यूरोपीय संघ (EU) की परिषद की अध्यक्षता स्वीडन के हाथों 1 जनवरी 2023 को आने वाली है. स्वीडन की अध्यक्षता फ्रांस, चेक गणराज्य और स्वीडन की तिकड़ी में अंतिम होगी जो 2022 से 2023 के मध्य तक 18 महीने की अवधि के लिए अध्यक्ष की भूमिका निभाएंगे.
छह महीने तक एक राष्ट्र की अध्यक्षता की इस व्यवस्था में स्वीडन को यूरोपीय संघ के एज़ेंडे को निर्धारित करने और चलाने, 26 सदस्य राष्ट्रों के साथ सहमति बनाने, कानून पर परिषद के कार्य को आगे बढ़ाने और परिषद और अन्य यूरोपीय संघ के संस्थानों के बीच संपर्क को बढ़ाने का मौका मिलेगा.
साल 1995 में यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद से हीस्वीडन ने 2001 और 2009 में दो बार इसकी अध्यक्षता संभाली है. 2009 की अध्यक्षता, जिसके कारण लिस्बन संधि को लागू किया गया, 2008 के वित्तीय संकट के ठीक बाद एक निर्णायक दौर में हुआ था और अब स्वीडन की 2023 की अध्यक्षता भी ना सिर्फ यूरोपीय राजनीति बल्कि विश्व राजनीति में एक अहम मोड़ पर आई है.इसके अलावा ऊर्जा की बढ़ती क़ीमत, बढ़ती मुद्रास्फीति और आर्थिक मंदी के साथ यूक्रेन में रूस के युद्ध से उत्पन्न अस्थिर अंतर्राष्ट्रीय संदर्भों ने यूरोपीय संघ के भीतर ही सामरिक परिवर्तन और बदलाव पैदा करना शुरू कर दिया है.
यूरोप में होने वाले मौलिक रूप से बदलाव के अलावा भी, यहां तक कि स्वीडन में भी अक्टूबर महीने में सत्ता पर नए सेंटर राइट गठबंधन के आने के बाद काफी सियासी बदलाव हुआ है, जिसने स्वीडन में सेंटर लेफ्ट सोशल डेमोक्रेट्स के आठ साल के शासन और स्वीडन की नारीवादी विदेश नीति को एक झटके में ख़त्म कर दिया है. चुनावों के बाद स्वीडन में तीन-पार्टी अल्पसंख्यक गठबंधन सरकार अस्तित्व में आई है, जो फार राइट एंटी एमिग्रेशन स्वीडन डेमोक्रेट्स के संसदीय समर्थन पर निर्भर है.
नई सरकार द्वारा यह दोहराए जाने के बावज़ूद कि यूरोपीय संघ उसका "सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति का ज़रिया" है, ब्रुसेल्स में अभी भी यूरोसकेप्टिक स्वीडन डेमोक्रेट्स के संभावित प्रभाव के बारे में खासी चिंताएं मौज़ूद हैं, विशेष रूप से पलायन नीति और हंगरी के कट्टरपंथी नेता विक्टर ओरबान के साथ उनकी नज़दीकियों को लेकर. वास्तव में, ब्रेक्सिट के बाद, स्वीडन के डेमोक्रेट्स ने भी स्वेग्जिट के लिए - यानी यूरोपीय संघ में स्वीडन की सदस्यता पर जनमत संग्रह को लेकर जोर दिया.
14 दिसंबर कोस्वीडन के प्रधान मंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने औपचारिक रूप से परिषद की अध्यक्षता के दौरान स्वीडन की प्राथमिकताओं को सामने रखा, जहां निम्नलिखित प्राथमिकता वाले क्षेत्र को अहम बताया गया:
यूक्रेन
यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस के युद्ध की पृष्ठभूमि में, स्वीडन की सर्वोच्च प्राथमिकता यूक्रेन के लिए यूरोपीय संघ का समर्थन जुटाना है, जो यूरोपीय संघ के निर्णय लेने के सभी पहलुओं को प्रभावित करेगा. स्वीडन यूरोपीय संघ की एकता को सुरक्षित करने, सैन्य और आर्थिक समर्थन बढ़ाने, युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में सहायता करने और रूस पर दबाव जारी रखने का प्रयास करेगा. अभी हाल ही में यूरोपीय संघ रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों की नवीं खेप को लेकर सहमत हुआ है, जबकि स्वीडन ने यूक्रेन के लिए लगभग 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर क़ीमत के नए सैन्य और मानवीय सहायता पैकेज देने का वादा किया है. इतना ही नहीं, स्वीडन यूक्रेन की यूरोपीय संघ की सदस्यता की प्रक्रिया को तेज करने की दिशा में भी काम करने वाला है.
नाटो की सदस्यता
स्वीडन में एक और ज़बर्दस्त बदलाव 1814 से सशस्त्र तटस्थता की अपनी सदियों पुरानी परंपरा को छोड़ने को लेकर है. यूरोपीय सिक्युरिटी आर्किटेक्चर में बदलाव लाने के दौरान, यूक्रेन-रूस युद्ध ने स्वीडन और फिनलैंड को भी नैटो की सदस्यता के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया है.
नाटो में शामिल होने का यह आवेदन 2026 तक अपने रक्षा ख़र्च को जीडीपी के 2 प्रतिशत तक बढ़ाने के स्वीडन के फैसले के साथ पूरी तरह मेल खाता है.विशेष रूप से आईएमएफ द्वारा 2023 में स्वीडन की अर्थव्यवस्था में 0.6 प्रतिशत की मंदी की भविष्यवाणी की गई है. फिर भी, युद्ध, जिसने स्वीडिश अभिव्यक्ति' रिसेन कोमेर' को वास्तविकता में सामने ला दिया है, जिसका अनुवाद यह है कि 'रूसी आ रहे हैं', इस युद्धने स्वीडिश विदेश नीति में बदलाव की ज़रूरत को बताया है. इस प्रकार, भले ही तुर्की और हंगरी स्वीडन की नैटो सदस्या की प्रक्रिया को बाधित करते हों लेकिन स्वीडन के नैटो की सदस्यता ग्रहण करना सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी.
स्वीडन यूरोपीय संघ की एकता को सुरक्षित करने, सैन्य और आर्थिक समर्थन बढ़ाने, युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण में सहायता करने और रूस पर दबाव जारी रखने का प्रयास करेगा.
आर्थिक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को मज़बूत बनाना
संरक्षणवाद की वैश्विक प्रवृत्ति के बावज़ूद, स्वीडन दुनिया के सबसे खुले और मुक्त व्यापार के समर्थन में हमेशा से अग्रणी रहा है. विश्व बैंक के अनुसार छोटे निर्यात पर निर्भर देश के सकल घरेलू उत्पाद का 88 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर है, और इसे देखते हुए यह आश्चर्य की बात नहीं है. आईकेईए, एरिक्सन और एच एंड एम जैसी स्वीडिश कंपनियां दुनिया भर में प्रतिष्ठित हैं. स्वीडन में सियासी बदलाव के बावज़ूद, सभी सियासी दल मुक्त व्यापार के लिए सर्वसम्मति से अपना समर्थन देते रहे हैं. ऐसे में यूरोप की आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता को मज़बूत करना स्वीडन की अध्यक्षता के दौरान उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है, क्योंकि यूरोपीय संघ 2023 में एकल बाज़ार की 30 वीं सालगिरह मनाने वाला है और सप्लाई चेन में विविधता लाने और नई व्यापार साझेदारी बनाने की भू-राजनीतिक अनिवार्यता को लेकर भी कदम उठाने वाला है.
इस संदर्भ मेंस्वीडन यूरोपीय संघ के कुछ लंबित व्यापार सौदों पर सहमति बनाने का प्रयास कर सकता है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चिली और मर्कोसुर ब्लॉक के साथ मुक्त व्यापार समझौते शामिल हैं - यह ऐसा आर्थिक और राजनीतिक ब्लॉक है जिसमें मूल रूप से अर्जेंटीना, ब्राजील, पैराग्वे और उरुग्वे शामिल हैं. भारत और इंडोनेशिया के साथ व्यापार वार्ता को भी नई गति प्रदान करना भी स्वीडन के एज़ेंडे में सबसे ऊपर है.
ट्रान्साटलांटिक तनाव
दूसरी सबसे अहम प्राथमिकता वाला क्षेत्र है यूरोप का संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) के साथ बढ़ते तनावपूर्ण संबंध, ख़ास तौर पर नए इनफ्लेशन रिडक्शन एक्ट (आईआरए) के संदर्भ में - जो एक अहम जलवायु क़ानून है जो उपभोक्ताओं और अमेरिकी सामान ख़रीदने के लिए अमेरिकी कंपनियों और उपभोक्ताओं को ग्रीन सब्सिडी और इन्सेन्टिव के तौर पर 370 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान करता है.
आईआरए, जिसे स्वीडन के नए व्यापार मंत्री जोहान फोर्सेल ने "भेदभावपूर्ण" और "चिंताजनक" बताया है, जिसे यूरोपीय नागरिक घोर अमेरिकी संरक्षणवाद के तौर पर देखते हैं, जो यूरोपीय उद्योगों की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. इस प्रकार, ट्रेड वार से बचना, यूरोपीय संघ-अमेरिकी व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के भीतर सहयोग को बढ़ानाऔर विदेश मंत्री टोबियास बिलस्ट्रॉम ने जिसे "दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण व्यापार संबंध" बताया है, वह स्टॉकहोम के एज़ेंडे में सबसे अहम होगा.
ग्रीन एनर्जी बदलाव
रूस यूक्रेन जंग ने दरअसल बहुत तेजी सेयूरोप के ऊर्जा बदलाव को फॉसिल फ्यूल और रूसी तेल और गैस की जगह रिन्युएबल और ग्रीनर एनर्जी स्रोतों की ओर बढ़ने पर मज़बूर किया है.
साल 2045 तक क्लाइमेट न्यूट्रल बनने की स्वीडन की महत्वाकांक्षायूरोपीय आयोग के ग्रीन डील और 55 पैकेज के लिए फिट से पांच साल आगे है, जिसके माध्यम से यूरोप का लक्ष्य 2050 तक जलवायु तटस्थ बनना और 2030 तक गैस उत्सर्जन को 55 प्रतिशत कम करना है.
शायदकोई भी देश स्वीडन से बेहतर स्थिति में नहीं है – क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग का देश और एक वर्ल्ड इनोवेशन हब और जलवायु पहल पर अग्रणी राष्ट्र - ना केवल ऊर्जा सुरक्षा के लिए यूरोप की तलाश का नेतृत्व करने के लिए बल्कि ग्रीन ट्रांजिशन (हरित बदलाव) में तेजी लाने और आयोग के रीपावर ईयू पैकेज के ज़रिए जलवायु संकट से निपटने में पहल कर रहा है.
पलायन
पलायन का मुद्दा यूरोप में और वास्तव में स्वीडन के भीतर सबसे अधिक प्रबल है. हाल के वर्षों में, स्वीडन की उदार पलायन नीति के कारण, यूरोप के भीतर प्रति व्यक्ति पलायन और शरण की मांग करने वालों की उच्चतम दर रही है. हालांकि, आप्रवासियों और उनके एकीकरण की कथित कमी को अक्सर कई बुराइयों के लिए दोषी ठहराया जाता है, जैसे अपराध की बढ़ती दर, सामूहिक हिंसा, मानव हत्याओं में बढ़ोतरी अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण स्वीडिश समाज की दुर्दशा की ओर इशारा करता है. इसने ना सिर्फ स्वीडन डेमोक्रेट्स बल्कि ज़्यादातर स्वीडन की सियासी पार्टियों को प्रतिबंधात्मक पलायन नीति का समर्थन करने पर मज़बूर किया है.
अप्रवासन के प्रति स्वीडन के नागरिकों के दृष्टिकोण में नाटकीय रूप से बदलाव देखा गया है क्योंकि साल 2015 में 58 प्रतिशत लोग पलायन के पक्षधर थे जबकि 2022 में 40 प्रतिशत लोगों ने ही इसका समर्थन किया है, जिसका नतीजा यह हुआ कि स्वीडन में2020 में केवल 13,000 शरणार्थियों को जगह मिली जबकि साल 2015में यह आंकड़ा 1,63,000 था.
जैसा कि प्रवासियों ने 2015 के संकट के बाद से यूरोप की ख़तरनाक यात्राएं करना जारी रखा है, लेकिन लंबे समय से चले आ रहे इस मानवीय मुद्दे पर आम सहमति बनाने में असमर्थता ने यूरोप की सॉफ्ट पावर को प्रभावित किया है और इससे महाद्वीपीय विभाजनों को बढ़ा दिया है और बेलारूसी नेता लुकाशेंका जैसे निरंकुशों को लाभ उठाने के लिए मौका दे रहा है.
इस प्रकार साल 2020 में प्रस्तावित यूरोपीय संघ के माइग्रेशन और असायलम पैक्ट पर प्रगति महत्वपूर्ण है. वर्तमान यूरोपीय संघ के गृह मामलों के आयुक्त यल्वा जोहानसन के तहत - जो ख़ुद स्वीडन के नागरिक हैं – और जिनके प्रयासों से रूसी हमले से भाग रहे यूक्रेनी शरणार्थियों पर यूरोपीय डील संभव हो पाया था, इसके बाद अब ब्रसेल्स इस पर आगे बढ़ने के लिए अब बेहतर स्थिति में है.
दूसरी प्राथमिकताएं
अन्य प्राथमिकताओं में इनोवेशन में तेजी लाने पर ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिए स्वीडन स्काइप, स्पॉटिफाई और कर्लना जैसी अपनी प्रमुख टेक कंपनियों के ज़रिए दुनिया भर में मशहूर है. फिर भी, यूरोप अनुसंधान और विकास में अमेरिका और चीन से कम निवेश करता हैऔर इसकी कंपनियां अमेरिकी कंपनियों के मुक़ाबले नई तक़नीकों पर 40 प्रतिशत कम निवेश करती हैं.
चीन पर, बिलस्ट्रॉम ने जोर देकर कहा कि यूरोपीय संघ को "चीन से निपटने के नए तरीक़े खोजने होंगे" और "चीन के ख़िलाफ़ एकता को मज़बूत करना" होगा.
चिप्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजिटलाइजेशन और डेटा शेयरिंग पर तिकड़ी की पिछली अध्यक्षता में मौज़ूदा फाइलों को भी आगे बढ़ाया जाएगा.
कुल मिलाकर स्वीडन की अध्यक्षता पूरी तरह से संकट प्रबंधन पर हावी नहीं होने का प्रयास करेगाऔर यूरोपीय संघ के भीतर मौलिक मूल्यों और कानून के शासन को बनाए रखने की कोशिश करेगा.
अन्य प्राथमिकताओं में इनोवेशन में तेजी लाने पर ध्यान दिया जाएगा, जिसके लिए स्वीडन स्काइप, स्पॉटिफाई और कर्लना जैसी अपनी प्रमुख टेक कंपनियों के ज़रिए दुनिया भर में मशहूर है.
यूरोपीय संघ की एकता बनाना
महत्वपूर्ण चुनौती, यूरोपीय संघ के स्तर पर सबसे संवेदनशील मुद्दों के साथ, एकता बनाने और उसे बहाल करने की होगी क्योंकि 27 सदस्य देशों के बीच पहले से ही कई मोर्चों पर दरारें आ चुकी हैं.
एफटीए परविभिन्न सदस्य राष्ट्रों के अलग-अलग हित दांव पर हैं. मसलन, फ्रांस और आयरलैंड जैसे कृषि-आधारित राष्ट्रों से मर्कोसुर डील पर आरक्षण की कोशिश. आईआरए पर, जबकि नॉर्डिक राष्ट्र युद्धविराम की कोशिश करते हैं, जबकि जर्मनी और फ्रांस वाशिंगटन के ख़िलाफ़ प्रतिशोधात्मक संरक्षणवादी रवैए से निपटने पर विचार कर रहे हैं. पलायन पर, दक्षिणी यूरोपीय देश, जहां प्रवासी पहले पहुंचते हैं, और अन्य राष्ट्रों में अनिवार्य रिलोकेशन (स्थानांतरण) चाहते हैं; जबकि उत्तरी देश ऐसे सेकेंडरी पलायन को रोकना चाहते हैं. रूस के ख़िलाफ़ प्रतिबंधों और यूक्रेन को सहायता भेजने पर, हंगरी अक्सर प्रतिकूल रवैया अपनाता रहा है.
इसके बावज़ूदयूरोपीय संघ ने रूस की आक्रामकता के प्रति अपनी प्रतिक्रिया में उल्लेखनीय एकता का प्रदर्शन किया है लेकिन अभी भी पर्याप्त आशावाद की आवश्यकता है जिससे स्वीडन मतभेदों को पाटने और महत्वपूर्ण मुद्दों पर गति बनाए रखने में सक्षम हो.
लार्स डेनियलसन के नेतृत्व में, जिन्होंने साल 2001 में अपनी पहली अध्यक्षता के दौरान स्वीडन का नेतृत्व किया था और यूरोपीय संघ के विस्तार जैसे कठिन मुद्दों पर एकता बनाने में कामयाबी पाई थी, ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि स्वीडन अपनी अध्यक्षता को लेकर बेहतर स्थिति में है.
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