Published on Oct 07, 0020 Updated 0 Hours ago

नाशीद ने वित्त और आर्थिक विकास मंत्रालयों में विदेश व्यापार के लिए सिंगल-विंडो ई-प्लेटफॉर्म बनाने के लिए एक टेंडर को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है.

मालदीव:  सोलिह और भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए ‘नाशिद-यामीन’ में होड़

भारत के लिए प्रति अतिरिक्त उत्साह के साथ मालदीव की संसद के स्पीकर मोहम्मद ‘अन्नी’ नाशीद की अपनी खुद की एमडीपी सरकार के मंत्रियों की आलोचना ने जेल में बंद पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के पीपीएम-पीएनसी गठबंधन के ‘इंडिया आउट’ अभियान के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को भी चोट पहुंचाई है. यामीन अनचाहे में ही दोनों — एमडीपी राष्ट्रपति इब्राहिम ‘इबू’ सोलिह के नेतृत्व  और द्विपक्षीय संबंधों को कमज़ोर कर सकते हैं. जब नाशीद को एक लंबित जेल सज़ा और ब्रिटेन में ‘आत्म-निर्वासन’ के चलते 2018 का राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से रोक दिया था, तो सोलिह उनकी खुद की पसंद थे. इसलिए नाशीद ने अपनी पार्टी के दो मंत्रियों– इब्राहिम अमीर (वित्त),  और इसके विस्तार में फ़ैयाज़ इस्माइल (आर्थिक विकास)— के साथ-साथ देश के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग (एसीसी) के ख़िलाफ़ अपने परंपरागत भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का मुंह मोड़ा तो उनकी अपनी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के भीतर और बाहर, दोनों जगह इसे अचंभे से देखा गया.

वित्त मंत्री अमीर ने कथित ‘व्यवस्थागत भ्रष्टाचार’ के आरोप से इनकार करते हुए नाशीद के साथ उनके ही अंदाज़ में ट्वीट-एक्सचेंजों में पूछा, “इस घरेलू लड़ाई के बीच, क्या हम एक-दूसरे को चोर नहीं कह रहे हैं और खुद को बर्बाद नहीं कर रहे हैं?”

नाशीद ने वित्त और आर्थिक विकास मंत्रालयों में विदेश व्यापार के लिए सिंगल-विंडो ई-प्लेटफॉर्म बनाने के लिए एक टेंडर को लेकर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है. सन ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के मुताबिक नाशीद ने एमडीपी राष्ट्रीय परिषद वाट्सएप ग्रुप को बताया था कि एसीसी ने,  जो कि 2008 के तीसरे रिपब्लिकन संविधान के तहत संवैधानिक रूप से गठित स्वतंत्र जांच और निगरानी संस्थाओं में से एक है, आवंटन-पूर्व शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया था. वित्त मंत्री अमीर ने कथित ‘व्यवस्थागत भ्रष्टाचार’ के आरोप से इनकार करते हुए नाशीद के साथ उनके ही अंदाज़ में ट्वीट-एक्सचेंजों में पूछा, “इस घरेलू लड़ाई के बीच, क्या हम एक-दूसरे को चोर नहीं कह रहे हैं और खुद को बर्बाद नहीं कर रहे हैं?” मंत्रालय ने इसे ‘मामूली चूक’ बताया. हालांकि आर्थिक विकास मंत्रालय ने पहले अस्वीकार करने के बाद स्वीकार किया है कि 67 लाख डॉलर की परियोजना को एडीबी ने रोक दिया है.

कमजोर पड़ते राष्ट्रपति

पार्टी के मुखिया और वोटरों को रिझाने वाले नाशीद को पूरे शहर को बताए बिना संबंधित मंत्रियों के सामने व्यक्तिगत/संगठनात्मक रूप से और राष्ट्रपति सोलिह के सामने भी इस मुद्दे को उठाने का अधिकार है. एमडीपी के अंदरूनी सूत्र फ़िक्रमंद हैं क्योंकि यह ‘दो बड़ों’ के बीच एक तरह से गंभीर मतभेद को दर्शाता है. राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों ने अब यामीन की रिहाई की मांग करते हुए, अपनी पार्टी के खिलाफ नाशीद के आरोपों को इस्तेमाल करते हुए इसे भारत विरोधी, ‘राष्ट्रवादी’ रंग दे दिया है. इतिहास का सहारा लेकर राष्ट्रपति पद पर सोलिह के चुनाव के लिए नाशीद पर भी सवाल उठा सकते हैं.

विपक्ष के अभियान को देखते हुए और जो कोविड प्रबंधन में सरकार की नाकामी को सवाल उठाता है, जहां बेहतर संसाधनों वाले बड़े देश और भी बदतर तरीके से नाकाम हुए हैं, अंदरूनी लोग नाशीद की टाइमिंग को लेकर और ज़्यादा फ़िक्रमंद हैं. अगर भीतर से इस तरह की आलोचना पर रोक नहीं लगाई गई तो नौकरशाही असहयोग कर सकती है, टूरिज़्म-सेक्टर की बहाली में अड़चन आ सकती है और निवेशकों को भरोसा दिलाने में मुश्किल सकती है, वह भी तब जब सरकार ने एमवीआर 74 बिलियन (मालदीव की मुद्रा रूफ़िया) कर्ज़ की बात स्वीकार की है, और 930 मिलियन एमवीआर का बॉन्ड जारी करने का फैसला लिया गया है, जिसमें भारतीय स्टेट बैंक की बिक्री भी शामिल है.

चीन का हाथ

एमडीपी और राष्ट्रपति सोलिह के लिए अंदरूनी समस्या उस समय सामने आई है जब विपक्षी गठबंधन ने ‘इंडिया आउट’ अभियान की आड़ में यामीन की रिहाई की मांग शुरू की है. सत्ता में रहने के दौरान मनी-लॉन्ड्रिंग के एक मामले में तीन साल की जेल-अवधि और 50 लाख डॉलर के जुर्माने के खिलाफ उनकी अपील पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. अपनी अपील पर सुनवाई में अवर्णनीय कारणों से यामीन ने 10 लाख डॉलर के स्रोत की जानकारी देने से इनकार कर दिया, जिसके बारे में उनका दावा था कि यह चुनावी फंड था. दूसरे आरोपित जेल में बंद और महाभियोग लगाए गए उपराष्ट्रपति अहमद अदीब ने, जिनके बारे में यामीन ने कहा कि था उनकी तरफ़ से चुनावी चंदा लिया था, इससे इनकार किया है.

एमडीपी संसदीय दल के नेता अली अज़ीम ने ‘इंडिया आउट’ अभियान के मद्देनज़र चीन पर मालदीव की राजनीति में अस्थिरता फैलाने के लिए विपक्ष को गुप्त रूप से धन देने का आरोप लगाया है. एक जवाबी ट्वीट में, चीनी राजदूत ज़ेंग लिज़होंग ने इस आरोप का खंडन किया और कहा कि बीजिंग द्विपक्षीय साझीदार के घरेलू मामलों में ‘हस्तक्षेप नहीं’ की नीति का पालन करता है – और अपनी नीति को इस वजह से बदलेगा भी नहीं कि स्थानीय पार्टियों के बीच राजनीति के खेल में कोई उसे खींचने की कोशिश कर रहा है. एमडीपी यामीन के खिलाफ एक जवाबी-अभियान शुरू करने की भी योजना बना रही है.

मुद्दे भटकाने की कोशिश

यामीन की रिहाई का अभियान उनके निजी मुद्दे के लिए सार्वजनिक सहानुभूति पैदा करने की कोशिश है. इस कोशिश में यह 87 सदस्यीय संसद में दमदार दो-तिहाई बहुमत के साथ सत्तारूढ़ पार्टी को कमज़ोर करने की भी उम्मीद करता है. बिना वजह भारत और भारत के फंड से चल रही परियोजनाओं पर निशाना साध कर वे पार्टी समर्थकों में एक तरह की ‘राष्ट्रवादी भावनाओं’ को जगाने की उम्मीद कर रहे हैं, जो यामीन के सौतेले भाई और लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे मौमून अब्दुल गय्यूम (1978-2008) से विरासत में मिली है– और पहली बार मतदाता बने व दूसरे नौजवान मतदाताओं तक पहुंच बनाने की कोशिश है, जो कोविड की मार झेल रही अर्थव्यवस्था का निराशाजनक भविष्य देख रहे हैं.

पिछली बार यामीन जब नाशीद और एमडीपी से टकराए थे तो सौतेले भाई गय्यूम उनके साथ थे, लेकिन अब दोनों अलग हो चुके हैं. संवैधानिक पवित्रता के वादे के साथ सत्ता में आई एमडीपी द्वारा अपने कार्यकाल के लिए मुकदमा चलाए जाने और उत्पीड़न की आशंका को देखते हुए गयूम ने नाशीद को सत्ता से बाहर करने के लिए संयुक्त विपक्ष के विरोध की रणनीति बनाई, और इसमें उन्होंने बुनियादी ढांचा क्षेत्र की दिग्गज भारतीय कंपनी जीएमआर ग्रुप को मिले माले अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के निर्माण के ठेके को भी जोड़ दिया.

2011-12 में संयुक्त विपक्ष ने धार्मिक एनजीओ को भी साथ मिला लिया जिसने अपने ‘इस्लामी राष्ट्रवादी’ मुद्दे के साथ नाशीद के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जो असल में अमेरिका और इज़रायल के लिए उनकी कथित सहानुभूति के ख़िलाफ था. यामीन की योजनाओं, अगर कोई है, में किसी भी तरह के बदलाव को मुद्दे भटकाने का एक नया तत्व पेश करने, जो मुख्यतः उनके निजी मुद्दे को वैधता दिलाने के लिए है, की संभावनाओं को समझना बाकी है. गठबंधन के असल मक़सद को हासिल करने के लिए यामीन को राष्ट्रपति सोलिह और करिश्माई नेता नाशीद को हटाना होगा, लेकिन इसके लिए निशाना भारत जैसे बाहरी कारक को बनाया जा रहा है.

संवैधानिक पवित्रता के वादे के साथ सत्ता में आई एमडीपी द्वारा अपने कार्यकाल के लिए मुकदमा चलाए जाने और उत्पीड़न की आशंका को देखते हुए गयूम ने नाशीद को सत्ता से बाहर करने के लिए संयुक्त विपक्ष के विरोध की रणनीति बनाई,

भारत से जुड़ी समृद्धि

नाशीद हर जगह भारत की तरफ़दारी करते रहते हैं. देश में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी के ख़िलाफ विपक्ष के अभियान को नकारते हुए और इस आरोप को कि सोलिह सरकार भारत को मालदीव ‘बेचने’ की कोशिश कर रही है, उन्होंने ट्वीट किया कि इसके बजाय द्वीपसमूह की समृद्धि बड़े पड़ोसी देश से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि भारत के संबंधों के चलते देश अपनी आज़ादी को क़ायम रखे है. उन्होंने विपक्ष पर तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया, और मौजूदा सरकार पर “देश को बेचने” का ग़लत आरोप लगाने के लिए विपक्ष की खिंचाई की. उन्हें कोई शक नहीं था कि राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और उनका मंत्रिमंडल समझदारी के साथ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखेगा– उनके इस तरह के भारत समर्थक बयान हाल के महीनों में निरंतर आते रहे हैं.

इस सबसे अलग रक्षा मंत्री मारिया अहमद दीदी ने एक ट्वीट में भारत को “मज़बूत और अटूट भागीदार” बताया, जो मालदीव को अपनी संप्रभुता बनाए रखने और कई मौक़ों पर देश की मदद के लिए आगे आया है. उन्होंने कहा, “मैं हमारे संबंधों के वास्तविक तथ्यों के बारे में बौद्धिक रूप से इतनी बेईमान नहीं हो सकती.” एक बार फिर कोई भी इससे समझ सकता है कि नाशीद के 2008 में देश का राष्ट्रपति बनने के समय एमडीपी की चेयरपर्सन रही मंत्री मरिया दीदी का ‘बौद्धिक बेईमानी’ से क्या आशय था, जिसकी तरफ़ वो इशारा कर रही थीं.

कोई विदेशी सैनिक टुकड़ी नहीं

बीते पूरे हफ़्ते के दौरान विपक्षी दुष्प्रचार ने भारतीय भूभाग के क़रीब, उत्तरी हनिमाधू द्वीप पर हा धालू पहाड़ी पर पहुंचने वाले भारतीय सैनिकों की कल्पना पेश की है. ‘इंडिया आउट’ अभियान की पोस्ट और पोस्टर भारतीय राष्ट्रध्वज के साथ वर्दीधारी जवानों को दर्शाते हैं. हालांकि छिपा हुआ संदेश नई दिल्ली द्वारा उपहार में दिए गए दो हेलीकॉप्टरों को उड़ाने वाले भारतीय सैनिकों की मौजूदगी जारी रखने और इन्हें यामीन सरकार के वापस किए जाने के बाद सालिह सरकार द्वारा बहाल किए जाने की वजह से बेचैनी पैदा करने तक सीमित है.

नाशीद हर जगह भारत की तरफ़दारी करते रहते हैं. देश में भारतीय सैनिकों की मौजूदगी के ख़िलाफ विपक्ष के अभियान को नकारते हुए और इस आरोप को कि सोलिह सरकार भारत को मालदीव ‘बेचने’ की कोशिश कर रही है, उन्होंने ट्वीट किया कि इसके बजाय द्वीपसमूह की समृद्धि बड़े पड़ोसी देश से जुड़ी है.

इस पृष्ठभूमि में मालदीव की नेशनल डिफेंस फ़ोर्स (एमएनडीएफ़) के प्रमुख मेजर-जनरल अब्दुल्ला शामाल ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि देश में कोई भी विदेशी सैनिक टुकड़ी मौजूद नहीं है. फ़िर से इस बात से इनकार करते हुए कि देश में भारतीय सैन्य अधिकारियों के कथित तौर पर ‘छिपे हुए मक़सद’ हैं, उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर एमएनडीएफ़ के ‘कमांड और कंट्रोल’ के तहत हैं और मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. अगर मालदीव में भारतीय अधिकारियों द्वारा हेलीकॉप्टर की सेवा दी जा रही है, तो भारत में हर दो साल में कोस्ट गार्ड जहाज़ों को रि-फिटेड किया जाता है. मेजर-जनरल शामाल ने कहा कि हिंद महासागर एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और भारत के अलावा, अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, पाकिस्तान व चीन भी मालदीव के सशस्त्र बलों की क्षमता को विकसित बनाने के लिए सैन्य सहायता प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मालदीव की आज़ादी को खतरे में डालने के लिए सेना कुछ भी करने की इजाज़त नहीं देगी,” उन्होंने कहा कि वे ‘संविधान और द्वीपसमूह-राष्ट्र की आज़ादी को बनाए रखेंगे.’

सोलिह को ख़तरा

कई नागरिक और न्यायिक नियुक्तियां निपटाने के बाद संसद निर्धारित स्थगन अवधि में जाने वाली है, पीपीएम-पीएनसी गठबंधन सभी द्वीपों पर संचालन समितियों का गठन करने जा रहा है. यह राष्ट्रपति चुनाव के लिए गठबंधन की उन तैयारियों से अलग है, जो 2023 से पहले नहीं होने वाले हैं, और राष्ट्रव्यापी स्थानीय निकाय चुनाव, जिनका कार्यकाल तीन से बढ़ाकर पांच साल किया जा रहा है. फिलहाल चुनाव आयोग (ईसी) ने विरोध रैली के दौरान स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए पीपीएम-पीएनसी गठबंधन पर 1,50,000 रुफ़िया (मालदीवियन मुद्रा) जुर्माना लगाया गया है.

चुनाव आयोग प्रमुख अहमद शरीफ़ ने अपनी तरह के एक दुर्लभ ट्वीट में, राजनीतिक दलों को ‘राष्ट्रीय हितों’ को ख़तरे में डालने वाले मुद्दों का समर्थन करने के ख़िलाफ़ आगाह किया है. उनका यह ट्वीट पुलिस द्वारा एक अधेड़ उम्र के नागरिक की गिरफ़्तारी के बाद आया है. चैनल 13 टीवी द्वारा मौजूदा सरकार के कामकाज पर जनता से राय मांगे जाने पर इस शख्स ने कहा था कि वह चाहता है कि राष्ट्रपति सोलिह को ‘आग में जला दिया जाए.’ चैनल ने उसके विचारों को प्रसारित करने के लिए माफ़ी मांगी है, लेकिन किसी के लिए भी अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है कि एक दूरस्थ दक्षिणी टापू की राजनीति और समाज में इस तरह की भावनाएं कैसे पैदा हुई हैं.

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