Published on Dec 14, 2020 Updated 0 Hours ago

यामीन के नेतृत्व वाले विपक्ष ने आगे यह भी उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय चर्चा के दौरान मालदीव की मूलभूत सिद्धान्तों को बनाए रखने पर जोर दिया गया.

बेहतर और फ़ायदेमंद रिश्तों की उम्मीद में मालदीव और भारत

मालदीव दुनिया के नक्शे पर एक छोटा सा देश है, लेकिन यह भारत के लिए व्यापार, सामरिक समेत कई वजहों से बेहद खास है. भारत और मालदीव का दशकों पुराना धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और कारोबारी रिश्ता है. मालदीव को 1965 में आजादी मिलने के बाद मान्यता देने वाले पहले देशों में भारत शामिल है , इसलिए मालदीव भारत के लिए महत्वपूर्ण है. मालदीव में करीब 25,000 भारतीय रहते हैं, जो वहां दूसरा सबसे बड़ा विदेशी समुदाय है. मालदीव में हर साल जाने वाले पर्यटकों का करीब 6 फीसदी भारत का है.

हाल ही में भारत और मालदीव के रिश्तों को लेकर तब भारी गर्मजोशी देखने को मिली जब मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने देश के वार्षिक विजय दिवस के दिन भारत के लिए विशेष रूप से सराहना की और विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने देश के निकटतम पड़ोसी भारत के लिए आभार व्यक्त किया.

हालांकि यह ऐसी बात थी जो देश के विपक्षी गठबंधन प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव्स (पीपीएम) और पीपल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) के द्वारा चलाए जा रहे इंडिया आउट अभियान के संदर्भ में इस वर्ष मालदीव और भारत के बीच रिश्तों के लिए काफी अहम मानी जा रही है.

विडंबना देखिए जिस गयूम की जिंदगी और सत्ता को भारतीय सैनिकों ने उनके लिए 20 और वर्षों तक सुरक्षित बनाया था वो भी आज देश में विपक्ष के द्वारा चलाए जा रहे ‘इंडिया आउट’ अभियान पर खामोश हैं. 

मालदीव 3 नवंबर को ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाता है. यह वो तारीख है जब भारतीय सैनिकों ने बिना नौसेना की सहायता के उड़ान भरी और 1988 में बतौर राष्ट्रपति अपने दसवें साल में प्रवेश कर चुके मौमून अब्दुल गयूम के खिलाफ श्रीलंकाई तमिल उग्रवादियों की तख्तापलट की कोशिश को नाकाम कर दिया था. तमिल उग्रवादियों ने सेना के एक जवान सहित 18 मालदीव नागरिकों की हत्या कर दी थी. जबकि भारत के द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन कैक्टस के दौरान एक सैनिक की भी जान नहीं गई थी.

लेकिन विडंबना देखिए जिस गयूम की जिंदगी और सत्ता को भारतीय सैनिकों ने उनके लिए 20 और वर्षों तक सुरक्षित बनाया था वो भी आज देश में विपक्ष के द्वारा चलाए जा रहे ‘इंडिया आउट’ अभियान पर खामोश हैं. हैरानी तो इस बात को लेकर भी होती है कि उनके उत्तराधिकारी नशीद की सरकार ने तख्तापलट करने वाले नेता अब्दुल्ला लूथफी को जमानत दे दी जिन्होंने गिरफ्तारी से पहले देश छोड़ दिया. लेकिन  वर्षों बाद पड़ोसी देश श्रीलंका से उन्हें पकड़कर सोलिह की सरकार ने उन्हें वापस मालदीव की जेल में डाला.

लचीलापन और स्थायी संबंध      

देश के सालाना विजय उत्सव के दिन दिए गए अपने बयान में मंत्री शाहिद ने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ स्थायी संबंध बनाना और रिश्तों में लचीलापन दिखाना बेहद आवश्यक है. सन ऑनलाइन न्यूज पोर्टल को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने इसे विस्तार से समझाते हुए कहा कि –

“हम इंडिया आउट, यूएस आउट या जापान आउट कहने के स्तर पर नहीं पहुंचे हैं.” उन्होंने अक्टूबर महीने में जापान के साथ होने वाली मिलिट्री युद्धाभ्यास का भी जिक्र किया. उन्होंने साफ कहा कि इंडिया आउट अभियान देशभक्ति नहीं था बल्कि यह घृणा और नफरत फैलाने वाला अभियान था  और इस अभियान के पीछे वो ताक़तें शामिल थीं जिन्हें राष्ट्र के प्रति आत्मविश्वास की कमी थी या फिर वो बाकी दुनिया के देशों से मालदीव को एकदम अलग थलग कर देना चाहते थे.

इसी तरह, मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शामल ने एक अन्य साक्षात्कारकर्ता से कहा कि कोई भी देश खुद को अलग थलग कर सुरक्षित नहीं हो सकता है. खास कर तब जबकि देश आधुनिक युग में सीमा पार आतंकवाद और अंतर-राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का सामना कर रहा हो. अब्दुल्ला शामल ने कहा कि मालदीव रणनीतिक लिहाज से हिंद महासागर में एक ऐसे स्थान पर मौजूद है जो बेहद अहम है जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और अधिक महत्वपूर्ण बनाता है.

विजय दिवस के दौरान रक्षा मंत्री मरिया दीदी के साथ गार्ड माउंटिंग समारोह में हिस्सा लेने के बाद मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शामल ने कहा कि – “इस विशालता (महासागर क्षेत्र को लेकर) को देखते हुए, हमारे लिए अन्य देशों के साथ साझेदारी में काम करना बेहद महत्वपूर्ण है. इस क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए हमें श्रीलंका और भारत के साथ काम करने की आवश्यकता है.”

मालदीव द्वारा सुरक्षा मामलों में लगातार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के संदर्भों का उल्लेख करने को इस आलोक में भी देखा जाना चाहिए कि मालदीव सितंबर महीने में अमेरिका के साथ रक्षा सहयोग के लिए फ्रेमवर्क अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने जा रहा है.  इससे पहले 2016 में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने – जिन्हें अब इंडिया आउट अभियान के साथ जोड़ा जा रहा है – भारत के साथ एक सैन्य सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया था. तब तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह की सत्तारूढ़ मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) विपक्ष में थी और तब उन्होंने यामीन सरकार पर पारदर्शिता की कमी और देश की ज़मीन पर विदेशी सैनिकों की मौजूदगी का आरोप लगाया था जिसे फौरन ही नाकार दिया गया था.

दरअसल इंडिया आउट अभियान दो हेलीकॉप्टर जिन्हें उपहार स्वरूप दिया गया था और उनके कर्मियों पर केंद्रित है. और तो और ये दोनों हेलीक़ॉप्टर – जो कि एमएनडीएफ के कमांड में है – खास तौर पर मानवीय राहत कार्यों के लिए चलाए जाने वाले अभियान के लिए दिया गया था. मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) के प्रमुख मेजर जनरल अब्दुल्ला शामल ने देश को भरोसा दिलाया था कि “मानवीय राहत कार्यों के उद्देश्य से तकनीक से जुड़े कर्मी और जो हमें सहयोग दे रहे हैं और हमारी ज़रूरतों को पूरा कर रहे हैं वही मालदीव में काम कर रहे हैं “.

अमेरिका के साथ कोई विवाद नहीं

विपक्षी गठबंधन जिसमें गयूम द्वारा स्थापित प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव और यामीन द्वारा पिछले साल संसदीय चुनाव से पहले बनाए गए पीपुल्स नेशनल कांग्रेस पार्टी शामिल है – इन दलों ने भी अमेरिका के साथ फ्रेमवर्क अग्रीमेंट को लेकर कोई बयानबाज़ी नहीं की थी. हालांकि गठबंधन छोड़ने के बाद एक बयान जारी कर उन्होंने अक्टूबर के आखिर में होने वाली अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की यात्रा का स्वागत किया था वो भी तब जबकि माइक पोम्पियो ने उस चीन के खिलाफ बयानबाज़ी की थी जिससे यामीन सरकार की नजदीकी जगजाहिर थी.

2004 में कॉलिन पॉवेल, 1992 में जेम्स बेकर के बाद 16 साल में मालदीव की यात्रा करने वाले पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि छोटे द्वीप राष्ट्रों की सुरक्षा इन दिनों काफी अहम हो गई है क्योंकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा मालदीव के एक खास समूह को धमकाना जारी है. माइक पोम्पियो ने उल्लेख किया कि कैसे “चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों ने पर्यावरण को तबाह किया है” और कैसे अवैध मछली पकड़ने के चलते चीनी गतिविधियों ने मेडागास्कर से लेकर इंडोनेशिया तक उद्योग, अर्थव्यवस्था और लोगों की जीविका पर प्रतिकूल असर डाला है.

पोम्पिओ ने माले में अमेरिकी दूतावास खोलने की घोषणा की और उन्होंने ट्रंप प्रशासन द्वारा जलवायु-परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव से लड़ने के लिए अमेरिकी सहायता जारी रखने और इस वित्तीय वर्ष में ट्रंप प्रशासन द्वारा वित्तीय सहयोग दिए जाने  के बारे में भरोसा दिलाया.

अतीत में आर्थिक मोर्चे पर सोलीह प्रशासन के साथ अधिकांश द्विपक्षीय सहयोग प्रयासों में वित्त का एकतरफ़ा प्रवाह शामिल रहा है – जिसमें अमेरिका के साथ हस्ताक्षर किए गए 1.4 बिलियन डॉलर की सहायता-पैकेज और महामारी से निपटने के लिए 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल है. 

इस पृष्ठभूमि में विपक्षी गठबंधन के बयान मालदीव के विकास में अमेरिकी सहयोग के लंबे इतिहास को रेखांकित करता है तो दोनों देशों के बीच रिश्तों में करीबी की उम्मीद को भी जगाता है. इसके साथ ही विपक्षी गठबंधन ने यह भी उम्मीद जताई है कि सोलिह सरकार के साथ पोम्पियो की बातचीत कोविड 19 की चुनौतियों को लेकर मालदीव की तैयारियों को और मजबूत करेगी साथ ही इस महामारी के चलते अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले नतीजों को भी सुधारने में मदद करेगी.

यामीन के नेतृत्व वाले विपक्ष ने आगे यह भी उम्मीद जताई कि द्विपक्षीय चर्चा के दौरान मालदीव की मूलभूत सिद्धान्तों को बनाए रखने पर जोर दिया गया. हालांकि कई लोगों को तब और ज्यादा हैरानी हुई जब विपक्षी गठबंधन ने सरकार के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार खत्म करने में अमेरिकी सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. ये वो मुद्दे थे जिन्हें यामीन के राष्ट्रपति रहने के दौरान नज़रअंदाज़ किया गया था.

इस पृष्ठभूमि में यामीन खेमे द्वारा चलाया जा रहा इंडिया आउट अभियान सियासी कम और व्यक्तिगत ज्यादा दिखता है और राजनीतिकरण की तुलना में अधिक व्यक्तिगत प्रतीत होता है. यह बात इसलिए भी ज्यादा सटीक लगती है क्योंकि महासागरीय क्षेत्र में अमेरिका और चीन सुपर-पावर बनने की होड़ में जुटे हैं. ऐसे में भारत की सुरक्षा को लेकर चिंताएं वास्तविक लगती हैं और यही वजह है कि मालदीव के लिए भारत का दृष्टिकोण हमेशा पारस्परिक सम्मान और परोपकारी सहयोग का रहा है.

विशेषज्ञता का आदान-प्रदान

2009 में जब से भारतीय नौसेना की निगरानी गश्ती की शुरुआत हुई थी उसके बाद यामीन गठबंधन से अलग हुए MNDF ने मालदीव के ईईजेड में एक सप्ताह के लिए भारतीय नौसेना के 71वें निगरानी गश्ती दल के आने की घोषणा की थी. मालदीव के सहयोग से भारतीय निजी एयरलाइन स्पाइसजेट द्वारा नागरिकों के लिए सीप्लेन परिचालन शुरू करना भी इसके बराबर ही और इससे कम महत्व की घटना नहीं है.

मोदी सरकार के उड़ान अभियान के तहत सस्ती क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिहाज से केवडिया में स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की 182 मीटर की सबसे ऊंची मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से अहमदाबाद तक शुरू की गई सीप्लेन सेवा के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मौजूद रहे. आईलैंड एविएशन के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहम्मद रिज़वी ने कहा कि “यह अवसर दोनों देशों के बीच विश्वास को काफी बढ़ाएगा और व्यापार को बहुत बढ़ावा देगा”. उन्होंने इसे पारस्परिक रूप से फ़ायदेमंद और दोनों देशों के लिए जीत की स्थिति बताया.

अतीत में आर्थिक मोर्चे पर सोलीह प्रशासन के साथ अधिकांश द्विपक्षीय सहयोग प्रयासों में वित्त का एकतरफ़ा प्रवाह शामिल रहा है – जिसमें अमेरिका के साथ हस्ताक्षर किए गए 1.4 बिलियन डॉलर की सहायता-पैकेज और महामारी से निपटने के लिए 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर की राशि भी शामिल है. इसके मुकाबले समुद्री विमान सेवा जब भी अपने तार्किक निष्कर्ष के अंत तक पहुंचेगा तब तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत भारत को होगी इससे मालदीव में रोज़गार के मौके पैदा हो सकते हैं. पर्यटन मालदीव की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाती है और राष्ट्रपति नशीद ने अपने कार्यकाल ( 2008-12 ) के दौरान भारत के द्वीपीय समूहों में उच्च भुगतान वाले रिसॉर्ट पर्यटन को विकसित करने की पेशकश की थी. सुरक्षा चिंताओं और संबंधित विचारों के आलोक में मनमोहन सिंह सरकार ने भविष्य में आंतरिक आकलन के लिए कथित तौर पर इस योजना को कुछ समय के लिए रोक दिया था.

तब समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ती महत्वाकांक्षा के खिलाफ सुरक्षा चाक चौबंद करना और मालदीव में पैर पसारते धार्मिक आतंकवाद को लेकर भारत सरकार बेहद चिंतित थी. लेकिन यामीन प्रशासन ने पहली समस्या को ईंधन देने का काम किया था तो बाद में यामीन सरकार ने इस समस्या को समझा और ताबड़तोड़ गिरफ्तारियों से इस पर एक हद तक रोक लगाई.

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