Issue BriefsPublished on May 30, 2023
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2030 की एजेंडा की प्रगति में सहायता करेगा डेटा: G20 के लिए सिफारिशें

  • Anirban Sarma
  • Debosmita Sarkar

    नवंबर 2022 में बाली में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले, भारत ने 'विकास के लिए डेटा' (D4D) के सिद्धांत को अपनी G20 अध्यक्षता का अभिन्न अंग बनाने का वचन दिया था. दिसंबर 2022 में जब भारत ने अध्यक्षता ग्रहण की तो अपनी पहली ही बैठक में G20 डेवलपमेंट वर्किंग ग्रुप ने कहा था कि वह SDG को प्राप्त करने के प्रयासों का समर्थन करने के लिए D4D के संग्रह, साझाकरण और विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित करेगा. यह नीति आलेख इस बात को दर्ज़ करता है कि G20 में डेटा परिदृश्य बेहद असंतुलित है. कुछ देश विकास एजेंडा की उपलब्धि हासिल करने के लिए डेटा का लाभ उठाने में दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. वर्तमान D4D संबंधी कोशिशों की राह मे तीन मुख्य बाधाएं हैं: (i) वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच और देशों के भीतर भी चिह्नित डेटा को लेकर प्रचलित दूरी; (ii) डेटा गोपनीयता, सुरक्षा, इंटरऑपरेबिलिटी और शेयरिंग के मुद्दों को लेकर पैदा होने वाली दिक्कतें; और (iii) अधिक तकनीकी और संस्थागत क्षमता की आवश्यकता, विशेष रूप से उभरती और विघटनकारी तकनीकों (EDT) को लागू करके और EDT का उपयोग करके अगली पीढ़ी के डेटासेट का उत्पादन करने के लिए पुराने डेटासेट को फिर से जीवंत करने को लेकर. इस आलेख में G20 सदस्य देशों को इन चुनौतियों का समाधान करने, D4D को बढ़ावा देने और 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए आठ रणनीतिक कार्रवाइयों का प्रस्ताव है जिस पर ये देश संयुक्त रूप से अमल कर सकते हैं.

टास्क फोर्स 2: ऑवर कॉमन डिजिटल फ्यूचर: अफोर्डेबल, एक्सेसिबल एंड इनक्लूसिव डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर


चुनौती

नवंबर 2022 में, भारत के G20 की अध्यक्षता ग्रहण करने से पहले ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा कर दी थी कि विकास के लिए डेटा का सिद्धांत D4D भारत के कार्यकाल का अभिन्न अंग होगा.[1] G20 नेताओं की बाली घोषणा ने भी आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में विकास के लिए डेटा की भूमिका की पुष्टि करते हुए उनके बयान को प्रतिध्वनित किया था.[2] दरअसल, इस दृष्टिकोण ने 2014 के बाद से G20 के भीतर लगातार मज़बूती प्राप्त की है, और अब एक व्यापक सहमति भी बन चुनी है कि क्वॉलिटी डेवलपमेंट डेटा ‘‘सार्थक नीति निर्माण, कुशल संसाधन आवंटन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण का आधार’’ है.[3]

डिजिटल पब्लिक गुड (DPG) के रूप में डेटा का विचार अक्सर D4D पर चर्चा से जुड़ा होता है. UN की खुले डेटा की DPG के रूप में मुहर लगने[4] और UN के इस व्यापक दावे के बाद कि सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को पूरा करने के लिए डेटा का उपयोग किया जाना चाहिए,[5] मल्टीस्टेक-होल्डर डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस ने DPG को ‘‘ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर, ओपन डेटा, ओपन AI मॉडल, ओपन स्टैंडर्ड्स, और ओपन कंटेंट के रूप में परिभाषित किया है. उनके अनुसार यह DPG गोपनीयता और अन्य लागू कानूनों और सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करते हैं, इन्हें इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह कोई नुक़सान नहीं पहुंचाते हैं, और SDG प्राप्त करने में सहायता करते हैं.’’[6] संयमित रूप से, एलायंस ने यह निर्धारित करने के लिए कि कोई इकाई DPG है या नहीं, नौ संकेतक और आवश्यकताएं विकसित की हैं.[7] अनेक मामलों में, डेटासेट वास्तव में DPG के रूप में योग्यता नहीं रखते हैं - उदाहरण के लिए वे एक अनुमोदित खुले लाइसेंस का उपयोग नहीं कर सकते हैं- लेकिन उनका अनुप्रयोग और उपयोग फिर भी विकास के प्रयासों में योगदान दे सकता है. चित्र 1 उन असंख्य तरीकों को दिखाता है जिनमें डेटा - और उनका बड़े, जटिल डेटासेट में संग्रह, जिसे बिग डेटा के रूप में भी पहचाना जाता है - ऐसी अंतर्दृष्टि उत्पन्न कर सकता है, जो 2030 एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए ठोस ज़मीनी कार्रवाई को आकार देने में सहायता कर सकता है.

चित्र1: बिग डेटा की SDG की प्रगति में सहायक क्षमता

Source: UN’s Big Data for Sustainable Development[8]

 

G20 द्वारा D4D को एक आवश्यक दृष्टिकोण के रूप में मान्यता दिए जाने के बावजूद, इस समूह के भीतर अंतर्राष्ट्रीय डेटा परिदृश्य अत्यधिक असंतुलित ही है. इस समूह में शामिल कुछ देश विकास के लिए डेटा का उपयोग करने में दूसरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. निम्नलिखित अनुच्छेद D4D पहलों को क्रियान्वित करने में आने वाली प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित करते हैं:

डेटा डिवाइड्‌स और असमानताएं: वैश्विक उत्तर और दक्षिण के देशों के बीच ही नहीं बल्कि इन देशों के भीतर भी विभिन्न जनसंख्या के हिस्सों के बीच एक चिह्नित ‘‘डेटा डिवाइड’’ है. (a) वैश्विक दक्षिण के कुछ देशों में कुछ लोगों के पास बुनियादी डिजिटल ढांचे तक भी पहुंच नहीं है. इसकी वज़ह से वहां ऐसा डेटा एकत्रित करना मुश्किल हो जाता है, जो उन्हें लाभान्वित कर सकता है या उन्हें डिजिटल डेटा तक पहुंच मुहैया करवा सकता है. इसी प्रकार अन्य लक्षित आबादी आमतौर पर एक ‘डेटा डेल्यूज़’ यानी अत्यधिक डेटा मुहैया करवाते हुए इस डेटा का उपयोग करते हुए निकाले गए आकलन की गुणवत्ता प्रतिकूल प्रभाव डालती है.[9]

गोपनीयता, सुरक्षा और इंटरऑपरेबिलिटी: राष्ट्रीय डेटा संरक्षण व्यवस्थाओं की मज़बूती की स्थिति में भी अहम असमानताएं हैं.[10] G20 के सभी सदस्य देशों के पास पर्याप्त रूप से मज़बूत नियामक ढांचे और डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को नियंत्रित करने वाले कानून नहीं हैं. यह स्थिति डेटा-संचालित पहलों में व्यक्तिगत और संस्थागत विश्वास को कमज़ोर कर सकती है. इसके अलावा, डिजिटल सूचना प्रणाली में अक्सर इंटरऑपरेबिलिटी की कमी होती है. इसकी वज़ह से डेटा साइलो यानी एक ऐसी व्यवस्था जिसमें एक ही देश में निर्मित डेटा का विभिन्न विभाग आपस में उपयोग नहीं कर पाते है जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. यह स्थिति डेटा के आदान-प्रदान की राह में रोड़ा बन जाती है, जो डेटा आधारिक विकास कार्यों को मज़बूती प्रदान करने से रोकते है.[11] अनेक G7 और G20 देशों द्वारा सीमा पार यानी एक-दूसरे देशों के बीच डेटा प्रवाह की वकालत किए जाने के बाद इसे लेकर कुछ संबंधित नीतियों और प्रक्रियाओं का निर्माण किया गया है,[12] लेकिन डेटा इंटर-ऑपरेबिलिटी की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है. इसी वज़ह से G20 के भीतर (अनुसंधान और नीति निर्माण के लिए) विकास संबंधी डेटा के एकत्रीकरण या संयोजन का समर्थन करने वाला तंत्र या प्रणाली अभी तक स्थापित नहीं की जा सकी है.

तकनीकी विशेषज्ञता और संस्थागत क्षमताएं: विकासशील देशों में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में कभी-कभी विकास के लिए डेटा एकत्र करने, संसाधित करने, विश्लेषण करने और उस पर कार्य करने के लिए ICT -विशेषत: उभरती और विघटनकारी तकनीकों (EDT) -के उपयोग को अनुकूलित करने के लिए आवश्यक क्षमताओं की कमी होती है. विशेष रूप से, (a) बिग डेटा एनालिटिक्स और AI को लीगेसी डेटासेट यानी पुरानी तकनीकों के सहयोग से एकत्रित किए गए डेटा पर लागू करके डेटा से पब्लिक वैल्यू इंटेलिजेंस में बदलाव की क्षमता, और (b) EDT का उपयोग करके पूरी तरह से नए डेटासेट बनाने की क्षमता को मज़बूत किए जाने की ज़रूरत है.

G20 की भूमिका

2014 से ही कम से कम G20 नेताओं ने तो D4D की क्षमता को मान्यता प्रदान कर दी है. 2014 में ऑस्ट्रेलियाई G20 की अध्यक्षता के तहत अपनाए गए ब्रिस्बेन एक्शन प्लान में, नेताओं ने ‘‘विकास हासिल करने, रोज़गार सृजित करने और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए डेटा और तकनीक की क्षमता को अधिकतम करने के लिए’’ प्रतिबद्ध होने की बात कही गई थी.[13] तब से ही G20 ने मज़बूत डेटा सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर बल देते हुए, D4D एजेंडे के विस्तार पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की अवधारणा और संचालन की लगातार पैरवी की है. मोटे तौर पर, G20 के प्रयास डेटा गोपनीयता और सुरक्षा को मज़बूत करने की दिशा में कदम उठाने पर केंद्रित है. इसी प्रकार G20 ने डेटा उपलब्धता, डेटा गुणवत्ता और डेटा तक पहुंच सुनिश्चित करने के साथ सतत विकास के लिए डेटा का उपयोग करने वाली सहायक पहल का समर्थन भी किया है.

उदाहरण के लिए, क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के संदर्भ में, G20 ने अपने दूसरे चरण (DGI-2) में D4D की अवधारणा को समायोजित करने के लिए 2015 में 2009 डेटा गैप्स इनिशिएटिव (DGI) को अनुकूलित किया, ताकि बुनियादी ढांचे, व्यापार और पर्यावरण स्थिरता जैसे क्षेत्रों में डेटा की उपलब्धता में सुधार हो सके.[14] इसके अलावा, इनोवेटिव ग्रोथ पर 2016 के ब्लूप्रिंट और G20 डिजिटल इकोनॉमी टास्क फोर्स (DETF) के दृष्टिकोण का विस्तार करते हुए, G20 ने 2019 में ओसाका नेताओं के घोषणापत्र में स्वास्थ्य, कृषि, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा के साथ ही विस्थापन और पलायन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लक्षित डेटा-संचालित कार्यक्रमों की आवश्यकता पर भी ध्यान आकर्षित किया था.[15] अभी हाल ही में, 2020 में, G20 ने सस्टेनेबल सिटीज्‌ को डिज़ाइन करने और स्मार्ट मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए भी डेटा का उपयोग करते हुए इसका लाभ उठाने पर बल दिया है.

वैश्विक डेटा परिदृश्य 2020-21 तक 59 ज़ेटाबाइट्स (ZB) तक विस्तारित हो गया था, और G20 देश वैश्विक डेटा उत्पादन, ख़पत और भंडारण में सबसे बड़े हितधारक हैं.[16] वैश्विक आबादी के दो-तिहाई से अधिक हिस्से को अपने में समेटे रखने वाले G20 के पास डेटा एंडप्वाइंट्‌स यानी एक कम्युटर नेटवर्क की जानकारी को एक-दूसरे तक पहुंचाने वाले सर्वाधिक भौतिक उपकरण मौजूद है. अन्य शब्दों में यह डेटा एंडप्वाइंट्‌स का सबसे बड़ा बैंक है.[17] इसके अतिरिक्त वैश्विक स्तर पर 69 फीसदी डेटा सर्वर्स तथा क्लाउड सेंटर्स भी G20 देशों में ही स्थापित है.[18] इसलिए, संसाधन पूलिंग और डेटा के उपयोग, और उसके बाद DPG के रूप में डेवलपमेंट डेटासेट्‌स का निर्माण G20 द्वारा और उसके देशों के आर-पार सभी के लिए सतत विकास को बढ़ावा देने की महत्वपूर्ण क्षमता रखता है. इसके अलावा, डेटा-संचालित विकास पहलों के विस्तार के लिए वित्तीय सहायता की पेशकश करने के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय और बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDB) पर G20 का प्रभाव, D4D एजेंडा को आकार देने और 2030 तक SDG हासिल करने के प्रयासों में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

G20 इस बात को स्वीकार कर चुका है कि विकास और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए डेटा की बढ़ती आवश्यकता के कारण डेटा गोपनीयता, सुरक्षा और इंटरऑपरेबिलिटी को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं. इसके फलस्वरूप, ओसाका ट्रैक के तहत 2019 में डेटा फ्री फ्लो विथ ट्रस्ट (DFFT) को लेकर G20 के प्रस्ताव ने "डिजिटल इकोनॉमी के अवसरों का दोहन करने के लिए विश्वास के साथ सीमा पार डेटा मुक्त प्रवाह" के आसपास आम सहमति बनाने और एक समान डेटा शासन ढांचा विकसित करने की दिशा में काम करने पर जोर दिया था.[19] इसके बाद, रियाद G20 लीडर्स घोषणापत्र (2020) ने DFFT और सीमा पार डेटा प्रवाह के महत्व को स्वीकार किया, D4D की भूमिका की पुन: पुष्टि करते हुए "गोपनीयता, डेटा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने" की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था.[20]

रोम के G20 नेताओं के घोषणापत्र (2021) ने इस बात का समर्थन किया कि G20 भविष्य में इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए DFFT को सक्षम करते हुए सबसे कमज़ोर लोगों की "गोपनीयता, डेटा सुरक्षा, सुरक्षा और बौद्धिक संपदा अधिकार" सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.[21] G20 ने D4D से जुड़े सुरक्षा जोख़िमों के प्रबंधन और इन जोख़िमों को कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को कारगर बनाने की दिशा में कदम उठाते हुए विशिष्ट उपयोग मामलों के लिए उच्च-स्तरीय सिद्धांतों को अपनाया है. इसके अलावा, बाली में G20 लीडर्स समिट और G20 वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक गवर्नर्स (FMCBG) की बैठक ने G20 DFFT ढांचे द्वारा सक्षम निजी क्षेत्र और प्रशासनिक डेटा और सीमाओं के पार डेटा साझा करने को लेकर होने वाले परिचालन में सुधार की ज़रूरत का समर्थन किया था.[22]

भारत ने, विशेष रूप से, सतत विकास के लिए डेटा-उपयोग दक्षता में विशेषज्ञता विकसित की है, और अपनी G20 अध्यक्षता के लिए कई परिवर्तनकारी D4D पहल शुरू की हैं. उदाहरण के लिए, सार्वजनिक डेटा को एकीकृत करके और इसे खुले तौर पर सुलभ बनाकर डेटा वितरण का लोकतंत्रीकरण करने के लिए नेशनल डेटा एंड एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म (NDAP) लॉन्च किया गया है.[23] इसके अलावा 2022 में गुमनाम डेटासेट के एक बड़े कोष को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने का प्रयास करने वाली एक राष्ट्रीय डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क मसौदा नीति[24] और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक,[25] भी पेश किए गए थे. इसके अलावा, भारत की अध्यक्षता के तहत G20 डेवलपमेंट वर्किंग ग्रुप की पहली बैठक में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया गया था कि कैसे EDT का उपयोग करके लीगेसी डेवलपमेंट डेटासेट का कायाकल्प किया जा सकता है; और EDT का उपयोग करके कैसे नए डेटासेट बनाए जा सकते हैं. यह देखते हुए कि वर्तमान G20 तिकड़ी पूरी तरह से विकासशील देशों से बनी है, यह भारत के लिए विशेष रूप से अहम क्षण है कि वह D4D के विचार को G20 डिजिटल एजेंडा की मुख्यधारा में लाने में सहायता करें और अंतरिक्ष में वैश्विक-दक्षिण-केंद्रित सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे.

सिफारिशें

देशों के भीतर और देशों के बीच डेटा डिवाइड्‌स की व्यापकता को देखते हुए, और डेवलपमेंट डेटा के निर्माण और उसे साझा करने को लेकर मौजूदा चुनौतियों को देखते हुए, G20 सदस्य देशों द्वारा निम्नलिखित आठ कार्यवाहियां की जा सकती हैं.

  1.   G20 सदस्यों देशों के लिए डेवलपमेंट डेटा की सुरक्षा और सुरक्षित करने के लिए एक समान न्यूनतम ढांचा तैयार करें.

UN ने अलग-अलग डेटा एकत्र करने और उसका विश्लेषण करने और "SDG के लिए प्रासंगिक अधिक डेटा उत्पन्न करने" की आवश्यकता पर जोर दिया है.[26] डेटा संग्रह और प्रसंस्करण को सुरक्षित कर इस संबंध में विभिन्न संस्थानों और निजी व्यक्तियों का विश्वास हासिल करने के लिए, G20 सदस्य देश डेवलपमेंट डेटा की सुरक्षा के लिए एक कॉमन मिनिमम फ्रेमवर्क (CMF) को को-डिजाइन कर सकते हैं. इस फ्रेमवर्क को चार स्तरों पर कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. सबसे पहली, G20 देशों को यह मूल्यांकन करना चाहिए कि क्या उनके डेटा सुरक्षा कानून और प्रावधान पर्याप्त रूप से D4D की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं; और यदि ऐसा नहीं है तो डेवलपमेंट डेटा के प्रबंधन को नियंत्रित करने के लिए संशोधनों या नीतिगत दिशानिर्देशों को शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए. दूसरी बात, G20 देशों को संस्थागत डेटा नियंत्रकों (जो तीसरे पक्ष के डेटा प्रोसेसर का अनुपालन सुनिश्चित करते हैं) की भूमिकाओं को मज़बूत करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए, और डेटा प्रोसेसिंग पारिस्थितिकी तंत्र में डेटासेट को गुमनाम करने के लिए डेटा प्रोसेसर की क्षमता को बढ़ाना चाहिए.[27]

तीसरी बात, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों को मज़बूत किया जाना चाहिए और हितधारकों के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों की एक सूची भी तैयार की जानी चाहिए. चौथी बात, हितधारकों के लिए डेटा संरक्षण और सुरक्षा के बारे में ज्ञान को डेवलपमेंट एज्युकेशन और सतत शिक्षा कार्यक्रमों की मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिए. CMF के निर्माण और निरीक्षण का नेतृत्व संयुक्त रूप से G20 के डेवलपमेंट वर्किंग ग्रुप (DWG) और डिजिटल इकोनॉमी वर्किंग ग्रुप (DEWG) द्वारा किया जा सकता है.

  1. अनुसंधान, नवाचार और नीति निर्माण को सक्षम करने के लिए डेवलपमेंट डेटा के सीमा-पार प्रवाह को सुगम बनाना.

G20 के भीतर इस बात को लेकर मान्यता बढ़ रही है कि सीमा पार डेटा प्रवाह और भरोसे के साथ डेटा मुक्त प्रवाह (DFFT) अंतर्राष्ट्रीय विकास को बहुत लाभ पहुंचा सकता है. 2030 एजेंडा के विषयगत क्षेत्रों में जहां विकास प्रभाव आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय या क्षेत्रीय होते हैं- जिसमें जलवायु परिवर्तन और उससे जुड़ी कार्रवाई, स्वास्थ्य; प्रवास; ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा; और महासागरों, समुद्रों और स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों का सतत उपयोग शामिल है; - डेटा पूलिंग कई तरीकों से अनुसंधान और नीति निर्माण का समर्थन कर सकता है. G20 द्वारा इस संबंध में अनेक पूरक दृष्टिकोणों को क्रियान्वित किया जा सकता है.

उदाहरण के लिए, सदस्य देश सीमाओं के पार डेवलपमेंट डेटा के आदान-प्रदान की मांग करने वाली संस्थाओं के बीच मॉडल कॉन्ट्रैक्चुअल क्लॉजेस तैयार कर सकते हैं. दूसरा, G20 के सदस्य देश, G7 और G20 के साथ चल रहे स्टैंडर्ड-सेटिंग संबंधी प्रयासों पर अपने यहां स्टैंडर्ड-सेटिंग का निर्माण कर सकते हैं, और विशेष वर्गों के डेटा के लिए वैश्विक मानक बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. (b) तीसरा, वे सदस्य देशों के गोपनीयता उपकरणों के बीच अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देने वाली व्यवस्थाओं को विकसित करने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम कर सकते हैं. वे G20 देशों के बीच डेटा गवर्नेंस को सुसंगत बनाने के लिए एक अंतिम रूपरेखा के निर्माण की दिशा में एक प्रारंभिक कदम उठा सकते है, जो उनके बीच डेवलपमेंट डेटा (साथ ही अन्य प्रकार के डेटा) के मुक्त प्रवाह को सक्षम करेगा.[28] अंत में, G20 डेटा-शेयरिंग प्लेटफ़ॉर्म स्थापित कर सकता है जो देशों को सुरक्षित और नियंत्रित वातावरण में विशिष्ट प्रकार के डेवलपमेंट डेटा (जैसे जलवायु या स्वास्थ्य डेटा) साझा करने की अनुमति देता है.

  1. ओपन डेटा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कार्रवाई योग्य घोषणापत्र विकसित करें.

UN, विश्व आर्थिक मंच, और अंतरराष्ट्रीय निकायों और विभिन्न देशों की सरकारों की एक विस्तृत श्रृंखला अब विकास हस्तक्षेपों के संचालन के लिए ओपन डेटा के महत्व को पहचानने लगी है. जैसा कि डिजिटल पब्लिक गुड्स एलायंस (DGPA) ने कहा है, ‘‘ओपन डेटा का उपयोग करके, SDG की प्राप्ति के लिए समाज आर्थिक और मानव विकास को बढ़ावा देने के नए तरीके ख़ोज सकता हैं.’’[29] G20 डेटा वैज्ञानिकों, D4D पेशावरों और तकनीकी नीति निमार्ताओं को एकजुट करते हुए डेटा 20 (D20) नामक एक नया एंगेजमेंट ग्रुप यानी जुड़ाव समूह लॉन्च करने पर विचार कर सकता है. G20 ओपन डेटा घोषणापत्र विकसित करने के लिए D20 औपचारिक रूप से DGPA, UN ग्लोबल पल्स और data.org जैसे संस्थानों को साथ लेकर सहयोग करेगा.

घोषणापत्र का उद्देश्य G20 में ओपन डेटा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप की इस तरह रूपरेखा तैयार करना होगा: इसके लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना; ओपन डेटासेट्स को विकसित करने के लिए आवश्यक तकनीकी क्षमता का निर्माण करना ताकि इन्हें DPG के रूप में प्रमाणित किया जा सकें; ओपन डेटासेट तक पहुंच को सार्वजनिक रूप से सुलभ बनाने के लिए आवश्यक डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाना; और भारत के ओपन गवर्नमेंट डेटा (OGD) प्लेटफॉर्म और EU के ओपन डेटा पोर्टल जैसी लाइटहाउस परियोजनाओं से ज्ञान हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना. D20 ओपन डेटा घोषणापत्र के कार्यान्वयन को संचालित करने वाले नोडल निकाय के रूप में कार्य करेगा.

  1. ओपन डेवलपमेंट डेटासेट साझा करने के लिए G20 रिपॉज़िटरी बनाएं.

G20 संयुक्त रूप से अपने सदस्य देशों से प्राप्त ओपन डेवलपमेंट डेटासेट की रिपॉज़िटरी यानी भंडार का निर्माण और रख-रखाव कर सकता है. पहले कदम के रूप में, G20 सदस्य देशों को स्वयं के राष्ट्रीय स्तर के डेवलपमेंट डेटा के भंडार बनाने के लिए प्रोत्साहित कर इस काम में उन्हें समर्थन दिया जाना चाहिए. उदाहरण के लिए भारत के OGD प्लेटफॉर्म, NDAP, और जल्द ही अ‍ॅनॉनिमाइज्ड अर्थात गुमनाम डेटासेट के लिए नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी के तहत उपलब्ध कराए जाने वाले विशाल प्लेटफॉर्म की तर्ज़ पर प्रोत्साहन और समर्थन दिया जा सकता है.[30] दूसरे कदम के रूप में, सदस्य देशों की रिपॉजिटरी के डेटासेट को या तो केंद्रीय G20 इंस्टीट्यूशनल डिजिटल रिपॉजिटरी (GIDR) के माध्यम से होस्ट किया जाना चाहिए या फिर इसके माध्यम से ही सदस्य देशों की डेटा तक पहुंच सुनिश्चित की जानी चाहिए. सीमाओं के पार डेवलपमेंट डेटा तक पहुंच को सक्षम करने और डेटासेट को अनुसंधान, विकास, स्टार्टअप और AI समुदायों के लिए खुले तौर पर उपलब्ध कराकर D4D के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए GIDR एक मूल्यवान उपकरण साबित होगा.

  1. पब्लिक वैल्यू इंटेलिजेंस उत्पन्न करने के लिए लीगेसी डेटासेट को फिर से जीवंत करें

OGD जैसे लीगेसी डेटासेट और संस्थागत रिपॉजिटरी में रहने वाले अन्य पारंपरिक डेवलपमेंट डेटासेट विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोणों का उपयोग करके बनाए जाते हैं. ये आमतौर पर विश्वसनीय और स्केलेबल यानी जो विस्तारित अथवा अपडेट किए जाने वाले होते है. डेटा एनालिटिक्स और अन्य टूल्स का उपयोग करके पब्लिक वैल्यू इंटेलिजेंस हासिल करने के लिए इन पुराने डेटासेट का उपयोग करने से सभी क्षेत्रों के सेवा वितरण में सुधार हो सकता है. DEWG के तत्वावधान में, G20 के सदस्य एक कंसोर्टियम (जिसमें तक़नीकी कंपनियां और सरकारी विभाग सदस्य होंगे) का निर्माण कर सकते है. यह कंसोर्टियम उन डेटासेट्स की पहचान करने की दिशा में काम करेगा, जिन्हें यदि रचनात्मक रूप से प्रोसेस किया जाए, तो वे सतत् विकास के नए अवसरों का रास्ता खोल सकते हैं.

कंसोर्टियम स्टार्ट अप 20 के लिए एक पुल के रूप में भी काम करते हुए (हाल ही में भारतीय प्रेसीडेंसी[31] के दौरान लॉन्च किया गया एक नया G20 एंगेजमेंट ग्रुप) G20 के स्टार्टअप समुदाय को पहुंच प्रदान करेगा. D4D एप्लीकेशन्स की एक नई पीढ़ी को विकसित करने और नए तरीकों से पुराने डेटासेट का विश्लेषण और उपयोग करने के लिए EDT का उपयोग करने के लिए Startup20 एक महत्वपूर्ण सहयोगी साबित हो सकता है. G20 के यूथ20 एंगेजमेंट ग्रुप का सहयोग लेकर कंसोर्टियम नए प्रकार के डेटा प्रशिक्षण और शिक्षा कार्यक्रमों को विकसित करने में मदद करते हुए डेटा साक्षरता में सुधार करने की दिशा में भी काम करेगा.

  1. इमर्जिंग और डिसरप्टिव टेक्नोलॉजिस् (EDT) का उपयोग करके नए डेटासेट के निर्माण में निवेश करें

G20 को EDT का उपयोग करके ग्रीनफील्ड डेटासेट बनाकर ओपन-डेटा परिदृश्य का विस्तार करने का प्रयास करना चाहिए. EDT पर भरोसा करते हुए भारत जैसे देश पहले से ही कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में मूल्यवान रीयल-टाइम डेटा प्राप्त करना शुरू कर चुके हैं. मसलन, लैंड डेटा को एकत्रित करने के लिए एक सटीक AI-संचालित प्लेटफॉर्म फ़सल (FASAL) पूरे भारत में किसानों की मदद कर रहा है. विशेषत: Fasal की सहायता से कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में फ़सलों के रोग प्रबंधन और सिंचाई लागत को लगभग 50 प्रतिशत तक कम करने में सफ़लता मिली है.[32] AI-संचालित ड्रोन कृषि-प्रौद्योगिकी परिदृश्य को बदल रहे हैं. इन ड्रोन की सहायता से एक ही समय में स्वच्छता, निगरानी और लागत में कटौती करने में आसानी हो रही है. PwC की एक वैश्विक शोध रिपोर्ट का अनुमान है कि EDT 2025 तक सभी डेटा के 80 प्रतिशत हिस्से को जियोस्पेटियल यानी भू-स्थानिक बनाने में सक्षम होगा, जिससे विश्व पर लगभग US$ 11.1 ट्रिलियन का आर्थिक प्रभाव पड़ेगा.[33] ट्रस्टवर्थी AI के लिए G20 सिद्धांतों के अनुरूप ग्रीनफील्ड डेटासेट के निर्माण के लिए EDT के सर्वोत्तम अभ्यासों और विशिष्ट उपयोग-मामलों पर प्रकाश डालते हुए G20 DEWG एक दस्तावेज़ तैयार कर सकता है.

G20 डेटा गैप्स इनिशिएटिव (DGI-3) अपने तीसरे चरण में जलवायु परिवर्तन और घरेलू वितरण से संबंधित सूचना डेटा गैप के नए डोमेन में प्रवेश करेगा, जहां EDT की वास्तविक क्षमता का लाभ उठाना महत्वपूर्ण होगा.[34] DGI-3 के एक मुख्य घटक के रूप में और बाद के चरणों में निरंतरता बनाए रखने के लिए, G20 को इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर क्रिएशन ऑफ़ ग्रीनफील्ड डेटाबेसेस् (INCGD) के निर्माण के लिए सहयोग करना चाहिए, जो

इन नए डेटासेट के उत्पादन और भंडारण का समर्थन करते हैं और जिसमे उनके कुशल प्रसंस्करण और विश्लेषण को सक्षम करने वाले ‘‘डेटा संस्थान’’ शामिल हैं. इन डेटा संस्थानों द्वारा तैयार किए गए डेटासेट को अंतत: पहले प्रस्तावित सेंट्रल GIDR में शामिल होना चाहिए.

  1. मज़बूत डेटा इकोसिस्टम बनाने के लिए फंडिंग मैकेनिज्म की स्थापना और समन्वय करना

G20 देश एक मज़बूत डेटा इकोसिस्टम के लिए फंडिंग जुटाने के लिए चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. सबसे पहले, राष्ट्रीय स्तर पर, G20 को सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए या महत्वपूर्ण डेटा अवसंरचना स्थापित करने में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए. दूसरे, अनुसंधान और विकास में निवेश करके, स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए धन उपलब्ध कराकर, और मज़बूत डेटा इकोसिस्टम बनाकर उसके रखरखाव के लिए उभरती तकनीकों के विकास और इन तकनीकों को स्वीकार करने अथवा अपनाने को बढ़ावा देने वाली नीतियों का निर्माण करके भी G20 नवाचार को बढ़ावा दे सकता है. तीसरा, G20 डेटा इकोसिस्टम के लिए फंडिंग मैकेनिज्म यानी वित्तपोषण प्रणाली की एक सूची विकसित कर सकता है जो G20 के मौजूदा ऐसे अनुदानों, ऋणों और कर प्रोत्साहनों की जानकारी दे सकती है, जो वर्तमान में कार्यान्वित किए जा रहे हैं. या फिर ऐसे प्रोत्साहन जिन्हें EDT से निर्मित नए डेटासेट में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया जा सकता हैं. चौथी प्राथमिकता यह है कि शीर्ष स्तर पर, G20 के सदस्य डेटा गैप्स इनिशिएटिव (DGI-3) के लिए पूरक ग्लोबल डेटा इनोवेशन फंड को बनाए रखने के लिए तंत्र की अवधारणा और पहचान के लिए एक साथ काम कर सकते हैं. ये रणनीतियां ऐसे निवेशों से जुड़े वित्तीय जोख़िमों को कम करने और नवाचार और विकास को बढ़ावा देने में सहायता कर सकती हैं.

  1. D4D लक्ष्यों के पैमाने पर हुई प्रगति को विकसित करने और मापने के लिए वार्षिक G20 समीक्षा सम्मेलन आयोजित करें

G20 के सदस्य देशों द्वारा अपने लिए D4D बुनियादी ढांचे और हस्तक्षेपों पर हुई प्रगति का आकलन करने, उनका लक्ष्य निर्धारित करने, इसे लेकर रोडमैप बनाने के लिए एक वार्षिक समीक्षा सम्मेलन का आयोजन करना चाहिए. इस समीक्षा सम्मेलन का आयोजन G20 नेताओं के वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान हो सकता है. इस समीक्षा शिखर सम्मेलन में संभावित रूप से खुद को D4D पर एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के रूप में स्थापित करने की क्षमता है.

निष्कर्ष

यदि D4D के उपयोग को G20 में मुख्यधारा का विकासात्मक दृष्टिकोण बनना है, तो इस आलेख में प्रस्तावित कई संयुक्त कार्यवाइयों को क्रियान्वित किए जाने की आवश्यकता होगी. G20 के भीतर, D4D के बारे में पहले से ही काफ़ी रुचि के साथ तेज़ी से काम हो रहा है. वहां इसके लाभों के बारे में आम सहमति है, और इसे लेकर अंतरिक्ष में भी अनेक पहलें चल रही हैं. लेखकों की सिफारिशें भी इन प्रवृत्तियों पर आधारित हैं. सच तो यह है कि सुझाए गए हस्तक्षेपों को हकीकत में उतारने के लिए राजनीतिक मंशा अहम होगी.

उत्तर की मौजूदा डेटा क्षमताओं और तकनीकी नवाचारों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के स्केलेबल अर्थात विस्तारित होने वाले समाधानों को पूरक ताकत के रूप में समझना भी महत्वपूर्ण है. ऐसा होने पर ही वैश्विक उत्तर और दक्षिण में अधिक ऑर्गेनिक इंटरनेशनल को-ऑपरेशन और 2030 एजेंडा को प्राप्त करने के लिए एक मज़बूत सामूहिक प्रयास किया जाना संभव है.


Endnotes

[a] Data divides are of several kinds. It could refer to the divide between people or communities who have the means to access data, on the one hand, and those who lack adequate resources to access data or are otherwise prevented from using data constructively to make decisions, on the other. It could also refer to the tendency of certain groups, communities or institutions to remain invisible to data collection processes, and therefore to be excluded from development datasets. Finally, as a study by the Atlantic Council, The Data Divide (2022) observes, the data capabilities of the Global North tend to be significantly more evolved (with China as an exception), leading to a North-South data divide as well.

[b] These could include standards for data collection, storage, analysis, dissemination, and privacy and security.

[1] PTI, “’Data for development’ will be integral part of overall theme of India’s G20 Presidency: PM Modi”, Outlook, November 16, 2022.

[2] The White House, “G20 Bali Leaders’ Declaration”, November 15-16, 2022.

[3] Haishan Fu, “Data for development impact: Why we need to invest in data, people and ideas”, World Bank Blogs, World Bank Group, February 13, 2019.

[4] United Nations, Report of the UN Secretary-General: Roadmap for Digital Cooperation, June 2020, pp.8-9.

[5] United Nations, The Age of Digital Interdependence: Report of the UN Secretary-General’s High-Level Panel on Digital Cooperation, pp. 10-11, June 2019.

[6]Digital Public Goods”, Digital Public Goods Alliance -2023.

[7]Digital Public Goods Standard”, Digital Public Goods Alliance -2023.

[8]Big Data for Sustainable Development”, UN Global Pulse, United Nations.

[9] https://www.tandfonline.com/doi/abs/10.1080/02681102.2019.1650244?journalCode=titd20

[10] UNCTAD, “Data protection and privacy legislation worldwide”, December 14, 2021.

[11] Jonathan Cinnamon, “Data inequalities and why they matter for development”, Information Technology for Development, Volume 26, 2020 - Issue 2: Data Justice, Micro-Entrepeneurship, Mobile Money and Financial Inclusion, pp. 214-233, August 02, 2019.

[12] OECD, Cross-border Data Flows: Taking Stock of Key Policies and Initiatives, OECDiLibrary, Organisation for Economic Cooperation and Development (OECD), October 12, 2022.

[13] G20 Australia, “Brisbane Action Plan”, G20 Australia, November 2014.

[14]The Financial Crisis and Information Gaps: Sixth Progress Report on the Implementation of the G-20 Data Gaps Initiative”, International Monetary Fund and Financial Stability Board Secretariat, September 2015.

[15] G20 Japan, “G20 Osaka Leaders' Declaration”, 2019 Osaka Summit, G20 Japan, June 29, 2019.

[16] Melvin M. Vopson, “The world’s data explained: how much we’re producing and where it’s all stored”, World Economic Forum, May 07, 2021.

[17] G20 India, “G20 – Background Brief”, G20 India, December 2022.

[18] N.V. Reno, “Microsoft, Amazon and Google Account for Over Half of Today’s 600 Hyperscale Data Centers”, Synergy Research Group, January 26, 2021.

[19] World Economic Forum, “Data Free Flow with Trust (DFFT): Paths towards Free and Trusted Data Flows”, WEF White Paper, World Economic Forum, May 2020.

[20]G20 Saudi Arabia, “G20 Riyadh Leaders' Declaration”, 2020 Riyadh Summit, G20 Saudi Arabia, November 21, 2020.

[21] G20 Italia, “Declaration of G20 Digital Ministers: Leveraging Digitalisation for a Resilient, Strong, Sustainable and Inclusive Recovery”, 2021 Rome Summit, G20 Italia Digital Ministers, August 05, 2021.  

[22] G20 Indonesia, “G20 Chair's Summary: Third G20 Finance Ministers and Central Bank Governors Meeting, Bali, 15-16 July 2022”, G20 Finance Ministers and Central Bank Governors Meetings, G20 Indonesia, July 2022.

[23] National Data and Analytics Platform (NDAP), NITI Aayog.

[24] PIB, “National Data Governance Framework Policy”, Press Release, Ministry of Electronics & IT, Government of India, July 27, 2022.

[25] https://economictimes.indiatimes.com/wealth/legal/will/digital-personal-data-protection-bill-what-rights-does-it-give-individuals/articleshow/96535688.cms

[26] United Nations, The Age of Digital Interdependence: Report of the UN Secretary-General’s High-Level Panel on Digital Cooperation, UN. High-Level Panel on Digital Cooperation, United Nations Digital Library, p.10, 2019.

[27] Corporate Finance Institute, “Data Anonymization”, December 27, 2022.

[28] OECD, Cross-border Data Flows: Taking Stock of Key Policies and Initiatives, p.12

[29] DPGA, Digital Public Goods and Open Data, Digital Public Goods Alliance, March 23, 2022.

[30]Govt to launch 'largest' AI-based datasets programme by April: Rajeev Chandrasekhar”, MoneyControl News, MoneyControl, March 09, 2023.

[31] Chintan Vaishnav, “How India aims to help startups in G20 nations”, Hindustan Times, December 12, 2022.

[32] Anjali Pathak, “How AI-powered drones are changing the agritech landscape in India”, IndiAai, Ministry of Electronics & IT, Government of India, May 11, 2020.

[33] Anusuya Datta, “Top eight disruptive technologies and how they are relevant to geospatial”, Geospatial World, August 11, 2019.

[34]About the DGI”, G20 Data Gaps Initiative, International Monetary Fund.

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