Published on Jul 31, 2023 Updated 0 Hours ago

क्या हम किसी भी रूप में लैंगिक समानता हासिल कर सकते हैं जब तक यौन हिंसा को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहे.

युद्ध के भीतर एक और ‘युद्ध’: जंग के हथियार के रूप में यौन हिंसा का इस्तेमाल!
युद्ध के भीतर एक और ‘युद्ध’: जंग के हथियार के रूप में यौन हिंसा का इस्तेमाल!

किसी भी युद्ध में महिलाएं और लड़कियां सबसे ज़्यादा असुरक्षित होती हैं. संस्थाओं और सामाजिक तानेबाने के टूटने से महिलाओं और लड़कियों के लिए यौन हिंसा और शोषण के मामले लगातार बढ़ सकते हैं. इतिहास गवाह है कि संघर्ष और हिंसा के दौर में आबादी को अपमानित करने, उसे ग़ुलाम बनाने और आतंकित करने के लिए यौन हिंसा को एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया गया है. उदाहरण के लिए, बांग्लादेश मुक्ति आंदोलन के दौरान 200,000 से 400,000 बंगाली महिलाओं को सिलसिलेवार ढंग से यौन हिंसा का शिकार बनाया गया. साल 1991-2002 के बीच सिएरा लियोन में गृहयुद्ध के दौरान 60,000 से अधिक महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया गया, 1989-2003 के बीच 14 साल तक चले गृह युद्ध के दौरान लाइबेरिया में लगभग 40,000, महिलाओं को, साल 1992-95 के दौरान पूर्व यूगोस्लाविया में लगभग 60,000, वहीं 100,000 से 250,000 महिलाओं को रवांडा नरसंहार के दौरान, और साल 1998 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में 200,000 से अधिक महिलाओं को शिकार बनाया गया.

इतिहास गवाह है कि संघर्ष और हिंसा के दौर में आबादी को अपमानित करने, उसे ग़ुलाम बनाने और आतंकित करने के लिए यौन हिंसा को एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल किया गया है.

हाल ही में, इथियोपिया की पहचान एक अफ्रीकी देश के बजाय एक संघर्ष क्षेत्र के रूप में बनती रही है. इस के चलते इस क्षेत्र में टाइग्रेयन महिलाओं और लड़कियों के साथ यौन हिंसा, विस्थापन और शोषण के मामले लगातार बढ़ते रहे हैं. इथियोपियन और इरिट्रियाई बलों द्वारा टाइग्रे क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार, यौन दासता, सामूहिक बलात्कार, यौन उत्पीड़न और यातना सहित कई प्रकार की यौन हिंसा को अंजाम दिया गया है. पीड़ितों में बच्चे और गर्भवती महिलाएं तक शामिल हैं, जिनमें से कई को हफ्तों तक यौन गुलामों के रूप में बंदी बनाकर रखा गया था. कुछ टाइगरियन पुरुषों और लड़कों ने भी अपने ख़िलाफ़ यौन हिंसा की घटनाओं की सूचना दी है. पिछले साल उनके नियंत्रण में रहे अमहारा क्षेत्र में टाइग्रेयन सैनिकों द्वारा महिलाओं और लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की कुछ खबरें सामने आईं.

एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, यौन हिंसा के मामलों से उबरने वाले अधिकांश व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सहित गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करते हैं, और चिकित्सा या मनोसामाजिक सेवाओं तक उनकी पहुंच लगभग न के बराबर होती है. अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के प्रावधानों के उलट, चिकित्सा सुविधाओं को सशस्त्र समूहों द्वारा जानबूझकर लक्ष्य बनाया जाता है. एम्बुलेंसों को ज़ब्त कर लिया गया है, और ज़्यादातर चिकित्साकर्मी डर के मारे भाग गए हैं. मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स (एमएसएफ) टीमों ने टाइग्रे क्षेत्र में 106 चिकित्सा सुविधाओं का दौरा किया और पाया कि इस क्षेत्र में 87 प्रतिशत चिकित्सा सुविधाएं पूरी तरह कां नहीं कर रही थीं, 73 प्रतिशत के लूट लिया गया था, और 30 प्रतिशत गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हालत में थीं. नतीजतन, यौन हमलों से बचे अधिकांश लोगों को बहुत कम या कोई देखभाल नहीं मिली है.

यौन हिंसा और मानसिक स्वास्थ्य

नरसंहार मामलों के अधिकांश जानकारों और अधिकार समूहों ने दावा किया है कि, टाइग्रे में युद्ध के हथियार के रूप में इथियोपियाई और इरिट्रिया दोनों सेनाओं द्वारा यौन हिंसा का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीड़ितों से जुड़ी अधिकांश रिपोर्ट कहती हैं कि उनकी पहचान के चलते उनके साथ यह बर्बरता की गई और इस क्रूरता का मकसद उन्हें शुद्ध करना था. डैन मजुराना जैसे विद्वानों का तर्क है कि इथियोपियाई राष्ट्रीय रक्षा बल (ईएनडीएफ) अनुशासन की प्रतिष्ठा वाली एक पेशेवर सेना है और संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा बलों में उनका सबसे बड़ा योगदान है. हालांकि इरिट्रिया रक्षा बल (ईडीएफ) इथियोपियाई राष्ट्रीय रक्षा बल की तुलना में कम प्रतिष्ठित हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रण से बाहर होकर काम करने वाले सैन्य बल के रूप में चिन्हित नहीं किया जा सकता है. इसलिए बड़े पैमाने पर यौन हिंसा कमांडिंग अधिकारियों और राजनीतिक नेताओं के समर्थन और प्रोत्साहन के बिना नहीं हो सकती. दूसरे शब्दों में, टाइग्रे में यौन हिंसा के मामलों का सामने आना, टाइग्रे की आबादी को नष्ट करने के इरादे से युद्ध के हथियार के रूप में इसे इस्तेमाल किए जाने की ओर इशारा करता है.

टाइग्रे में युद्ध के हथियार के रूप में इथियोपियाई और इरिट्रिया दोनों सेनाओं द्वारा यौन हिंसा का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीड़ितों से जुड़ी अधिकांश रिपोर्ट कहती हैं कि उनकी पहचान के चलते उनके साथ यह बर्बरता की गई और इस क्रूरता का मकसद उन्हें शुद्ध करना था.

अधिकार समूहों, सहायता कर्मियों, और चिकित्सा पेशेवरों द्वारा युद्ध के हथियार के रूप में बड़े पैमाने पर बलात्कार की घटनाओं की रिपोर्ट सामने आने और ख़तरनाक स्तर पर उनकी वृद्धि के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र ने मई 2021 में एक जांच शुरू की. इथियोपियाई मानवाधिकार आयोग और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा की गई इस संयुक्त जांच में पाया कि संघर्ष के सभी पक्ष यौन और लिंग आधारित हिंसा के के दोषी हैं. विडंबना यह है कि नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अबी अहमद के नेतृत्व वाली इथियोपिया सरकार ने मानवाधिकारों के लिए बहुत कम सम्मान दिखाते हुए टाइग्रेयन आबादी के ख़िलाफ़ एक क्रूर युद्ध छेड़ दिया है. हालाँकि, इथियोपियाई बलों ने न केवल यौन हिंसा के सभी आरोपों को खारिज कर दिया है, बल्कि वे सार्वजनिक रूप से इन रिपोर्टों की निंदा करने में भी विफल रहे हैं. इथियोपियन बलों ने टाइग्रे क्षेत्र में मानवीय सहायता की पहुंच को लगातार बाधित किया है, जिस के चलते टाइग्रे क्षेत्र में पहले से ही उग्र रूप से चुका अकाल अब और अधिक बिगड़े हालात पैदा कर रहा है. इस संघर्ष में अब तक 25 सहायता व रहात कर्मी मारे जा चुके हैं. 


एचआईवी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक कलंक जैसी समस्याओं के अलावा इन संघर्षों के दौरान होने वाली यौन हिंसा का प्रभाव अक्सर संघर्ष समाप्त होने के बाद भी बना रहता है. उदाहरण के लिए, लाइबेरिया में, गृहयुद्ध के सालों के दौरान सामने आई हर दण्ड से मुक्ति की भावना और ‘अति पुरुषत्व’ की संस्कृति के चलते औपचारिक रूप से संघर्ष खत्म होने के बाद भी यौन हिंसा की दर लगातार बहुत अधिक बनी हुई है. संघर्ष झेलने वाले और उसके खत्म होने के बाद जीवित बचे समाजों में लोगों को चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक देखभाल  प्रदान करने की क्षमता नहीं होती, और ऐसे में न्याय की बात करना बेहद मुश्किल है.

एचआईवी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और सामाजिक कलंक जैसी समस्याओं के अलावा इन संघर्षों के दौरान होने वाली यौन हिंसा का प्रभाव अक्सर संघर्ष समाप्त होने के बाद भी बना रहता है.

वैश्विक चुप्पी

दुर्भाग्य से, संघर्षों में लिंग आधारित हिंसा के मुद्दे पर लैंगिक समानता की बहस और सतत विकास को लेकर होने वाली चर्चाओं में पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है. संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा को अक्सर युद्ध के एक कारक के रूप में माना जाता है और हिंसा के अपराधियों को शायद ही कभी दंडित किया जाता है. अधिकार समूहों और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कमज़ोर प्रयास ज़्यादातर इथियोपियाई संदर्भ में विफल रहे हैं. चीन, रूस, यूक्रेन और सबसे महत्वपूर्ण बात, संयुक्त अरब अमीरात से आसानी से आने वाले हथियारों के साथ, इथियोपियाई सरकार मानवाधिकारों की चिंता किए बिना टाइग्रे में संघर्ष के सैन्य समाधान के लिए दृढ़ संकल्पित है. 

यदि किसी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और ‘आंतरिक’ मामलों में हस्तक्षेप, युद्ध के हथियार के रूप में यौन हिंसा के इस्तेमाल से ज़्यादा ज़रूरी कारक बन जाता है, तो लैंगिक समानता क्या एक दूर का लक्ष्य नहीं हो जाएगा.

हालांकि, इथियोपियाई संकट लैंगिक समानता के वैश्विक लक्ष्य, एसडीजी 5 के संबंध में कुछ मुश्किल प्रश्न उठाता है, जो “सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा को ख़त्म करने का आह्वान करते हैं, जिसमें तस्करी और यौन व अन्य प्रकार के शोषण शामिल हैं.” यह सवाल हैं कि क्या महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को खत्म करना संभव है यदि देश संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा के ख़िलाफ़ सख्त रुख अपनाने से इनकार करते हैं? यदि किसी राष्ट्र की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और ‘आंतरिक’ मामलों में हस्तक्षेप, युद्ध के हथियार के रूप में यौन हिंसा के इस्तेमाल से ज़्यादा ज़रूरी कारक बन जाता है, तो लैंगिक समानता क्या एक दूर का लक्ष्य नहीं हो जाएगा. सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए प्रतिबद्ध दुनिया महिलाओं और लड़कियों के साथ इतने बड़े पैमाने पर होने वाली यौन हिंसा को लेकर चुप नहीं रह सकती. यही वजह है कि इथियोपिया सरकार पर मानवाधिकारों के प्रति अपने दायित्वों को पूरा करने और टाइग्रे में यौन हिंसा की कड़ी निंदा करने के लिए दबाव बनाए जाने की तुरंत आवश्यकता है.


इस आर्टिकल में ओआरएफ के रिसर्च इंटर्न प्रणव कुमार के इनपुट्स भी लिया गया है.

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Author

Malancha Chakrabarty

Malancha Chakrabarty

Dr Malancha Chakrabarty is Senior Fellow and Deputy Director (Research) at the Observer Research Foundation where she coordinates the research centre Centre for New Economic ...

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