Author : Manoj Joshi

Published on Jan 03, 2022 Updated 0 Hours ago

अंदरूनी और बाहरी चुनौतियों ने चीन को चीनी समाज का आर्थिक और सामाजिक विकास (growth) सुनिश्चित करने के लिए क़दम उठाने पर मजबूर किया है. और, इसके बदले में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) का शासन और मज़बूत किया जाना है.

लोकतंत्र की नयी परिभाषा गढ़ने की कोशिश में चीन

हाल ही में चीन द्वारा सामाजिक लोकतंत्र के एक नये मॉडल की वकालत करना, अमेरिकी अगुवाई में हुए लोकतंत्रों के शिखर सम्मेलन (Summit of Democracies) का एक जवाब भर नहीं है. इसके भीतर वे अहम नीतिगत क़दम समाहित हैं, जिनका उद्देश्य चीनी अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करना, नये वैश्विक बदलावों के संदर्भ में अपने विकास पथ (growth trajectory) को समायोजित (adjust) करना और देश में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के शासन को और मज़बूत करना है. एक सत्तावादी (authoritarian) एकदलीय प्रणाली के तहत चीन के एक भूराजनीतिक और आर्थिक शक्ति के रूप में उदय ने व्यक्तिगत अधिकारों, बहुदलीय चुनावों, और क़ानून के शासन पर आधारित उदारवादी लोकतंत्र के लिए बड़ी चुनौती पेश करनी शुरू कर दी है. फ़ौरी तौर पर, यह आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से मुक़ाबिल लोकतंत्र के नवीकरण और आर्थिक मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा में चीन को मात देने की अमेरिकी कोशिश का जवाब पेश करता है.

यह आंतरिक और बाहरी चुनौतियों से मुक़ाबिल लोकतंत्र के नवीकरण और आर्थिक मोर्चे पर प्रतिस्पर्धा में चीन को मात देने की अमेरिकी कोशिश का जवाब पेश करता है.

चीनियों ने साफ़ तौर पर लोकतंत्रों के शिखर सम्मेलन को, जिसमें 100 से ज्यादा देशों ने शिरकत की, अमेरिका द्वारा शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा. 4 दिसंबर को, बैठक से पांच दिन पहले, चीन ने ‘चीन : लोकतंत्र जो कारगर है’ नाम से एक श्वेतपत्र जारी किया, जो दावा करता है कि उसका ‘पूरी प्रक्रिया वाला जनवादी लोकतंत्र’ (whole process people’s democracy) निर्णय लिये जाने के सभी स्तरों पर लोगों को भागीदार बनाता है. दिलचस्प यह है कि, यह ‘लोकतंत्र’ की धारणा (notion) की शक्ति ही है कि चीन इसे ख़ारिज नहीं कर रहा, बल्कि अपने ढंग से इसकी व्याख्या करने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिका-चीन संबंध में बदलावा आया है, जो अब संपर्क रखने के स्तर से प्रतिस्पर्धा तक पहुंच गया है. इसने चीनी प्रयासों में तुरंत कुछ करने की ज़रूरत का भाव जोड़ा है. इस साल 1 जुलाई को CPC की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ पर अपने संबोधन में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि चीन एक ‘पूरी प्रक्रिया वाला जनवादी लोकतंत्र’ है, जिसने सामाजिक न्याय की रक्षा की, ‘विकास के असंतुलन और अपर्याप्तता’ का समाधान किया. यह ‘आधुनिकीकरण का एक नया और अनोखा चीनी रास्ता था.’

इस मामले में CPC के लिए मुख्य प्रेरक-शक्ति अमेरिका के साथ संबंध में आया बदलाव नहीं है. इसकी जड़ें CPC के शासन की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए आर्थिक और राजनीतिक प्रयासों की ज़रूरत को लेकर पार्टी की अपनी सोच में हैं. यह बात 2017 की पार्टी कांग्रेस से ही स्पष्ट है, जहां चीन द्वारा सामना किये जा रहे ‘प्रधान अंतर्विरोध’ (principal contradiction) के संबंध में बदली हुई अभिव्यक्ति देखने को मिली. यह 36 सालों में पहला बदलाव था. यह घिसा हुआ मार्क्सवादी-लेनिनवादी-माओवादी सूत्रीकरण तब से लेकर हुए बदलावों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण गाइड का काम करता है. मार्क्सवादी शब्दावली में, ये अंतर्विरोध या गतिशील विरोधी बल, समाज में परिवर्तन के वाहक होते हैं. उनकी पहचान और फिर समाधान के जरिये, समाज आगे बढ़ता है, लेकिन अगर वे अनसुलझे रह जाएं, तो यह स्थिति विफलता और यहां तक कि क्रांति की ओर भी ले जा सकती है.

अक्टूबर 2017 में 19वीं पार्टी कांग्रेस को सौंपी अपनी रिपोर्ट में, शी ने साफ़ कहा कि चीन आज जिसका सामना कर रहा है, वह ‘बेहतर ज़िंदगी के लिए लोगों की हमेशा बढ़ती रहनेवाली ज़रूरतों और असंतुलित एवं अपर्याप्त विकास के बीच अंतर्विरोध है.’ सार यह है कि, मध्यम वर्ग के बीच बेहतर ज़िंदगी, बेहतर घरों, अपने बच्चों के लिए शिक्षा, साफ़-सुथरे पर्यावरण इत्यादि की अधूरी ख्वाहिशें थीं. जो सिर्फ़ भौतिक ज़रूरतों तक सीमित नहीं थीं, बल्कि ‘लोकतंत्र, क़ानून के शासन, निष्पक्षता और न्याय, सुरक्षा और बेहतर पर्यावरण’ के लिए थीं.

नियामकों की ओर से सख्त कार्रवाई

बीते दो-चार सालों में बैंकिंग सेक्टर में हुए सुधारों के पीछे बस यही अकेली प्रेरणा नहीं रही है. इन सुधारों में स्थानीय सरकारों के क़र्ज़ का पुनर्गठन, निजी क्षेत्र के दिग्गजों के ख़िलाफ़ एकाधिकार विरोधी उपाय, रियल एस्टेट बबल से निपटना, डाटा सुरक्षा और निजता की रक्षा को बढ़ावा शामिल हैं. इसमें से काफ़ी कुछ व्यवस्था में अनवरत सुधार का हिस्सा रहा है, लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था से चीन के विलगाव के रुझान ने इसे निश्चित रूप से तेजी प्रदान की है. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि यह अमेरिका था, जिसने 2018 से चीन से तकनीक संबंधी विलगाव पर जोर देना शुरू किया है. स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा देने और आयात को दूर रखने की चीन की ख़ुद की कोशिशों के बारे में लोग कम जानते हैं. यह 2000 के दशक में बीजिंग द्वारा चीन को इंटरनेट से काटने और तथाकथित ‘ग्रेट फायरवॉल ऑफ चाइना’ के पीछे अपनी ख़ुद की इंटरनेट की दुनिया रचने के रूप में सामने आया. 2020 के मध्य में, चीन ने चरणबद्ध तरीके से विदेशी बाजारों और तकनीक पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए एक ‘डुअल सर्कुलेशन’ (dual circulation) आर्थिक रणनीति सामने रखी. इसमें, विकास के लिए उत्पादन, वितरण और उपभोग के ‘आंतरिक सर्कुलेशन’ (internal circulation) पर जोर रहने वाला था. निर्यात से जुड़े ‘बाहरी सर्कुलेशन’ (external circulation) की दूसरे दर्जे की अहमियत रहनी थी. इस प्रणाली में, स्थानीय मांग और उपभोग यानी आंतरिक सर्कुलेशन को प्रधानता दी जानी थी, जबकि बाहरी सर्कुलेशन और निर्यात को घरेलू मांग को बढ़ावा देना था. 

अगस्त 2021 में, Central Economic Work Conference में शी और उनके सहकर्मियों ने ‘साझी समृद्धि’ की थीम और बड़े वित्तीय जोखिमों से निपटने की ज़रूरत प्रस्तावित की, जिसके लिए क़र्ज़ और गैरबराबरी से जुड़े मुद्दों पर दोगुनी ताकत से भिड़ने का फ़ैसला किया गया.

2021 में, हमने इन लक्ष्यों को पूरा किये जाने के मक़सद से उठाये गये कई सारे क़दमों को देखा है. एक तरफ़, तकनीकी नवाचार (innovation) को बढ़ावा देना और चीनी कंपनियों को ग्लोबल वैल्यू चेन्स में ऊंचा मुकाम दिलाना तथा घरेलू मांग को उछाल देने के लिए परिवारों की आमदनी को बढ़ावा देना मक़सद है. तो दूसरी तरफ़, सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए चीन ने गैरबराबरी कम करने के प्रयास किये हैं. अगस्त 2021 में, Central Economic Work Conference में शी और उनके सहकर्मियों ने ‘साझी समृद्धि’ की थीम और बड़े वित्तीय जोखिमों से निपटने की ज़रूरत प्रस्तावित की, जिसके लिए क़र्ज़ और गैरबराबरी से जुड़े मुद्दों पर दोगुनी ताकत से भिड़ने का फ़ैसला किया गया. इसमें चीन के उस अत्यधिक सफल हाई-टेक सेक्टर पर कड़ी कार्रवाई करना शामिल था, जिसके बारे में CPC को लग रहा था कि वह हाथ से बाहर निकल गया है.

डंडा चलाने की शुरुआत जैक मा के अलीबाबा से हुई जिस पर अप्रैल 2021 में 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया. उस पर यह कार्रवाई अपने रिटेल प्लेटफार्म पर प्रतिस्पर्धा को सीमित कर एकाधिकार-विरोधी क़ानून तोड़ने के लिए की गयी. इससे पहले नवंबर 2020 में, उससे जुड़े एंट ग्रुप (Ant Group) को अपने भारी-भरकम आईपीओ को रद्द करना पड़ा था. शंघाई और हांगकांग में वित्तीय नियामको ने इसकी लिस्टिंग से कुछ दिन पहले ही इस पर रोक लगा दी थी. 

मई में, फूड डिलीवरी दिग्गज Meituan की बारी आयी, जिस पर 53.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया गया. उस पर प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों, जैसे मर्चेंट्स को अपने उत्पाद सिर्फ़ उसके प्लेटफार्म पर बेचने के लिए मजबूर करने, में संलिप्त होने का आरोप लगा था. इसके साथ ही उन हालात को बेहतर बनाने के लिए उपायों की एक पूरी शृंखला लायी गयी, जिनके तहत गिग इकोनॉमी (gig economy) काम करती थी. जुलाई में, चीनी नियामकों ने चीनी कंपनियों की विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टिंग को लेकर नियम कड़े कर दिये. उन्होंने कहा कि ‘डाटा सुरक्षा, सीमा पार डाटा प्रवाह, और अन्य गोपनीय सूचना प्रबंधन’ को लेकर चिंताओं के चलते यह नौबत आयी. उन्होंने कहा कि नियमों के उल्लंघन, धोखाधड़ी, इनसाइडर ट्रेडिंग, और बाजार को प्रभावित करने की कोशिशों (market manipulation) के चलते उन्हें यह काम करने को मजबूर होना पड़ा. राइड-हेलिंग दिग्गज Didi नियम में बदलाव के बीच में फंस गया, जिसने तुरंत ही न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में अपनी शुरुआत की थी. कंपनी ने साल के अंत तक, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट होने का एलान किया.

अगस्त में, चीन ने डाटा सुरक्षा क़ानून पारित किया, जिसका निशाना निजी कंपनियां थीं जो अपने पास इकट्ठा हुए डाटा का दुरुपयोग करती हैं. नया क़ानून ऐप निर्माताओं के लिए यह ज़रूरी बनाता है कि वे उपयोगकर्ता को यह विकल्प दें कि उनका डाटा किस तरह उपयोग किया, या नहीं किया जा सकता है. इसके तहत बायोमेट्रिक्स, चिकित्सा, स्वास्थ्य, लोकेशन और वित्तीय जैसे संवेदनशील क़िस्म के डाटा की प्रोसेसिंग से पहले कंपनियों के लिए सहमति लेना ज़रूरी है.

टेक कंपनियों पर लगाम लगाने के एक और दांव के तहत, चीन सरकार ने दो अन्य टॉप कंपनियों बाइटडांस (ByteDance) और सीना वीबो (Sina Weibo) में एक फ़ीसद शेयर और एक बोर्ड सीट ली है. बाइटडांस टिकटॉक की मालिक है, हालांकि सरकारी हिस्सेदारी केवल कंपनी के अन्य वीडियो और सूचना प्लेटफार्मों को कवर करती है. सीना वीबो चीन के सबसे बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्मों में से एक है, जो ट्विटर जैसी सेवा प्रदान करता है. इस साल, प्राधिकरणों ने फ्लैट और घर खरीदने से जुड़े नियमन को भी सख्त करना शुरू किया. मोटे मुनाफे की आस में अधिग्रहणों (speculative acquisitions) और अवैध सौदों को रोकने के लिए ऐसा किया गया. यह हाउसिंग सेक्टर पर व्यापक कड़ी कार्रवाई का हिस्सा है. हालांकि इस सेक्टर के साथ संभलकर पेश आना होगा, क्योंकि चीनी आर्थिक गतिविधि में इसकी हिस्सेदारी एक-तिहाई है और यह अभी तरलता संकट (liquidity crisis) के दलदल में फंसा हुआ है. तरलता संकट की वजह से एवरग्रांड जैसे देश के कुछ सबसे बड़े डेवलपर घुटनों पर आ चुके हैं.

यह कहने की ज़रूरत नहीं कि नियामकों द्वारा डंडा चलाया जाना चीन में लोकप्रिय रहा है. चाहे निजी ट्यूशन हो, वीडियो गेमिंग, आवासन की उच्च लागत, या निम्न-मध्यमवर्गीय लोगों के लिए कामकाज की स्थितियां, इन फ़ैसलों ने साधारण लोगों के लिए ज़िंदगी आसान बनायी है और ये  लोकप्रिय हैं.

इन सबके अलावा दूसरी कड़ी कार्रवाइयां भी हैं. लाभकारी निजी ट्यूशन कंपनियों को बैन कर दिया गया है, जिसकी वजह से कई अरब डॉलर का कारोबार बर्बाद हो गया है. पाबंदियों से जुड़े एक अन्य आदेश ने मकाऊ में जुए के कारोबार पर चोट की है. अधिकारियों का कहना है कि उनकी योजना इस सेक्टर के नियमन की है, ताकि इसका इस्तेमाल काले धन को सफेद करने और दूसरी गैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए न होना सुनिश्चित हो सके. स्कूल जाने वाले बच्चों के ऑनलाइन वीडियो गेम खेलने पर भी पाबंदियां लगायी गयी हैं.

यह कहने की ज़रूरत नहीं कि नियामकों द्वारा डंडा चलाया जाना चीन में लोकप्रिय रहा है. चाहे निजी ट्यूशन हो, वीडियो गेमिंग, आवासन की उच्च लागत, या निम्न-मध्यमवर्गीय लोगों के लिए कामकाज की स्थितियां, इन फ़ैसलों ने साधारण लोगों के लिए ज़िंदगी आसान बनायी है और ये  लोकप्रिय हैं.

हालांकि, बहुत से लोग सोच रहे हैं कि CPC कहीं सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को मार तो नहीं रहा. निजी कंपनियों में CPC कमेटियां गठित करने की मांग, या फिर साझी समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अपने निदेशकों और निर्देशनों के साथ उनमें शेयरों की सरकारी ख़रीद उस संस्कृति को गौण बना सकती है, जिसने चीन को अलीबाबा, टेनसेंट, बाइटडांस और Meituan जैसी मूल्यवान कंपनियां दी हैं. गौरतलब है कि इन सभी कंपनियों को व्यक्तिगत उद्यमियों ने स्थापित किया और वेंचर कैपिटल द्वारा इनका वित्तपोषण हुआ. 

लेकिन व्यवस्था अभी चीनी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की लहरों पर सवार है. शी के सत्ता संभालने के बाद से नौ सालों में चीनी अर्थव्यवस्था अमेरिका के आकार के आधे से बढ़ते हुए 70 फ़ीसद तक पहुंच गयी है, और यह फ़ासला लगातार घट रहा है. उपभोग आर्थिक प्रदर्शन का मुख्य आधार रहा है और यही वो चीज़ है जिससे घरेलू उत्पादन, नवाचार और वेतन दरों में वृद्धि के जरिये उच्च उपभोग पर आधारित अपनी डुअल सर्कुलेशन इकोनॉमी को शक्ति प्रदान करने की उम्मीद चीनी लगाये हुए हैं.

बेशक, इन घटनाओं को देखने का एक और तरीक़ा है. इन्हें 2022 में होने वाली 20वीं पार्टी कांग्रेस के लिए ज़मीन तैयार किये जाने के रूप में देखा जा सकता है. इस कांग्रेस में शी जिनपिंग चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल पर मुहर लगवाना चाहेंगे. गैरबराबरी कम करने के उपाय, मध्यम-वर्गीय मूल्यों के साथ खड़े होना, अमीरों पर डंडा चलाना- कांग्रेस के लिए स्थिर और अनुकूल वातावरण बनाने की कोशिश है. इनमें से कई उपाय वैसे भी आगे बढ़ाये जाते, लेकिन जिस संदर्भ में वे सामने आ रहे हैं पार्टी कांग्रेस और अमेरिका के साथ प्रतिस्पर्धा ने उसे एक उन्मादी जैसा रूप दे दिया है. 

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