Issue BriefsPublished on May 14, 2024
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इंडो-पैसिफिक का डिजिटल सिल्क रोड: ग्लोबल टेक विस्तार को लेकर चीन का नज़रिया!

  • Sameer Patil
  • Prithvi Gupta

    बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल डिजिटल सिल्क रोड (DSR) को उभरती हुई अर्थव्यवस्था और उभर रहे बाज़ारों के साथ डिजिटल सहयोग और सूचनाओं का आदान-प्रदान करने की चीन की ओर से की जा रही कोशिशों का प्रतीक माना जा सकता है. DSR के तहत अनेक प्राइवेट कॉर्पोरेशंस तथा राज्य स्वामित्व वाले प्रतिष्ठानों को चाइनीस स्टेट बैंक सस्ते तकनीक़ी ठेके देने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट खड़े करने में सहायता कर रहे हैं. यह ब्रीफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में DSR के संचालन का दो मुख्य गतिविधियों के आधार पर परीक्षण करता है. पहले समुद्र के नीचे (अंडर सी) केबल बिछाना तथा दूसरे हाईटेक सिक्योरिटी कैमरों का इंस्टॉलेशन. इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक में पश्चिम के तकनीक़ी वर्चस्व को चुनौती देने की चीनी कोशिश और DSR के पीछे छुपे रणनीतिक उद्देश्य को समझना है.

Attribution:

समीर पाटिल एवं पृथ्वी गुप्ता, "इंडो-पैसिफिक का डिजिटल सिल्क रोड: ग्लोबल टेक विस्तार को लेकर चीन का नज़रिया!”   ORF इश्यू ब्रीफ No. 683, जनवरी 2024, ऑब्जर्वर रिसर्च फाऊंडेशन.

प्रस्तावना

वर्ष 2015 में चीन ने अपने सबसे विशाल एवं महत्वाकांक्षी बाहरी संपर्क पहल, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को लॉन्च किया था. BRI, चीन की वर्षों से चली आ रही अंतरराष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर डिप्लोमेसी को आगे बढ़ाता है. वह यह संकेत देता है कि चीन विभिन्न देशों को दी गई अपनी सहायता, जो विदेशी निवेश, वाणिज्य ऋण और ग्रांटस- इन- एड अर्थात सहायता अनुदान के माध्यम से उपलब्ध कराई गई थी, उसको लेकर अब महत्वाकांक्षी बन गया है और इसे और पुख़्ता करना चाहता है. इस परियोजना के मुख्यतः तीन बड़े हिस्से हैं: सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट जो चीन को दक्षिण पूर्वी एशिया, दक्षिण एशिया,  मध्य एशिया, रूस तथा यूरोप के साथ जोड़ने वाला ट्रांस कॉन्टिनेंटल पैसेज यानी अंतर महाद्वीपय मार्ग है. दूसरा 21st सेंचुरी मैरिटाइम सिल्क रोड है, जो एक समुद्री मार्ग है और चीन के तटीय क्षेत्रों को दक्षिण पूर्व तथा दक्षिण एशिया, साउथ पैसिफिक, पश्चिम एशिया और पूर्वी अफ्रीका के साथ जोड़ता है. तीसरा हिस्सा डिजिटल सिल्क रोड (DSR), तथा इनफॉरमेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी एक्सचेंज (ICT) है, जो उभरते बाज़ार तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के साथ डिजिटल सहयोग को बढ़ाता है.[1]

चीन की अनेक निजी इकाइयां तथा सरकारी स्वामित्व वाले उद्यम वहां की सरकारी बैंकों के सहयोग से इंडो-पैसिफिक, अफ्रीका, यूरोप तथा दुनिया के अन्य हिस्सों में बेहद महंगी टेक्नोलॉजी से जुड़े ठेके उपलब्ध करवा रहे हैं और इन इलाकों में तेज़ी से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं.[2] इसके परिणाम स्वरूप 2017 के मुकाबले वर्तमान में DSR इनिशिएटिव ने गति पकड़ी है.  इसे 2017 में BRI के एक स्वतंत्र हिस्से के रूप में आधिकारिक रूप से लॉन्च किया गया था. अनेक देश जो अपने यहां डिजिटल परिवर्तन लाना चाहते हैं, वे इन तकनीक़ी परियोजनाओं के साथ जुड़ने को तैयार है. चीन सरकार के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि चीन ने लगभग 40 देशों, या BRI पर हस्ताक्षर करने वाले कुल देश में से एक चौथाई देशों, के साथ डिजिटल सहयोग एवं इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट के लिए द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.[3] इन 40 देश में से 24 देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के है, जिसमें दुनिया के विकासशील देशों की हिस्सेदारी 60 फ़ीसदी है.

इंडो-पैसिफिक के डिजिटल डोमेन यानी डिजिटल क्षेत्र में अपनी पकड़ को मज़बूत करने वाला चीन अब खुद को पश्चिम के पर्याय के रूप में पेश करना चाहता है. यह ब्रीफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की ओर से DSR के ऑपरेशनलाइजेशन यानी संचालन को ध्यान में रखते हुए इसके दो महत्वपूर्ण हिस्सों का आकलन करना चाहता है. 



DSR के बढ़ते कदम और फ़िज़िकल कनेक्टिविटी और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में बढ़ते हुए निवेश के साथ चीन अनेक देशों की तकनीक़ी नीति को आकार देने की स्थिति में है. इंडो-पैसिफिक के डिजिटल डोमेन यानी डिजिटल क्षेत्र में अपनी पकड़ को मज़बूत करने वाला चीन अब खुद को पश्चिम के पर्याय के रूप में पेश करना चाहता है. यह ब्रीफ इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की ओर से DSR के ऑपरेशनलाइजेशन यानी संचालन को ध्यान में रखते हुए इसके दो महत्वपूर्ण हिस्सों का आकलन करना चाहता है. ये दो महत्वपूर्ण हिस्से हैं अंडर-सी केबल्स यानी समुद्र के नीचे बिछाई गई केबल तथा हाईटेक क्लोज्ड सर्किट टेलिविजन (CCTV) कैमरा. 5G के क्षेत्र में जहां चीन के वर्चस्व का विस्तृत विश्लेषण हो चुका है, वहीं अंडर सी केबल्स तथा CCTV कैमरों को लेकर उसके प्रभाव पर अब तक ज़्यादा ध्यान नहीं गया है. चीन के रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति करने में इन्हीं दो महत्वपूर्ण हिस्सों का DSR के संदर्भ में आकलन किया गया है.

चीन के रणनीतिक उद्देश्यों को समझना

DSR  का सबसे पहले उल्लेख नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमिशन के 2015 के "विज़न एंड एक्शंस ऑन जॉइंटली बिल्डिंग सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट एंड 21st सेंचुरी मैरिटाइम सिल्क रोड" डॉक्यूमेंट में मिलता है.[4]
इसमें कहा गया था कि चीन को " द्विपक्षीय सीमा- पार ऑप्टिकल केबल नेटवर्क्स" बनाने चाहिए, " कॉन्टिनेंटल सबमरीन ऑप्टिकल केबल प्रोजेक्ट्स" की योजना बनानी चाहिए तथा "सैटेलाइट इनफॉरमेशन पैसेज वेज", में सुधार कर "इनफॉरमेशन सिल्क रोड" का निर्माण करना चाहिए. डॉक्यूमेंट में यह परिकल्पना की गयी थी कि DSR को BRI देशों में एक कॉप्रिहेंसिव इंफ्रास्ट्रक्चर पुश यानी समूची बुनियादी सुविधा विस्तार का हिस्सा होना चाहिए. इस विस्तार के तहत चीन BRI  देशों में हाउसिंग प्रोजेक्ट विकसित करेगा,  इकोनामिक कॉरिडोर्स बनाएगा, ऊर्जा अन्वेषण कार्यक्रमों का हिस्सा बनेगा और नवीकरणीय ऊर्जा निर्माण परियोजना के साथ उन देशों में उद्यमी और निवेश सहयोग व्यवस्था स्थापित करेगा.[5] इसके बाद आई चीन सरकार की कुछ रिपोर्ट में इस इनिशिएटिव का ज़िक्र, ' बेल्ट एंड रोड डिजिटल इकोनॉमी इंटरनेशनल कोऑपरेशन इनिशिएटिव' के रूप में किया गया,  जिसका उद्देश्य पुरातन सिल्क रूट की तर्ज पर डिजिटल अवसरों को माध्यम बनाकर कनेक्टिविटी में इज़ाफ़ा करना था.[6]

DSR के विस्तार के अधिकांश हिस्से को चीन के विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय डिजिटल सहयोग समझौतों के साथ जोड़कर देखा जा सकता है. इंडो-पैसिफिक में ही चीन ने कम से कम 24 देश के साथ डिजिटल सहयोग करना तय किया है (देखें टेबल 1). हालांकि इसमें से अधिकांश समझौते अब तक केवल मेमोरेंडा ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoUs) ही है और इसमें कुछ ठोस सहयोग नहीं हुआ है. लेकिन यह अन्य देशों के साथ चीन के डिजिटल सहयोग विस्तार को दर्शाने का काम करते हैं. यह सहयोग ई-कॉमर्स,  डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, कैपेसिटी बिल्डिंग एंड इन्वेस्टमेंट इन द डिजिटल इकोनामी यानी डिजिटल अर्थव्यवस्था के क्षमता विस्तार और निवेश तक विस्तारित है. 2017 से 2022 के बीच चीनी कंपनियों ने समग्र रूप से 24 देश में 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया था (देखें टेबल 1 ).[7],[8]  इन निवेशों के तहत चीन ने ICT  इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे कि सर्विलांस नेटवर्क, अंडर-सी केबल नेटवर्क्स बिछाने के साथ ही 4G तथा 5G नेटवर्क विस्तार में सहयोग किया था, ताकि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के भीतर कनेक्टिविटी में इज़ाफ़ा किया जा सके.

इंडो-पैसिफिक की तेज़ी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में DSR को अपने कदम जमाने का अवसर देने की अहम क्षमता है. इसी बात को ध्यान में रखकर चीन, अपने यहां की टेक एवं कम्युनिकेशन कंपनियों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आने वाले देशों के साथ अपना सहयोग बढ़ाकर वहां के बाज़ारों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हैं. सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां जैसे कि चाइना टेलीकॉम, चाइना मोबाइल, हिकविजन, यूनिकॉम तथा दहुआ (जो कि अंशत: सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है) के साथ निजी कंपनियां जैसे कि हुआवेई, बैदू, हेंगटोंग, अलीबाबा और टेन्सेंट ने इंडो-पैसिफिक की उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अपने कदम जमाते हुए अपनी मौजूदगी बढ़ाई है.

टेबल 1: इंडो-पैसिफिक में डिजिटल सहयोग के लिए चीन द्वारा किए गए MOUs तथा द्विपक्षीय समझौते.

देश डीएसआर के तहत द्विपक्षीय डिजिटल सहयोग डीएसआर के तहत चीनी ऋण और निवेश (2017-22) (मिलियन अमेरिकी डॉलर में)
बांग्लादेश* 2015 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. हुआवेई और चीनी कंपनियों ने आईसीटी बुनियादी ढांचे का निर्माण किया. 1,130
ब्रुनेई 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसके बाद, चीन ने ई-कॉमर्स और डिजिटल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भाग लिया. 200
कंबोडिया 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीनी सरकारी बैंकों के एक संघ ने कंबोडिया की राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड परियोजना के लिए 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया. 500
ज़िबूटी 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीन विकास बैंक ने जिबूती दूरसंचार नेटवर्क विस्तार और नवीनीकरण परियोजना के दूसरे चरण के लिए 18.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया. 250
फ़िजी 2020 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीन-प्रशांत द्वीप देशों के जुनकाओ प्रौद्योगिकी प्रदर्शन केंद्र का मार्च 2023 में अनावरण किया गया. एन/ए
इंडोनेशिया 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसके बाद, दोनों देशों ने ई-कॉमर्स और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भागीदारी की. चीन के औद्योगिक और वाणिज्य बैंक ने पालपा रिंग मिडिल प्रोजेक्ट के लिए 177 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया. 7200
केन्या 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. 2019 में, केन्या ने 168 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से ग्रीनफील्ड कोन्ज़ा बिजनेस पार्क में डेटा सेंटर और स्मार्ट-सिटी सुविधाएं स्थापित करने के लिए हुआवेई को चीनी ऋण दिया, जो कि केन्याई आईसीटी क्षेत्र को एक चीनी बैंक द्वारा प्रदान किया गया सबसे बड़ा ऋण है. 200
लाओस लाओस को इंटरनेट अवसंरचना के निर्माण और लाओ राष्ट्रीय इंटरनेट केंद्र के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 2018 में 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर का चीनी ऋण प्राप्त हुआ. 50
मलेशिया 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. झोंग जिंग टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट (जेडटीई) ने 5जी-पूर्व और 5जी मोबाइल ब्रॉडबैंड प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास के लिए 2015 में मलेशिया की यू मोबाइल के साथ सहयोग किया. 1130
मालदीव* 2012 में, हुआवेई टेक्नोलॉजीज की श्रीलंकाई सहायक कंपनी ने स्मार्ट मालदीव परियोजना के तहत मालदीव में आईटी बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए मालदीव के राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र के साथ एक एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. 184
मॉरीशस चीन ने द्वीपीय राष्ट्र में आईसीटी अवसंरचना के निर्माण के लिए 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया, जिसे मॉरीशस ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन तकनीकी सहयोग परियोजना के लिए 7.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करने के बाद डीएसआर के अधीन ले लिया गया. 127
मोज़ाम्बिक 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीन के एक्ज़िम बैंक ने मोज़ाम्बिक में टेलीविज़न प्रसारण नेटवर्क और सूचना और प्रसारण राजमार्ग विकास में 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया. 600
म्यांमार सितंबर 2018 में दोनों देशों ने चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारा समझौते पर हस्ताक्षर किए. 339
पाकिस्तान 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसके बाद, दोनों देशों ने ई-कॉमर्स और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में भागीदारी की. चीन, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में आईसीटी विकास के माध्यम से पाकिस्तान में कनेक्टिविटी बढ़ाने में मदद कर रहा है. 2730
पापुआ न्यू गिनी 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीन ने कुमुल सबमरीन केबल नेटवर्क में भाग लिया. चीन के एक्ज़िम बैंक ने पापुआ न्यू गिनी सरकार के ट्रेजरी मंत्रालय को 229 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया. 200
फिलिपींस 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. उसी वर्ष, चीन के एक्ज़िम बैंक ने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड परियोजना के लिए 329.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का तरजीही क्रेता ऋण देने का वचन दिया. 1300
समोआ 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. चीन के एक्ज़िम बैंक ने राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड परियोजना के लिए 19 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सरकारी रियायती ऋण प्रदान किया. 155
सेशल्स
चीन ने सेशेल्स के रेडियो और ब्रॉडकास्टिंग हाउस निर्माण और उपकरण परियोजना के लिए 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान प्रदान किया.
एन/ए
सिंगापुर 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसके बाद, दोनों देशों ने सिंगापुर से होकर गुजरने वाली चार अंडरसी केबल में भागीदारी की, जिसमें पाकिस्तान और ईस्ट अफ्रीका कनेक्टिंग यूरोप (PEACE) केबल भी शामिल है. शेष केबल सिंगापुर को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ती हैं. 2500
सोलोमन इस्लैंडस द्विपक्षीय सहयोग के लिए 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. 2022 में, चीन ने सोलोमन द्वीप समूह को 161 मोबाइल संचार टावर बनाने के लिए 66 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया, जिसका निर्माण और आपूर्ति हुआवेई द्वारा की जाएगी. 450
दक्षिण कोरिया 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. इसके बाद, दोनों देशों ने ई-कॉमर्स और डिजिटल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भागीदारी की. 1230
श्रीलंका* लोटस टॉवर के निर्माण के लिए 2011 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया थे, जिसका उद्देश्य डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार, इंटरनेट डाउनटाइम को कम करना और द्वीप राष्ट्र के भीतर दूरसंचार में सुधार करना था. चीन के एक्ज़िम बैंक ने इस परियोजना के लिए श्रीलंकाई दूरसंचार नियामक आयोग को 88.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दिया. 300
थाईलैंड 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया. 1900
वियतनाम 2017 में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये. 400

स्रोत : चाइना ग्लोबल इन्वेस्टमेंट ट्रैकर की ओर से संकलित डाटा;[9] ग्लोबल डेवलपमेंट पॉलिसी सेंटर, बॉस्टन

यूनर्वसिटी;[10] एडडाटा चाइना लोन्स एंड कॉन्ट्रैक्ट् डेटाबेस;[11] बेल्ट एंड रोड पोर्टल न्यूज आर्काइव्स;[12] सबमरीन अल्मनाक 2023;[13] तथा बांग्लादेश सरकार के सूत्र.[14]

पिछले एक दशक के दौरान चीनी टेक कंपनियों ने इंडो-पैसिफिक में अपनी जड़े बेहद तेजी से जमाई हैं. (देखें टेबल 2). उदाहरण के लिए, हुआवेई[15] तथा अलीबाबा[16] क्रमश: दक्षिणपूर्व तथा पश्चिमी एशिया में टेलीकॉम तथा डिजिटल पेमेंटस्‌ क्षेत्र में वर्चस्व बनाए हुए हैं.[17] एक ऑनलाइन पेमेंट सर्विस अलीपे के पास वैश्विक स्तर पर 1.3 बिलियन उपयोगकर्ता हैं और हुआवेई विकासशील देशों में विशेषत: 5G क्षेत्र में मेजर टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्‌स का एक प्राथमिक वेंडर यानी विक्रेता बनकर उभरा है. चूंकि ये कंपनियां इन देशों की तकनीक़ी क्षमता तैयार करती हैं, अत: इन्हें वहां सर्विसिंग एवं ऑपरेशनल कॉन्ट्रैक्ट्‌स भी मिलते हैं. इन कार्यों के माध्यम से ये इस क्षेत्र पर अपनी पकड़ और भी मज़बूत कर रही हैं. ऐसे में DSR ने चीनी टेक कंपनियों को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र  के बाज़ार पर कब्ज़ा जमाने में और भी सहायता की है.

टेबल 2 : DSR में जुड़ी चीनी कंपनियां

सेवा/गतिविधि चीनी कम्पनियां शामिल
समुद्र के नीचे केबल हेंगटोंग, एचएमएन टेक्नोलॉजीज
सीसीटीवी कैमरे हिकविज़न, दहुआ
4G/5G मोबाइल नेटवर्क यूनिकॉम, चाइना मोबाइल, हुआवेई
डिजिटल भुगतान खुश रहो

स्रोत: लेखक का अपना

इंडो-पैसिफिक में ICT डेवलपमेंट में चीनी निवेश तथा वहां के बाज़ार पर चीनी कंपनियों के बढ़ते दख़ल से बीजिंग के लेटेंट यानी अप्रत्यक्ष रणनीतिक लक्ष्य परीलक्षित होते हैं. चीन ने DSR के माध्यम से अपने यहां के टेक कार्पोरेशन्स को विस्तार का अवसर देकर इस माध्यम से मिलने वाली सीमा-पार आय का उपयोग अपनी डोमेस्टिक यानी घरेलू टेक्नोलॉजिकल क्षमता में इज़ाफ़ा करने के लिए किया है. ग्लोबल पॉवर प्रोजेक्शन यानी वैश्विक शक्ति के प्रदर्शन के लिए मज़बूत तकनीक़ी क्षमता का होना आवश्यक है. यह बात बीजिंग के लिए ख़ासकर लागू होती है, क्योंकि वॉशिंगटन के साथ उसकी प्रतिद्वंद्विता अभी शीर्ष पर है.

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि 2001 में जब चीन ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के साथ जुड़ने के फ़ैसला किया तब से ही पश्चिमी तकनीक़ी कंपनियों के साथ उसका सहयोग बढ़ा और इसकी वज़ह से उसकी घरेलू तकनीक़ी क्षमता को भी मजबूती हासिल हुई.[18] 1978 में जब चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया तो अनेक पश्चिमी कंपनियां जैसे नॉर्टेल, अमेजॉन तथा सिस्को ने चीन के स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स में अपने सीमा-पार मैन्यूफैक्चरिंग फर्म्स स्थापित किए थे.[19],[20],[21] वर्तमान में DSR के माध्यम से चीनी टेक कंपनियां भी विकासशील विश्व में मौजूद पश्चिमी टेक कंपनियों के वर्चस्व को चुनौती देने की क्षमता हासिल कर चुकी हैं.

इसके अलावा, DSR के माध्यम से चीन समकालीन टेक इकोसिस्टम में ख़ुद को सेंट्रल नोड यानी केंद्रबिंदु के रूप में स्थापित करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. वह ऐसा इंडो-पैसिफिक समेत अन्य क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को विकसित करते हुए कर रहा है. ऐसा होने पर चीन के पास बड़ी मात्रा में डाटा पुल तक पहुंच उपलब्ध होगी और वह एक नए मानदंडों वाला इकोसिस्टम विकसित कर सकेगा. DSR के मार्फत भी चीन डिजिटल फ्री ट्रेड जोन्स को माध्यम बनाकर डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा दे रहा है. इन जोन्स ने सीमा-पार ट्रेड व्यावधानों को दूर करते हुए और क्षेत्रीय लॉजिस्टिक्स केंद्रों की स्थापना के साथ इंटरनेशनल ई-कॉमर्स को बढ़ाया है. अत: DSR ने बीजिंग को ग्लोबलाइजिंग वर्ल्ड यानी वैश्वीकृत दुनिया में अपने उभरते स्टेटस को यानी यथास्थिति में लेवरेज प्रदान करते हुए आर्थिक परस्पर निर्भरता में उसके महत्व को उजागर करने में सहायता प्रदान की है.

चीन के लिए इंडो-पैसिफिक में अपनी डिजिटल पकड़ को मज़बूत करना प्राथमिकता है. पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र और हिंद महासागर के संलग्न जल के साथ रणनीतिक तथा भू-राजनीतिक रूप से जुड़ने का एकमात्र मार्ग इंडो-पैसिफिक ही है. यह क्षेत्र अफ्रीका के ईस्टर्न कोस्ट यानी पूर्वी तट से शुरू होकर हिंद महासागर के देशों, दक्षिणपूर्व एशिया, जापान और उसके आसपास के देशों और अमेरिकास को अपने में समाहित करता है. इस क्षेत्र में दुनिया की 65 फीसदी आबादी रहती है और इन देशों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 63 प्रतिशत से अधिक का योगदान है. इसी क्षेत्र में दुनिया का 50 फीसदी व्यापार संचालित होता है. ऐसे में यह क्षेत्र आर्थिक उन्नति का एक हब बनकर उभरा है और चीनी कंपनियों, विशेषत: टेक कार्पोरेशन्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण बाज़ार बनकर उभरा है. इस क्षेत्र के आर्थिक एवं टेक्नोलॉजिकल डायनैमिक्स यानी गतिविज्ञान को भुनाने के लिए बीजिंग, DSR को लेवरेज बनाने का यानी उसका फ़ायदा उठाने करने की कोशिश कर रहा है. उदाहरण के तौर पर ZTE, हुआवेई और चाइना यूनिकॉम इस क्षेत्र में सस्ती दरों पर 5G टेक्नोलॉजी मुहैया करवाते हुए यहां के नए बाज़ार में घुसपैठ की तेजी से कोशिश कर रहे हैं.[22] चीनी कंपनियां यहां अपने पश्चिमी प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले सस्ती सेवा देने के साथ-साथ स्थानीय टेलीकॉम कंपनियों में इक्विटी यानी हिस्सेदारी भी ख़रीद रहे हैं.[23] ऐसा करते हुए वे अपने घरेलू टेलीकॉम हार्डवेयर निर्यात को भी बढ़ावा देने में जुटी हुई है. इन प्रयासों के अलावा चीनी सरकार की ओर से मिली सहायता के कारण हुआवेई तथा ZTE को वैश्विक 5G राजस्व में क्रमश: 29 और 11 प्रतिशत की हिस्सेदारी अर्जित करने में सफ़लता मिली है.[24]

DSR के कंपोनेंट्स यानी आवश्यक घटक

एक मज़बूत राष्ट्रीय ICT आधारभूत संरचना में भौतिक बुनियादी क्षमता ज़रूरी होती है. इसमें अंडर सी केबल्स, मोबाइल टावर और स्टेशन, सर्वर स्टेशंस, सर्विलांस टेक्नोलॉजी, फाइबर ऑप्टिक्स और एंटीना का समावेश होता है. 


ICT आधारभूत संरचना का विकास तीन चरणों में होता है. इसमें पहला चरण डाटा कनेक्टिविटी का है जिसमें केबल्स और एंटीना का समावेश है इनका उपयोग डाटा ट्रांसमिट करने और फ्रीक्वेंसी के लिए किया जाता है. दूसरे चरण में राउट और चेंज लेयर आते हैं, जो एक पॉइंट से दूसरे बिंदु तक सबसे नज़दीकी डाटा पॉइंट का उपयोग करके डाटा प्रेषित करते हैं. तीसरे चरण में आगे लेयर आती है जो, उस स्थान तक लेयर को एक्सेस करती है यानी पहुंच बनाती है, जहां स्विचेस कनेक्ट होते हैं और कंप्यूटर तथा सरवर जैसे उपकरणों तक डाटा को पहुंचती है.

डिजिटलाइजेशन की नई-नई शुरुआत करने वाले देशों के लिए इन क्षमताओं को विकसित करने के लिए निवेश करना काफ़ी महंगा साबित होता है. DSR के माध्यम से चाइनीज़ कॉरपोरेशन इंडो- पैसिफिक देशों में इन सभी भौतिक क्षमता विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता और निवेश उपलब्ध करवा रहे हैं. इन सभी भौतिक क्षमताओं को विकसित करने में बीजिंग की हिस्सेदारी 5G टेक्नोलॉजी के निर्यात, समुद्र के अंदर केबल्स बिछाने और ऑप्टिक फाइबर के काम, सैटेलाइट डिशेज के प्रावधान को सक्रिय करने के साथ-साथ क्लाउड कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और फेशियल  रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर जैसी कटिंग एज टेक्नोलॉजी मुहैया करवाने तक शामिल है. DSR की दो प्रमुख गतिविधियों में समुद्र के नीचे केबल बिछाना और CCTV कैमरे इंस्टॉल करना यानी स्थापित करना है.

अंडर सी केबल्स

अंडर सी केबल्स में चीन की रुचि DSR से पहले की है. 2020 तक HMN टेक्नोलॉजिज़, जिसे पहले हुआवेई मरीन नेटवर्क्स के नाम से जाना जाता था, उसने 16 अंडर-सी केबल प्रोजेक्ट्स स्थापित कर दिए थे. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आने वाले 27 देशों के भीतर हुआ यह काम 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स का था (देखें टेबल 3). 2012 से 20 के बीच एक दशक से भी कम अवधि में HMN ने लगभग 70,000 किलोमीटर का अंडर सी केबल बिछाकर 100 कॉन्ट्रैक्ट्स  यानी ठेकों को पूरा कर दिया है.[25] इन परियोजनाओं को चीनी सरकार का संरक्षण  प्राप्त है, जिसने इस कंपनी को अपने कदम जमाने में सहायता की है. 2012 में जहां वैश्विक अंडर सी केबल्स परियोजनाओं में कंपनी के हिस्सेदारी 7% की थी वही यह 2019 में बढ़कर 20% पहुंच गई.[26] 2020 में चीन के सबसे बड़े पॉवर और ऑप्टिकल फाइबर केबल निर्माता हेंगटोंग ने HMN टेक्नोलॉजिज़ में 81 फ़ीसदी हिस्सेदारी अधिग्रहीत कर ली.[27]

पाकिस्तान में PEACE  केबल चीन- पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर से भी संबद्ध  है, जिसका उद्देश्य ग्वादर और कराची जैसी पोर्ट सिटी के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना है.  इन दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को इन सभी दोनों पोर्ट सिटी यानी तटीय शहरों को रावलपिंडी के साथ जोड़ने वाली फाइबर- ऑप्टिक लाइन भी मजबूती प्रदान करती है. 


केवल स्थापित करने और रिपेयरिंग यानी सुधार करने के मामले में आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य लेकर HMN टेक्नोलॉजिज़ अपनी क्षमताओं में तेज़ी से विस्तार कर रहा है.[28] HMN टेक्नोलॉजिज़ हाल ही में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. यह प्रोजेक्ट PEACE  है, जो अंडर सी केबल से जुड़ा है. यह परियोजना पाकिस्तान से शुरू होकर फ्रांस में ख़त्म होती  है. अतः यह परियोजना यूरोप, अफ्रीका और एशिया के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करती है.[29] पाकिस्तान में PEACE  केबल चीन- पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर से भी संबद्ध  है, जिसका उद्देश्य ग्वादर और कराची जैसी पोर्ट सिटी के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ाना है.[30] इन दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी को इन सभी दोनों पोर्ट सिटी यानी तटीय शहरों को रावलपिंडी के साथ जोड़ने वाली फाइबर- ऑप्टिक लाइन भी मजबूती प्रदान करती है. ध्यान देने वाली है कि रावलपिंडी में पाकिस्तान सेना का मुख्यालय है. एक फाइबर ऑप्टिक लाइन पहले से ही रावलपिंडी से चीन के शिंजियांग उइगर ऑटोनॉमस रीजन में दौड़ रही है.[31] ऐसे में इन सभी संपर्क की कड़ियां पाकिस्तान तटों को  देश के फाइबर-ऑप्टिक सिस्टम से जोड़ रही है और यह रावलपिंडी से गुज़रते हुए चीन के साथ रणनीति सहयोग को स्थापित करने का लिंक यानी माध्यम बन गई है.

इसी प्रकार HMN टेक्नोलॉजिज़, इंडोनेशियाई द्वीप समूह को जोड़ने में भी अहम भूमिका निभा रहा है.[32] कॉर्पोरेशन ने दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में भी अपनी सेवाओं को विस्तारित किया है.कॉर्पोरेशन ने अपनी फ्लैगशिप ओवरसीज़ कॉन्फ्रेंस, हुआवेई कनेक्ट 2021 में दक्षिण पूर्व एशिया के साथ गहन डिजिटल कनेक्टिविटी का वादा किया है. जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया को हाई एंड मैन्युफैक्चरिंग का गंतव्य बनने की मंशा में सहयोग करना है. हाई एंड मैन्युफैक्चरिंग का गंतव्य बनने के लिए दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र अपने यहां आधारभूत संरचना को मज़बूत करते हुए 5G इंडस्ट्रियल एप्लीकेशंस को तैनात करने की क्षमता विकसित करना चाहता है.[33]

चीन का लक्ष्य 2025 तक विश्व के फाइबर- ऑप्टिक कम्युनिकेशन मार्केट में 60 फ़ीसदी हिस्सेदारी हासिल करना है.[34] चीनी टेलीकॉम कंपनियां अंडर सी केबल कंसोर्टियम यानी अंडर सी केबल बिछाने वाली कंपनियों के समूह के साथ जुड़ रही है, ताकि वह कंसोर्टियम की ओर से जारी किए जाने वाले केबल बचाने के ठेके हासिल कर सके.[35] चीनी कंपनियों का वर्चस्व पश्चिमी कंपनियों जैसे SubCom और अल्काटेल  के सामने एक चुनौती बनकर उभर रहा है. वह इन पश्चिम कंपनियों के व्यवसायिक हितों को प्रभावित कर रहा है और साथ-साथ सुरक्षा को लेकर चिंताएं भी बढ़ा रहा है. उदाहरण के लिए इन केबल्स के माध्यम से चीन के संभावित चोरी छिपे गुप्त संवाद सुनने और डाटा ट्रैफिक के साथ छेड़छाड़ की आशंकाएं US पहले ही जता चुका है.[36]
 

टेबल 3: HMN टेक्नोलॉजिज़ की ओर से स्थापित मुख्य अंडर सी केबल्स

अंडरसी केबल परियोजना शामिल देश लागत (मिलियन अमेरिकी डॉलर में) मालिक लैंडिंग स्टेशन
पाकिस्तान और पूर्वी अफ्रीका को यूरोप से जोड़ने वाली केबल मिस्र, फ्रांस, पाकिस्तान, केन्या, सेशेल्स, सिंगापुर, मालदीव, सोमालिया, सऊदी अरब, ट्यूनीशिया, माल्टा, जिबूती, साइप्रस, दक्षिण अफ्रीका 425 चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक, चाइना-आसियान इंफॉर्मेशन हार्बर कंपनी, ट्रॉपिक साइंस कंपनी. मिस्र—अबू-तलत; सोमालिया—बरबेरा; जिबूती-जिबूती शहर; माल्टा-गोल्डन बे; फ़्रांस—मार्सिले; सोमालिया—मोगादिशू; केन्या—मोम्बासा; सेशेल्स—विक्टोरिया; साइप्रस—येरोसिपोस; मिस्र-ज़फ़राना
कुमुल घरेलू पनडुब्बी केबल प्रणाली इंडोनेशिया, पापुआ न्यू गिनी 136.4 पीएनजी डाटाको लिमिटेड पापुआ न्यू गिनी- काविएंग, केरेमा, किम्बे, कोकोपो, लाए, लोरेंगौ, मदांग, पोपोंडेटा, पोर्ट मोरेस्बी, वेनिमो, वेवाक, अलोटौ, मिल्ने बे, अरावा, दारू; इंडोनेशिया- जयापुरा
एसईए-H2X चीन, मलेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया, फिलीपींस 125 चाइना मोबाइल, चाइना यूनिकॉम, कन्वर्ज आईसीटी, पीपी टेलीकम्युनिकेशन एसडीएन बीएचडी मलेशिया—कुचिंग; फिलीपींस—ला यूनियन; चीन- लिंगशुई, त्सेउंग क्वान ओ; थाईलैंड—सोंगखला; सिंगापुर-तुआस
सिंगापुर मलेशिया (SIGMAR) केबल सिंगापुर, मलेशिया 120 टेलीकम्युनिकेशंस इंडोनेशिया इंटरनेशनल (टेलिन सिंगापुर), कैम्पाना ग्रुप म्यांमार—थानलिन; सिंगापुर—तुआस
मातरम कुपांग केबल सिस्टम (एमकेसीएस) इंडोनेशिया 94 टेल्कोम इंडोनेशिया इंडोनेशिया-अंबालावी, एंडे, कुपांग, मातरम, सरायमी, सुंबावा बेसर, वैनगापु
B2JS (जकार्ता-बंगका-बाटम-सिंगापुर) केबल सिस्टम इंडोनेशिया, सिंगापुर 76 त्रियास्मित्र इंडोनेशिया-बाटम, बातू प्राहू
बाटम डुमाई मेलाका (बीडीएम) केबल सिस्टम इंडोनेशिया, मलेशिया 76 मोराटेलिंदो, टेलीकॉम मलेशिया इंडोनेशिया-बाटम, डुमाई; मलेशिया-मेलाका
मलेशिया-कंबोडिया-थाईलैंड (एमसीटी) केबल कंबोडिया, मलेशिया, थाईलैंड 70 डीटीएसी, एज़ेकॉम, सिम्फनी, टेलीकॉम मलेशिया मलेशिया—चेरेटिंग; थाईलैंड-रेयॉन्ग; कंबोडिया-सिहानोकविले
ट्रांसवर्ल्ड (TW1) केबल ओमान, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात 40 ट्रांसवर्ल्ड Oman—Al Seeb; UAE—Fujairah; Pakistan—Karachi
गल्फ2अफ्रीका (G2A) केबल्स ओमान, सोमालिया 37.5 गोलिस टेलीकम्युनिकेशंस, ओमानटेल, टेलिसोम सोमालिया—बरबेरा, बोसासो; ओमान-सलालाह
पलापा रिंग मध्य इंडोनेशिया 37 इंडोनेशिया सरकार इंडोनेशिया- बंगगा, बाउबाउ, बुरांगा, केंदरी, लाकुडो, लुवुक, मानदो, मेलोंगुआने, मोरोताई, ओन्डोंग सियाउ, राहा, सालाकन, सनाना, सोफीफी, ताहुना, तालियाबु
कन्वर्ज डोमेस्टिक सबमरीन केबल नेटवर्क (सीडीएससीएन) फिलिपींस 32.5 कन्वर्ज आईसीटी सॉल्यूशंस इंक. फ़िलीपींस-बाकलेओन, बाकोंग, बोगो, बोराके, ब्यूनाविस्टा, कागायन डे ओरो, कोरोन, नागा, ओरमोक, पासाकाओ, रोक्सास, रोक्सास सिटी, सैन कार्लोस, सैन जुआन, सैन रेमिगियो, टैगबिलारन, टैलिसे सिटी, टायटे, टोलेडो
मालदीव श्रीलंका (MSC) केबल मालदीव, श्रीलंका 22 ऊरेडू मालदीव, मालदीव, डायलॉग एक्सियाटा (डायलॉग) मालदीव-हुलहुमाले; श्रीलंका-माउंट लाविनिया
मॉरीशस और रोड्रिग्स पनडुब्बी केबल सिस्टम (MARS) मॉरीशस 17.5 मॉरीशस टेलीकॉम मॉरीशस-बाई डू जेकोटेट, रोड्रिग्स
कुल लागत 1,030

स्रोत: सबमरीन अल्मानक 2023[37]

CCTV कैमरे

चीनी कंपनियों ने वैश्विक CCTV बाज़ार में भी अपनी उपस्थिति को मज़बूत किया है (देखें टेबल 4). विश्व की दो सबसे बड़ी सीसीटीवी कंपनियां,  हिकविजन तथा दहुआ, चीन की कंपनियां हैं, जिन्होंने अपने देश के बाहर 6.3 मिलियन कैमरे स्थापित किए हैं, जिसमें से 25 फ़ीसदी US और वियतनाम में लगाए गए हैं.[38] इसमें से अधिकांश CCTV कैमरे राष्ट्रीय प्राधिकरण की ओर से लगाए गए हैं. चीन ने इन्हें BRI के तहत स्मार्ट सिटी सॉल्यूशंस के लिए मुहैया करवाया था.[39]

टेबल 4: इंडो -पेसिफिक क्षेत्र में हिकविजन तथा दहुआ द्वारा स्थापित CCTV कैमरे 

देश Dahua HIKVISION कुल
वियतनाम 151,483 671,828 822,324
दक्षिण कोरिया 42,479 179,566 222,012
भारत 33,786 180,883 214,455
थाईलैंड 37,489 140,502 177,901
मलेशिया 35,865 99,861 135,513
ताइवान 56,999 76,671 133,604
ऑस्ट्रेलिया 18,786 41,276 60,046
इंडोनेशिया 8,459 22,157 30,614
जापान 4,571 25,403 29,968
पाकिस्तान 8,642 17,026 25,642
कंबोडिया 4,568 21,067 25,609
सिंगापुर 7,784 17,613 25,375
बांग्लादेश 11,482 3,322 14,804
श्रीलंका 914 6,967 7,847
न्यूज़ीलैंड 2,287 5,295 7,581
मंगोलिया 66 1,110 1,176
मालदीव 713 148 861
नेपाल 135 439 574
ब्रुनेई 72 374 446
लाओस 99 245 344
पापुआ न्यू गिनी 38 266 304
फ़िजी 64 94 158
भूटान 7 131 138
माइक्रोनेशिया 5 75 80
म्यांमार १३ 40 53
समोआ 2 38 40
कुक द्वीपसमूह 21 21
वानुअतु 7 १३ 20
सोलोमन इस्लैंडस 2 4 6
पहुँचा 2 4 6
किरिबाती 3 3
तिमोर ने पढ़ा 3 3
मार्शल द्वीपसमूह 1 1
पलाउ 1 1
कुल 426,823 1,512,443 1,937,530

स्त्रोत: टॉप टेन  VPN[40]

लेकिन CCTV कैमरा को स्थापित करने की वज़ह से साइबर सिक्योरिटी तथा सर्विलेंस एवं नैतिक चिंताएं भी बढ़ी हैं.[41] उदाहरण के लिए दहुआ के कैमेरों में स्किन-कलर एनालिटिक्स का फीचर है, जो स्मार्ट सिक्योरिटी सॉल्यूशन का हिस्सा है.[42] ये कैमरे चीन की ओर से इस्तेमाल किया गया एक बेहद सटीक AI  सक्षम फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर का अहम हिस्सा बन गए हैं. US तथा ऑस्ट्रेलिया ने दहुआ एवं हिकविजन पर आरोप लगाया है कि वह शिंजियांग प्रांत में चीनी अधिकारियों की ओर से सर्विलेंस कर रहे हैं.[43] शिंजियांग मैं चल रहे अधिकांश री - एजुकेशन यानी पुन: शिक्षा और नज़रबंदी शिविरों में हिकविजन की ओर से लगाए गए उपकरण काम कर रहे हैं. अपनी 2020 की अर्धवार्षिक रिपोर्ट में हिकविजन ने इस बात का उल्लेख किया है कि वह शिंजियांग पुलिस के लिए 145 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्विलेंस उपकरण मुहैया करने के लिए वित्त पोषण कर रहा है.[44]

हिकविजन के कैमरों में रिमोट-हाईजैकिंग से जुड़ी कमजोरी भी पाई गई है, जिसके चलते  अनाधिकृत पहुंच हासिल करना संभव हो सकता है.[45] इसके अलावा चीनी अथवा चीन में स्थापित सर्वर्स तक सीमा-पार डाटा ट्रांसमिशन को लेकर भी चिंताएं हैं. मसलन UK के बायोमेट्रिक्स और सर्विलेंस कैमरा कमिश्नर की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सिस्टम अपग्रेड यानी सिस्टम उन्नति कारण के चलते इन कमरों में वीडियो या ऑडियो रिकॉर्ड कर उसका डाटा डाउनलोड कर चाइनीस सर्वर तक भेजने की सम्भावित क्षमता है.[46] इन्हीं चिंताओं  को देखते हुए 2022 में अमेरिकी सरकार ने दहुआ और हिकविजन को अमेरिकी धरती पर बिक्री करने से रोक दिया. और अब अमेरिकी सरकार अपनी सरकारी सुविधाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले सर्विलेंस टेक को लेकर पुनर्मूल्यांकन कर रही है.[47] ऑस्ट्रेलिया ने भी एक ऑडिट में यह ख़ुलासा होने के बाद कि उसके यहां सरकारी इमारत में दहुआ और हिकविजन के कैमरे लगे हुए हैं, इन कम्पनियों के कैमरों को निकालना शुरू कर दिया है.[48]

चीन की हरकतों की वज़ह से अनेक देशों ने सर्विलेंस के मामले में घरेलू स्तर पर इन सभी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. कार्नेज एंडोवमेंट AI ग्लोबल सर्विलांस इंडेक्स के अनुसार दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक देशों में, जिसमें म्यांमार और लाओस शामिल है, ने अपने यहां CCTV कैमरे और फेशियल  रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी को लागू करना शुरू कर दिया है, ताकि उनके सुरक्षा संबंधी सर्विलांस नेटवर्क मज़बूत हो सके.[49] निश्चित ही सर्विलांस नेटवर्क और टेक क्षमता ' स्मार्ट सिटीज' का अहम हिस्सा है.[50]


भारत में लगभग 214,000 CCTV कैमरे दहुआ और हिजविजन कंपनी के हैं. ये कैमरे भारत के विभिन्न शहरों में लगे हुए हैं, जिसमें मुंबई में 32563, चेन्नई में 9795, बेंगलुरु में 8616 और दिल्ली में 7006 कैमरे लगे हुए हैं.[51] मार्च 2021 में भारतीय सरकार ने पाया कि विभिन्न सरकारी प्रतिष्ठानों में लगभग एक मिलियन CCTVs चीनी कंपनियों की ओर से लगाए गए थे.[52] सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि इन CCTVs  कैमरों के माध्यम से एकत्रित वीडियो डाटा को विदेश में स्थापित सर्वर्स तक ट्रांसफर करने को लेकर कुछ ख़ामियां पाई गई है. ऐसे में सरकार सर्विलांस से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक उपाय कर रही है. अप्रैल 2023 में कनफेडरेशन आफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने इलेक्ट्रॉनिक एंड इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय को एक पत्र लिखकर चीनी कैमरों पर पाबंदी लगाकर ' मेक इन इंडिया' उपकरणों को उपलब्ध करवाने की योजना तैयार करने की गुज़ारिश की.[53]


DSR के रणनीतिक आशय


इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में US नेतृत्व वाले टेक्नोलॉजिकल ऑर्डर यानी तकनीक़ी व्यवस्था के लिए चीन, DSR का उपयोग करते हुए सफ़लतापूर्वक प्रतिद्वंदी बनकर उभर रहा है. वह DSR के माध्यम से क्षेत्रीय डिजिटल इकोसिस्टम में अपने तकनीक़ का निर्यात भी कर रहा है ताकि वहां पर एक नई व्यवस्था स्थापित कर सके. एक मुख्य वैश्विक टेक आपूर्तिकर्ता के रूप में चीन के उदय से पूर्व, विशेष कर DSR के अंतर्गत होने वाले टेक निर्यात से पहले, वैश्विक टेकबाज़ार में US और उसके सहयोगियों का दबदबा था. 2007 में US  की वैश्विक उच्च तकनीक़ी निर्यात यानी ग्लोबल हाई टेक्नोलॉजी एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी 21% (357.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी जो  2021 में घटकर 9.4% (264.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गई है.[54],[55] इसी बीच ग्लोबल टेक एक्सपोर्ट में चीन की हिस्सेदारी 2007 में 20.3 परसेंट (345 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी l, जो 2021 में बढ़कर 33.4 परसेंट ( 942 बिलियन अमेरिकी डॉलर) पहुंच गई है.[56],[57],[58]

चाइनीज़ टेक की इस घुसपैठ की वज़ह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र समेत पश्चिमी देशों के अनेक समविचारी लोकतांत्रिक देशों में काफ़ी खलबली और आतंक फ़ैल गया है. इसका कारण यह है कि इन लोगों को यह भय सता रहा है कि वे अपने यहां निकलने वाले लुभावने टेक कॉन्ट्रैक्ट्‌स चाइनीज़ कार्पोरेशन्स के हाथों गंवा देंगे. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लोकतांत्रिक ताकतों को यह आशंका है कि चाइनीज़ टेक निर्यात, डिजिटल अथॉरिटेरियनिज्म यानी डिजिटल अधिनायकवाद के चाइनीज़ मॉडल और सोशल नॉर्म्स अर्थात सामाजिक मान्यताओं के साथ होता है, जिसमें ICT का उपयोग सर्वेल यानी निगरानी रखने, रिप्रेस यानी दमन करने और घरेलू तथा विदेश आबादी को तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करने के लिए किया जाता है.[59] अधिकारवादी अथवा दबंग सरकारें या शासक चीन से हासिल की गई टेक्नोलॉजिज़ अथवा सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी के सर्विलेंस को अपनाने में कर सकते है. ऐसे शासक अथवा सरकारें इन तकनीकों का उपयोग करते हुए अपने ही नागरिकों के निजी डाटा तथा अहम वित्तीय जानकारी को गुप्त रूप से एकत्रित करते हुए इसका सरकारी कार्य अथवा बीजिंग को सौंपने के लिए उपयोग कर सकते है. उदाहरण के तौर पर अंडर सी केबल्स बाजार में चीन का वर्चस्व उसे संभवत: इन केबल्स के माध्यम से ट्रान्समिट होने वाले विभिन्न डाटा तक अबाधित पहुंच मुहैया करवाता है. इन चिंताओं को 2017 में मंजूर चाइना के नेशनल इंटेलिजेंस लॉ यानी राष्ट्रीय ख़ुफ़िया जानकारी कानून ने और भी बढ़ा दिया है. इस कानून में चीनी ऑर्गनाइजेशन्स तथा नागरिकों के लिए "सरकारी इंटेलिजेंस कार्य को समर्थन देना, साथ देना और सहयोग करना" अनिवार्य कर दिया गया है.[60] इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी किसी भी बात के लिए उपयोगकर्ता का डाटा अथवा कोई अन्य जानकारी देना शामिल है. इसी प्रकार चाइनीज़ टेक कंपनियों की ओर से जिस डाटासेट यानी जानकारी को एकत्रित किया जा रहा है वह भी सरकार को सौंपने अथवा उसे इसकी जांच करने का अधिकार शामिल है. इसकी वज़ह से अब बीजिंग के इशारों पर चाइनीज़ कंपनियों की ओर से खड़े किए जा रहे डिजिटल बुनियादी ढांचे में एक डिजिटल ‘बैकडोर’ तैयार किए जाने की आशंकाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.[61] उदाहरण के लिए PEACE केबल के चलते US तथा ऑस्ट्रेलिया में यूजर प्राइवेसी और डाटा प्रोटेक्शन यानी उपयोगकर्ता की निजता तथा डाटा की सुरक्षा को लेकर चिंताएं खड़ी हो गई है.[62]

पश्चिमी देशों के साथ US के टेक वर्चस्व को भू-राजनीतिक रूप से ख़त्म करने और तकनीक़ी श्रेष्ठता अर्जित करने की दृष्टि से ध्यान केंद्रीत करने के लिए DSR चीन के व्यापक ‘टेक्नो नेशनलिज्म़ यानी तकनीक़ी राष्ट्रवाद’ का हिस्सा है. ‘मेड इन चाइना 2025’ का फ्लैगशीप इनिशिएटिव चीन को उभरती हुई टेक्नोलॉजिज़ के मामले में चीन की स्थिति को मज़बूत करने की कोशिश होने के साथ ही देश की मैन्यूफैक्चरिंग क्षमताओं को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करना है.[63] इसके साथ ही चीन ने उभरती हुई टेक्नोलॉजिज़ के लिए नए मापदंड तय करने पर अपना ध्यान केंद्रीत किया है. 2021 में चीन ने लंबी अवधि की रणनीति अपनाने का फ़ैसला किया था कि जिसमें वह 2035 तक चीनी विशेषताओं के अनुसार स्टैंर्डडाइजेशन मैनेजमेंट सिस्टम यानी मानकीकरण प्रबंधन प्रणाली को विकसित करेगा.[64] 

चीन जिस अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव और आय अर्जन की उम्मीद कर रहा है, उस दृष्टि से नए टेक मानकों का विकास करना उसके लिए बेहद अहम होगा. मसलन, टेलीकॉम ऑपरेटर्स तथा मैन्यूफैक्चरर्स की ओर से दूसरे देशों में अदा किए जाने वाले पेटेंट शुल्क का सीधा लाभ चाइनीज़ कंपनियों को मिलता है. क्योंकि वे पेटेंट्‌स के लिए आवश्यक मानकों के लिए रॉयल्टी अथवा लाइसेंस शुल्क अर्जित करती है. यह रॉयल्टी अथवा लाइसेंस शुल्क विदेशी कंपनियों को चाइनीज़ तकनीक़ी मानकों की पूर्ति करने के लिए अदा करनी होती है.[65] उदाहरण के तौर पर हुओवई के पास 110,000 से ज़्यादा पेटेंट्‌स हैं.[66] अत: कंपनी ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने अविष्कारों की सुरक्षा करने के लिए पेटेंट को-ऑपरेशन संधि यानी बौद्धिक संपदा सहयोग संधि के तहत सबसे ज़्यादा आवेदन कर रखे हैं.[67] इसके फ़लस्वरूप हुआवेई को अकेले 2019 से 2021 के बीच 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स की लाइसेंसिंग रॉयल्टी हासिल हुई है.[68]

मानकीकरण से जुड़ा एक और रोचक तत्व यह है कि चीन ने 2021 में हुई इंटरनेट वर्ल्ड कांफ्रेंस में एक न्यू इंटरनेट प्रोटोकॉल (IP) का प्रस्ताव दिया है.[69] इसका उद्देश्य US की ओर से तैयार किया गया ट्रान्समिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल/इंटरनेट प्रोटोकॉल की जगह लेना है. हालांकि नए सिरे से प्रस्तावित इंटरनेट प्रोटोकॉल पहले से मौजूद इंटरनेट प्रोटोकॉल की तुलना में फास्ट है यानी तेज़ गति से काम करता है, लेकिन इसमें पहले से ही एक सर्विलेंस तथा "शट-अप कमांड" मौजूद हैं, जो डाटा फ्लो को किसी भी IP एड्रेस से किसी भी वक़्त कट कर सकता है यानी बंद कर सकता है.[70] 

वर्तमान में चीनी तकनीक़ की ओर से सुरक्षा को पेश होने वाले ख़तरे को लेकर जागरुकता में इज़ाफ़ा हुआ है. लेकिन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की छोटी अर्थव्यवस्थाएं वाणिज्यिक लिहाज़ तथा चीनी तकनीक़ लेने वाले देश को होने वाले लाभ को देखते हुए चीनी टेक की ओर से मुंह फेरने को आसानी से तैयार नहीं दिखती है. 

वर्तमान में चीनी तकनीक़ की ओर से सुरक्षा को पेश होने वाले ख़तरे को लेकर जागरुकता में इज़ाफ़ा हुआ है. लेकिन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की छोटी अर्थव्यवस्थाएं वाणिज्यिक लिहाज़ तथा चीनी तकनीक़ लेने वाले देश को होने वाले लाभ को देखते हुए चीनी टेक की ओर से मुंह फेरने को आसानी से तैयार नहीं दिखती है. ऐसे में मूल्य और सुरक्षा ख़तरे के बीच चल रही तनातनी और भी बढ़ने की संभावना है. उन्नत तकनीक़ को सस्ती दरों पर मुहैया करवाने के मामले में भले ही वाणिज्यिक मूल्य संबंधी कारण स्पष्ट हो, लेकिन इसके बावजूद अपने कदमों को पुख़्ता करने के लिए चीन DSR का उपयोग करते हुए इसे बढ़ावा देकर चाइनीज़ टेलीकॉम और टेक कंपनियों को फलने-फुलने का मौका प्रदान करेगा ही करेगा.

चीनी टेक्नोलॉजी के प्रसार और उसकी भू-रणनीतिक तथा भू-आर्थिक परिणामों की संभावनाओं को देखते हुए ही US ने अपने घरेलू विनियमनों को पुख़्ता करते हुए अपने सहयोगियों को चाइनीज़ टेक कार्पोरेशन्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने का आवाहन किया है. US सरकार तथा वहां की कांग्रेस ने DSR का विरोध करते हुए हुआवेई पर पाबंदी लगाने के साथ ही चाइनीज़ CCTV कैमरों की बिक्री को सीमित करने और CHIPS एक्ट, 2023 को पारित करने जैसे कदम उठाए हैं.[71],[72] इसके साथ ही चीन को रोकने की दृष्टि से US ने अपने परंपरागत सहयोगियों जैसे G7 देशों एवं यूरोपियन यूनियन के साथ सहयोग को बढ़ाने और भारत एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे नए सहयोगी बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. इसके अतिरिक्त वह उभरती हुई तकनीक़ और तकनीक़ी नवाचार को अपनाने के लिए क्वॉड, द पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इफ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट और US-India इनिशिएटिव जैसी अनेक पहलों में भी शामिल हो रहा है.[73] अब यह पहल किस दिशा में आगे बढ़ती है यह अभी देखना बाकी है. लेकिन एक बात तो साफ़ है कि US अपने संधि सहयोगियों और उसके सुरक्षा सहयोगियों को साथ लेकर अपने बल पर चीन की ओर से DSR को बढ़ावा देने की कोशिशों का विरोध कर रहा है.

निष्कर्ष

समकालीन चीन-US शक्ति संघर्ष में तकनीक़ी, आर्थिक एवं भू-राजनीतिक संघर्ष का समावेश हैं. वाशिंगटन तथा बीजिंग दोनों ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में, जहां की अनेक अर्थव्यवस्थाएं अपनी तकनीक़ी क्षमताओं में विस्तार समेत अन्य विकास संबंधी गतिविधियां जैसे आधारभूत संरचना में इज़ाफ़ा और संसाधन अन्वेषण क्षमताओं में वृद्धि को गति प्रदान करने के लिए बाहरी सहायता पर निर्भर है, अपना प्रभुत्व स्थापित कर रणनीतिक लाभ की स्थिति में आने के लिए प्रतिस्पर्धा में जुटे हुए हैं. इन्हीं आवश्यकताओं की वज़ह से इस क्षेत्र की DSR में रुचि बढ़ी है, जो उन्नत तकनीक़ को उचित मूल्य दर पर तत्काल प्रभाव से मुहैया करवाता है. पश्चिमी चिंताओं और पाबंदियों के बावजूद बीजिंग ने अपना ध्यान उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं पर केंद्रीत किया है, जहां वित्तीय प्रोत्साहन अधिक आकर्षक हैं. इन अर्थव्यवस्थाओं में चीनी तकनीक़ को आत्मसात करने की इच्छाशक्ति भी पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं अधिक देखी जा रही है.[74] 

भले ही COVID-19 महामारी ने BRI का निवेश पाने वाले देशों के उत्साह पर पानी फेर दिया हो, लेकिन DSR दृढ़ता के साथ डिजिटल क्षेत्र में टिका हुआ है.[75] इस पहल के चलते चीन को एक ऐसा टेक साम्राज्य स्थापित करने का अवसर मिला है, जो पश्चिमी वर्चस्व को चुनौती देता है. एक ओर अमेरिकी प्लेटफॉर्म्स जैसे Meta और X की इंटरनेट उपयोगकर्ताओं पर पकड़ बनी हुई है, वहीं पश्चिमी टेक कंपनियां ICT इंफ्रास्ट्रक्चर में इस तरह का प्रभाव छोड़ने में विफ़ल साबित हुई है.

DSR के पास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की डिजिटल कनेक्टिविटी क्षमता को मज़बूत करने की क्षमता है. लेकिन इसके साथ ही यह बीजिंग को अपने भू-राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने का प्रभावशाली माध्यम भी बन गया है. यह बात विशेष रूप से सर्विलेंस तथा इन-बिल्ड बैकडोर्स के मामले में लागू होती है. ऐसे में DSR के माध्यम से तकनीक़ को हथियार बनाने चीन डिजिटल डोमेन यानी क्षेत्र पर अपनी पकड़ को मज़बूत करने के साथ ही तकनीक़ी विस्तार में एकाधिकारवाद के अपने सपने को पूरा करना चाहता है.

Endnotes

[1] Project Information, “Belt and Road Initiative (BRI),” European Bank of Reconstruction and Development, https://www.ebrd.com/what-we-do/belt-and-road/overview.html.

[2] Thomas Hout and Pankaj Ghemawat, “China vs the World: Whose Technology Is It?,” Harvard Business Review, December 1, 2010, https://hbr.org/2010/12/china-vs-the-world-whose-technology-is-it.

[3] Ambassador Zheng Zeguang, “Tenth Anniversary: A New Start and New Opportunity for China-UK Cooperation” (speech, London, June 21, 2023), Embassy of the People’s Republic of China in the United Kingdom of Great Britain and Northern Ireland, http://gb.china-embassy.gov.cn/eng/dshdjjh/202306/t20230622_11102294.htm.

[4]  Ministry of Foreign Affairs of the People’s Republic of China, Vision and Actions on Jointly Building Silk Road Economic Belt and 21st-Century Maritime Silk Road, Beijing, https://www.fmprc.gov.cn/eng/topics_665678/2015zt/xjpcxbayzlt2015nnh/201503/t20150328_705553.html.

[5] “Vision and Actions on Jointly Building Silk Road Economic Belt and 21st-Century Maritime Silk Road”

[6] Guo Yiming, “Digital Economy Cooperation to Empower Belt, Road,” China.Org, December 4, 2017, http://www.china.org.cn/world/2017-12/04/content_50083923.htm.

[7] Data compiled from China’s Belt and Road Portal, recipient countries, and other databases.

[8] Joshua Kurlantzick, “Assessing China’s Digital Silk Road: A Transformative Approach to Technology Financing or a Danger to Freedoms?,” Council on Foreign Relations, December 18, 2020, https://www.cfr.org/blog/assessing-chinas-digital-silk-road-transformative-approach-technology-financing-or-danger.

[9] “China Global Investment Tracker,” American Enterprise Institute, https://www.aei.org/china-global-investment-tracker/.

[10]  “China’s Overseas Development Finance,” Global Development Policy Center, https://www.bu.edu/gdp/chinas-overseas-development-finance/.

[11] “AidData’s Global Chinese Development Finance Dataset, Version 1.0,” AidData, https://china.aiddata.org/ .

[12]  “Belt and Road News,” China Economic Information Service and the State Information Center, https://eng.yidaiyilu.gov.cn/news.

[13] Greg Reinecke, Kieran Clark, and Kristin Nielsen, Submarine Cable Almanac 2023 (Virginia: Submarine Telecoms Forum, 2023), 38-46.

[14] “China Supported ICT project completed in Bangladesh,” Xinhua Net, November 23, 2022, https://english.news.cn/20221123/0f739e2e5c0b4814b28ff3e9d902b647/c.html

[15] James Guild, “How Big is China’s Footprint in Southeast Asia’s Telecom Sector?,” The Diplomat, May 9, 2023, https://thediplomat.com/2023/05/how-big-is-chinas-footprint-in-southeast-asias-telecom-sector/.

[16] “Alipay and Southeast Asia Countries Extend Their Partnership,” The Paypers, July 6, 2023, https://thepaypers.com/online-payments/alipay-and-southeast-asia-countries-extend-their-partnership--1263305.

[17] Glen Cardoza, “Telecom, E-Commerce Central to China’s Renewed Focus on Southeast Asia,” Counter Point Research, October 22, 2021, https://www.counterpointresearch.com/insights/telecom-e-commerce-central-to-chinas-renewed-focus-on-southeast-asia/.

[18] Jessica Brum, “Technology Transfer and China’s WTO Commitments,” Georgetown Journal of International Law 15 (2019), https://www.law.georgetown.edu/international-law-journal/wp-content/uploads/sites/21/2019/10/GT-GJIL190043.pdf.

[19]  “TIMELINE: Key Dates in History of Nortel,” Reuters, July 24, 2009, https://www.reuters.com/article/us-nortel-chronolgy-sb-idUSTRE56N4NG20090724

[20] Wing Kuang, “China was Seen as a Gold Mine for Western Tech Companies But Now They are Leaving There Empty-Handed,” Australia Broadcasting Corporation, July 15, 2022, https://www.abc.net.au/news/2022-07-15/amazon-kindle-airbnb-join-us-tech-brand-exodus-from-china/101219772.

[21] CISCO Technologies, “Cisco’s China R&D Center Celebrates its 5th Anniversary,” October 13, 2010, https://newsroom.cisco.com/c/r/newsroom/en/us/a/y2010/m10/cisco-s-china-r-d-center-celebrates-its-5th-anniversary.html.

[22]  “How Huawei Landed at the Center of Global Tech Tussle: QuickTake,” Bloomberg, December 17, 2019, https://www.bloomberg.com/news/articles/2019-12-17/how-huawei-landed-at-the-center-of-global-tech-tussle-quicktake.

[23] Kosuke Inoue, “5G Sparks Wave of Mergers by Southeast Asian Telecoms,” Nikkei Asia, April 19, 2023, https://asia.nikkei.com/Business/Telecommunication/5G-sparks-wave-of-mergers-by-Southeast-Asian-telecoms.

[24] Bevin Fletcher, “Huawei Still Dominates Telecom Equipment Market,” Fierce Wireless, December 16, 2021, https://www.fiercewireless.com/wireless/huawei-still-dominates-telecom-equipment-market.

[25] Chris Gill, “Huawei Submarine Cable Unit Changes Name, Identity,” Asia Financial, November 10, 2020,  https://www.asiafinancial.com/huawei-submarine-cable-unit-changes-name-identity.

[26] Joe Brock, “U.S. and China Wage War Beneath the Waves – Over Internet Cables,” Reuters,  March 24, 2023, https://www.reuters.com/investigates/special-report/us-china-tech-cables/.

[27] “Huawei Marine Networks Rebrands as HMN Technologies,” HMN Technologies, April 6, 2020, https://www.hmntechnologies.com/enPressReleases/37764.jhtml

[28] Jonathan Hillman, The Digital Silk Road: China’s Quest to Wire the World and Win the Future (London: Profile Books, 2021), pp. 151.

[29] “About Us,” PEACE Cable International Network CO, http://www.peacecable.net.

[30] Mifrah Haq, “China Builds Digital Silk Road in Pakistan to Africa and Europe,” Nikkei Asia, January 29, 2021, https://asia.nikkei.com/Spotlight/Belt-and-Road/China-builds-Digital-Silk-Road-in-Pakistan-to-Africa-and-Europe.

[31] Haq, “China Builds Digital Silk Road in Pakistan to Africa and Europe”

[32] “20 Storeys Above Ground. Thousands of Islands Connected,” Huawei, https://www.huawei.com/minisite/whoishuawei/thousand-island.html.

[33] Francesca Regalado, “Huawei Courts Thailand, Indonesia with Supply Chain Support,” Nikkei Asia, September 19, 2022, https://asia.nikkei.com/Business/Technology/Huawei-courts-Thailand-Indonesia-with-supply-chain-support.

[34] Jonathan Hillman, “War and PEACE on China’s Digital Silk Road,” Center for Strategic and International Studies, May 15, 2019, https://www.csis.org/analysis/war-and-peace-chinas-digital-silk-road.

[35] Brock, “U.S. and China Wage War Beneath the Waves”

[36] Justin Sherman, “Cyber Defense Across the Ocean Floor: The Geopolitics of Submarine Cable Security,” Atlantic Council, September 13, 2021, https://www.atlanticcouncil.org/in-depth-research-reports/report/cyber-defense-across-the-ocean-floor-the-geopolitics-of-submarine-cable-security/.

[37] Reinecke, Clark, and Nielsen, Submarine Cable Almanac 2023

[38] Simon Migliano and Samuel Woodhams, “Hikvision and Dahua Surveillance Cameras: Global Locations Report,” Top10VPN, November 16, 2021, https://www.top10vpn.com/research/hikvision-dahua-surveillance-cameras-global-locations/.

[39] John Hemmings, “Reconstructing Order: The Geopolitical Risks in China’s Digital Silk Road,” Asia Policy 15, no. 1 (2020): 5-22.

[40] Migliano and Woodhams, “Hikvision and Dahua Surveillance Camera Networks by Country”

[41]  Ausma Bernot and Marcus Smith, “Understanding the Risks of China-Made CCTV Surveillance Cameras in Australia,” Australian Journal of International Affairs 77, no. 4 (2023): 380-98.

[42] Adam Xu and Adrianna Zhang, “Chinese Surveillance Firm Selling Cameras With ‘Skin Color Analytics’,” VOA, August 11, 2023, https://www.voanews.com/a/chinese-surveillance-firm-selling-cameras-with-skin-color-analytics-/7221936.html.

[43] Migliano and Woodhams, “Hikvision and Dahua Surveillance Cameras: Global Locations Report”

[44]  Charles Rollett, “Hikvision Markets Uyghur Ethnicity Analytics, Now Covers Up,” IPVM, November 7, 2019, https://ipvm.com/reports/hik-xinjiang.

[45] Lee Mathews, “Widely-Used Hikvision Security Cameras Vulnerable to Remote Hijacking,” Forbes, September 20, 2021, https://www.forbes.com/sites/leemathews/2021/09/22/widely-used-hikvision-security-cameras-vulnerable-to-remote-hijacking/?sh=727a024b2f31.

[46] Office of the Biometrics and Surveillance Camera Commissioner, Biometrics and Surveillance Camera Annual Report – 2021/2022, London, Office of the Biometrics and Surveillance Camera Commissioner, 2023, https://assets.publishing.service.gov.uk/government/uploads/system/uploads/attachment_data/file/1135384/Biometrics__Surveillance_Camera_Commissioner_Annual_Report_21-22.pdf.

[47] Emma Woollacott, “U.S. Bans Chinese Telecom Kit Over National Security Concerns,” Forbes, November 28, 2022, https://www.forbes.com/sites/emmawoollacott/2022/11/28/us-bans-chinese-telecom-kit-over-national-security-concerns/.

[48] Tiffanie Turnbull, “Australia to Remove Chinese Surveillance Cameras amid Security Fears,” BBC, February 9, 2023, https://www.bbc.com/news/world-australia-64577641.

[49] Steven Feldstein, “The Global Expansion of AI Surveillance,” Carnegie Endowment for International Peace, 2019, https://carnegieendowment.org/2019/09/17/global-expansion-of-ai-surveillance-pub-79847.

[50] Hillman, The Digital Silk Road

[51] Migliano and Woodhams, “Hikvision and Dahua Surveillance Cameras: Global Locations Report”

[52] Press Trust of India, “Around 10 Lakh Chinese CCTV Camera Installed in Govt Institutions: Dhotre,” The Week, March 17, 2021, https://www.theweek.in/news/biz-tech/2021/03/17/around-10-lakh-chinese-cctv-camera-installed-in-govt-institutions-dhotre.html

[53] MSME Desk, “Traders’ Body CAIT Writes to IT Minister Ashwini Vaishnav to Ban Chinese CCTVs in India,” The Financial Express, March 12, 2023, https://www.financialexpress.com/industry/sme/msme-eodb-traders-body-cait-writes-to-it-minister-ashwini-vaishnav-to-ban-chinese-cctvs-in-india/3006450/.

[54] “2007: U.S. trade in goods with Advanced Technology Products, in Trade in Goods with Advanced Technology Products,” United States Census Bureau, https://www.census.gov/foreign-trade/balance/c0007.html#2007.

[55] “2021: U.S. trade in goods with Advanced Technology Products, in Trade in Goods with Advanced Technology Products,” United States Census Bureau, https://www.census.gov/foreign-trade/balance/c0007.html#2007.

[56] “China - High-Technology Exports in Current Prices (2007), in Foreign Trade,” KNOEMA, https://knoema.com/atlas/China/High-technology-exports#:~:text=High%2Dtechnology%20exports%20of%20China,average%20annual%20rate%20of%208.06%25.

[57]  “China - High-Technology Exports in Current Prices (2021), in Foreign Trade,” KNOEMA, https://knoema.com/atlas/China/High-technology-exports#:~:text=High%2Dtechnology%20exports%20of%20China,average%20annual%20rate%20of%208.06%25.

[58] According to World Bank figures, global high technology exports stood at US$1696.6 billion in 2007 and US$2816 billion in 2021.

[59] Alina Polyakova and Chris Meserole, “Exporting Digital Authoritarianism: The Russian and Chinese Models,” Brookings, 2019, https://www.brookings.edu/wp-content/uploads/2019/08/FP_20190827_digital_authoritarianism_polyakova_meserole.pdf.

[60] “中华人民共和国国家情报法 (2018修正),” China Law Translate, June 28, 2017, https://www.chinalawtranslate.com/national-intelligence-law-of-the-p-r-c-2017/.

[61] Jordan Robertson and Michael Riley, “The Big Hack: How China Used a Tiny Chip to Infiltrate U.S. Companies,” Bloomberg, October 4, 2018, https://www.bloomberg.com/news/features/2018-10-04/the-big-hack-how-china-used-a-tiny-chip-to-infiltrate-america-s-top-companies.

[62] Helene Fouquet, “China’s 7,500-Mile Undersea Cable to Europe Fuels Internet Feud,” Bloomberg, March 5, 2021, https://www.bloomberg.com/news/articles/2021-03-05/china-s-peace-cable-in-europe-raises-tensions-with-the-u-s#xj4y7vzkg.

[63] Jost Wübbeke et al., Made in China 2025, London, MERICS, 2016, https://merics.org/en/report/made-china-2025.

[64] Keiti (Huiting) Wei, China’s National Standardization Development Outline: Policy Implications and Future Directions, Tokyo, 2019, University of Tokyo, https://ifi.u-tokyo.ac.jp/en/wp-content/uploads/2022/03/SSUessay_5_Wei20220209_EN.pdf.

[65]  Zulfikar Rakhmat, “China’s Digital Silk Road in Indonesia: Progress and Implications,” LSE Ideas, July 17, 2022, https://www.lse.ac.uk/ideas/Assets/Documents/updates/2022-SU-IndoChina-Updated.pdf.

[66] Zhang Erchi and Denise Jia, “Huawei Steps up Efforts at Domestic Licensing of Thousands of Patents,” Nikkei Asia, June 11, 2022, https://asia.nikkei.com/Spotlight/Caixin/Huawei-steps-up-efforts-at-domestic-licensing-of-thousands-of-patents.

[67] Erchi and Jia, “Huawei Steps up Efforts at Domestic Licensing of Thousands of Patents”

[68] Paresh Dave, “Huawei Reaps More Patent Royalties Than it Pays Out for Second Straight Year,” Reuters, December 23, 2022, https://www.reuters.com/technology/huawei-reaps-more-patent-royalties-than-it-pays-out-second-straight-year-2022-12-23/.

[69] Anna Gross and Madhumitia Murgia, “China and Huawei Propose Reinvention of the Internet,” Financial Times, March 28, 2020, https://www.ft.com/content/c78be2cf-a1a1-40b1-8ab7-904d7095e0f2.

[70] Milton Mueller, “About That Chinese ‘Reinvention’ of the Internet - Internet Governance Project,” Internet Governance Project, March 30, 2020, https://www.internetgovernance.org/2020/03/30/about-that-chinese-reinvention-of-the-internet/.

[71] The White House, “Executive Order on Addressing the Threat from Securities Investments that Finance Certain Companies of the People’s Republic of China,” June 3, 2021, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/presidential-actions/2021/06/03/executive-order-on-addressing-the-threat-from-securities-investments-that-finance-certain-companies-of-the-peoples-republic-of-china/.

[72] The White House,  “FACT SHEET: CHIPS and Science Act Will Lower Costs, Create Jobs, Strengthen Supply Chains, and Counter China,” August 9, 2022, https://www.whitehouse.gov/briefing-room/statements-releases/2022/08/09/fact-sheet-chips-and-science-act-will-lower-costs-create-jobs-strengthen-supply-chains-and-counter-china/.

[73] Sameer Patil and Vivek Mishra, “Democracy, Technology, Geopolitics,” Observer Research Foundation, April 28, 2022, https://www.orfonline.org/expert-speak/democracy-technology-geopolitics/.

[74]  Hillman, The Digital Silk Road

[75]  Frank Mouritz, “Implications of the COVID-19 Pandemic on China's Belt and Road Initiative,” Connections 19, no. 2 (2020), https://doi.org/26937614.

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Authors

Sameer Patil

Sameer Patil

Dr Sameer Patil is Senior Fellow, Centre for Security, Strategy and Technology and Deputy Director, ORF Mumbai. His work focuses on the intersection of technology ...

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Prithvi Gupta

Prithvi Gupta

Prithvi works as a Junior Fellow in the Strategic Studies Programme. His research primarily focuses on analysing the geoeconomic and strategic trends in international relations. ...

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