Author : Ayjaz Wani

Published on Oct 09, 2020 Updated 0 Hours ago

शिन्जियांग में सीसीपी का लक्षित अभियान, जिसने 2014 में राष्ट्रपति शी की यात्रा के बाद रफ़्तार पकड़ी है, इसका मक़सद न सिर्फ़ वीगर की जनसंख्या वृद्धि को रोकना है, बल्कि वीगर संस्कृति के संरक्षकों को कुचलना है.

वीगर मुस्लिम महिलाओं पर चीन की तानाशाही: शिन्जियांग प्रांत में महिलाओं का जबरन गर्भपात

शिन्जियांग के वीगर मुसलमान और उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत ख़ात्मे के कगार पर है, क्योंकि बीजिंग ने जबरन नसबंदी, गर्भपात और गर्भनिरोधक उपकरणों के ज़रिये वीगर महिलाओं के ख़िलाफ़ राज्य प्रायोजित अभियान चला रखा है. अशांत शिन्जियांग क्षेत्र में 2014 में चीनी राष्ट्रपति शी ज़िनपिंग की पहली यात्रा के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) द्वारा जातीय अल्पसंख्यकों के इस सबसे बड़े दमनकारी “जनसांख्यिकीय नरसंहार” को फिर से शुरू किया गया. शी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रभावशाली हान संस्कृति के साथ वीगर के एकीकरण पर ज़ोर दिया. उनकी यात्रा के फ़ौरन बाद शिन्जियांग पार्टी समिति के एक शीर्ष अधिकारी ज़ेंग चुनज़ियान ने जन्म दर को स्थिर करने के लिए शिन्जियांग वीगर स्वायत्त क्षेत्र के अध्याय 3 के अनुच्छेद 15 के तहत परिवार नियोजन नियमों को लागू किए जाने पर ज़ोर देना शुरू कर दिया. परिवार नियोजन नियमों के माध्यम से वीगर के एकीकरण ने बीजिंग के एजेंडे को जनसांख्यिकीय परिवर्तन, समृद्ध सांस्कृतिक पहचान के ख़ात्मे और क्षेत्र के जातीय अल्पसंख्यकों को अधीनस्थ बनाने का काम किया है.

ऐतिहासिक रूप से, मध्य एशिया की महिलाएं, जिसमें शिन्जियांग की महिलाएं भी शामिल हैं, सांस्कृतिक पहचान की सशक्त प्रतीक रही हैं और इसकी संरक्षक भी मानी जाती हैं. कम्युनिस्ट सरकार के शिन्जियांग पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के बाद चीन ने 1960 के दशक में सभी समाजों की “समग्र इकाई” में “एकजुटता” के तौर पर पेश करने के लिए संस्कृति की एकरूपता की नीति को लागू किया. शिन्जियांग अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और केंद्र से अलग रहने की प्रवृत्ति के कारण, सीधा निशाना बन गया और उनकी संस्कृति, रीति-रिवाज़ों, विचारों और आदतों पर हमला किया गया. माओ की पत्नी जियांग क्विंग देशी वीगरों को “विदेशी हमलावर और परदेसी” मानती थीं. कुरान जलाए गए, मस्जिदों को बंद कर दिया गया, तबाह कर दिया गया या सुअर प्रजनन के लिए इस्तेमाल किया गया, ख़तना पर पाबंदी लगा दी गई. उदाहरण के लिए 1949 में पूरे शिन्जियांग में मौजूद 29,545 मस्जिदें सांस्कृतिक क्रांति के बाद घटकर मात्र 1,400 रह गईं हैं.

ऐतिहासिक रूप से, मध्य एशिया की महिलाएं, जिसमें शिन्जियांग की महिलाएं भी शामिल हैं, सांस्कृतिक पहचान की सशक्त प्रतीक रही हैं और इसकी संरक्षक भी मानी जाती हैं. कम्युनिस्ट सरकार के शिन्जियांग पर अपना नियंत्रण स्थापित करने के बाद चीन ने 1960 के दशक में सभी समाजों की “समग्र इकाई” में “एकजुटता” के तौर पर पेश करने के लिए संस्कृति की एकरूपता की नीति को लागू किया. 

सांस्कृतिक क्रांति के दौरान, परिवारों के भीतर संस्कृति और धर्म की रक्षा कर मूल परंपराओं और रीति-रिवाजो़ को बरकरार रखते हुए वीगर महिलाएं बीजिंग के हमले के ख़िलाफ़ प्रतिरोध में सबसे आगे थीं. उन्होंने पारंपरिक हस्तशिल्पों जैसे डोपा (कशीदाकारी की हुई सफेद सॉफ्ट टोपी) के उत्पादन से इन परंपराओं को बरकरार रखा. वीगर महिलाओं ने इन डोपों और सिर के स्कार्फ और यहां तक ​​कि घूंघट का इस्तेमाल चीनी संस्कृति और चीनीकरण के प्रतीकात्मक प्रतिरोध के रूप में किया. इसके अलावा बहादुर वीगर महिलाओं ने प्रसव में तकलीफ़देह पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल कर इस ख़ास अल्पसंख्यक समूह पर भयावह सांस्कृतिक हमले के दौरान भी स्थिर जन्म दर को बरकरार रखा.

बीजिंग ने 1955 में, शिन्जियांग वीगर स्वायत्त क्षेत्र (एक्सयूएआर) बनाया, जिसे सिद्धांत रूप में स्वायत्तता दी गई थी, लेकिन व्यवहार में नहीं. 1979 में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) ने अपने नए विवाह क़ानून के अनुच्छेद 12 के तहत एकल संतान की नीति को अनिवार्य कर दिया. शिन्जियांग के अफ़सरों ने 1981 में परिवार नियोजन के लिए शिन्जियांग वीगर स्वायत्त क्षेत्र के अध्याय 3 के अनुच्छेद 15 के तहत प्रांतीय नियम जारी किए, जो 1983 से अल्पसंख्यकों पर लागू किया गया. इस स्वायत्त क़ानून के तहत शहरी क्षेत्रों में रहने वाले अल्पसंख्यकों के दो बच्चे हो सकते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग तीन के हक़दार हैं. इस अल्पसंख्यक परिवार नियोजन नीति के कारण शिन्जियांग में दंगे हुए. वीगर छात्रों द्वारा उनके इलाके के जनसांख्यिकीय बदलाव की आशंका के साथ दमनकारी परिवार नियोजन विनियमन को ख़त्म करने की मांग किए जाने के साथ बीजिंग में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए.

हालांकि, व्यवहार में परिवार नियोजन में भी कोई स्वायत्तता नहीं थी. इस अल्पसंख्यक परिवार नियोजन क़ानून के तहत शिन्जियांग में नए जन्मे बच्चों की किस्मत का फैसला काउंटी स्तर पर सीसीपी अधिकारियों द्वारा किया जाता था और टाउनशिप, गांव व समूह स्तर तक विस्तारित था. वीगर महिलाओं और उनके परिवारों को जुर्माना (2,000 से 6,000 युआन) का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया और गर्भावस्था के किसी भी चरण में जबरन गर्भपात के लिए बाध्य किया गया, भले ही प्रांतीय नियमों के तहत यह तीसरा बच्चा था. वीगर महिलाओं और उनके परिवारों ने जुर्माना भरा और हान की बढ़ती आबादी के अंतर को काबू में रखा. यह सब शिन्जियांग की जनसांख्यिकी को बदलने और वीगरों को मुख्यधारा की चीनी आबादी में समाहित करने के लिए किया गया था. वीगर महिलाएं सीसीपी से डरी नहीं और अपने बच्चों के जन्म को कोटा प्रणाली के बाहर गुप्त रखा. यह आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से वंचित रहते हुए और पारंपरिक दाइयों का सहारा लेकर किया गया था. अधिकांश महिलाएं प्रसव के लिए दूसरे प्रशासनिक इलाकों में अपने पैतृक घरों या रिश्तेदारों के पास चली जाती थीं.

अशांत शिन्जियांग का भू-सामरिक महत्व 21वीं सदी के दूसरे दशक में कई गुना बढ़ गया, ख़ासकर 2013 में बहुप्रतीक्षित बेल्ट और रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) की शुरुआत के बाद. छह प्रमुख बीआरआई कॉरिडोर में से तीन शिन्जियांग से होकर गुज़रते हैं, जहां हान आबादी की बड़े पैमाने पर आमद ने अलगाववाद को और बढ़ावा दिया, जिसके कारण हिंसक अलगाववाद का जन्म हुआ, जैसा कि 2014 में कुनमिंग रेलवे स्टेशन पर चाकूबाजी की घटना. हमले के फ़ौरन बाद राष्ट्रपति शी ने क्षेत्र का अपना पहला दौरा किया, नागरिक अशांति के खिलाफ सख़्त कार्रवाई की मांग की और ज़्यादा एकीकरण व आर्थिक विकास के उपायों की घोषणा की. सीसीपी ने क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए हान प्रवासन के साथ स्थानीय वीगर आबादी के दमनकारी चीनीकरण (Sinicisation) हाईटेक निगरानी, ​​पुनः शिक्षा शिविर और सामाजिक-आर्थिक शोषण शुरू हुआ.

वीगर आबादी पर रोक लगाने के लिए, वीगर महिलाओं की जबरन नसबंदी, गर्भपात और जबरन इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी, गर्भाशय के अंदर डिवाइस) लगाने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया था. सीसीपी ने इस अभियान में करोड़ों डॉलर लगाए हैं.

चीन ने कुछ प्रांतों में अपनी एकल संतान की नीति को 2016 में ख़त्म कर दिया, यहां तक ​​कि लोगों को ज़्यादा बच्चे पैदा करने के वास्ते प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय पुरस्कारों की घोषणा की. हालांकि, वीगर आबादी पर रोक लगाने के लिए, वीगर महिलाओं की जबरन नसबंदी, गर्भपात और जबरन इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी, गर्भाशय के अंदर डिवाइस) लगाने पर ज़्यादा ज़ोर दिया गया था. सीसीपी ने इस अभियान में करोड़ों डॉलर लगाए हैं. महिलाओं को फिर से शिक्षा शिविरों में हिरासत में लिया गया जहां उन्हें ज़बरदस्ती आईयूडी लगाई गई और यौन उत्पीड़न किया गया. कुछ महिलाओं को ऐसी दवाएं दी गईं जिन्होंने माहवारी को रोक दिया, ख़ासकर दक्षिणी शिन्जियांग में. 2015 से 2018 के दौरान दक्षिणी शिन्जियांग के दो मशहूर शहरों– ख़ोतान और काशगर में प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि दर 84 फ़ीसद गिरकर 1.6 फ़ीसद से 0.26 फ़ीसद रह गई. शिन्जियांग में चीन की आबादी का सिर्फ़ 1.8 फ़ीसद रहता है, लेकिन पूरे चीन की 80 फ़ीसद आईयूडी वीगर महिलाओं में फिट की गई थी.

शिन्जियांग में सीसीपी का लक्षित अभियान, जिसने 2014 में राष्ट्रपति शी की यात्रा के बाद रफ़्तार पकड़ी है, इसका मक़सद न सिर्फ़ वीगर की जनसंख्या वृद्धि को रोकना है, बल्कि वीगर संस्कृति के संरक्षकों को कुचलना है. पिछले चार सालों से सीसीपी ने जिस तरह अपने कार्यक्रम को लागू किया है, उससे पता चलता है कि बीजिंग कभी भी न तो विश्व स्तर पर अपने पड़ोसियों के लिए और न ही उन मुस्लिम देशों के लिए, जिन्होंने चीन के राजनीतिक-आर्थिक प्रभाव में शिन्जियांग में चीन की नीतियों का समर्थन किया है, नियमों पर चलते हुए भला करने वाला व्यवहार करेगा. ज़्यादातर बड़े मुस्लिम देशों ने समय-समय पर वैश्विक मंचों पर शिन्जियांग के अल्पसंख्यकों के खिलाफ सीसीपी की नीतियों का समर्थन किया है. जब जापान सहित 22 लोकतांत्रिक देशों ने पुन: शिक्षा शिविरों को बंद करने के लिए एक पत्र लिखा तो सऊदी अरब, पाकिस्तान और यूएई सहित 37 मुस्लिम देशों ने शिन्जियांग में चीनी प्रभुत्वकारी नीतियों का बचाव किया और “मानव के संरक्षण और विकास के माध्यम से मानवाधिकारों के संरक्षण”  के चीनी प्रयासों की सराहना की थी.

वीगर महिलाओं की इन भयावह कहानियों के बाद भी पाकिस्तान जैसे कुछ मुस्लिम देशों ने चीन के साथ  चीन-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों के बीच रणनीतिक वार्ता के दूसरे दौर के दौरान “चीन के बुनियादी हितों और प्रमुख चिंता के मुद्दों पर, जैसे कि शिन्जियांग से संबंधित हैं” के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की है.

इसके अलावा, वीगर महिलाओं की जबरन नसबंदी और गर्भपात की ख़बरें सामने आने के बाद, यूएसए ने सीसीपी से नाराजगी जताई. अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पॉम्पिओ ने कहा, “हम चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से इन भयावह कार्रवाइयों को तुरंत रोकने की मांग करते हैं.” हालांकि, वीगर महिलाओं की इन भयावह कहानियों के बाद भी पाकिस्तान जैसे कुछ मुस्लिम देशों ने चीन के साथ  चीन-पाकिस्तान विदेश मंत्रियों के बीच रणनीतिक वार्ता के दूसरे दौर के दौरान “चीन के बुनियादी हितों और प्रमुख चिंता के मुद्दों पर, जैसे कि शिन्जियांग से संबंधित हैं” के प्रति अपने समर्थन की पुष्टि की है.

फ़िलहाल अभी तक यूरोप, अमेरिका, जापान और ऐसे ही लोकतांत्रिक संसार के देशों द्वारा शिन्जियांग के सांस्कृतिक दमन को ख़त्म करने के लिए सीसीपी पर डाले गए दबाव का कोई नतीजा नहीं निकला है. वीगर महिलाओं पर हाल में बढ़े हमलों के बाद वक़्त आ गया है कि प्रभावशाली मुस्लिम संसार अपने आर्थिक कुलीन हितों का त्याग करे और वीगर संस्कृति के अंतिम संरक्षकों को बचाने के लिए पश्चिमी लोकतंत्रों के साथ हाथ मिलाए.

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