Author : Ugo Tramballi

Published on Apr 17, 2020 Updated 0 Hours ago

अब मेरी बारी है अपने भारतीय दोस्तों के बारे में चिंतित होने की. ‘आप कैसे हैं?’, ‘मैं भारत से प्यार करता हूं’, ‘मज़बूत बने रहिए!’ कम-से-कम कोविड-19 दोस्ती को मज़बूत कर रहा है.

कोविड 19 के मध्य इटली से ‘नमस्ते’

मैं भविष्य की कल्पना कर वर्तमान में आपको आगाह करने के लिए लिख रहा हूं.

मैं आपसे शायद कुछ दिन, दो हफ़्ते या चार हफ़्ते आगे हूं- ये इस पर निर्भर करता है कि आप कहां रहते हैं, स्पेन में, ब्रिटेन में, अमेरिका में, रूस या भारत में. कुछ दिन पहले मेरे भारतीय दोस्तों ने मुझे सतर्क करने वाला मैसेज भेजा. ‘आप कैसे हैं?’, ‘मैं इटली से प्यार करता हूं’, ‘मज़बूत बने रहिए!’ और अब मेरी बारी है अपने भारतीय दोस्तों के बारे में चिंतित होने की. ‘आप कैसे हैं?’, ‘मैं भारत से प्यार करता हूं’, ‘मज़बूत बने रहिए!’ कम-से-कम कोविड-19 दोस्ती को मज़बूत कर रहा है.

वायरस तेज़ी से फैल रहा है. राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को फ्रांस के लोगों से बात करते वक़्त वायरस रोकने के सख़्त क़दम का एलान करते देखकर महसूस हुआ कि वो उसी भाषण को दोहरा रहे थे जो कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री गिउसेपे कोंटे ने इटली के लोगों के सामने दिया था. एक हफ़्ते पहले न्यूयॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कूमो की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में वही बातें कही गईं जो तीन हफ़्ते पहले इटली में कही गई थी- अपने रोज़ाना की ज़िंदगी में लगे रहो, बस थोड़ा सावधान रहो. सिर्फ़ एक दिन बाद मीडिया से न्यूयॉर्क के गवर्नर की दूसरी मुलाक़ात में न्यूयॉर्क प्रांत अचानक इटली के लोम्बार्डी में तब्दील हो गया. कोविड 19 को फैलने से रोकने के लिए गवर्नर कूमो को न्यूयॉर्क के लोगों के जीने के तरीक़े में बड़ा बदलाव करना पड़ा जैसे पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हम लोगों ने मिलान में अपनी ज़िंदगी में बदलाव किया है. पूरी दुनिया में राजनेताओं ने उसी तरह की गंभीरता और सतर्कता दिखाई है- लेकिन उनके नागरिक किस हद तक अपनी आज़ादी में तीव्र कटौती को मंज़ूर करेंगे?

वायरस की गतिशीलता को लेकर इटली से बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है. न सिर्फ़ ये कि वायरस कितनी तेज़ी से फैलता है, किस श्रेणी के लोगों को दूसरों से ज़्यादा ख़तरा है बल्कि राजनीतिक प्रशासकों और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय भी ध्यान से देखकर सबक़ सीख सकता है कि इटली का हेल्थकेयर सिस्टम इस संकट से पार पाने में कितना कामयाब रहा. वायरस किसी भी हेल्थकेयर सिस्टम के लिए बड़ी परीक्षा है और बताता है कि देश की स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी लचीली है- मतलब ये कि सरकार ने हेल्थकेयर सिस्टम का निजीकरण किया या सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में राष्ट्रीय संसाधनों का निवेश किया.

हालांकि, इटली के अनुभव की मुख्य विशेषता इसका राजनीतिक और सामाजिक पहलू है. ये पहला मौक़ा है जब पश्चिम में किसी लोकतांत्रिक समाज ने सार्वजनिक और निजी स्वतंत्रता पर ऐसी कठोर पाबंदी लगाई है.  इटली की ‘प्रयोगशाला’ में तीन हफ़्ते रहने के बाद और मेरा ‘पिंजरा’ खुलने की किसी विश्वसनीय तारीख़ के बिना अब मैं व्यक्तिगत और सामुदायिक तौर पर लोगों में एक तरह का बदलाव महसूस कर सकता हूं. हमें घर में रहने और ऐसे समाज में सख़्ती के साथ सामाजिक दूरी बनाए रखने को कहा गया है जहां गले लगाना और किस करना सांस लेने की तरह है. ड्राइविंग या जॉगिंग नहीं कर रहा हूं, सख़्ती से अकेले टहलने (या किसी पालतू जानवर को लेकर) और वो भी घर से 100 मीटर से ज़्यादा दूर नहीं जाने के लिए मजबूर कर दिया गया है. सिर्फ खाने-पीने के सामान, दवा, अख़बार, कम्प्यूटर/फ़ोन ख़रीदने के लिए बाहर निकल सकते हैं. 6 करोड़ की आबादी वाले आज़ाद देश में बाहर निकलने के लिए लिखित में ब्यौरा देना कि वो बाहर क्यों जा रहा है, किसी क्रांति से कम नहीं है.

हालांकि, इसकी प्रतिक्रिया उम्मीद से हटकर रही. हर शहर और गांव में लोग खिड़कियों, बालकनी और बरामदे से हर तरह के फ्लैश मॉब में शामिल हुए- गाना गाकर (हमारा सर्वश्रेष्ठ), वाद्य यंत्र बजाकर और कविता पाठ करके लोगों ने डॉक्टर, नर्स, पुलिस, सैनिकों, एंबुलेंस के ड्राइवरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाया. हम इटली के लोग देशभक्ति का डंका नहीं बजाते क्योंकि हमारे हाल के इतिहास की वजह से राष्ट्रवाद अभी भी फासीवाद के नज़दीक समझा जाता है. आम तौर पर इटली का झंडा तभी दिखता है और राष्ट्रगान तभी बजता है जब इटली फुटबॉल का विश्व कप जीतता है. लेकिन पिछले कुछ हफ़्तों के दौरान हर कोने में इटली का झंडा दिखा और हर खिड़की से इटली का राष्ट्रगान गाया गया.

हम इटली के लोग देशभक्ति का डंका नहीं बजाते क्योंकि हमारे हाल के इतिहास की वजह से राष्ट्रवाद अभी भी फासीवाद के नज़दीक समझा जाता है. आम तौर पर इटली का झंडा तभी दिखता है और राष्ट्रगान तभी बजता है जब इटली फुटबॉल का विश्व कप जीतता है

लेकिन जब हम लॉकडाउन के दूसरे हफ़्ते में आए, हमने एक बदलाव देखा. हमारा जोश ग़ायब हो गया. गीत और राष्ट्रगान नहीं सुनाई दिया और डर दिखाई देने लगा. पहले के रचनात्मक कोलाहल की जगह सन्नाटा हमें सुकून देने लगा. इस स्वास्थ्य आपातकाल के दूसरी तरफ़ आर्थिक भूकंप की जटिलता का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश करते हुए हर रोज़ शाम 6 बजे वायरस के फैलाव को लेकर नेशनल सिविल डिफेंस की जानकारी का इंतज़ार करते वक़्त शायद हम ज़्यादा से ज़्यादा भयभीत हो रहे हैं. एक बुरे सपने के बाद दूसरा बुरा सपना आने वाला है. हालांकि, इसके बावजूद दहशत नहीं है और सामाजिक तानाबाना मज़बूत है. हम अब गाना नहीं गाते लेकिन एकजुटता और सार्वजनिक अनुशासन इटली के मानदंडों के हिसाब से असामान्य स्तर पर पहुंच गया है. लोग आम तौर पर सरकार की तरफ़ से लगाई गई व्यक्तिगत और सामूहिक पाबंदियों से  सहमत हैं. इटली में शायद ही किसी प्रधानमंत्री को 60% से ज़्यादा सहमति की रेटिंग मिली हो. अगर हम आवागमन पर रोक को छोड़ दें तो पश्चिमी लोकतंत्र की सभी बुनियादी स्वतंत्रता लोगों को अभी तक मिली हुई है. मेरे विचार से असली ख़तरा तब होगा जब स्वास्थ्य आपातकाल ख़त्म होगा और हम इतने विशाल लॉकडाउन की वजह से हुए आर्थिक नुक़सानों का सामना शुरू करेंगे. क्या हम यही एकजुटता और भरोसा बनाए रखेंगे, संभावित बंदी, दिवालियापन और ज़्यादा बेरोज़गारी को लेकर सरकार के उठाए गए क़दमों का साथ देंगे?

मैं ख़ुद को इटली में पैदा यूरोपीय नागरिक बताता हूं- वास्तव में मैं यूरोपीय यूनियन के साथ पैदा हुआ और  मैं इस कोशिश में मज़बूती से यकीन करता हूंI लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि यूरोपीय यूनियन के कई सदस्य हमारी चुनौतियों की तीव्रता और इससे सामूहिक तौर पर निपटने की ज़रूरत को नहीं समझेंगे.

एकजुटता की कमी और कुछ देशों का ये रवैया कि वो दूसरों की क़ीमत पर अपनी अनुकूल आर्थिक परिस्थिति को बनाए रख सकते हैं, ख़तरनाक है. वायरस ने पहले ही सार्थक यूरोपीय स्वास्थ्य सिस्टम की कमी को ज़ाहिर कर दिया है. अब आर्थिक सुनामी का इंतज़ार करते हुए हम जल्द ही अपने राष्ट्रीय स्वार्थ की गहराई की खोज कर सकते हैं. पहले वायरस पर काबू पाने को लेकर, फिर इसके सामूहिक आर्थिक जवाब की गुणवत्ता में, यूरोपीय यूनियन को मानना चाहिए कि वो सिर्फ़ अपनी सीमा और क्षमता की जांच नहीं कर रहा है. इस वक़्त उसके वजूद पर सवाल है.

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