Author : Rumi Aijaz

Published on Oct 30, 2020 Updated 0 Hours ago

पानी की कमी की समस्या को दूर करने के लिए वर्षा जल संचयन (रेन वॉटर हार्वेस्टिंग या आरडब्ल्यूएच) एक उपयोगी विधि है. फिर भी दिल्ली सरकार कई वजहों से इसका पूरा इस्तेमाल करने में नाकाम रही है. यह लेख रेन वाटर हार्वेस्टिंग में दिल्ली सरकार की चार ख़ामियों पर चर्चा करता है, और क्षेत्र के उचित उन्नयन और विकास के लिए सुझाव पेश करता है.

दिल्ली में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की चुनौतियां और उनका समाधान

दिल्ली सरकार द्वारा शहर की जल आपूर्ति बढ़ाने के लिए वर्षा जल संचयन का काम 2002 के बाद से शुरू किया गया है. एक क़ानून 100 वर्ग मीटर और उससे ज़्यादा की मौजूदा और नई संपत्तियों (सरकारी और निजी दोनों) में वर्षा जल संचयन (आरडब्ल्यूएच) प्रणालियों की स्थापना अनिवार्य करता है. इसके साथ ही आरडब्ल्यूएच सिस्टम की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता और पानी के बिल पर छूट जैसे प्रोत्साहन उपभोक्ताओं को दिए जाते हैं.

इस पर अमल करते हुए आरडब्ल्यूएच सिस्टम कई संपत्तियों/ इमारतों (कार्यालयों, अस्पतालों, स्कूलों और कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों, आवासीय कॉलोनियों, हाउसिंग सोसाइटियों, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे आदि) और यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में बनाए गए हैं. इन जगहों पर मिलने वाला वर्षा जल, भू-जल को रीचार्ज करता है, और कुछ उपभोक्ताओं द्वारा पुन: उपयोग के लिए भी एकत्र किया जाता है.

दिल्ली के आरडब्ल्यूएच क्षेत्र की मौजूदा स्थिति की समीक्षा से पता चलता है कि इसकी वृद्धि और विकास धीमी गति से हो रहा है. बताया गया है कि कई जगहों पर आरडब्ल्यूएच सिस्टम या तो लगाए नहीं गए, या मौजूदा सिस्टम का ठीक से रखरखाव नहीं किया गया. इस तरह, हर मॉनसून के मौसम (जून-सितंबर) के दौरान दिल्ली में मिली वर्षा जल की बड़ी मात्रा गंवा दी जाती है. ज़्यादा आरडब्ल्यूएच सिस्टम बनाकर इस स्थिति में सुधार लाना ज़रूरी है. वर्तमान में उत्पादन के लिए कच्चे पानी की कम उपलब्धता के साथ ही कई जल प्रबंधन ख़ामियों के चलते, दिल्ली सरकार बहुत से निवासियों की पानी की ज़रूरतों को पूरा करने में असमर्थ है. इसलिए, यह जानने के लिए कि कैसे काम किया जा रहा है, और मौजूदा तरीकों में समस्याओं और ख़ामियों को दुरुस्त करने के लिए दिल्ली सरकार की मौजूदा आरडब्ल्यूएच प्रबंधन रणनीति की समीक्षा करना ज़रूरी है.मौजूदा योजना में शहर के संभावित क्षेत्रों में आरडब्ल्यूएच सिस्टम स्थापित किए जाते हैं, और यह सुनिश्चित किया जाता है कि मौजूदा और नए सिस्टम चालू हालत में रहें. इस संबंध में कुछ समस्याएं और सुझावों का ज़िक्र नीचे किया गया है.

आरडब्ल्यूएच सिस्टम की संख्य़ा और स्थिति के आंकड़े

हालांकि, दिल्ली सरकार की पानी उपलब्ध कराने वाली एजेंसी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी), आरडब्ल्यूएच सिस्टम वाली और सिस्टम के बिना वाली कुछ संपत्तियों के आंकड़े (जैसे कि सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों, अस्पतालों आदि) रखती है, लेकिन शहर स्तर पर सरकारी/ निजी संपत्तियों/ इमारतों और खुले/सार्वजनिक स्थानों पर हर स्थापित आरडब्ल्यूएच प्रणाली, इसकी कार्यात्मक स्थिति और वर्षा जल की मात्रा के समग्र आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं. इसी तरह, शहर में जहां आरडब्ल्यूएच सिस्टम बनाए जा सकते हैं ऐसे सरकारी/ निजी संपत्तियों/ भवनों की संख्या और आरडब्ल्यूएच सिस्टम स्थापित किए जा सकने वाले खुले/ सार्वजनिक स्थानों की पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है. काम में प्रगति की निगरानी के लिए इस तरह के डेटा का रिकॉर्ड रखना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए दिल्ली सरकार को एक ऑनलाइन प्रणाली बनानी चाहिए जो शहर में बनाए गए आरडब्ल्यूएच सिस्टम की संख्य़ा और स्थिति की ताज़ा जानकारी दे. यह संभावित प्रॉपर्टी/ इमारतों और खुले/ सार्वजनिक स्थानों की पहचान के लिए अध्ययन में भी उपयोगी होगा, जहां आरडब्ल्यूएच सिस्टम स्थापित किए जा सकते हैं.

काम में प्रगति की निगरानी के लिए इस तरह के डेटा का रिकॉर्ड रखना बेहद ज़रूरी है. इसके लिए दिल्ली सरकार को एक ऑनलाइन प्रणाली बनानी चाहिए जो शहर में बनाए गए आरडब्ल्यूएच सिस्टम की संख्य़ा और स्थिति की ताज़ा जानकारी दे.

मौजूदा आरडब्ल्यूएच सिस्टम का मेंटेनेंस

अधिकाधिक फ़ायदा हासिल करने के लिए लगाए आरडब्ल्यूएच सिस्टम अच्छी कामकाजी हालत में होने चाहिए. यह सुनिश्चित करने के लिए, दिल्ली सरकार ने उपभोक्ताओं के लिए आरडब्ल्यूएच सिस्टम बनाने और मेंटेन करने के लिए डीजेबी दिशा-निर्देशों का पालन करना और पानी के बिलों पर छूट का लाभ उठाने के लिए अपने आरडब्ल्यूएच सिस्टम की कार्यक्षमता प्रमाण-पत्र पेश करना ज़रूरी कर दिया है. हालांकि, कई स्थानों पर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है इसलिए कई सिस्टम की दशा ख़राब है; कई काम नहीं कर रहे हैं. दिल्ली में साल में कई बार धूल भरी आंधी आती है. ऐसे में छतों, पानी के पाइप/ गटर के एंट्री प्वाइंट और स्टोरेज टैंक/ गड्ढों की लगातार सफाई की ज़रूरत होती है. लेकिन उपभोक्ता समय और ख़र्च के चलते अपने सिस्टम को मेंटेन करने के लिए कदम नहीं उठाते हैं, और इसके बजाय सरकार को पेनाल्टी का भुगतान करते हैं. ऐसे में, दिल्ली सरकार को लगाए गए आरडब्ल्यूएच सिस्टम के मेंटेनेंस के उद्देश्य से अनुभवी आरडब्ल्यूएच सिस्टम एजेंसियों की पहचान करने और उनकी सेवा हासिल करने में उपभोक्ताओं की मदद करनी चाहिए. आरडब्ल्यूएच में महारत रखने वाली पेशेवर कंपनियां इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं

दिल्ली सरकार को लगाए गए आरडब्ल्यूएच सिस्टम के मेंटेनेंस के उद्देश्य से अनुभवी आरडब्ल्यूएच सिस्टम एजेंसियों की पहचान करने और उनकी सेवा हासिल करने में उपभोक्ताओं की मदद करनी चाहिए. आरडब्ल्यूएच में महारत रखने वाली पेशेवर कंपनियां इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.

भू-जल रिचार्ज के साथसाथ लोगों के इस्तेमाल के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग

ऐसा माना जाता है कि अधिकांश स्थापित आरडब्ल्यूएच सिस्टम केवल भू-जल (ग्राउंडवाटर) के रिचार्ज की सुविधा देता है, और लोगों के इस्तेमाल के लिए वर्षा जल का पुन: उपयोग नहीं करता है. दिल्ली के कई हिस्सों में गिरते भू-जल स्तर (ग़ैरक़ानूनी दोहन/ बहुत ज़्यादा दोहन) के मद्देनज़र भू-जल रिचार्ज पूरी तरह से ज़रूरी है, इसलिए यह व्यवस्था करना भी फ़ायदेमंद होगा कि विभिन्न इंसानी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए वर्षा जल के एक हिस्से का उपयोग करने का मौका मिले- पीने के लिए और दूसरे कामों दोनों के लिए. अगर इस पहलू को ठीक से निपटाया जाता है, तो जल एजेंसी द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले पेयजल की बड़ी मात्रा में बचत होगी. एक अनुमान के मुताबिक, घरों में आपूर्ति किए जाने वाले पानी का 40 फ़ीसद तक का इस्तेमाल ग़ैर-पेय कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि बगीचों में, वाटर कूलर में, कार वॉशिंग और घर के बाहर के गलियारे, टॉयलेट फ्लश आदि.

इसलिए, दिल्ली सरकार और नागरिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भू-जल रिचार्ज के अलावा, बारिश के पानी को स्टोरेज टैंक/ गड्ढों में पुन: उपयोग के लिए जमा किया जाए. इस मक़सद के लिए, आगे बताई व्यवस्था की ज़रूरत होती है: ड्रेन पाइप/गटर से स्टोरेज टैंकों में अशुद्धियों, कचरे और गाद को जाने से रोकना; स्टोरेज टैंक में काई, बैक्टीरिया और वायरस को मारने के लिए क्लोरीन से कीटाणुशोधन; टैंकों में नॉन-टॉक्सिक पदार्थों का इस्तेमाल करना, और हेल्दी एसि़डिटी मानकों (यानी पीएच मान 7) को बनाए रखना; डाउनपाइप डाइवर्टर  और बायो-मिनरल कारट्रिज लगाना; और वर्षा जल भंडारण टैंक से उपभोक्ता के ठिकाने पर पानी के हस्तांतरण के लिए एक पाइपलाइन नेटवर्क की स्थापना.

संभावित क्षेत्रों में आरडब्ल्यूएच सिस्टम की स्थापना

अनिवार्य किए जाने के बावजूद, शहर में बड़ी संख्य़ा में ऐसी सरकारी और निजी संपत्तियां हैं जो 100 वर्ग मीटर और उससे ज़्यादा हैं, मगर फिर भी संपत्ति मालिक/ कब्जाधारी द्वारा आरडब्ल्यूएच सिस्टम स्थापित नहीं किए गए हैं. घरों के मामले में, यह पाया गया है कि वे इसके पक्ष में नहीं हैं, क्योंकि आरडब्ल्यूएच सिस्टम बनाने और उनके रखरखाव का मतलब है वक़्त और पैसे का ख़र्च. उनके ख़्याल में, भले ही स्थानीय निकाय की पाइपलाइनों से मिलने वाला पानी कम है, फिर भी वही सबसे अच्छा और सबसे सुविधाजनक विकल्प है. इस हालत में, ऐसी संपत्तियों में आरडब्ल्यूएच सिस्टम की स्थापना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है, क्योंकि उपभोक्ताओं में क़ानून का पालन करने का रुझान नहीं है.

हालांकि, शहर में पानी की मौजूदा कमी को देखते हुए, स्थानीय निकाय द्वारा घरों में की जाने वाली पाइप्ड आपूर्ति पर पूरी तरह निर्भरता ठीक नहीं है. अगर आरडब्ल्यूएच के माध्यम से ज़्यादा पानी हासिल किया जा सकता है, तो यह न केवल घरों की वांछित ज़रूरतों को पूरा करेगा, बल्कि शहर की जल एजेंसी पर बोझ को भी कम करेगा.इस तरह, इस संबंध में पहला कदम विभिन्न श्रेणियों के जल उपभोक्ताओं के लिए पानी के महत्व और आरडब्ल्यूएच के फ़ायदों पर जागरूकता कार्यक्रम करना है. इस काम में प्रतिबद्ध एनजीओ को प्रशिक्षित किया और जोड़ा जा सकता है. डीजेबी द्वारा पूर्व में आयोजित कार्यक्रमों में शहर के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले उपभोक्ताओं को शामिल नहीं किया गया था.

आरडब्ल्यूएच सिस्टम लगाने के लिए हर प्लॉट मालिक से पूछने के बजाय पास की किसी जगह पर सिस्टम बनाने की संभावना का पता लगाया जाना चाहिए. इस व्यवस्था में घरों/ संपत्तियों के एक समूह की छतों पर गिरने वाले वर्षा जल को पाइप के नेटवर्क के ज़रिये किसी आसपास के गड्ढे/ टैंक में पहुंचाया जा सकता है. 

दूसरी बात, जहां भी ज़रूरत पैदा होती है, आरडब्ल्यूएच सिस्टम लगाने के लिए हर प्लॉट मालिक से पूछने के बजाय पास की किसी जगह पर सिस्टम बनाने की संभावना का पता लगाया जाना चाहिए. इस व्यवस्था में घरों/ संपत्तियों के एक समूह की छतों पर गिरने वाले वर्षा जल को पाइप के नेटवर्क के ज़रिये किसी आसपास के गड्ढे/ टैंक में पहुंचाया जा सकता है. इस तरीके में, संपत्ति के मालिकों की ज़िम्मेदारी छतों को मेंटेन करने, पाइप/ गटर को बनाने और पाइपों को पानी के एंट्री प्वाइंट तक बनाए रखने तक सीमित होगी, जबकि पास के गड्ढों को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन या एक नियुक्त की गई निजी संस्था द्वारा मेंटेन किया जा सकता है.

हालांकि, घरों/संपत्तियों के अलावा आरडब्ल्यूएच सिस्टम कुछ सार्वजनिक स्थानों/ खुले स्थानों/पार्कों में बनाए गए हैं, लेकिन ऐसे बहुत से क्षेत्रों को अभी शामिल किया जाना बाकी है. उन क्षेत्रों में आरडब्ल्यूएच की ज़बरदस्त संभावना है जहां बहुत ज़्यादा बारिश का पानी जमा हो जाता है, जैसे कि सड़क किनारे, अंडरपास, फ्लाईओवर, निचले स्थान आदि. ऐसे क्षेत्रों में आरडब्ल्यूएच भू-जल रिचार्ज में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और साथ ही बाढ़ की समस्या को भी हल कर सकता है. कुछ जमा हुए पानी को ट्रीटमेंट कर उपभोक्ताओं को आपूर्ति के लिए डीजेबी संयंत्रों में भी भेजा जा सकता है.

अंतिम तौर पर कहा जा सकता है कि, रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए दिल्ली सरकार द्वारा अपनाए गए तरीकों में ख़ामियां हैं. ये ख़ामियां शहर में आरडब्ल्यूएच सिस्टम की संख्या और उनकी क्रियाशील स्थिति, वर्षा जल के सीमित उपयोग और शहर के कई हिस्सों में आरडब्ल्यूएच सिस्टम की अनुपस्थिति पर डेटा की कमी से जुड़ी हैं. अगर आरडब्ल्यूएच से पूरा फ़ायदा उठाया जाना है तो निश्चित रूप से इन ख़ामियों को सही तरीके से दुरुस्त करना होगा.

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