Author : Harsh V. Pant

Published on Aug 24, 2022 Commentaries 0 Hours ago

चीन ताइवान संघर्ष के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या उसका अगला निशाना कौन. क्या यह भारत के लिए खतरे की घंटी है. भारत चीन सीमा विवाद को लेकर यह सवाल लाजमी है. ऐसे में चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारत की क्या तैयारी है.

ताइवान के बाद भारत के किस क्षेत्र पर है चीन की नज़र?

चीन की आक्रामकता का सामना ताइवान को करना पड़ रहा है. चीन ने ताइवान के खिलाफ पूरा सैन्य मोर्चा खोल रखा है. इसकी आंच अमेरिका तक पहुंच रही है. दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत महासागर समेत कई देश चीन के इस आक्रामक रवैये से चिंतित है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ताइवान के बाद चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश पर होगी. यह सवाल तब और अहम हो जाता है जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक मंच को साझा करने वाले हैं.ऐसे में भारत को क्या रणनीति बनानी चाहिए. कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भारत की क्या तैयारी है. इन सब मामलों में क्या है विशेषज्ञ की क्या राय.

दक्षिण चीन सागर, हिंद प्रशांत महासागर समेत कई देश चीन के इस आक्रामक रवैये से चिंतित है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ताइवान के बाद चीन की नजर अरुणाचल प्रदेश पर होगी.
  • विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी. पंत का कहना है कि चीन ने अमेरिका के सारे विरोध को दरकिनार करते हुए ताइवान की सीमा पर अपना सैन्य अभ्यास जारी रखा है. इससे यह संकेत जाता है कि वह सुपरपावर की बात को नहीं मानता है. इसका एक और संकेत है कि चीन अपने को एक सुपरपावर के रूप में स्थापित कर रहा है. यूक्रेन जंग में जब रूस पूरी तरह से उलझ गया है, ऐसे में चीन को आगे बढ़ने का मौका भी मिला है. ताइवान के जरिए वह पूरी दुनिया को अपनी सैन्य क्षमता का एहसास करा रहा है.चीन की सरकार ताइवान को बार-बार चेतावनी दे रही हैं कि, समझ जाओ नहीं तो सैन्य बल के आधार पर हम अधीन कर लेंगे.
  • प्रो पंत का कहना है कि चीन का यह रवैया भारत के लिए एक खतरे की घंटी है. उन्‍होंने कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद को देखते हुए यह चिंता और बढ़ जाती है. पूर्वी लद्दाख में चीन के सैन्य हस्तक्षेप से यह बात सिद्ध हो जाती है. एलएसी पर चीन का अड़ियल रुख ड्रैगन के खतरनाक इरादों की ओर इशारा करते हैं. प्रो पंत ने कहा कि ताइवान के मामले में यह साफ हो गया है कि भारत को कूटनीतिक और सामरिक स्तर पर तैयार रहना होगा. भारत के लिए ताइवान एक सबक हो सकता है. बता दें कि ताइवान और चीन के बीच तनाव चरम पर है और दोनों पक्ष शक्ति प्रदर्शन करने में जुटे हैं.
  • चीन की आक्रामकता का अगला निशाना क्या भारत हो सकता है? इस सवाल के उत्तर में प्रो पंत ने कहा कि चीन के तेवर और रणनीति को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं लगता है. पूर्वी लद्दाख में वह अपने अवैध कब्ज़े को जिस तरह से जायज़ ठहरा रहा है, उससे चीन की मंशा पर शक होता है. भले ही वह अभी कूटनीति के जरिए सुलझाने की बात करता हो, लेकिन इसमें उसकी चाल है. इस समय वह अपना पूरा ध्यान ताइवान पर दे रहा है. ताइवान उसके लिए एक बड़ी चुनौती है. ताइवान मामले में उसे अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों का विरोध झेलना पड़ रहा है. इसके बावजूद वह अपने इरादों पर अडिग है. यह उसके खतरनाक इरादों की ओर इशारा करते हैं.
प्रो पंत ने कहा कि चीन के तेवर और रणनीति को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं लगता है. पूर्वी लद्दाख में वह अपने अवैध कब्ज़े को जिस तरह से जायज़ ठहरा रहा है, उससे चीन की मंशा पर शक होता है.
  • इस सवाल पर कि भारत इसके लिए तैयार है, उसकी क्या तैयारी है ? प्रो पंत ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत अपनी सीमा सुरक्षा को लेकर ज्यादा संवेदनशील हुआ है. भारतीय सेना ने अपनी ज़रूरतों के मुताबिक कई तरह के हथियारों को सैन्य बेड़े में शामिल किया है. इसके लिए भारत ने रूस और अमेरिका के अलावा अन्य देशों की मदद ली है. भारत अपनी सुरक्षा ज़रूरतों के मुताबिक हथियारों को सेना में शामिल कर रहा है. सामरिक रूप से भारत की स्थिति पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुई है. वह दुश्मन के किसी भी हमले को नाकमा करने की स्थिति में होगा.
  • प्रो पंत ने कहा कि अगर सीमा विवाद पर बात कूटनीतिक समाधान की जाए तो भारत सदैव किसी भी तरह के जंग का विरोधी रहा है. भारतीय विदेश नीति का लक्ष्य किसी भी विवाद का कूटनीतिक समाधान का ही रहा है. यही कारण है भारत चीन सीमा विवाद हो यह भारत पाकिस्तान के विवादित मसले हो भारत ने कूटनीति के जरिए ही समाधान निकालने की कोशिश की है. मोदी और जिनपिंग की हाल में होने वाली मुलाकात को इस कड़ी के रूप में देखा जा सकता है. पूर्वी लद्दाख पर सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत चीन की वार्ता जारी है. भारत इस समस्या का कूटनीतिक समाधान का हिमायती है. इसके बावजूद दुश्मन के इरादे को देखते हुए भारत को रह मोर्चे पर तैयार रहना चाहिए.
प्रो पंत ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत अपनी सीमा सुरक्षा को लेकर ज्यादा संवेदनशील हुआ है. भारतीय सेना ने अपनी जरूरतों के मुताबिक कई तरह के हथियारों को सैन्य बेड़े में शामिल किया है. इसके लिए भारत ने रूस और अमेरिका के अलावा अन्य देशों की मदद ली है.

भारत ने एक चीन नीति पर चीन को दिया बड़ा झटका

उधर, ताइवान संकट पर भारत ने बहुत सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. भारत ने यथास्थिति को बदलने के किसी एकतरफ़ा प्रयास से बचने का अनुरोध किया है. यही नहीं भारत ने चीन की मांग के बाद भी ‘एक चीन नीति’ के समर्थन में साल 2010 के बाद अब तक कोई बयान नहीं दिया है. प्रो पंत ने कहा कि यह भारत की ओर से चीन के कदमों की एक तरह से निंदा है. चीन के दबाव के बाद दुनिया के दर्जनों देशों ने ‘एक चीन नीति’ को दोहराया है. इसमें भारत के सभी पड़ोसी देश शामिल हैं. दरअसल, चीन ने अपनी एक चीन नीति में भारत के अरुणाचल प्रदेश को भी शामिल किया है जिसका भारत कड़ा विरोध करता है. यही वजह है कि अब खुलकर एक चीन नीति का समर्थन नहीं करता है. भारत के इस रुख के बाद चीन के राजदूत ने मांग की है कि भारत ‘एक चीन नीति’ को दिए अपने समर्थन को फिर से दोहराए.

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यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है

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