Author : Harsh V. Pant

Published on Jun 29, 2022 Commentaries 0 Hours ago

ब्रिक्स सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया, लेकिन, उन्होंने अपने संबोधन में चीन और रूस पर उठआए मसलों पर बयान न देकर सिर्फ महामारी के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक सहयोग पर बात की

14th BRICS Summit: ब्रिक्स में भारत को क्या हासिल हुआ?

ब्रिक्स का 14वां सम्मेलन वर्चुअल मोड में संपन्न हो गया. यह सम्मेलन चीन में होना था, लेकिन भारत के विरोध के चलते बीजिंग के बजाय ऑनलाइन का विकल्प चुना गया. भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख़ में सीमा पर दो सालों से बने हुए गतिरोध के चलते ये फैसला किया गया था. हालांकि, चीन ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने और चीन में ब्रिक्स के आयोजन के लिए सहमति बनाने की कोशिश की थी. चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस साल 24 मार्च को भारत यात्रा पर आए थे. चीन की कोशिश थी कि प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए बीजिंग आएं, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं हुआ. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत को इस ब्रिक्स सम्मेलन में क्या हासिल हुआ? क्वॉड के साथ भारत ने ब्रिक्स में अपनी मौजूदगी का क्या संदेश दिया. आइए जानते हैं इस पर विशेषज्ञों की क्या राय है. 

चीन के विदेश मंत्री वांग यी इस साल 24 मार्च को भारत यात्रा पर आए थे. चीन की कोशिश थी कि प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स सम्मेलन के लिए बीजिंग आएं, लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं हुआ.

ब्रिक्स संगठन की वर्चुअल बैठक में भारत को क्या हासिल हुआ. यह सवाल काफी अहम है. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स इस लिहाज़ से भारत के लिए काफी उपयोगी संगठन है, क्योंकि इसमें चीन भी शामिल है. उन्होंने कहा कि इस संगठन के ज़रिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व को एक मंच पर अपनी बात कहने और सुनने का एक बेहतर मंच मिलता है. खासकर तब जब दोनों देशों के बीच विवाद चरम पर है. प्रो. पंत ने कहा कि हालांकि यह कोई सामरिक संगठन नहीं है, यह एक बहुपक्षीय मंच है, जिसमें दुनिया की पांच अहम उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं. 

ब्रिक्स की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब रूस पूरी तरह से यूक्रेन संघर्ष में उलझा हुआ है. उसकी पश्चिमी देशों के साथ टकराव की स्थिति बनी हुई है. उधर, भारत-चीन सीमा विवाद के चलते दोनों देशों के बीच रिश्ते तल्ख़ चल रहे हैं. अमेरिकी नेतृत्व वाले क्वॉड को लेकर चीन अपनी बड़ी चिंता ज़ाहिर कर चुका है. प्रो. पंत ने कहा कि ब्रिक्स की इस बैठक में अमेरिकी रणनीति को लेकर ही चर्चा गरम रही. क्वॉड का नाम लिए बग़ैर चीन ने अमेरिका की रणीति को जमकर कोसा. ख़ास बात यह है कि क्वॉड संगठन में भारत भी शामिल है. 

भारत ने यह साबित किया कि वह यदि क्वॉड का सक्रिय सदस्य है तो ब्रिक्स में भी उसकी अहम भागीदारी है. यही भारतीय विदेश नीति की खूबी है. अमेरिका और रूस भारत की इस विदेश नीति को अच्छी तरह समझ रहे हैं. भारत अपने द्विपक्षीय रिश्तों में किसी अन्य देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है. 

ब्रिक्स की बैठक इस लिहाज़ उपयोगी है कि भारत ने दुनिया को यह दिखा दिया है कि वह दुनिया में किसी सैन्य गुट का हिस्सा नहीं है. भारत ने यह साबित किया कि वह यदि क्वॉड का सक्रिय सदस्य है तो ब्रिक्स में भी उसकी अहम भागीदारी है. यही भारतीय विदेश नीति की खूबी है. अमेरिका और रूस भारत की इस विदेश नीति को अच्छी तरह समझ रहे हैं. भारत अपने द्विपक्षीय रिश्तों में किसी अन्य देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करता है. ऐसा कई मामलों में भारत की रणनीति से यह सिद्ध भी हुआ है. 

यूक्रेन जंग में भारत की तटस्थ नीति का मामला हो या रूस के साथ एस-400 मिसाइल जैसे रक्षा उपकरणों की खरीद का मसला हो उसकी नीति एकदम स्पष्ट रही है. चीन के साथ सीमा विवाद पर भारत ने कई बार अमेरिकी हस्तक्षेप और सहयोग को ख़ारिज किया है. भारत की इस नीति का चीन ने भी लोहा माना है. उसने भारत की प्रतिक्रिया का स्वागत किया है. भारतीय विदेश नीति की स्पष्ट मान्यता है कि वह किसी दूसरे देश के मसले में कोई हस्तक्षेप नहीं करता है और न अपने आंतरिक मामले में किसी अन्य देश को शामिल करता है. ब्रिक्स और क्वॉड का सदस्य होना इस बात को और प्रमाणित करता है. 

क्वॉड और ब्रिक्स एक दूसरे के घोर विरोधी देशों का अलग-अलग संगठन है. क्वॉड में जहां अमेरिका, भारत, जापान शामिल है, वहीं दूसरी ओर ब्रिक्स में अमेरिका के घोर विरोधी रूस और चीन जैसे देश शामिल हैं. खास बात यह है कि भारत इन दोनों संगठनों में अहम भूमिका अदा कर रहा है. यह ख़ासियत यह प्रमाणित करता है कि विदेश नीति द्विपक्षीय रिश्तों और उसके हितों पर आधारित है. वह किसी सैन्य या सामरिक रणनीति के आधार पर तय नहीं होती है. 

जिनपिंग ने ब्रिक्स में क्या कहा

1) ब्रिक्स देशों के वर्चुअल सम्मेलन में चीन ने खुलकर गुटबाज़ी की और आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर पश्चिमी देशों पर निशाना साधा. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे. 14वें सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चीन के राष्ट्रपति परोक्ष तौर पर नाटो और क्वॉड पर निशाना साधते हुए दिखे. ब्रिक्स की बैठक में चीन ने रूस पर लगे एकतरफ़ा आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध करके रूस के समर्थन में भी आवाज़ उठाई. वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक प्रतिबंधों का मसला उठाया. ब्रिक्स सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया, लेकिन- उन्होंने अपने संबोधन में चीन और रूस पर उठाए मसलों पर बयान न देकर सिर्फ़ महामारी के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक सहयोग पर बात की

ब्रिक्स सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया, लेकिन- उन्होंने अपने संबोधन में चीन और रूस पर उठाए मसलों पर बयान न देकर सिर्फ़ महामारी के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक सहयोग पर बात की.

नाटो पर प्रहार का मतलब चीन ने अमेरिका के साथ पश्चिम के करीब 30 सदस्य देशों पर हमला होता है. नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन यानी नाटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था. इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे. इसको पूर्व सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया गया था. तब दुनिया दो ध्रुवीय थी. एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन. ब्रिक्स मतलब ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका से है. ब्रिक्स इन्हीं पांच देशों का गुट है, पिछले गुरुवार का इसका सालाना सम्मिट था, जो वर्चुअल हुआ है. 

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यह आर्टिकल जागरण में प्रकाशित हो चुका है.

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