Author : Manoj Joshi

Published on Mar 07, 2019 Updated 0 Hours ago

ब्रिटिश ख़ुफ़िया रिपोर्ट यूरोप के समंदरों में नई तरंग पैदा कर सकती है।

ह्यूवेई पर पाबंदी को लेकर ब्रिटिश रिपोर्ट कर सकती है उलटफेर

चीन की दिग्गज टेलीकॉम कंपनी ह्यूवेई पर पाबंदी लगाने का जो दबाव अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों पर बना रहा था, उसे पिछले हफ़्ते एक ख़बर से झटका लगा है। ब्रिटेन के नेशनल साइबर सिक्युरिटी सेंटर ने माना है कि ब्रिटेन की दूरसंचार परियोजनाओं में ह्यूवेई की तकनीक के इस्तेमाल से पैदा होने वाले किसी भी ख़तरे को नियंत्रित किया जा सकता है — बस उन क्षेत्रों को नियंत्रित करके, जहां ह्यूवेई के 5G उपकरण इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

ब्रिटिश ख़ुफ़िया एजेंसी की शाखा जीसीएचक्यू ह्यूवेई के उपकरणों का सालाना परीक्षण करती रही है। अपनी तकनीक को लेकर अमेरिका की ओर से दबाव झेल रही कंपनी के लिए ये नतीजा काफ़ी अहमियत रखने वाला है। एनसीएससी ने कहा कि ह्यूवेई पर उसकी ‘अलग समझ और नज़र’ है और कंपनी इंजीनियरिंग और चिंता से जुड़े उन दूसरे मुद्दों को देखेगी जिन पर ह्यूवेई साइबर सिक्युरिटी इवैल्यूशन ओवरसाइट बोर्ड ने एतराज़ जताया था — ये बोर्ड एनएसएससी प्रमुख की अध्यक्षता में बना एक निगरानी तंत्र है।

इस रिपोर्ट का पहला नतीजा तो फ़ौरन देखने को मिलता लग रहा है। जर्मनी के गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एक रिपोर्टर से कहा कि उनका देश अपने 5G नेटवर्क से किसी भी कंपनी को बाहर करने की योजना नहीं बना रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय का ध्यान जर्मन नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करना है — उन निर्माताओं की ओर से भी, जिन्हें अविश्वसनीय माना जाता है।

एनसीएससी ने कहा कि ह्यूवेई पर उसकी ‘अलग समझ और नज़र’ है और कंपनी इंजीनियरिंग और चिंता से जुड़े उन दूसरे मुद्दों को देखेगी जिन पर ह्यूवेई साइबर सिक्युरिटी इवैल्यूशन ओवरसाइट बोर्ड ने एतराज़ जताया था — ये बोर्ड एनएसएससी प्रमुख की अध्यक्षता में बना एक निगरानी तंत्र है।

ब्रिटेन में ह्यूवेई ने अपने उपकरणों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ प्रयोगशाला बनाने का ख़र्च भी दिया है और दूसरे देशों में भी ऐसी प्रयोगशालाएं बनाने की पेशकश की है। ह्यूवेई साइबर सिक्युरिटी इवैल्यूएशन बोर्ड 2014 से काम कर रहा है और ब्रिटिश नागरिकों द्वारा वहां किए जा रहे काम की निगरानी जीसीएचक्यू, कैबिनेट दफ़्तर और गृह विभाग द्वारा की जाती है। अब तक प्रयोगशाला को ह्यूवेई के उल्लंघनों को लेकर कार्रवाई करने लायक कोई सूचना नहीं मिली है। माना जा रहा है कि ब्रिटिश सरकार अगले महीने के आसपास तक 5G से जुड़े मुद्दों की समीक्षा पूरी कर लेगी और इसके प्रवक्ताओं ने कहा है कि अभी तक कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है।

ये ब्रिटिश रिपोर्ट अमेरिका के लिहाज से ऐसे अजीब समय में आई है जब उसने यूरोप पर ह्यूवेई को प्रतिबंधित करने का दबाव बढ़ा रखा था और साथ ही साथ एक कार्यकारी आदेश लाने की तैयारी कर रहा था जो अमेरिकी कंपनियों को ह्यूवेई का इस्तेमाल करने से रोकेगा। अमेरिकियों की दलील है कि 5G एक क्रांतिकारी तकनीक है और इसके फौजी निहितार्थ भी होंगे और उनको लगता है कि चीनी उपकरणों का इस्तेमाल करने का खतरा कुछ ज़्यादा बड़ा है।

अमेरिकी कोशिश के तौर पर, उप राष्ट्रपति माइक पेन्स ने बीते हफ़्ते 55वीं म्यूनिख सिक्युरिटी कॉन्फरेंस में कहा कि अमेरिका “ह्यूवेई और दूसरी चीनी दूरसंचार कंपनियों द्वारा पेश ख़तरों को लेकर अपने सुरक्षा साझेदारों के साथ बेहद स्पष्ट” रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी कानूनों के तहत वहां की कंपनियों को अपने नेटवर्क में आने वाले किसी भी डेटा को ख़ुफ़िया एजेंसियों को मुहैया कराना पड़ता है।

इससे एक हफ़्ते पहले, बुडापेस्ट में बोलते हुए, गृह मंत्री माइक पॉम्पेओ ने अमेरिकी सहयोगियों को चीनी उपकरण, ख़ासकर ह्यूवेई के बनाए उपकरण अपने नेटवर्क में इस्तेमाल करने के ख़िलाफ़ चेतावनी दी और कहा कि इससे वाशिंगटन के लिए उनको साझेदार बनाना और मुश्किल हो जाएगा। अमेरिकी गृह मंत्री ने अपनी चेतावनियां अपने मध्य यूरोप दौरे के आख़िरी दौर में भी दुहराईं जब वे स्लोवाकिया और पोलैंड में थे। मध्य और पूर्वी यूरोप में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव से वाशिंगटन ख़ास तौर पर चिंतित है।

अमेरिकियों की दलील है कि 5G एक क्रांतिकारी तकनीक है और इसके फौजी निहितार्थ भी होंगे और उनको लगता है कि चीनी उपकरणों का इस्तेमाल करने का खतरा कुछ ज़्यादा बड़ा है।

जैसा अनुमान था, चीनी सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों की टिप्पणियों पर सख़्त एतराज़ जताया है। म्यूनिख में पेंस की टिप्पणी के जवाब में, 18 फ़रवरी को चीन के आधिकारिक प्रवक्ता ने अमेरिका पर चीन का औद्योगिक विकास रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, “अमेरीकी सरकार चीनी उद्यमों का वैध विकास रोकने के लिए एक बहाना गढ़ रही है।” उन्होंने जोड़ा, “चीन को पिछले दरवाज़े बनाकर दूसरे देशों की सूचनाएं जुटाने या मुहैया कराने के लिए किन्हीं लोगों या कंपनियों की ज़रूरत न पड़ी है और न पड़ेगी।”

दिसंबर 2018 में कंपनी की मुख्य वित्तीय अधिकारी मेंग वांगज़ाऊ को कनाडा में गिरफ़्तार कर लिया गया क्योंकि अमेरिका उनका प्रत्यर्पण चाहता था। 29 जनवरी 2019 को अमेरिका के क़ानून मंत्रालय ने ह्यूवेई के दो अधिकारियों और सीएफओ मेंग के ख़िलाफ़ 13 बिंदुओं का आपराधिक अभियोग मढ़ा। आरोपों में दस साल पीछे तक के मामले हैं और इनका वास्ता बैंक और वायर फ्रॉड के साथ-साथ ईरान पर अमेरिकी पाबंदियों के उल्लंघन तक से है। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह “कुछ चीनी कंपनियों का ऑपरेशन रोकने के मक़सद से उनको संदिग्ध बनाने और उनका दमन करने के लिए अपनी सरकारी ताकत” का इस्तेमाल कर रहा है।

ह्यूवेई के ख़िलाफ़ अमेरिकी मुहिम के नतीजे के तौर पर सभी ‘फाइव आइज़’ देशों — अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड — अब अपने 5G नेटवर्क की योजनाओं से ह्यूवेई को बाहर रखने पर सहमत हो गए हैं, हालांकि ब्रिटेन अब अपनी पाबंदियों को कुछ कम कर सकता है। जापान ने भी ह्यूवेई को सरकारी ठेके दिए जाने पर रोक लगा दी है। ब्रिटेन में BT अपने मौजूदा 3G और 4G नेटवर्क से ह्यूवेई के उपकरण हटा रही है और वह अपने 5G नेटवर्क के लिए ह्यूवेई का कोई अहम पुर्जा इस्तेमाल नहीं करेगी।

फरवरी के शुरू में डेनमार्क में पुलिस ने ह्यूवेई के दो कर्मचारियों को वर्क परमिट के सवाल पर बाहर कर दिया, हालांकि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि उनकी गिरफ़्तारी किसी जासूसी के आरोप में नहीं हुई है। इसी बीच नॉर्वे की ख़ुफ़िया एजेंसी ने ह्यूवेई के लिए एक चेतावनी जारी की, जब उनके अंदरूनी ख़ुफ़िया प्रमुख बेनेडिक्ट जॉर्न्लैंड ने ह्यूवेई के संदर्भ में सावधानी के साथ चलने की ज़रूरत बताई क्योंकि उसका वास्ता चीनी सरकार से है और उन्होंने चीन के ख़ुफ़िया कानून का उल्लेख किया जिसमें “किसी निजी शख़्स, संस्थान या कंपनी को चीन के साथ सहयोग करना ज़रूरी” है। ह्यूवेई ने नॉर्वे में 3G और 4G नेटवर्क बनाने में एक भूमिका अदा की है और अब नॉर्वे की कंपनियां 5G सिस्टम लाने में लगी हुई हैं।

ब्रिटेन में BT अपने मौजूदा 3G और 4G नेटवर्क से ह्यूवेई के उपकरण हटा रही है और वह अपने 5G नेटवर्क के लिए ह्यूवेई का कोई अहम पुर्जा इस्तेमाल नहीं करेगी।

जर्मनी और फ्रांस में शुरुआती दौर में ‘फ़ाइव आइज़’ की राह पर चलने में कुछ हिचक हुई, लेकिन अमेरिकी दबाव लगातार बना रहा। 2018 के शुरू में जर्मन अधिकारियों के साथ बातचीत में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने कहा था कि वे इस ख़याल को लेकर ख़ास उत्साहित नहीं है कि जर्मनी से गुज़रने वाली यूरोप की विशाल फाइबर ऑप्टिक लाइनों के स्विच चीन के सस्ते टेलीकॉम उपकरणों से जोड़े जाएं, क्योंकि वे नाटो की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक हो सकते हैं।

जर्मनी अब सुरक्षा मानकों को लेकर सख़्त क़ानून तैयार कर रहा है ताकि जब देश की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां 5G नेटवर्क शुरू कर रही हैं तो ह्यूवेई के उपकरणों के इस्तेमाल को रोका जाए। इस साल मध्य मार्च में होने वाली 5G की नीलामी से हफ़्तों पहले ऐसे क़दमों को क़ानूनी शक्ल दी जा सकती है।

इन कदमों के तहत कंपनी के उपकरणों को फेडरल ऑफिस फॉर इन्फोर्मेशन सिक्युरिटी से प्रमाण पत्र लेना होगा और सिस्टम को चलाने वाले सोर्स कोड बताने होंगे — यह वह चीज़ है जिससे किसी ‘चोर दरवाज़े’ को पकड़ने में मदद मिल सकती है और दूसरे इन्क्रिप्टेड डेटा फ्लो की निगरानी की जा सकती है। जर्मन अधिकारियों की मुख्य उलझन चीनी कंपनियों की यह क़ानूनी बाध्यता है कि उन्हें अपनी ख़ुफ़िया एजेंसियों के साथ सहयोग करना है।

चेक गणराज्य में ख़ुफ़िया सेवाओं ने कंपनी की गतिविधियों और इसके सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है और इसके लिए प्रधानमंत्री के माफ़ी मांगने जैसा कुछ लगने को लेकर एक विवाद भी खड़ा हो गया। पोलैंड में प्रधानमंत्री ने हाल ही में चीन और रूस के ख़िलाफ़ ‘रोक’ बनाए रखने की ज़रूरत पर बात की और विदेश मंत्रालय ने बीते साल दिसंबर में बयान जारी करते हुए साइबर जासूसी से जुड़ी चिंता जताते हुए कहा कि इसमें “चीन के हमारे सहयोगियों के भी नाम आ रहे हैं।”

वाल स्ट्रीट जर्नल के मुताबिक पोलैंड मध्य और पूर्वी यूरोप में ह्यूवेई का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है और बीते साल सरकार ने कंपनी को अपनी 5G रणनीति का आधिकारिक साझेदार घोषित किया था। प्रधानमंत्री दफ़्तर ने यह भी कहा था कि कंपनी राजधानी में जो आर एंड डी सेंटर चला रही है, उसके अलावा एक विज्ञान और तकनीक केंद्र भी खोलेगी।

इस मामले की जांच के बाद पोलैंड और अमेरिका के अधिकारी देश में चीन की गहरी घुसपैठ की प्रकृति की फ़िक्र करने को मजबूर हुए।

अमेरिका ने पोलैंड से कहा है कि पोलैंड में भविष्य में अमेरिकी फ़ौजों की तैनाती और वहां स्थायी अड्डा बनाए जाने की बात पोलैंड की प्रतिक्रिया पर निर्भर रह सकती है। इस साल के शुरू में पोलैंड के अधिकारियों ने बीजिंग के लिए जासूसी करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ़्तार किया था जिनमें एक ह्यूवेई का चीनी कर्मचारी वांग वेइजिंग भी था। एक अदालत ने उन्हें तीन महीने की क़ैद की सज़ा सुनाई हालांकि दोनों ने ख़ुद को बेक़सूर बताया था, और वांग को उसकी कंपनी ने निकाल दिया था।

इस मामले की जांच के बाद पोलैंड और अमेरिका के अधिकारी देश में चीन की गहरी घुसपैठ की प्रकृति की फ़िक्र करने को मजबूर हुए। वांग के साथ गिरफ़्तार दूसरा शख़्स प्योत्र दुर्बाज्लो था जो पोलैंड के काउंटर इंटेलिजेंस का एक पूर्व अफ़सर था। जांच के दौरान परेशान वाले ऐसे सबूत आए कि पोलैंड के ख़ुफ़िया महकमे में चीन की घुसपैठ गहरी हो सकती है और इसमें ह्यूवेई की मदद हो सकती है।

एक और देश जो अमेरिकी दबाव का सामना कर रहा है, वह हंगरी है। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्तोर ओरबान कहते हैं कि भले ही हंगरी नाटो का सदस्य है, वह तटस्थता की नीति पर चलना चाहेगा। ओरबान ने हंगरी में चीनी निवेश को न्योता दिया है और अमेरिका से एक रक्षा समझौते का विरोध कर रहे हैं।

ख़बरों के मुताबिक, अमेरिकी कार्रवाइयों को अचानक उस साइबर धोखाधड़ी से बल मिला जिसकी वजह से बीते साल मैरियट होटल चेन के 50 करोड़ मेहमानों के निजी ब्योरे हैक कर लिए गए।

इसके बाद अमेरिका ने चीन की कारोबारी, साइबर और आर्थिक नीतियों को लक्ष्य बनाने की योजना शुरू की। माना जा रहा है कि इस क़दम का नतीजा उसका कार्यकारी आदेश होगा जिससे चीनी कंपनियों के लिए अपने टेलीकॉम सिस्टम के लिए अमेरिका से अहम कल पुर्जे हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा।

फ़िलहाल यूरोपीय संघ ऐसे प्रस्तावों पर विचार कर रहा है जिसमें 5G नेटवर्क से चीनी कंपनियां बाहर रहेंगी। बातचीत बिल्कुल शुरुआती दौर में है, लेकिन इसमें 2016 के साइबर सुरक्षा कानून में संशोधन की बात शामिल हो सकती है जिसमें अहम आधारभूत ढांचे में लगी कंपनियों के लिए समुचित सुरक्षा मानक अपनाना ज़रूरी हो। यूरोपीय संघ सिर्फ़ अमेरिकी दबाव पर ही प्रतिक्रिया नहीं दे रहा, बल्कि चीन के अपने राष्ट्रीय ख़ुफ़िया क़ानून को भी देख रहा है जिसमें सभी नागरिकों और संगठनों को चीनी सरकार के ख़ुफ़िया काम में सहयोग करना है। इसलिए यूरोपीय संघ के लिए कार्रवाई के लिए चीनी जासूसी के किसी वास्तविक सबूत की ज़रूरत नहीं है। लेकिन यूरोपीय संघ की प्रक्रियाओं को देखते हुए ऐसा क़ानून बनने में साल भर से ज़्यादा समय लग सकता है।

ब्रिटिश ख़ुफ़िया रिपोर्ट यूरोप के समंदरों में नई तरंग पैदा कर सकती है। यह संभव हो सकता है कि अमेरिका जिस तरह की पूरी पाबंदी की बात कर रहा है, वह न हो। इसकी जगह यूरोपीय संघ अपने नेटवर्क में ह्यूवेई के उपकरणों के इस्तेमाल के लिए कड़ी शर्तें रखेगा। ह्यूवेई की 5G हसरतों को लेकर कई देशों की व्यावहारिक प्रतिक्रिया तय करने में ब्रिटिश रिपोर्ट एक अहम भूमिका अदा करेगी।

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