Author : Kashish Parpiani

Published on Aug 24, 2020 Updated 0 Hours ago

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में चीन की केंद्रीय स्थिति के कारण, इसकी पारस्परिक आर्थिक-निर्भरता के प्रयासों को लेकर चीन के खिलाफ़ एक नए ट्रांस-अटलांटिक सहमति उभर सकती है.

चीन के खिलाफ़ बनती ट्रांस-अटलांटिक सहमति

दुनिया भले ही कोरोनोवायरस महामारी से जूझ रही है, चीन अपने सामरिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. चीन ने अप्रैल में पूरे नाइन-डैश लाइन (दक्षिण चीन सागर में अस्पष्ट क्षेत्रों पर दावा) के लिए विवादास्पद पैरासेल्स आइलैंड्स, मैक्कलेस्फाइड बैंक और स्पार्टली आइलैंड्स पर शासन करने को प्रशासनिक ढांचा बनाने की घोषणा कर दक्षिण चीन सागर में अपनी ताक़त बढ़ाने का इंतज़ाम किया. अप्रैल के मध्य से चीन ने विवादित सेनकाकू द्वीप के आसपास भी मौजूदगी बढ़ा दी- जापानी तटरक्षक बल के अनुसार लगातार 65 दिनों तक विवादित क्षेत्र में सक्रियता का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया.

मई में, चाईनीज़ नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने हांगकांग में एक विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी, जो “अलगाव, सत्ता का विरोध, आतंकवाद, विदेशी हस्तक्षेप” पर पाबंदी लगाता है और मुख्य भूमि चीन के सुरक्षा तंत्र को अर्ध-स्वशासित शहर में काम करने की अनुमति देता है. अभी हाल ही में, चीन और भारत एक सीमा संघर्ष में उलझे हुए थे, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों को जान गंवानी पड़ी, जिसके बारे में बताया गया कि “कम से कम 45 वर्षों में सीमा क्षेत्र में सबसे घातक संघर्ष” था.

अप्रैल के मध्य से चीन ने विवादित सेनकाकू द्वीप के आसपास भी मौजूदगी बढ़ा दी- जापानी तटरक्षक बल के अनुसार लगातार 65 दिनों तक विवादित क्षेत्र में सक्रियता का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बनाया.

हालांकि, लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक उद्देश्यों की तलाश के बीच, बीजिंग की पारस्परिक आर्थिक-निर्भरता को गति देने के प्रयास जोर पकड़ेंगे.

पहल करने वाला फायदे में रहेगा का दावा करने का चीनी प्रयास 

बीते तीन सालों में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ग्लोबलाइजेशन-विरोधी संदेश के जवाब में चीन की पारस्परिक आर्थिक-निर्भरता की मांग बढ़ी है. ख़ासकर 2017 के वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था, “हमें वैश्विक मुक्त व्यापार और निवेश विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए,  (और) व्यापार और निवेश उदारीकरण को बढ़ावा देना चाहिए.” चीन का यह कदम संरक्षणवाद की लहर के खिलाफ़ दुनिया के अग्रणी उत्पादक के रूप में अपने तीस साल के दौर को सुरक्षित करने के इरादे से उठाया गया है.

उस दौरान, चीन के सामानों पर दुनिया की निर्भरता ने इसे एकमुश्त एकाधिकार दे दिया- जैसे कि चीन 2019 में निर्मित 75.93 करोड़ यूनिट के साथ टायर का सबसे बड़ा उत्पादक; या इसे महत्वपूर्ण बढ़त दी- जैसा कि चीन विश्व की एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रीडिएंट्स की ज़रूरत का 40 फीसद आपूर्ति करता है.

एक दैत्याकार निर्यातक के रूप में अपनी सर्वोच्चता में गिरावट को रोकने के लिए, चीन वैश्विक कारोबार के लिए अपनी मांग को आगे बढ़ा रहा है.

हालांकि, कोरोनोवायरस महामारी में, आयात के लिए चीन पर बड़े पैमाने पर निर्भरता के खिलाफ़ दुनिया के देशों में भावना बनना तय है. (कोरोनावायरस के चलते चीन का निर्यात एकदम से 17% गिर गया) इसके अलावा, राष्ट्रों ने इसे “जहां बने, वहीं बिके”  मॉडल को प्रोत्साहित करने, आकर्षक विदेशी निवेश को बुलाने और प्रोत्साहन की पेशकश कर चीन से “मैन्युफैक्चरिंग पलायन”  को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में देखा है. इसलिए, एक दैत्याकार निर्यातक के रूप में अपनी सर्वोच्चता में गिरावट को रोकने के लिए, चीन वैश्विक कारोबार के लिए अपनी मांग को आगे बढ़ा रहा है.

जबकि अन्य देश महामारी से लड़ते हुए सामान्य स्थिति बहाली की कोशिश में लगे हैं, और बहुराष्ट्रीय कंपनियां उत्पादन शुरू करने को बेचैन हो रही हैं, चीन अपने ‘पहल करने वाला  फायदे में रहेगा’  को भुनाने की कोशिश कर रहा है. उदाहरण के लिए, मार्च के अंत तक, चीन पहले से ही आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू कर चुका है, उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का दावा है कि 98.6 फीसद औद्योगिक फर्मों ने 89.9 फीसद कर्मचारियों के उनके वर्कप्लेस पर लौटने के साथ फिर से काम शुरू कर दिया है. हालांकि, चीन की “दुनिया के कारखाने” के रूप में अपनी भूमिका बनाए रखने के प्रयास को प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है- अमेरिका में चीन विरोधी राजनीतिक इच्छाशक्ति के ज़ोर पकड़ने की शुरुआत के साथ.

चीन के प्रति अमेरिका फ़र्स्ट’  सिद्धांत पर अमेरिका का गठबंधन? 

अपनी मार्केट संभावनाओं को देखते हुए, शीत युद्ध के बाद डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सरकारों ने चीन की तरफ से पेश सामरिक चुनौतियों का मुकाबला करने के बजाय आर्थिक चुनौतियों का सामना करने को प्राथमिकता दी. मुख्य रूप से, बिल क्लिंटन सरकार के स्थायी सामान्य व्यापार संबंध कानून (जिसने नागरिक स्वतंत्रता पर रिकॉर्ड के आधार पर चीन के व्यापार की स्थिति की समीक्षा करने की अमेरिकी नीति को खत्म कर दिया) ने जॉर्ज डब्ल्यू बुश प्रशासन द्वारा विश्व व्यापार संगठन (WTO) में चीन के प्रवेश की सुविधा देने का रास्ता साफ किया.

ट्रंप के 2016 के चुनावी गणित में औद्योगिक मिड-वेस्ट (मैन्युफैक्चरिंग और फ़ॉर्मिंग) कामगारों के मुकाबले ब्लू-कॉलर (मानव श्रम) कामगारों को महत्व देते हुए डेमोक्रेट्स ने इस तरह से अपना रुख पलटते हुए ट्रंप के चीन को लेकर ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ दृष्टिकोण का समर्थन किया.

इस दृष्टिकोण का राजनीतिक खोखलापन ट्रंप के 2016 के चुनावी अभियान के भाषण से स्पष्ट था, जिसने अमेरिकी औद्योगिक आधार को खोखला करने के लिए चीन के निकट-प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरने के प्रति अमेरिकी नीति निर्माताओं के असमंजस को जिम्मेदार ठहराया. ट्रंप के 2016 के चुनावी गणित में औद्योगिक मिड-वेस्ट (मैन्युफैक्चरिंग और फ़ॉर्मिंग) कामगारों के मुकाबले ब्लू-कॉलर (मानव श्रम) कामगारों को महत्व देते हुए डेमोक्रेट्स ने इस तरह से अपना रुख पलटते हुए ट्रंप के चीन को लेकर ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ दृष्टिकोण का समर्थन किया.

चीन पर अमेरिकी टैरिफ के 2018 राउंड के लिए रिपब्लिक प्रेसिडेंट को डेमोक्रेट्स के समर्थन से एक नए अमेरिकी गठबंधन का शुरुआती संकेत स्पष्ट था. उन्होंने इसे चीन की “विनियामक बाधाओं, स्थानीयकरण आवश्यकताओं, श्रम दुर्व्यवहारों, प्रतिस्पर्धा विरोधी ‘मेड इन चाइना 2025’ नीति और कई अन्य अनुचित व्यापार के तरीकों के खिलाफ़” एक “परिवर्तनकारी पहल” के रूप में पेश किया. 2018 के मध्यावधि चुनाव में अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव पर नियंत्रण पाने के बाद डेमोक्रेट्स ने सरकार के कदमों को अपना समर्थन जारी रखा. मिसाल के तौर पर, भले ही हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ट्रंप के ट्रांस-अटलांटिक संबंधों पर यूरोपीय चिंताओं को दूर करने के लिए आरोपों की अगुवाई की थी, अटलांटिक के पार उनकी फरवरी 2020 की यात्रा में सबने उन्हें ट्रंप के अभियान में राष्ट्रों के साथ चीनी टेलीकॉम दिग्गज हुवावे के 5 जी प्रस्तावों का विरोध करते देखा.

चीन पर अमेरिकी टैरिफ 2018 राउंड के लिए रिपब्लिक प्रेसिडेंट को डेमोक्रेट्स के समर्थन से एक नए अमेरिकी गठबंधन का शुरुआती संकेत स्पष्ट था.. चित्र © बास्तियन ग्रेसके तज़ोवरस / फ़्लिकर

इसके अलावा, चीन के नागरिक स्वतंत्रता रिकॉर्ड पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए, सदन ने हांगकांग ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी एक्ट और टिबेटियन पॉलिसी एंड सपोर्ट एक्ट पारित किया. महामारी के बीच, डेमोक्रेट सांसदों ने भी उइग़र ह्यूमन राइट्स पॉलिसी एक्ट को पारित करने के लिए पुरज़ोर समर्थन किया. और अब बताया जाता है कि हाल ही में स्वीकृत (रिपब्लिकन द्वारा पेश) कानून का पालन नहीं करने वाली चीनी कंपनियों को अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंजों से डी-लिस्टिंग के सीनेट बिल पर विचार किया जा रहा है.

चीन पर निर्भरता कम करने की बढ़ती यूरोपीय मांग 

ट्रंप प्रशासन के तहत, यूरोपीय देशों को व्यापारिक प्रतिस्पर्धियों के रूप में देखने, ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने और यूरोपीय देशों पर अपनी रक्षा प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने के लिए दबाव बढ़ाने के उनके फैसले के कारण ट्रांस-अटलांटिक मतभेद बढ़ गए हैं. चीन के साथ यूरोप का संबंध भी एक महत्वपूर्ण बिंदु रहा है. उदाहरण के लिए, जब यूके की बोरिस जॉनसन सरकार ने घोषणा की कि चीनी टेलीकॉम दिग्गज कंपनी उनके 5 जी बुनियादी ढांचे के 35 प्रतिशत तक का निर्माण करेगी, तो अमेरिकी सांसदों ने चेतावनी दी कि इस कदम से यूएस-यूके इंटेलिजेंस साझेदारी ख़तरे में पड़ सकती है.

हालांकि, अब चीनी निवेश और बीजिंग द्वारा कोरोनोवायरस महामारी से निपटने में पारदर्शिता की कमी के मद्देनज़र कंजर्वेटिव सांसदों में पैदा हो रही नाराज़गी के चलते जॉनसन ने कथित तौर पर हुवावे की भागीदारी को कम करने के लिए मसौदा तैयार करने को कहा है. इसके अलावा, “चीन के साथ यथार्थवाद के दौर में प्रवेश करते हुए”, जॉनसन ने घोषणा की कि वह अपने मूल्यों और हितों को सुरक्षित रखने के लिए यूके वीजा पाबंदियों को कम कर सकते हैं और लाखों हांगकांग वासियों को नागरिकता की प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं, क्योंकि बीजिंग घोषित सुरक्षा कानून को लागू करने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा, हाल ही में यूरोपीय संघ के 27 सदस्यों के विदेश मंत्रियों और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो के बीच एक वीडियो बैठक में यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रतिनिधि जोसेफ बोरेल ने कहा कि चीन को लेकर “अधिक मज़बूत रणनीति” बनाने और यूरोप के लिए “चिंताओं को बांटने व साझा हितों के लिए अमेरिका के साथ एकजुट रहने की ज़रूरत है.”

पेश किए प्रस्तावों के तहत, यूरोपीय संघ के अधिकारी निवेशकों को अर्जित प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा करने के लिए मजबूर कर सकते हैं

इसके अलावा, बयानबाजियों से परे, यूरोप के लिए अमेरिकी अंतर-एजेंसी तंत्र [उदाहरण के लिए कमेटी ऑन फॉरेन इनवेस्टमेंट इन यूनाइटेड स्टेट्स (CFIUS) ] जैसे बढ़ते सुरक्षा उपायों की मांग के बाद यूरोपीय संघ ने भी चीनी निवेश के खिलाफ़ सख़्त पाबंदियों की मांग की है. पिछले महीने चीनी सरकार द्वारा नियंत्रित एक कंपनी द्वारा नार्वेजियन एयर में शेयर के “अवसरवादी अधिग्रहण”  के बाद, यूरोपीय आयोग ने “यूरोपीय परिसंपत्तियों के लिए प्रतिस्पर्धियों को सरकारी सब्सिडी का उपयोग करने से रोकने के वास्ते” प्रस्तावों की घोषणा की.

जब यूके की बोरिस जॉनसन सरकार ने घोषणा की कि चीनी टेलीकॉम दिग्गज कंपनी उनके 5 जी बुनियादी ढांचे के 35 प्रतिशत तक का निर्माण करेगी, तो अमेरिकी सांसदों ने चेतावनी दी कि इस कदम से यूएस-यूके इंटेलिजेंस साझेदारी ख़तरे में पड़ सकती है. इमेज © गेटी

ज़ाहिर है ये प्रस्ताव चीन से संबंधित हैं (जिसे यूरोपीय संघ अब “योजनाबद्ध प्रतिद्वंद्वी” के रूप में पेश करता है) जिनमें “सरकारी सब्सिडी वाले निवेशकों पर शर्तें” लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो कि अपने निवेश के माध्यम से उन्नत और/ या संवेदनशील तकनीक तक भी पहुंच बनाते हैं. एक विवादास्पद मामले में, चाइना नेशनल केमिकल कॉर्प के 2015 में इतालवी टायर-दिग्गज कंपनी पिरेली के अधिग्रहण ने राज्य के स्वामित्व वाली इकाई को प्रीमियम टायर की तकनीकी जानकारियों तक पहुंच भी दी. पेश किए प्रस्तावों के तहत, यूरोपीय संघ के अधिकारी निवेशकों को अर्जित प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धियों के साथ साझा करने के लिए मजबूर कर सकते हैं.

इसलिए, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी केंद्रीय स्थिति के कारण आर्थिक पारस्परिक निर्भरता के लिए चीन की मांग बढ़ी है, जो नए सिरे से चीन पर केंद्रित ट्रांस-अटलांटिक सर्वसम्मति से पूरा किया जा सकता है.


धृति कामदार ORF में एक रिसर्च इंटर्न हैं.

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