गाजा-युद्ध ने पश्चिम एशिया की भू-राजनीति में उथल-पुथल ला दी है. युद्ध अब अपने तीसरे सप्ताह में प्रवेश कर चुका है और हमास के हमले का इजराइल द्वारा जवाब दिया जा रहा है. गाजा में पानी, बिजली और जरूरी वस्तुओं की सप्लाई बंद करके इजराइल ने उस पर सैन्य धावा बोलने की तैयारी कर ली है. उधर अमेरिका और यूरोपियन यूनियन द्वारा इजराइल का पक्ष लेने से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति गरमा गई है.
बुनियादी रणनीति टू-नेशन समाधान को जल्द से जल्द पुन: प्रभावी करने की होनी चाहिए. इससे पहले रूस और चीन इस मामले में संघर्ष विराम की मांग कर चुके थे.
गरमाई अंतरराष्ट्रीय कूटनीति
हालांकि, उन्होंने इजराइल से कहा है कि अपनी प्रतिक्रिया की धार थोड़ी कम करे. दूसरी तरफ चीन और रूस अरब-जगत से मिलीभगत कर रहे हैं, जिसने एक बार फिर से फिलिस्तीन-समस्या पर फोकस करना शुरू कर दिया है. पिछले सप्ताह व्लादीमीर पुतिन चीन पहुंचे और शी जिनपिंग से भेंट की. पुतिन इससे पहले फरवरी 2022 में बीजिंग पहुंचे थे, जब रूस और चीन ने घोषणा की थी कि उनकी दोस्ती अटूट है. इसके कुछ ही दिनों बाद रूस ने यूक्रेन पर चढ़ाई कर दी थी. उसके बाद से रूस और चीन के सम्बंधों में मजबूती ही आती चली गई है. आज रूस चीन को 20 लाख बैरल तेल प्रतिदिन बेच रहा है. यह उसके कुल तेल-निर्यात का एक-तिहाई से अधिक है. चीन के द्वारा पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जनवरी से सितम्बर के बीच चीन-रूस के बीच 176 अरब डॉलर से अधिक का व्यापार हुआ है, जो पिछले साल से 29.5% अधिक है. पुतिन की चीन-यात्रा से पूर्व रूसी विदेश मंत्री अपने चीनी समकक्ष वांग यी से बीजिंग में मिले.
चीन ने यह भी दर्शाया कि वह सऊदी अरब और अन्य देशों से मिलकर फिलिस्तीनियों को न्याय दिलवाने के लिए कार्य करता रहेगा.
दूसरे मामलों के अलावा उन्होंने इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर भी बात की और वांग यी ने स्पष्ट किया कि चीन सिविलियंस के विरुद्ध हर कार्रवाई की निंदा करता है. उन्होंने यह भी कहा कि यूएन सुरक्षा परिषद को इस मामले में कार्रवाई करते हुए दोनों पक्षों के बीच वार्ता करानी चाहिए. उन्होंने कहा, बुनियादी रणनीति टू-नेशन समाधान को जल्द से जल्द पुन: प्रभावी करने की होनी चाहिए. इससे पहले रूस और चीन इस मामले में संघर्ष विराम की मांग कर चुके थे.
रूस-चीन की स्थिति
चूंकि रूस यूक्रेन में उलझा हुआ है, इसलिए चीन मध्य-पूर्व में अपना अलग ही गेम खेल रहा है. वांग यी ने अपने सऊदी अरबी समकक्ष से बात करते हुए कहा कि इजराइल की कार्रवाई आत्मरक्षा के दायरे से बाहर जा चुकी है और उसे गाजा के लोगों को सामूहिक-दंड देना बंद करने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मांग पर ध्यान देना चाहिए.
चीन की स्थिति को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के साथ आधी सदी से भी अधिक समय से अन्याय हो रहा है और अब यह जारी नहीं रहना चाहिए. चीन ने यह भी दर्शाया कि वह सऊदी अरब और अन्य देशों से मिलकर फिलिस्तीनियों को न्याय दिलवाने के लिए कार्य करता रहेगा.
अमेरिका का निर्णय
जहां तक अमेरिका का प्रश्न है तो उसके विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन मध्य-पूर्व में बहुत सक्रिय रहे हैं और 12 से 17 अक्टूबर के दरमियान उन्होंने इजराइल, जॉर्डन, कतर, बहरीन, सऊदी अरब, मिस्र और यूएई की अनेक यात्राएं कीं. लेकिन हमास से अपनी रक्षा करने के इजराइल के अधिकार को लेकर उन्हें अरब देशों से कोई सहानुभूति नहीं मिली. यहां तक कि नाटो के सहयोगियों ने भी इजराइल के समर्थन में जंगी बेड़े भेजने के अमेरिका के निर्णय को उचित नहीं माना है. जब ब्लिंकेन मिस्र के राष्ट्रपति सीसी से मिले तो उन्होंने पाया कि वे वांग यी की ही भाषा बोल रहे थे.
अमेरिकियों ने इस क्षेत्र में चीनी और रूसी कूटनीति को संतुलित करने के लिए इजराइल, भारत, यूएई से सम्बंधित समूहों पर बहुत काम किया है और इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर समूह भी गठित किया है.
जब जो बाइडन खुद इजराइल पहुंचे तो किसी को भी यह अपेक्षा नहीं थी कि वे वहां पर कोई कूटनीतिक करामात करने में सक्षम रहेंगे. चीन, रूस और अरब देशों से पश्चिम के मतभेद जगजाहिर हैं. अमेरिकियों ने इस क्षेत्र में चीनी और रूसी कूटनीति को संतुलित करने के लिए इजराइल, भारत, यूएई से सम्बंधित समूहों पर बहुत काम किया है और इंडिया-मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर समूह भी गठित किया है. अमेरिका इजराइल और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक डील कराने के बहुत करीब पहुंच गया था. लेकिन अब सब गड़बड़ हो गया है.
अमेरिका इजराइल और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक डील कराने के बहुत करीब पहुंच गया था. लेकिन इजराइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध के बाद सब गड़बड़ हो गया है. इसने दुनिया की भू-राजनीति में भी उथल-पुथल ला दी है.
यह लेख दैनिक भास्कर में छप चुका है.
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