Published on Nov 24, 2020 Updated 0 Hours ago

भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर स्थित होने और युद्ध, उग्रवाद, तस्करी के ख़तरे में अस्तित्व की चुनौती का सामना करने की वजह से भारत के लिए ज़रूरी था कि वो एक ऐसे संगठन को विकसित करे जो भारत की सामरिक नीति की रूपरेखा बनाए

सीमा पर मज़बूत बुनियादी ढांचा और साहसिक सामरिक नीति

7 मई 1960 को जवाहरलाल नेहरू ने एक ऐसे संगठन की आधारशिला रखी जो भविष्य में भारत की सामरिक नीति में बड़ी भूमिका निभाने वाला था- सीमा सड़क संगठन (BRO) की मुख्य़ भूमिका रक्षा के लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराना है जिनमें सड़क, पुल, राजमार्ग, हवाई अड्डा, सुरंग, इमारत और दूसरे निर्माण शामिल हैं. भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण जगह पर स्थित होने और युद्ध, उग्रवाद, तस्करी के ख़तरे में अस्तित्व की चुनौती का सामना करने की वजह से भारत के लिए ज़रूरी था कि वो एक ऐसे संगठन को विकसित करे जो भारत की सामरिक नीति की रूपरेखा बनाए. सीमा पर बुनियादी ढांचा और सामरिक नीति एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. बुनियादी ढांचा विकसित होने के साथ ही सामरिक नीति में निर्भयता आती है.

भारत के लिए प्राथमिक ख़तरा दो मोर्चों का युद्ध है जिसकी वजह पाकिस्तान का अपरंपरागत युद्ध और चीन की तरफ़ से ताक़त दिखाना है. इसलिए भारत के उत्तरी हिस्से में बेहद कम दूरी पर सैन्य और अर्धसैनिक ठिकाने हैं. 

21वीं सदी में सीमा पर मज़बूत बुनियादी ढांचे के लिए तक़नीकी रूप से आधुनिक निगरानी की भी ज़रूरत पड़ती है. घुसपैठ, ताक़त दिखाने, अवैध अप्रवास और तस्करी जैसी नई चुनौतियां विकसित होने के साथ ही सीमा पर बुनियादी ढांचे में भी विकास होता है जो सामरिक नीति को मज़बूत करते हैं.

भारत के लिए प्राथमिक ख़तरा दो मोर्चों का युद्ध है जिसकी वजह पाकिस्तान का अपरंपरागत युद्ध और चीन की तरफ़ से ताक़त दिखाना है. इसलिए भारत के उत्तरी हिस्से में बेहद कम दूरी पर सैन्य और अर्धसैनिक ठिकाने हैं. लेकिन सीमा पर मज़बूत बुनियादी ढांचे के बिना सभी उपाय बेकार हैं. मिसाल के तौर पर, करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के सैनिकों ने श्रीनगर-लेह राजमार्ग को निशाना बनाया क्योंकि ये दोनों क्षेत्रों को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण रास्ता है जो आगे जाकर सियाचिन को जोड़ता है. एक और रास्ता रोहतांग दर्रे के ज़रिए है लेकिन बर्फ़बारी की वजह से ये साल में छह महीने बंद रहता है. इसलिए एक तीसरे रास्ते को खोलने की सख़्त ज़रूरत है.

सैनिकों के आवागमन में तेज़ी लाने के अलावा सीमा पर तस्करी, अवैध अप्रवास, जाली नोट जैसी अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने की भी ज़रूरत होती है और इसके लिए उचित बुनियादी ढांचा बनाना ज़रूरी है. ये गतिविधियां पंजाब में ड्रग्स समस्या और असम में अवैध अप्रवास की समस्या के लिए ज़िम्मेदार हैं. इस तरह की अनगिनत समस्याओं का मुक़ाबला करने के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) और CIBMS (व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली) अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा मुहैया कराने पर काम कर रहे हैं

थर्मल इमेजरी, अनअटेंडेड ग्राउंड सेंसर, फाइबर ऑप्टिकल सेंसर, रडार का इस्तेमाल CIBMS में किया जाता है. इसे प्रायोगिक तौर पर जम्मू के दो इलाक़ों में लागू किया गया है. यहां CIBMS ने हेरोइन और जाली मुद्रा के बड़े जख़ीरे के साथ कई घुसपैठियों को पकड़ा

BRO ने सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, मेघालय, लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप के लिए 53,600 किमी से ज़्यादा जीवन रेखा का निर्माण किया है. इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है 1 जनवरी 1975 को शुरू प्रोजेक्ट संपर्क जो प्रोजेक्ट बीकन का हिस्सा है. पीर पंजाल की पहाड़ी के दक्षिणी हिस्से, हिमाचल प्रदेश के हिस्से और पंजाब इस प्रोजेक्ट के तहत लाए गए हैं. प्रोजेक्ट संपर्क के तहत 2019-20 में 1200.72 मीटर पुल बनाने का लक्ष्य पूरा किया गया है जो BRO की कुल उपलब्धि का लगभग 40% है.

सीमा पर तकनीकी निगरानी CIBMS (व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली) के द्वारा की गई है. थर्मल इमेजरी, अनअटेंडेड ग्राउंड सेंसर, फाइबर ऑप्टिकल सेंसर, रडार का इस्तेमाल CIBMS में किया जाता है. इसे प्रायोगिक तौर पर जम्मू के दो इलाक़ों में लागू किया गया है. यहां CIBMS ने हेरोइन और जाली मुद्रा के बड़े जख़ीरे के साथ कई घुसपैठियों को पकड़ा . CIBMS में इस्तेमाल कुछ तौर-तरीक़ों ने अच्छे नतीजे दिए हैं जैसे थर्मल इमेजरी ने पाकिस्तान की सेना के SSG की तरफ़ से घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया.

बढ़ता ख़तरा और प्रोजेक्ट संपर्क

सीमा पर बढ़ते ख़तरे ने BRO की गतिविधियां बढ़ा दी हैं. हाल में प्रोजेक्ट संपर्क के तहत जम्मू-कश्मीर में 6 नये पुलों का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के द्वारा किया गया. ये पुल सामरिक तौर पर महत्वपूर्ण कश्मीर के इलाक़ों जैसे अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा के पास भारतीय बलों के आरामदायक आवागमन में मदद करेंगे. 2017-18 से BRO की गतिविधियों को देखें तो खुदाई में 44% , स्थायी काम में 55%, बड़े पुलों में 17%, सतह बनाने में 15% और नई परत बिछाने के काम में 49% की बढ़ोतरी हुई है. इसके नतीजे के तौर पर भारत की सामरिक नीति ज़्यादा आक्रामक हो गई है.

बलों के आधुनिकीकरण जैसी वजहों के अलावा सीमा पर मज़बूत बुनियादी ढांचे का इंतज़ाम इस उपलब्धि के पीछे महत्वपूर्ण कारण हैं क्योंकि इससे सेना को ये भरोसा मिलता है कि वो कुछ घंटों में और कुछ मामलों में तो मिनटों में सीमा पर सैनिकों की टुकड़ी इकट्ठा कर सकती है. 

2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट स्ट्राइक, उसके बाद पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में बनाए रखने के लिए FATF पर लगातार दबाव और पाकिस्तान की छवि आतंकी देश के तौर पर बनाना, भारतीय बलों और कूटनीति की बड़ी जीत है. बलों के आधुनिकीकरण जैसी वजहों के अलावा सीमा पर मज़बूत बुनियादी ढांचे का इंतज़ाम इस उपलब्धि के पीछे महत्वपूर्ण कारण हैं क्योंकि इससे सेना को ये भरोसा मिलता है कि वो कुछ घंटों में और कुछ मामलों में तो मिनटों में सीमा पर सैनिकों की टुकड़ी इकट्ठा कर सकती है.

इसी तरह मनाली को लाहौल-स्पीति से जोड़ने वाली दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (9.2 किमी) अटल सुरंग 4-5 घंटे का समय बचाती है और पूरे साल खुली रहती है. पहले ये रास्ता बर्फबारी की वजह से साल में 6 महीने बंद रहता था. इससे चीन सीमा की तरफ़ सैनिकों के अलावा बख्त़रबंद गाड़ियों और तोपों को जल्दी भेजने में मदद मिलेगी. इस कामयाबी के बाद दारचा-पदम-निमू रास्ते के ज़रिए लद्दाख जाने वाली सभी मौसमों की सड़क के लिए शिंकु-ला में भूमिगत सुरंग तीन साल में बनकर तैयार हो जाएगी. इसके अलावा, करगिल से सबक सीखकर 27 जुलाई 2020 को जांस्कर इलाक़े में BRO की टीम ने निमू-पदम-दारचा (NPD) सड़क के एक हिस्से को जोड़ने में कामयाबी हासिल की. दो लेन की ये सड़क 2023 तक पूरी हो जाएगी- श्रीनगर से लेह को जोड़ने वाली तीसरी सड़क- जिससे दो मोर्चों की चुनौतियों का सामना करने में भारत की क्षमता में बढ़ोतरी होगी.

इसी तरह चीन से संघर्ष के एक और क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश में सेला दर्रा सुरंग का निर्माण किया जाएगा. सुबनसिरी नदी पर असम को अरुणाचल से जोड़ने वाले दापोरिजो पुल के साथ बन रहे 102 पुलों में से 44 को BRO ने इस साल तैयार कर लिया है. ये ऐसे पुल हैं जो 70 टन की गाड़ियों का वज़न बर्दाश्त कर लेंगे जैसे अर्जुन (60 टन) और टी-90 भीष्म (45 टन) टैंक इन पुलों के ज़रिए नदी के पार पहुंच जाएंगे. ये प्रोजेक्ट पूर्वोत्तर में भारत की कूटनीतिक और सैन्य तैयारियों में हिम्मत भी बढ़ाएंगे.

BRO के बुनियादी ढांचे के साथ CIBMS इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से सीमा के कुछ हिस्सों का सर्वेक्षण कर रही है. हाल में प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल में लाया गया CIBMS का एक हिस्सा BOLD-QIT (बॉर्डर इलेक्ट्रॉनिकली डोमिनेटेड QRT इंटरसेप्शन टेक्नीक) है जिसे पाकिस्तान (10 किमी) और बांग्लादेश (61 किमी) सीमा पर शुरू किया गया है. इस सिस्टम के ज़रिए ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों के उन इलाक़ों में निगरानी रखी जाएगी जहां कंटीले बाड़ नहीं लगे हैं. इससे बांग्लादेश से अवैध अप्रवास और तस्करी की समस्या में कमी आएगी

पूरी ब्रह्मपुत्र नदी को माइक्रोवेव कम्युनिकेशन, OFC केबल, DMR कम्युनिकेशन, दिन और रात निगरानी करने वाले कैमरे और घुसपैठ की पहचान करने वाले सिस्टम से लैस किया गया है. 

पूरी ब्रह्मपुत्र नदी को माइक्रोवेव कम्युनिकेशन, OFC केबल, DMR कम्युनिकेशन, दिन और रात निगरानी करने वाले कैमरे और घुसपैठ की पहचान करने वाले सिस्टम से लैस किया गया है. कैमरे में आने वाली तस्वीर BSF के कंट्रोल रूम में दिखती है जिसके बाद वो तुरंत अपनी क्विक रिएक्शन टीम को किसी भी ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि को नाकाम करने के लिए भेज देती है. लेकिन CIBMS में कुछ समस्याएं भी हैं. कुछ तकनीकी और रख-रखाव के मुद्दे हैं जैसे ज़मीन पर CIBMS की देखरेख करने वाले जानकारों की कमी जिसकी वजह से अवैध सीमा पार गतिविधियों में कोई कमी नहीं आ रही है. इसको दूर करने की ज़रूरत है.

सार्क देशों को जोड़ने वाली ‘खुली’ सीमा महत्वपूर्ण

इसके अलावा प्रशासन को नेपाल, भूटान और म्यांमार की खुली सीमा पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है. इन सीमाओं के खुले रहने से ये ग़ैर-क़ानूनी गतिविधियों के केंद्र बन गए हैं जैसे भूटान सीमा के ज़रिए सोने की तस्करी , नेपाल सीमा से प्राचीन कलाकृतियों की तस्करी और म्यांमार सीमा से उग्रवाद के साथ ड्रग्स की तस्करी.

गलवान घाटी Galwan Valley clash में संघर्ष की एक वजह है इस सड़क पर भारत का तेज़ी से काम करना. ये सड़क सैनिकों और बख़्तरबंद गाड़ियों के तेज़ आवागमन को सुनिश्चित करेगी जिससे चीन ग़ुस्से में आ गया. 

गोल्डन ट्राएंगल से इतनी नज़दीकी होने की वजह से हमारी एजेंसियों को कार्रवाई में तेज़ी लाते हुए सीमा पर बुनियादी ढांचे को मज़बूत करना चाहिए और उसके बाद व्यावहारिक सामरिक नीति बनानी चाहिए ताकि समस्या का पूरी तरह निपटारा हो सके.

निम्नलिखित सारणी में सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को संक्षेप में बताया गया है:

पाकिस्तान  चीन बांग्लादेश
मुख्य ख़तरा युद्ध, उग्रवाद, तस्करी युद्ध तस्करी, मानव तस्करी
क्या करने की ज़रूरत है ? CIBMS निगरानी के साथ अच्छी तरह प्रशिक्षित और विशाल BOLD-QIT, दूरदराज़ के क्षेत्रों ख़ास तौर पर जम्मू-कश्मीर को जोड़ने के लिए एक से ज़्यादा रास्ते बख़्तरबंद गाड़ियों की क्षमता वाले बुनियादी ढांचे, ऊंचाई पर हवाई पट्टी. नदी वाले इलाक़ों समेत हर जगह BOLD-QIT के साथ  CIBMS निगरानी
क्या किया गया है ? कुछ इलाक़ों में CIBMS, लेह के लिए तीसरा रास्ता 2023 तक खुलेगा. दौलत बेग ओल्डी हवाई पट्टी शुरू, बख़्तरबंद गाड़ियों की क्षमता वाले कुछ पुल और सुरंग. ब्रह्मपुत्र नदी में निगरानी शुरू, सहायक नदियां अभी बची हैं.
नेपाल भूटान म्यांमार
मुख्य ख़तरा तस्करी, मानव तस्करी तस्करी तस्करी, उग्रवाद, मानव तस्करी.
क्या करने की ज़रूरत है ? BOLD-QIT के साथ CIBMS निगरानी भूटान-चीन सीमा तक बख़्तरबंद गाड़ियों की क्षमता वाली सड़क के ज़रिए संपर्क. उग्रवाद पर निपटारे के लिए BOLD-QIT के साथ निगरानी, सैनिकों के सुचारू आवागमन के लिए सड़क
क्या किया गया है ? योजना के स्तर पर. BRO का काम जारी कुछ सड़क मौजूद, CIBMS योजना के स्तर पर.

महाशक्तियां मज़बूत कनेक्टिविटी के महत्व के बारे में जानती हैं. अक्साई चीन के ज़रिए चीन शिनजियांग को तिब्बत से जोड़ रहा है और जब भारत दौलत बेग ओल्डी-श्योक-दारबुक सड़क पर काम करता है तो चीन विरोध भी जताता है. गलवान घाटी में संघर्ष की एक वजह है इस सड़क पर भारत का तेज़ी से काम करना. ये सड़क सैनिकों और बख़्तरबंद गाड़ियों के तेज़ आवागमन को सुनिश्चित करेगी जिससे चीन ग़ुस्से में आ गया. इसी तरह चीन काराकोरम राजमार्ग बना रहा है जिससे वो दक्षिणी चीन सागर के रास्ते से पूरी तरह परहेज कर अपने ऊर्जा हितों की रक्षा करेगा.

2018 में भारत सरकार ने बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट एंड मैनेजमेंट (BIM) के लिए 8,606 करोड़ रुपये मंज़ूर किए जिसका इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले 17 राज्यों में होना है. इसके तहत 60 परियोजनाएं हैं जिनमें सड़क, स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और दूसरे निर्माण शामिल हैं. इन परियोजनाओं से बॉर्डर मैनेजमेंट बेहतर हो जाएगा लेकिन खुली सीमा की समस्याएं बनी रहेंगी. पाकिस्तान और चीन सरहद पर अलग सोच और इच्छा शक्ति के साथ जिस तरह BRO और CIBMS नीति निर्माताओं के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, उसे खुली सीमा पर भी दिखाने की ज़रूरत है.

 

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