Published on Feb 15, 2020 Updated 0 Hours ago

डॉक्टर अमेरिका के लोगों से अपनी-अपनी नाक और मुंह ढंकने की भीख मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि वो वायरस के नुक़सान से बचें. 

फाइज़र और मॉडर्ना की वैक्सीन: अब तक हुए काम का लेखा-जोखा

10 महीने के लंबे इंतज़ार के बाद कोरोना की वैक्सीन की ख़बरें अभूतपूर्व तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं. अमेरिका के चुनाव नतीजे के सात दिन बाद की अवधि में, वहां की दो बड़ी फार्मा कंपनियों ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन को लेकर 90% और 94.5% के असाधारण ज़ोरदार असर का एलान किया. अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारी तो 50-60% असर वाली वैक्सीन को भी खुली बांहों से अपनाने के लिए तैयार थे. ऐसे में ये उनकी उम्मीदों से ज़्यादा असरदार निकली.

एक चल रहे अध्ययन के शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक़ मॉडर्ना की वैक्सीन 94.5% असरदार लग रही है. फाइज़र इंक और जर्मनी की बायोएनटेक ने अपनी वैक्सीन के 90% असरदार होने का एलान किया. इस बीच ठंडे तापमान और लोगों के लापरवाही से इकट्ठा होने की वजह से वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मुताबिक 1 मार्च तक वायरस से 4,00,000 अमेरिकी नागरिकों की मौत हो जाएगी.

इस बीच ठंडे तापमान और लोगों के लापरवाही से इकट्ठा होने की वजह से वायरस का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है. वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन के मुताबिक 1 मार्च तक वायरस से 4,00,000 अमेरिकी नागरिकों की मौत हो जाएगी.

डॉक्टर अमेरिका के लोगों से अपनी-अपनी नाक और मुंह ढंकने की भीख मांग रहे हैं और कह रहे हैं कि वो वायरस के नुक़सान से बचें. NBC के “प्रेस से मिलिए” कार्यक्रम में बैलर स्कूल ऑफ मेडिसिन के डीन पीटर होटेज़ ने कहा, “अगर बसंत ऋतु तक आप अपने पिता, माता, भाई, बहन को ज़िंदा रख पाते हैं तो हम उसके बाद उन्हें बचा लेंगे. इसका ये अंत है.”

इस पृष्ठभूमि में हम दोनों अमेरिकी वैक्सीन, जिन्होंने 2020 में कई संकटों से घिरे इस देश में उम्मीद की एक किरण जगाई है, के बारे में अभी तक ये सारी बातें जानते हैं.

दो सुई कुछ हफ़्ते के अंतराल पर

सबसे पहले सुई की बात. दोनों वैक्सीन में दो सुई लगवाने की ज़रूरत है जो कुछ हफ़्तों के बाद दी जाएगी. अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि उनके पास दिसंबर के आख़िर तक इस्तेमाल के लिए दो करोड़ मॉडर्ना वैक्सीन की डोज़ और दो करोड़ फाइज़र और उसके जर्मन साझेदार बायोएनटेक की तरफ़ से बनाई गई वैक्सीन की डोज़ उपलब्ध होंगी.

दोनों वैक्सीन mRNA ‘वैक्सीन’ हैं

मॉडर्ना और फाइज़र-बायोएनटेक की वैक्सीन सबसे नई mRNA तकनीक पर बनी है. इनमें कोरोना का वायरस वैक्सीन के भीतर नहीं है. इसके बदले, इनमें जेनेटिक कोड का एक हिस्सा जोड़ा गया है जो हमारे शरीर को वायरस की सतह पर स्पाइक प्रोटीन से दुश्मन की होने वाली कार्रवाई को पहचानने के लिए तैयार करता है. जब mRNA हमारी कोशिका में प्रवेश करता है तो वो कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन की कॉपी को निकालना शुरू कर देता है. ये इम्यून सिस्टम को वायरस के ख़िलाफ़ एंटी बॉडी तैयार करने के लिए प्रेरित करता है. वायरोलॉजी में एंटी बॉडी का उत्पन्न होना बीमारियों से रक्षा के लिए हमारे शरीर की अच्छी क्षमता को दिखाता है.

जब mRNA हमारी कोशिका में प्रवेश करता है तो वो कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन की कॉपी को निकालना शुरू कर देता है. ये इम्यून सिस्टम को वायरस के ख़िलाफ़ एंटी बॉडी तैयार करने के लिए प्रेरित करता है.

फाइज़र के मुक़ाबले मॉडर्ना वैक्सीन के लिए कोल्ड चेन की कम ज़रूरत

फाइज़र की वैक्सीन को बेहद कम तापमान पर स्टोर करने की ज़रूरत है- क़रीब माइनस 94 डिग्री फारेनहाइट पर. मॉडर्ना की वैक्सीन इस मामले में थोड़ी बेहतर है. ये 2 से 8 डिग्री सेंटीग्रेड (36 से 46 डिग्री फारेनहाइट) पर भी 30 दिन तक सुरक्षित रहती है यानी एक सामान्य घर या मेडिकल रेफ्रिजरेटर में सुरक्षित रह सकती है. माइनस 20 डिग्री सेंटीग्रेड (माइनस 4 डिग्री फारेनहाइट) के कम तापमान में मॉडर्ना की वैक्सीन छह महीने तक सुरक्षित रह सकती है. इंजेक्शन देने के लिए वैक्सीन को रेफ्रिजरेटर से निकालने पर यह कमरे के तापमान में 12 घंटे तक रह सकती है.

90% असरदार होने का मतलब क्या है?

सैंपल में और नतीजों को गिनने के बाद असरदार होने का डाटा बदल जाएगा. फाइज़र और मॉडर्ना- दोनों के असरदार होने का हिसाब 30,000 से ज़्यादा वॉलंटियर के अध्ययन में 100 से कम कोविड-19 के पक्के संक्रमण पर आधारित है. लेकिन दोनों कंपनियों का कहना है कि शुरुआती नतीजे बड़ी आबादी में वैक्सीन के असरदार होने के ज़ोरदार संकेत हैं.

मॉडर्ना की वैक्सीन को 94.5% असरदार बताने वाला डाटा

मॉडर्ना की वैक्सीन के प्रदर्शन का अध्ययन 30,000 वॉलंटियर पर किया जा रहा है जिन्होंने या तो वैक्सीन ली या डमी वैक्सीन. असर का प्रतिशत 95 संक्रमण के डाटा पर आधारित है जिन्हें वैक्सीन की दूसरी डोज़ के बाद संक्रमण हुआ. जिन लोगों को वैक्सीन दी गई उनमें से  सिर्फ़ पांच को संक्रमण हुआ. बाक़ी सभी संक्रमण के मामले उन लोगों के हैं जिन्हें डमी वैक्सीन दी गई.

वो डाटा जो फाइज़र की वैक्सीन को 90% असरदार बताता है

फाइजर ने 44,000 लोगों को परीक्षण में शामिल किया और 94 लोगों में संक्रमण के आधार पर अपनी रिपोर्ट बनाई. मॉडर्ना की वैक्सीन के ट्रायल की तरह फ़ाइज़र के ट्रायल में भी कुछ वॉलंटियर को वैक्सीन दी गई जबकि कुछ को डमी वैक्सीन. लेकिन मॉडर्ना के विपरीत फाइज़र ने ये नहीं बताया कि जिन लोगों को संक्रमण हुआ उनमें से कितने लोगों ने वैक्सीन ली और कितनों ने डमी वैक्सीन. फाइज़र ने सिर्फ़ इतना कहा कि उसकी वैक्सीन 90% असरदार है. इसका ये मतलब है कि तकरीबन सभी संक्रमण के मामले डमी वैक्सीन लेने वालों में आए होंगे.

मॉडर्ना की वैक्सीन के ट्रायल की तरह फ़ाइज़र के ट्रायल में भी कुछ वॉलंटियर को वैक्सीन दी गई जबकि कुछ को डमी वैक्सीन. लेकिन मॉडर्ना के विपरीत फाइज़र ने ये नहीं बताया कि जिन लोगों को संक्रमण हुआ उनमें से कितने लोगों ने वैक्सीन ली और कितनों ने डमी वैक्सीन. 

सभी 11 गंभीर मामले डमी वैक्सीन लेने वालों को हुआ

मॉडर्ना की वैक्सीन के नतीजे पर स्वतंत्र डाटा मॉनिटरिंग बोर्ड ने कहा कि कोविड-19 के सभी 11 गंभीर मामले उन लोगों में आए जिन्होंने डमी वैक्सीन ली थी. बोर्ड ने ये भी कहा कि सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता की कोई बात नहीं है. वैक्सीन के मुख्य़ दुष्प्रभावों में थकावट, मांसपेशियों में दर्द और दूसरी डोज़ के बाद इंजेक्शन की जगह पर दर्द शामिल है.

दिसंबर में नियंत्रित सप्लाई

अमेरिका में सर्दियों के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ने से परेशान ज़्यादातर फ्रंटलाइन कार्यकर्ता ऐसी कोई भी वैक्सीन लेने के लिए तैयार हैं जिसे FDA ने मंज़ूरी दी हो. ऐसी उम्मीद है कि वैक्सीन की पहली सप्लाई “सबसे असुरक्षित” लोगों के लिए होगी. ये संकेत डॉ. एंथनी फाउसी ने दिए हैं. सभी हिसाबों के मुताबिक़ 2021 की गर्मी तक ही कम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन लगेगी. अमेरिकी सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन को सलाह देने वाले विशेषज्ञों की कमेटी इस बात पर विचार कर रही है कि ज़रूरी उद्योगों के कामगारों, कुछ ख़ास बीमारियों से ग्रस्त लोगों और 65 साल या उससे उम्रदराज लोगों को वैक्सीन देने में ज़्यादा तरजीह दी जाए.

ऐसी उम्मीद है कि वैक्सीन की पहली सप्लाई “सबसे असुरक्षित” लोगों के लिए होगी. ये संकेत डॉ. एंथनी फाउसी ने दिए हैं. सभी हिसाबों के मुताबिक़ 2021 की गर्मी तक ही कम जोखिम वाले लोगों को वैक्सीन लगेगी. 

वैक्सीन कितना अच्छा काम करेगी?

मॉडर्ना के ट्रायल में 65 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को शामिल किया गया और फाइज़र अमेरिका की इकलौती वैक्सीन बनाने वाली कंपनी है जो 12 साल के बच्चों में भी अपनी वैक्सीन के असर का अध्ययन कर रही है. मॉडर्ना के ट्रायल में शामिल 42 प्रतिशत वॉलंटियर ऐसे थे जो जिनका इम्युन सिस्टम कमज़ोर था. हालांकि ये बाद में पता चलेगा कि अलग-अलग उम्र और इम्यून सिस्टम पर वैक्सीन कितना काम करती है.

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