Author : Seema Sirohi

Published on Jan 31, 2020 Updated 0 Hours ago

महाभियोग की जद में होने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप की स्थिती अच्छी जान पड़ रही है क्योंकि उनकी पार्टी उनके साथ है

ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग के बाद डेमोक्रेटिक पार्टी में बढ़ा अंदरूनी कलह

राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों का व्हाइट हाउस पर काबिज होने का अभियान जोर पकड़ रहा है और ऐसे में माना जा रहा है कि हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर लगाया गया महाभियोग ऐसे उम्मीदवारों के लिए जबर्दस्त अवसर साबित होगा.

लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि क्या डेमोक्रेटिक पार्टी के ये उम्मीदवार ट्रंप को लेकर चल रहे सियासी ड्रामे का उपयोग अपने फायदे में कर पायेंगे या फिर डेमोक्रेटिक पार्टी में मौजूद अंदरुनी खींच-तान मतदाताओं के उत्साह को ले डूबेगी? डेमोक्रेटिक पार्टी का हर धड़ा—वामपंथी, नरमपंथी (मॉडरेट), ब्लू डॉग्स और कंजरवेटिव्स- अपनी बिसात बिछाने के लिए आपस में धींगामुश्ती कर रहे हैं.

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच जारी आपसी कलह भरोसा नहीं जगा पा रही. ट्रंप के बाबत कांग्रेस को बाधा पहुंचाने और सत्ता का दुरुपयोग करने के मामले पर सीनेट में चल रहे सोच-विचार के बीच राष्ट्रपति के दावेदारों के कई आपसी विवाद खुलेआम सामने आ चुके हैं और मतदाता में इन विवादों के कारण झल्लाहट जारी है.

ग़ौरतलब है कि चंद अपवादों को छोड़ दें तो फिर कहा जा सकता है कि रिपब्लिकन पार्टी के प्रतिनिधि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हिमायत में खड़े हैं- उनकी चुनावी नियति बड़े हद तक ट्रंप के भविष्य से बंधी हुई है. सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा है सो उम्मीद यही की जा रही है कि सीनेट में ट्रंप महाभियोग से बरी हो जायेंगे और कयास इस बात के भी हैं कि वे सीनेट में हुई अपनी जीत के इज़हार के तौर पर भारत का दौरा करेंगे, बहुत मुमकिन है कि वे अफगानिस्तान भी जायें.

ट्रंप-प्रशासन एक बार फिर से तालिबान के साथ शांति समझौता तथा भारत के साथ व्यापार समझौता करने की कोशिश कर रहा है. बहुत मुमकिन है कि ट्रंप अपने भारत दौरे में  बड़ी रैली को संबोधित करें और इसके सहारे ये जताने की कोशिश हो कि उनपर लगे महाभियोग के लांछन एक हद तक धुल चुके हैं. लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि ट्रंप के तेवर ढीले पड़े हैं, उनकी गति धीमी हुई है.

लेकिन ये बात डेमोक्रेटिक पार्टी के मामले में देखने को नहीं मिल रही. एक ऐसे वक्त जब उन्हें अपना ध्यान ट्रंप और उनपर चल रहे महाभियोग पर लगाना चाहिए, वे सरेआम आपसी सिरफुटौव्वल में लगे हैं और गर्मागर्म बहस में एक-दूसरे पर तीखे लफ्जों की चोट कर रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के बीच आपसी फूट की खाई बड़ी गहरी है और उनमें कोई भी एक उम्मीदवार ऐसा नहीं दिखता जो तमाम वर्ग, नस्ल, प्रजाति, लिंग और क्षेत्रों के बीच एका कायम कर सके.

पिछली बहस में लोगों ने देखा कि सीनेटर एलिज़ाबेथ वारेन और बर्नी सैंडर्स बड़ी तनातनी के माहौल में एक-दूसरे को झूठा बताने में लगे हैं. विवाद वारेन के एक दावे को लेकर था. वारेन का दावा है कि सैन्डर्स ने उनसे कहा था कि महिलाओं का चुनाव राष्ट्रपति के रूप में नहीं किया जा सकता.

वारेन ने यह भी कहा था कि सैंडर्स उन्हें पिटवाने के लिए अपने स्वयंसेवक भेज रहे हैं. वाम और उदारपंथी धड़े के दो उम्मीदवारों के बीच जारी इस कलह से समर्थकों में बड़ी निराशा है. समर्थक उम्मीद लगाये बैठे हैं कि पार्टी इस बार लीक से हटते हुये किसी प्रोगेसिव (प्रगतिशील) प्रतिनिधि को राष्ट्रपति पद के होड़ के लिए नामित करेगी.  लेकिन इसके उलट पार्टी के प्रतिनिधियों के बीच आपसी फूट की खाई और ज्यादा गहरी होती जा रही है.

हिलेरी क्लिंटन ने अपने बर्ताव से जता दिया है कि उन्हें 2016 की हार अभी तक पच नहीं पायी है और और अब वे एक डाक्यूमेंटरी में सैन्डर्स के खिलाफ मोर्चा खोला है. ये डॉक्यूमेंटरी जल्दी ही रिलीज होने वाली है. ये बात भी जानी-पहचानी है कि क्लिंटन दंपत्ति कोई काम अचानक नहीं करते.

इसके बाद एक बात और हुई — एक नामुराद सी दखलंदाज़ी उस व्यक्ति की तरफ से हुई जो उम्मीदवार भी नहीं है. हिलेरी क्लिंटन ने अपने बर्ताव से जता दिया है कि उन्हें 2016 की हार अभी तक पच नहीं पायी है और और अब वे एक डाक्यूमेंटरी में सैन्डर्स के खिलाफ मोर्चा खोला है. ये डॉक्यूमेंटरी जल्दी ही रिलीज होने वाली है. ये बात भी जानी-पहचानी है कि क्लिंटन दंपत्ति कोई काम अचानक नहीं करते.

स्ट्रिमिंग सर्विस हुलू के लिए बनी इस डॉक्यूमेंटरी में हिलैरी क्लिंटन ने सैन्डर्स के बारे में कहा है कि “ उन्हें कोई भी पसंद नहीं करता, कोई भी उनके साथ काम करना नहीं चाहता और उन्होंने काम के नाम पर कुछ भी नहीं किया है. वे एक करियर पॉलिटिशियन हैं. वे सिर्फ हवा-हवाई बातें करते हैं और मुझे इस बात का दुख है कि लोग इस पचड़े में फंस गये हैं.” मसले पर क्लिंटन से सवाल किया गया तो उन्होंने और भी तीखे तेवर अपनाते हुए कहा कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से सैन्डर्स को मनोनीत किया जाता है तो वे उनका समर्थन नहीं करेंगी.

सैन्डर्स के समर्थकों ने जब  हिलेरी क्लिंटन की बात पर कड़ा ऐतराज़  जताया तो  हिलेरी क्लिंटन के तेवर कुछ नरम हुये लेकिन ये बात तय है कि सैंडर्स और  हिलेरी क्लिंटन के बीच आमने-सामने की लड़ाई ठन चुकी है. क्लिंटन सहित डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुत से प्रमुख राजनेताओं की सैन्डर्स से नहीं बनती और वे उन्हें बिन बुलाये मेहमान के तौर पर देखते हैं. सैन्डर्स ने अपना अपना सियासी करियर  एक निर्दलीय सीनेटर के रुप में गुजारा है लेकिन वोट डेमोक्रेटिक पार्टी के पक्ष में डाला है.

हिलेरी क्लिंटन सहित कई महिलाएं सैंडर्स  के इर्द-गिर्द के सियासी परिवेश को महिला के प्रति भेदभाव से भरा मानती हैं—सैंडर्स के प्रमुख हिमायतियों और उनकी टोली के सदस्यों (इन्हें बर्नी ब्रोज् कहा जाता है) पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने वारेन और कमला हैरिस सरीखे महिला उम्मीदवारों को निशाना बनाया. हैरिस राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारी के लिए होड़ कर रहे प्रत्याशियों की दौड़ से बाहर हो गई हैं लेकिन इसकी वजह फंड की कमी बतायी जा रही है.

हाल ही में एक नया आंदोलन ‘स्टॉप सैंडर्स ’ के नाम से चला है. इसमें डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से सत्ता के गलियारे में बिचौलिये का काम करने वालों की भरमार है. कयास लगाये जा रहे हैं कि क्लिंटन और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा इस आंदोलन को समर्थन दे सकते हैं. ओबामा ने एक निजी बातचीत में कहा था कि अगर जान पड़ा कि सैन्डर्स मनोनीत हो जायेंगे तो वे उन्हें रोकने के ख्याल से बोलेंगे.

आगामी तीन फरवरी को आयोवा में होने जा रहे पहले चुनाव से पता चलेगा कि आखिर मतदाताओं का रुझान किस तरफ है. मुकाबला बहुत कड़ा और चतुष्कोणीय है जिसमें बिडेन और सैन्डर्स को वारेन तथा पीट बुट्जज पर बड़ी छोटी सी बढ़त हासिल है

एक तीसरा विवाद भी सामने आया है. इसमें सैन्डर्स के समर्थक शामिल हैं. इन समर्थकों ने हाल में अपनी राय जाहिर करते हुए एक लेख लिखा था जिसमें कहा गया कि बिडेन के साथ बड़े भ्रष्टाचार का मामला जुड़ा हुआ है. सैन्डर्स ने आनन-फानन में बिडेन से माफ मांग ली और अपने मातहतों से कहा कि वे ट्रंप को हराने पर ध्यान दें. इससे सैन्डर्स को कुछ मदद मिल सकती है क्योंकि उनका मुख्य मुहावरा अभिजन के गढ़ों-मठों को धक्का देने का है—बहुत कुछ वैसा ही जैसा कि लुटियन्स दिल्ली और नरेन्द्र मोदी के समीकरण के मामले में हम देखते हैं. क्लिंटन दंपत्ति को प्रतिष्ठानी अभिजन के एक प्रतीक के रुप में देखा जाता है क्योंकि वॉल स्ट्रीट और बड़े दानदाताओं से उनके घनिष्ठ संबंध हैं.

सैन्डर्स को अपने समर्थकों द्वारा किये जा रहे अतिरिक्त प्रयासों का भान है और उन्हें इस बात का भी अहसास है कि डेमोक्रेटिक पार्टी में उनसे खार खाये लोग राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए मनोनयन के उनकी दूसरी कोशिश पर ग्रहण लगा सकते हैं. पिछली दफे वे क्लिंटन से हार गये थे और इसकी बड़ी वजह रही डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर मौजूद सत्तातंत्र का उनको नापसंद करना.

आयोवा में होने जा रहे शुरुआती चरण के चुनाव अब बस चंद रोज दूर हैं जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवारों के बीच के आपसी विद्वेष और विवाद सरेआम सामने आ रहे हैं. ये बात भी अडंगा डालने वाला साबित हो सकती है. आगामी तीन फरवरी को आयोवा में होने जा रहे पहले चुनाव से पता चलेगा कि आखिर मतदाताओं का रुझान किस तरफ है. मुकाबला बहुत कड़ा और चतुष्कोणीय है जिसमें बिडेन और सैन्डर्स को वारेन तथा पीट बुट्जज पर बड़ी छोटी सी बढ़त हासिल है.

महाभियोग की जद में होने के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप की स्थिति अच्छी जान पड़ रही है क्योंकि उनकी पार्टी उनके साथ है.

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