालत के रोम अधिनियम के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ परिवहन एवं नागरिक संरचना, आस-पास के क्षेत्रों और लोगों पर जान-बूझकर हमले भी युद्ध अपराध की श्रेणी में आते हैं. रोम अधिनियम का अनुच्छेद 8 युद्ध अपराधों की एक लंबी सूची को परिभाषित करता है जिसमें “धर्म, शिक्षा, कला, विज्ञान या परोपकार के उद्देश्य से बनी इमारतों, ऐतिहासिक स्मारकों, अस्पतालों और बीमार एवं घायल लोगों के इकट्ठा होने की जगह को जान-बूझकर निशाना बनाकर किए गए हमलों” को रखा गया है. गज़ा में इज़रायली सेना के द्वारा मौजूदा सैन्य अभियान, जिसकी ख़ासियत बमबारी और लगातार घेराबंदी है, बर्बादी के लिए ज़िम्मेदार लोगों को लेकर जवाबदेही के तंत्र की पूरी पड़ताल की ज़रूरत पर ज़ोर देता है. गज़ा में हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्थित तबाही मानवीय नियमों को लागू करने की तरफ फिर से ध्यान खींचती है.  

जवाबदेही की नाकामी और उसके नतीजे

गज़ा की स्थिति को सुधारने और जवाबदेही तय करने में पूरी तरह से नाकामी लोगों की असहनीय तकलीफ को बढ़ा रही है, सज़ा से छूट और अन्याय के चक्र को कायम रख रही है. IHL के स्पष्ट रूप से उल्लंघन के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और अलग-अलग देश छानबीन और मुकदमेबाज़ी के ज़रिए अपराधियों को जवाबदेह ठहराने में लगातार असफल साबित हुए हैं. जवाबदेही की ये अनुपस्थिति न केवल कानून के शासन को कमज़ोर करती है बल्कि आगे और अधिक उल्लंघनों को भी बढ़ावा देती है जिससे एक ख़तरनाक उदाहरण तैयार होता है. 

अलग-अलग देश वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान करके सहयोग का वादा करें. मई 2006 और 2012 में विश्व स्वास्थ्य सभा के द्वारा पारित प्रस्ताव मानवीय आपातकाल में मदद प्रदान करने और मानवीय काम करने वाली एजेंसियों के कामों को सुविधाजनक बनाने के लिए अलग-अलग देशों की सामूहिक जवाबदेही को रेखांकित करते हैं.

इस नाकामी का एक प्रमुख उदाहरण है दक्षिण अफ्रीका के द्वारा लाए गए एक मामले में 26 जनवरी 2024 को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के द्वारा किए गए एक फैसले की घोर अवहेलना. नरसंहार की रोकथाम के समझौते के अनुच्छेद II के तहत इज़रायल को अपने निर्देश में ICJ ने साफ तौर पर गज़ा में फिलिस्तीनियों को नुकसान पहुंचाने वाली कार्रवाइयों को रोकने का आदेश दिया था. लेकिन इस निर्देश के बावजूद बमबारी जारी रही. ये अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दायित्वों को लेकर घोर उपेक्षा दिखाता है. इज़रायल के हवाई हमले में सहायता कर्मियों की हत्या और मानवीय मदद रोकने की हाल की घटनाएं जवाबदेही नहीं होने के परिणामों को उजागर करती हैं. इज़रायल के द्वारा इन कार्रवाइयों को गैर-इरादतन बताकर सही ठहराने की कोशिशों की जांच होनी चाहिए. ये घटनाएं अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत लापरवाही की स्वीकार्य सीमा के बारे में सवाल पैदा करती हैं.  

दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कार्यकारी बोर्ड ने पहली बार एक सक्रिय संघर्ष पर ध्यान दिया और बहुत अधिक चर्चा के बाद अंतर्राष्ट्रीय मानवीय दायित्वों को बनाए रखने के एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दी और UN चार्टर के अनुच्छेद 99 के तहत मानवीय युद्धविराम की UNGA की अपील का समर्थन किया.

गज़ा में जवाबदेही की नाकामी और स्वास्थ्य संकट पर ध्यान देने के लिए तुरंत कई उपाय ज़रूरी हैं. सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय समुदाय IHL को बनाए रखने और लागू करने की प्रतिबद्धता फिर से जताए, विशेष रूप से युद्ध के दौरान स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान के संबंध में. दूसरा, सज़ा से बचने के चक्र को तोड़ने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघनों की स्वतंत्र और पारदर्शी छानबीन होनी चाहिए. तीसरा, क्षमता निर्माण की पहल के माध्यम से गज़ा के हेल्थकेयर सिस्टम को मज़बूत बनाने और लोगों तक ज़रूरी सेवाएं बिना किसी रुकावट के पहुंचाने को सुनिश्चित करने पर ध्यान देने की कोशिश होनी चाहिए.   

अंत में, अलग-अलग देश वित्तीय और मानवीय सहायता प्रदान करके सहयोग का वादा करें. मई 2006 और 2012 में विश्व स्वास्थ्य सभा के द्वारा पारित प्रस्ताव मानवीय आपातकाल में मदद प्रदान करने और मानवीय काम करने वाली एजेंसियों के कामों को सुविधाजनक बनाने के लिए अलग-अलग देशों की सामूहिक जवाबदेही को रेखांकित करते हैं. ये प्रस्ताव प्रभावित लोगों तक आसानी से सहायता सुनिश्चित करने के लिए सहयोग की आवश्यकता पर ज़ोर देते हैं.

गज़ा का मामला मानवीय पृष्ठभूमि में स्वास्थ्य संकट को लेकर एक समन्वित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया की तुरंत आवश्यकता का उदाहरण है. जवाबदेही की असफलता का समाधान करके और कानूनी दायित्वों की फिर से पुष्टि करके हम एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम कर सकते हैं जहां सबसे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच भी हर व्यक्ति की गरिमा और स्वास्थ्य का सम्मान किया जाता है.

 

(निशांत सिरोही जिनेवा हेल्थ फाइल्स में ह्यूमन रिसर्च फेलो हैं.)

 

 

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