Author : Aditya Bhan

Published on Jan 02, 2023 Updated 0 Hours ago

रूस के क्षेत्र में यूक्रेन के द्वारा और ज़्यादा उकसाने वाले हमले की आशंका, जिसका मक़सद पश्चिमी देशों और रूस के बीच संघर्ष को भड़काना है, एक स्पष्ट और मौजूदा ख़तरा है.

क्या यूक्रेन नेटो और रूस के बीच सीधा युद्ध भड़काने की कोशिश कर रहा है?

15 नवंबर को यूक्रेन की सीमा के नज़दीक पूर्वी पोलैंड के लुब्लिन वोयवोदेशिप के प्रीवोदो गांव में यूक्रेन की एक एयर डिफेंस मिसाइल के गिरने के बाद, जिसमें दो लोगों की मौत हुई थी, अमेरिका में रूस के राजदूत ने यूक्रेन पर न सिर्फ़ अमेरिका से ज़्यादा सैन्य सहायता लेने का आरोप लगाया बल्कि रूस और नेटो के बीच सीधी सैन्य लड़ाई को भड़काने की कोशिश का भी आरोप लगाया. यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने इससे पहले मिसाइल के यूक्रेन का होने के विचार को “साज़िश का सिद्धांत” बताते हुए खारिज कर दिया था. दूसरी तरफ़ रूस के रक्षा मंत्रालय ने ये सही दावा किया था कि रूस के सैन्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट ढंग से मिसाइल के टुकड़ों की पहचान “यूक्रेन की एस-300 एयर डिफेंस सिस्टम की गाइडेड एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल” के रूप में की थी. 

दिसंबर महीने की शुरुआत में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष में उस वक़्त तेज़ी आई थी जब यूक्रेन के ड्रोन ने रूस के काफ़ी अंदर जाकर दो सैन्य अड्डों पर हमला किया. इस हमले का उद्देश्य रूस की लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों को तबाह करना था जो कि रूस के परमाणु त्रिकोण का आकाशीय हिस्सा हैं.

रूस के क्षेत्र में सैन्य अड्डों पर ड्रोन से हमला 

दिसंबर महीने की शुरुआत में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष में उस वक़्त तेज़ी आई थी जब यूक्रेन के ड्रोन ने रूस के काफ़ी अंदर जाकर दो सैन्य अड्डों पर हमला किया. इस हमले का उद्देश्य रूस की लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों को तबाह करना था जो कि रूस के परमाणु त्रिकोण का आकाशीय हिस्सा हैं. हालांकि, यूक्रेन अपनी कोशिश में कामयाब नहीं हो पाया. इस अभूतपूर्व हमले के ज़रिए यूक्रेन ने पहली बार रूस की सीमा के काफ़ी भीतर घुसकर निशाना बनाया था. यूक्रेन के हमले के कुछ घंटों के बाद रूस ने यूक्रेन के ख़िलाफ़ मिसाइल हमलों की नई झड़ी लगा दी. इन हमलों में सामरिक बमवर्षक विमानों से किए गए हमले भी शामिल हैं जिनके ज़रिए यूक्रेन में ऊर्जा के आधारभूत ढांचों पर निशाना साधा गया. यूक्रेन की तरफ़ से गंभीर उकसावे को देखते हुए रूस के द्वारा तीखी प्रतिक्रिया में काफ़ी संयम सूझबूझ का परिचय दिया गया ताकि युद्ध को बढ़ाने की यूक्रेन की कोशिश से परहेज किया जा सके. 

सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के पूर्व अधिकारी फिलिप गिराल्डी के अनुसार ड्रोन हमले साफ़ तौर पर यूक्रेन के द्वारा संघर्ष को बढ़ाने की कोशिश थी. ‘जजिंग फ्रीडम’ पोडकास्ट पर जज एंड्रयू नैपोलिटानो के साथ बात करते हुए गिराल्डी ने आरोप लगाया कि “उन्होंने (यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर ज़ेलेंस्की) मिसाइल के साथ संघर्ष बढ़ाने की कोशिश की, जो संभवत: ग़लत दिशा में भेजी गई थी और जिसने पोलैंड में गिरकर दो लोगों की जान ले ली. उन्होंने (राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की) इसे और बढ़ाते हुए कहा कि अब नेटो को दखल देना चाहिए. इसे रूस की तरफ़ से संघर्ष को बढ़ावा देने की एक और कोशिश के तौर पर पेश किया गया जिसे संभवत: पोलैंड के लिए ख़तरे और पोलैंड में तैनात सैनिकों की टुकड़ी को ख़तरे के रूप में देखा जाएगा. ये ऐसा खेल है जो खेला जा रहा है”.

गिराल्डी ने ड्रोन हमलों के राजनीतिक रूप से प्रेरित होने का आरोप लगाते हुए ये भी कहा कि “ये संघर्ष को बढ़ाने की कोशिश है ताकि रूस- कम-से-कम ज़ेलेंस्की और उनके सलाहकारों, जिनमें से कई संभवत: अमेरिकी हैं, की उम्मीद के मुताबिक़- बदले में कुछ ऐसा करे जो बेवकूफ़ाना और भड़काने वाला हो. इससे नेटो-रूस की प्रतिक्रिया भड़कावे वाली होगी जो ज़ेलेंस्की देखना चाहते हैं”.

यूक्रेन की निराशा और पश्चिमी देशों में युद्ध की थकान

रूस की तरफ़ से लगातार मिसाइल और गोला-बारूद के हमलों से यूक्रेन अंधेरे में डूबा हुआ है क्योंकि यूक्रेन की ऊर्जा ग्रिड का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो चुका है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूस की मांगों को नहीं मानकर यूक्रेन ख़ुद मुश्किलों को बुला रहा है. रूस के हमलों के असर को यूक्रेन के द्वारा नेटो देशों से एयर डिफेंस सिस्टम के लिए हताश अपील से लगाया जा सकता है ताकि रूस के हवाई हमलों का मुक़ाबला किया जा सके. दूसरी तरफ़, यूक्रेन के द्वारा रूस के भीतर दुस्साहसी हमले भी कम-से-कम आंशिक तौर पर हाल के इन्हीं झटकों से प्रेरित हैं.  

इसके अलावा, लगता है कि यूक्रेन ने पश्चिमी देशों में ‘युद्ध की थकान’ की शुरुआत होने का अंदाज़ा लगा लिया है. इसकी वजह ये है कि यूक्रेन की फर्स्ट लेडी ओलेना ज़ेलेंस्का ने कहा है कि रूस के आक्रमण की वजह से शुरू इस युद्ध की थकान के आगे अगर दुनिया झुक जाती है तो उनका देश तबाह हो सकता है. यूक्रेन का सामरिक हिसाब-किताब इस तथ्य से भी गड़बड़ा रहा है कि अमेरिका यूक्रेन को ये सलाह दे रहा है कि वो युद्ध को ख़त्म करने के लिए रूस के साथ बात करे और वो भी संभवत: बिना किसी पूर्व शर्त के. 

अमेरिकी सफाई

उल्लेखनीय है कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सफाई दी है कि अमेरिका ने “यूक्रेन को न तो प्रोत्साहित किया और न ही शक्तिशाली बनाया कि वो रूस के भीतर घुसकर हमला करे’. ये सफाई उन आरोपों के बीच दी गई थी कि यूक्रेन ने पिछले दो दिनों के भीतर रूस के हवाई क्षेत्र पर हमले के लिए सोवियत युग के ड्रोन का इस्तेमाल किया था और इसलिए वो रूस के क्षेत्र पर हमले के लिए अमेरिका एवं दूसरे पश्चिमी सहयोगियों से हासिल अरबों डॉलर की क़ीमत की सैन्य सहायता का इस्तेमाल नहीं कर रहा है जिसके बारे में अमेरिका को डर है कि इससे संघर्ष और भड़क सकता है. 

अमेरिका ने इसी तरह यूक्रेन के उस दावे का खंडन किया कि रूस ने जान-बूझकर पोलैंड में प्रीवोदो गांव पर हमला किया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने बयान दिया था कि उन्हें इस बात में कोई शक नहीं है कि मिसाइल यूक्रेन की नहीं है और उन्हें ये विश्वास है कि “हमारी (यूक्रेन की) सैन्य रिपोर्ट के मुताबिक ये एक रूसी मिसाइल थी”. इसके बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ख़ुद राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के दावे को ये कहकर चुनौती दी कि इस बात की “कम संभावना” है कि जो मिसाइल पोलैंड में गिरी थी, उसे रूस के सुरक्षा बलों ने दागा था. उन्होंने ये भी कहा कि मिसाइल का रास्ता इस बात का समर्थन नहीं करता है

उम्मीद

यूक्रेन में परमाणु युद्ध के ख़तरे को कम करने के लिए रूस के साथ अमेरिका बातचीत कर रहा है. ख़बरों के मुताबिक़ अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी के साथ बात की है. रूस के साथ सीधे संघर्ष से परहेज करने को लेकर अमेरिका गंभीर है, ये इस फ़ैसले से भी स्पष्ट तौर पर दिखता है जिसके तहत अमेरिका ने यूक्रेन को भेजे गए हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम्स (हिमर्स) में गोपनीय ढंग से बदलाव कर दिया है ताकि वो लंबी दूरी में हमला करने में सक्षम न हों. रूस ने भी तबाही को टालने के लिए इसी तरह का इरादा दिखाया है और इस तथ्य पर मुहर लगाई है कि यूक्रेन ने रूस के दो हवाई क्षेत्रों पर निशाना साधने के लिए अपने ड्रोन हमले में पश्चिमी देशों के हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है. इसके अलावा रूस ने यूक्रेन के हमले को लेकर दबी हुई प्रतिक्रिया दी है. अमेरिका और रूस के बीच इस तरह की बातचीत के लिए संचार के माध्यमों को आगे भी खुला रखने की उम्मीद की जा रही है.

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगी के साथ बात की है. रूस के साथ सीधे संघर्ष से परहेज करने को लेकर अमेरिका गंभीर है, ये इस फ़ैसले से भी स्पष्ट तौर पर दिखता है जिसके तहत अमेरिका ने यूक्रेन को भेजे गए हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम्स (हिमर्स) में गोपनीय ढंग से बदलाव कर दिया है ताकि वो लंबी दूरी में हमला करने में सक्षम न हों.

इसलिए, रूस के साथ बातचीत के लिए यूक्रेन को विचार करने का दबाव डालने की मौजूदा अमेरिकी कोशिश में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है, विशेष तौर पर इस बात की संभावना देखते हुए कि यूक्रेन की पूरी तरह से सैन्य विजय- यानी क्रीमिया समेत पूरे यूक्रेन से रूसी सैनिकों को बाहर करना- की संभावना शून्य के आसपास है. दूसरी तरफ़ अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ़ ऑफ स्टाफ जनरल मार्क मिले ने ये उम्मीद जताई है कि “इस युद्ध का राजनीतिक समाधान हो सकता है जहां राजनीतिक तौर पर रूस यूक्रेन से अपने सैनिकों को वापस बुला ले, ये संभव है”. इसलिए अमेरिका के द्वारा यूक्रेन की तरफ़ से ये संकेत दिलवाने की कोशिश कि वो रूस के साथ कूटनीतिक बातचीत के लिए तैयार है, न सिर्फ़ जारी रहने की संभावना है बल्कि आने वाले महीनों में और तेज़ हो सकती है.     

वैसे रूस के साथ बातचीत के ख़िलाफ़ यूक्रेन का ज़िद्दी रवैया विशेष रूप से चिंताजनक है. यूक्रेन के राष्ट्रपति के सलाहकार ने तो पश्चिमी देशों की तरफ़ से उसे बातचीत के लिए मनाने की कोशिशों को “अजीब” बता दिया है. इस तरह, रूस के क्षेत्र में यूक्रेन के द्वारा और ज़्यादा उकसाने वाले हमले की आशंका, जिसका मक़सद पश्चिमी देशों और रूस के बीच व्यापक लड़ाई को भड़काना है, एक स्पष्ट और मौजूदा ख़तरा है. 

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