Issue BriefsPublished on Oct 18, 2024
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Chinese Global Media Strategies And Their Footprints In South Asia

‘चीन की ग्लोबल “मीडिया रणनीति” और दक्षिण एशिया में पड़ते उसके पदचिन्ह’

  • Col (Dr) DCS Mayal

    हाशिए पर बैठी आबादी को शक्ति प्रदान करने वाली विध्वंसक संचार प्रौद्योगिकियां वैश्विक गतिविज्ञान को आकार देने में सहायक साबित हो रही हैं. ये प्रौद्योगिकियां जनता की नज़रों में पारंपरिक रूप से मज़बूत सैन्य शक्ति से ऊपर का स्थान पा रही हैं. इस वजह से ग्लोबल डायनैमिक्स यानी वैश्विक गतिविज्ञान को एक नया आकार मिल रहा है. इसके साथ ही इन प्रौद्योगिकियों की वजह से ही कुछ समूहों को ख़ुफ़िया तौर पर जनता की भावनाओं को दूर से ही प्रभावित करते हुए उन पर निगरानी रखने, नियंत्रण करने और उनके पसंदीदा नैरेटिव पर हक जमाने का अवसर भी मिल रहा है. इस ब्रीफ में चीन के मामले की चर्चा की जा रही है, जो 21 वीं सदी से आरंभ से ही नई और उभरती प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए अपने ग्लोबल प्रभुत्व को हासिल करने के काम में जुटा हुआ है.

Attribution:

डीसीएस मयाल, चीन की ग्लोबलमीडिया रणनीति और दक्षिण एशिया में पड़ते उसके पदचिन्ह,  ORF इश्यू ब्रीफ नं. 737, अक्टूबर 2024, ऑब्ज़र्वर रिसर्च फाउंडेशन.

प्रस्तावना

“संचार माध्यम से लैस आज के युग के वैश्विक परिवेश में अक्सर जंग में जीत सेना की फ़तह पर नहीं परंतु जिसकी कहानी प्रभावी होगी उस पर निर्भर होगी.”

जॉन आर्क्विला, अमेरिकी राजनीतिक वैज्ञानिक[1]

चीन, अब डेंग शियाओपिंग की “अपनी ताकत को छुपाओ, वक़्त का इंतजार करो” (韜光养; tāoguāngyǎnghuì) वाले दृष्टिकोण[2] को छोड़ चुका है. अब वह ख़ुद को घरेलू तथा ग्लोबल मंच पर पेश करने के लिए दबंग मीडिया नीतियां अपना रहा है. इस परिवर्तन की असल वजह 1989 में थियानमेन स्क्वायर तथा 2003 में हुए सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटोरी सिंड्रोम आउटब्रेक जैसी घटनाएं थी.[3] 2021 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीनी सरकारी मीडिया को अपने प्रचारात्मक प्रयासों को मजबूती देने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि संचार के ये प्रयास विदेशी नागरिकों को प्रभावित करने  के लिए सटीक और व्यवस्थित होने चाहिए.[4]

 

चीन के सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया निर्गमों में प्रिंट, डिजिटल तथा सोशल मीडिया मंचों का समावेश है. ये 12 भाषाओं में काम करते हैं और इनकी पहुंच भी वैश्विक है. [a] विदेशी मीडिया में भी चीन का निवेश है. ये निवेश सांस्कृतिक तथा मानव संसाधन के रूप में हैं, जिसमें भाषा विशेषज्ञ, फील्ड में काम करने वालों के लिए अनुसंधानकर्ताओं को सहायता मुहैया करवाने का समावेश है. इसके साथ ही वह अपने दूतावासों में अपनी विदेशी सेवा से सीधे जुड़े कर्मियों के साथ-साथ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (CCP) के पदाधिकारियों और विद्वानों को भी तैनात करता है. इन लोगों को अपने काम के साथ-साथ मीडिया का काम भी कार्य संभालना होता है.[5]

 अपने ग्लोबल प्रभाव में वृद्धि करने के लिए चीन अपने सरकारी-स्वामित्व वाले मीडिया को विस्तारित कर रहा है. इसमें वह विदेशी मीडिया को कभी सीधे ख़रीदने की कोशिश करता है तो कभी वह विदेशी मीडिया के साथ प्रासंगिक तौर पर अपना कंटेंट शेयरिंग यानी सामग्री बांटने का समझौता करता है.

अपने ग्लोबल प्रभाव में वृद्धि करने के लिए चीन अपने सरकारी-स्वामित्व वाले मीडिया को विस्तारित कर रहा है. इसमें वह विदेशी मीडिया को कभी सीधे ख़रीदने की कोशिश करता है तो कभी वह विदेशी मीडिया के साथ प्रासंगिक तौर पर अपना कंटेंट शेयरिंग यानी सामग्री बांटने का समझौता करता है. [b] इसके साथ ही वह कूटनीतिक संबंधों में इज़ाफ़ा करते हुए मीडिया साझेदारी को प्रोत्साहित करने, इंफ्लूएंसर्स को प्रयोजित करने और आधिकारिक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने जैसे हथकंडे अपनाता है.[6] इस तरह के हथकंडे अपनाने का उद्देश्य यह है कि वह ऐसे प्रलोभन देकर उसे बढ़ावा देना चाहता है. ऐसा होने पर ये प्रलोभन विदेशी सरकारों, वहां के राजनीतिक संभ्रांत व्यक्तियों, पत्रकारों, ओपिनियन मेकर्स और सिविल सोसाइटी को चीन के पसंदीदा नैरेटिव को स्वीकार करने और चीन के व्यवहार की आलोचना करने से रोक सकते हैं. प्रभावशाली राजनीतिक संभ्रांत व्यक्तियों, सब-नेशनल समूहों तथा पत्रकारों को को-ऑप्ट करने के लिए चीन कैरेट-एंड-स्टिक दृष्टिकोण अपनाता है. इसके बाद वह अपने समर्थक नैरेटिव्स को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए इन लोगों को फंडेड ट्रेनिंग, वित्तीय पुरस्कार, सम्मानजनक पद तथा प्रतिष्ठित चीनी संस्थानों से क्रेडेंशियल्स उपलब्ध करवाता है.[7] मीडिया से जुड़े लोगों का चीन गुप्तचरी तथा इंफ्लुएंस ऑपरेशंस के लिए उपयोग करता है. यह बात सितंबर 2019 में नई दिल्ली [c] तथा ब्रसेल्स[d],[8] के दो अलग-अलग मामलों से साफ़ हो जाती है. 

 

इसके साथ ही चीन अपने ख़िलाफ़ रिपोर्टिंग को हतोत्साहित करता है. ऐसा करने के लिए वह चेतावनी, कानूनी धमकी, वीजा देने से इंकार, डेपोर्टेशन (निर्वासन), गिरफ्तारी और ट्रांसनेशनल रिप्रेशन यानी दबाव का उपयोग करता है. ट्रांसनेशनल रिप्रेशन का उपयोग वह CCP की राय का विरोध करने वाले यानी CCP के आलोचकों से निपटने के लिए करता है. इसके लिए वह ऐसे लोगों को “इकोनॉमिक फ्यूजिटिव”[9] यानी आर्थिक भगोड़ा घोषित करते हुए इंटरपोल,[10] ओवरसीज चाइनीज पुलिस स्टेशंस[11] तथा ओवरसीज चाइनीज असिस्टेंस सेंटर्स[12] के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करता है कि ऐसे घोषित भगोड़ों को भ्रष्टाचार के आरोप में वह देश-निकाला देने में सफ़लता हासिल करे. चीनी ट्रांसनेशनल रिप्रेशन विदेश में रहने वाले उइगर नागरिकों पर नज़र रखने के लिए भी इस्तेमाल होता है. वाशिंगटन स्थित एक एडवोकेसी ग्रुप, उइगर मानवाधिकार प्रोजेक्ट ने 2021 में पाया था कि उइगर नागरिकों को चीन वापस भेजे जाने के 1997 से कुल 395 मामले थे. [e],[13]

 

चीन विदेशों में स्टूडेंट एक्टीविज्म यानी छात्र सक्रियतावाद को बढ़ावा देता है और लोगों को धमकाने के लिए वह अपनी गुप्तचर एजेंसी के लोगों का इस्तेमाल भी करता है.[14] इसके अतिरिक्त चीनी डिप्लोमैट्‌स मीडिया तथा अकादमिक संस्थानों में काम करने वाले लोगों पर उनके ही देश में दबाव डालने में सक्रिय भूमिका अदा करते हैं. इसका उद्देश्य इन लोगों को अपने पसंदीदा नैरेटिव से इधर-उधर न भटकने देना है. 2018 में हुए एक चाइना स्कॉलर रिसर्च एक्सपीरियंस सर्वे (CSRES) में 562 स्कॉलर्स ने ख़ुलासा किया था कि सर्वे में जवाब देने वाले नौ फीसदी लोगों को चीनी अधिकारियों ने या तो चेतावनी दी थी या फिर उनसे पूछताछ की थी. इसी प्रकार 26 प्रतिशत लोगों को उनके अनुसंधान से जुड़े अभिलेखीय दस्तावेज़ों तक पहुंच से रोका गया था, जबकि पांच फ़ीसदी ने वीजा संबंधी दिक्कतों का सामना किया था.[15] चीन में रहकर काम करने वाले विदेशी पत्रकारों को हिरासत में लेने के साथ-साथ CPC अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों को भी निशाना बनाती है.[16] घरेलू स्तर पर भी ऐसे पत्रकार, जो विदेश मीडिया को असुविधानजनक सामग्री मुहैया करवाते हैं, को हिरासत में रहना पड़ता है या फिर जेल भी जाना पड़ता है. 

 

विशिष्ट मीडिया रणनीति

 

अप्रैल 2024 में स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स को समाप्त करने के बाद इंर्फोमेशन सपोर्ट फोर्स (ISF) की स्थापना की गई थी. ISF शी की विचारधारा ‘wǎngluòxìnxīxìtǒng’ [络信息体系] यानी ‘इंटरनेट इंर्फोमेशन सिस्टम’ पर आधारित है.[17] हालांकि इस टर्म यानी परिभाषा की कोई ठोस व्याख्या नहीं है, लेकिन गैर-चीनी विश्लेषणकर्ताओं का मानना है कि इसका अर्थ यह है कि आधुनिक युद्ध के दौर में सेनाओं को मॉर्डनाइज्ड एंड इंर्फोमेशनलाइज्ड यानी आधुनिक और सूचनात्मक बनाया जाना ज़रूरी है. इसमें साइबर स्पेस से अब केवल सहयोगी अंग के रूप में ही काम लेने के बजाय आधुनिक युद्धकला में साइबरस्पेस को एक स्वतंत्र अंग के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए.[18] चीनी सरकारी मीडिया ISF को मॉर्डन मिलिट्री सर्विस का एक स्तंभ बताती है. वह मानती है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा क्षमताओं के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम साबित होगा.[19]

 

यूनाइटेड स्टेट्‌स (US) की अगुवाई वाले खेमे की सोच है कि साइबर स्पेस ख़ुला और इंटरकनेक्टेड होना चाहिए. इसके विपरीत चीन साइबर संप्रभुता पर बल देता है. चीन की सोच है कि विभिन्न देशों को अपने यहां इंटरनेट सिस्टम्स को आकार देने का अधिकार है ताकि वे दबंग अथवा अधिकारवादी डिजिटल मानदंड स्थापित कर सकें. इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए चीन स्टैंडर्ड-सेटिंग ऑर्गनाइजेशंस यानी मानक-विनियमिनिकरण संगठनों जैसे इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डडाइजेशन, द इंटरनेशनल इलेक्ट्रोटेक्नीकल कमीशन तथा इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन के एजेंडा को आगे बढ़ाता रहता है. ऐसा करने के पीछे उसका उद्देश्य सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित मानकों को प्रभावित करना है.[20] इसके अलावा चीन अपने नैरेटिव पर बल देने के लिए उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलनों तथा समझौतों का भी इस्तेमाल करता है.[21]

 

चीन की मीडिया रणनीति का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर उसके नीतिगत रुख़ के लिए समर्थन हासिल करना है. इसमें तिब्बत की स्वायत्तता, उइगर, ताइवान का मुद्दा, दलाई लामा, हांग-कांग, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) जैसे नीतिगत फ़ैसले शामिल हैं. इसके अलावा वह अपनी मीडिया रणनीति के तहत अपने यहां के मानवाधिकार उल्लघंन, भ्रष्टाचार, अस्पष्ट ऋण शर्तों और कर्ज़ के जाल को लेकर नकारात्मक ख़बरों को न्यूनतम भी रखना चाहता है.[22] चीनी दृष्टिकोण में पांच प्रमुख तत्व शामिल हैं : प्रचार का उपयोग, दुष्प्रचार एवं सेंसरशिप; डिजिटल तानाशाही को बढ़ावा; अंतरराष्ट्रीय संगठनों तथा द्विपक्षीय समझौतों का उपयोग; को-ऑप्टेशन और दबाव; तथा चीनी-भाषाई मीडिया पर नियंत्रण का उपयोग शामिल है.[23] ये कारक ही एकजुट होकर बीजिंग को वैश्विक सूचना परिदृश्य को आकार देकर भटकाने वाले अथवा एकतरफा नैरेटिव को प्रोत्साहित करने की शक्ति देते हैं. इसके अलावा इन कारकों के चलते ही बीजिंग अपने ख़िलाफ़ आलोचनात्मक दृष्टिकोण रखने वालों को दबाने में सफ़ल होता है. 

 

चीन की मीडिया क्षमताओं को बढ़ाने में किंगबाओ [f] दृष्टिकोण[24] महत्वपूर्ण है. इसके तहत लाइब्रेरी साइंस की अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए ओपन डोमेन से डाटा कलेक्शन की जाती है.[25] हाल ही में बिग डेटा तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टेक्नोलॉजी में हुई प्रगति ने चीन को इंर्फोमेशन डोमेन यानी सूचना क्षेत्र का दोहन करने में सक्षम बना दिया है. हुआवै तथा ZTE जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियों के माध्यम से चीन ओवर्ट और कोवर्ट यानी परोक्ष और अपरोक्ष रूप से डिजिटल डाटा कलेक्शन और प्रबंधन में जुटा हुआ है. इसके माध्यम से वह डाटा प्रोसेसिंग को आकार देते हुए नए नैरेटिव तैयार कर रहा है. एक तरफ झूकी हुई मीडिया, AI तथा इमर्सिव टेक्नोलॉजिस्‌ जैसे ई-कॉमर्स, वर्चुअल रियल्टी एक गेमिंग एप्पस्‌ का इस्तेमाल करते हुए चीन इस बात को प्रभावित कर रहा है कि कैसे कोई व्यक्ति रियल्टी को समझता है और सूचना के साथ वह कैसा बर्ताव करता है यानी सूचना का कैसे उपयोग करता है. अपने विस्तृत डाटाबेस तथा डिजिटलाइजेशन टूल्स के सहयोग से चीन ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में हेरफेर करता है और ग्लोबल दर्शकों को अपनी ओर से तैयार किए गए यानी क्यूरेटेड डाटा की दिशा में मोड़ देता है. इस ट्रेंड को हम केम्ब्रिज यूनिर्वसिटी प्रेस तथा स्प्रिंगर नेचर की ओर से 2017 में चीन की ओर से सेंसरशिप की गुज़ारिश पर सामग्री को जारी न करने के फ़ैसले में देख सकते हैं.[26]

 

चीन इसके अलावा षडयंत्रकारी दांव-पेंच जैसे बॉट्‌स, कंटेंट फार्मिंग और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ट्रोल्स अपनाता है. वह इनका उपयोग प्रो-चाइना कंटेंट यानी चीन की हिमायत करने वाली सामग्री को बढ़ावा देने तथा चीन के ख़िलाफ़ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए करता है. चीन ने ऑनलाइन नैविगेशन को भी काफ़ी जटिल बना दिया है. इसके लिए वह सर्च इंजन के परिणामों को फ्लड करता है और हैशटैग सर्चेस का इस्तेमाल करता है.[27] 2020 में ट्विटर ने चीनी सरकार से जुड़े 170,000 अकाउंट्‌स को बंद कर दिया था.[28] इसके साथ ही चीन ऑनलाइन और वास्तविक-दुनिया में डराने-धमकाने के पैंतरे का उपयोग करते हुए अपने ख़िलाफ़ मतभेदों को दबाता है. वह सेल्फ-सेंसरशिप को बढ़ावा देकर घरेलू एवं विदेश इंर्फोमेशन कंट्रोल के बीच की सीमा को अस्पष्ट बनाता है. [g],[29]

 

चीन की ‘थ्री वॉरफेयर्स स्ट्रैटेजी’ अर्थात तीन युद्ध रणनीति में सायकोलॉजिकल यानी मनोवैज्ञानिक, मीडिया और लीगल वॉरफेयर[30] अर्थात कानूनी युद्ध का समावेश है. उसकी इस तीन युद्ध रणनीति को क्षेत्रीय दावों का समर्थन करने के लिए उसकी ओर से अपनाई जाने वाली कार्टोग्राफिक अग्रेशन यानी मानचित्र-निर्माण से संबंधित आक्रामकता के साथ जोड़कर देखा जा सकता है. अपने क्षेत्रीय दावों को सही साबित करने के लिए इस रणनीति के तहत वह नक्शों के साथ हेरफेर करता है. चीन को हमेशा से ही अपने क्षेत्रीय दावों का समर्थन करने के लिए मनोवैज्ञानिक दांव-पेंच, मीडिया के प्रभाव तथा कानूनी रूप से इन दावों को न्यायोचित ठहराने की कोशिश करते देखा गया है. उसकी इन कोशिशों को नियमित रूप से नक्शों पर चित्रित होते देखा जा सकता है.[31] उदाहरण के लिए चीन ने साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी और अरुणाचल प्रदेश (भारत) के विवादित क्षेत्रों के नाम बदल दिए ताकि वह इन इलाकों पर अपना क्षेत्र होने का दावा पुख़्ता कर सकें. उसने यह नाम बदलकर भविष्य में संप्रभुता से जुड़े किसी संभावित विवाद में इन्हीं संशोधित नक्शों का उपयोग अपने दावों का समर्थन करने की योजना के तहत ऐसा किया था. चीन ने कुछ मल्टीनेशनल कार्पोरेशंस [h] पर भी दबाव डालकर उन्हें अपने भूराजनीतिक लक्ष्यों के साथ खड़ा होने को मनाते हुए उन्हें विवादित क्षेत्रों को चीनी क्षेत्र बताने के लिए तैयार कर लिया है. उसने ऐसा करने से इंकार करने वाली कंपनियों के साथ कड़ाई से पेश आते हुए उन्हें उदाहरण के रूप में प्रदर्शित किया है.[32] चीन का प्रभाव खेलों [i],[33] तथा हॉलीवुड [j],[34] तक विस्तारित है, जहां हितधारक अलिखित चीनी निर्देशों का पालन करते हुए ऐसी किसी बात को करने से बचते है जिससे चीन नाराज़ हो सकता है.

 

बीजिंग, एथनिक माइनॉरिटिज्‌ यानी जातिय अल्पसंख्यकों से संबंधित घरेलू इंफ्लुएंसर्स का यू ट्यूब कंटेंट तैयार करने के लिए उपयोग करता है. वह अपने यहां के शिंजियांग तथा तिब्बत इलाके में होने वाले मानवाधिकारों के हनन पर पर्दा डालने के उद्देश्य से ऐसा करता है. इन इंफ्लुएंसर्स को मल्टी-चैनल नेटवर्क्स (MCNs) द्वारा प्रबंधित किया जाता है. 2018 में आरंभ किए गए MCNs 2020 में बढ़कर 28,000 रजिस्टर्ड MCNs बन गए हैं. इनका काम बीजिंग की ओर से तैयार नैरेटिव को आगे बढ़ाना है.[35]

 बीजिंग ने वैश्विक स्तर पर मौजूद चीनी-भाषाई मीडिया पर भी अपना नियंत्रण पुख़्ता किया है. यह मीडिया चीनी-भाषाई कार्यक्रमों को किफ़ायती अथवा नि:शुल्क कंटेंट मुहैया करवाती है.  विदेशों में चीनी भाषाई कंटेंट उपलब्ध करवाने, बीजिंग के इर्द-गिर्द सकारात्मक प्रचार को बढ़ावा देने तथा उसकी ओर से होने वाले दुष्प्रचार को कोई चुनौती न मिले यह सुनिश्चित करने के लिए चीन विभिन्न तरीके अपनाता है.  

बीजिंग ने वैश्विक स्तर पर मौजूद चीनी-भाषाई मीडिया पर भी अपना नियंत्रण पुख़्ता किया है. यह मीडिया चीनी-भाषाई कार्यक्रमों को किफ़ायती अथवा नि:शुल्क कंटेंट मुहैया करवाती है.[36] विदेशों में चीनी भाषाई कंटेंट उपलब्ध करवाने, बीजिंग के इर्द-गिर्द सकारात्मक प्रचार को बढ़ावा देने तथा उसकी ओर से होने वाले दुष्प्रचार को कोई चुनौती न मिले यह सुनिश्चित करने के लिए चीन विभिन्न तरीके अपनाता है.[37] विदेशों में मौजूद चीनी-भाषाई मीडिया में होने वाली आलोचना को दबाने के लिए चीन प्रताड़ित करने का तरीका भी अपनाता है. चीन के अधिकारी आलोचना करने वाली चीनी-भाषाई मीडिया से जुड़े और चीन में रहने वाले कर्मचारियों अथवा उनके परिजनों को निशाना बनाता हैं. इसके अलावा वह निगेटिव नैरेटिव का मुकाबला करने के लिए आर्थिक प्रतिकार का रास्ता भी अपनाता है.[38] इसके अलावा चीनी भाषा बोलने वालों के बीच अतिरिक्त WeChat तथा WeiXin की लोकप्रियता की वजह से भी चीन को विदेशों में होने वाली बातचीत को सेंसर करने में आसानी होती है.

 

हालिया बने कानून

चीन ने घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने सूचना अभियान तथा मीडिया रणनीति को ध्यान में रखकर इसके लिए आवश्यक कानूनी ढांचे को पुख़्ता करने के लिए अनेक कानून एवं विनियमन पारित किए हैं. इन उपायों का उद्देश्य मेनलैंड, चीनी अप्रवासी तथा विदेशी इकाईयों और संगठन में मौजूद चीनी नागरिकों का सहयोग सुनिश्चित करना है. ताजा कानूनों में डाटा सिक्योरिटी लॉ (2021), पर्सनल इंर्फोमेशन प्रोटेक्शन लॉ (2021), साइबर सिक्योरिटी लॉ (2017) तथा कॉपीराइट लॉ (2021) का समावेश है. इन कानूनों की अपने दायरे से बाहर जाने वाली पहुंच यानी एक्सट्राटेरिटोरियल रीच की वजह से ये कानून ग्लोबल स्तर पर फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन यानी अभिव्यक्ति की आजादी में बाधा पैदा करते हैं. हांगकांग में लागू व्यापक तथा अस्पष्ट चाइना नेशनल सिक्योरिटी लॉ चीनी तथा हांगकांग प्राधिकारियों के खिलाफ बगावती तेवर या असहमति को आपराधिक मानते हैं. ऐसे में हॉन्गकॉन्ग से गुज़रने वाले या फिर ऐसे देश जहां से प्रत्यार्पण संभव है, वहां व्यक्तिगत तौर पर लोगों पर ख़तरा मंडराते रहता है.[39] यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट  (UFWD) तथा मिनिस्ट्री ऑफ स्टेट सिक्योरिटी (MSS) को चीन तथा विदेशों में भी चीनी आलोचकों की आवाज को दबाने और धमकाने के लिए विभिन्न स्तरों पर समन्वय करते हुए देखा जा सकता है.[40]

 

BRI नेटवर्क्स और सूचना में हेरफेर

 

चीन की मीडिया रणनीति में 2013 में की गई BRI की शुरुआत एक केंद्रीय क्षण कहा जा सकता है. विदेशों में होने वाली आलोचना की निगरानी करने और संभवत: उसमें खलल डालने के लिए बीजिंग बुनियादी ढांचे, मोबाइल फोन तथा अन्य नेटवर्क उपकरण, जो चीन में निर्मित हो अथवा चीन की ओर से लगाए गए हो, का उपयोग करना चाहता है. डिजिटल सिल्क रोड (DSR) तथा स्पेस इंर्फोमेशन कॉरिडोर (SIC) का BRI के साथ एकीकरण होने से चीन के पास नेक्स्ट-जनरेशन AI तकनीक का समर्थन करते हुए वास्ट स्ट्रीम्स यानी बड़ी मात्रा में मौजूद डाटा का दोहन करने की क्षमता आ गई है. इस एकीकरण की वजह से चीन अब वैश्विक स्तर, विशेषत: BRI देशों के भीतर, पर संचार की निगरानी, प्रशासन और संभवत: उसमें हेरफेर करने की स्थिति में आ गया है. BRI इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के हिस्से के रूप में चीनी टेक दिग्गज कंपनियां ख़ुफ़िया डिजिटल क्षेत्र में जानकारी जुटाने, हस्तक्षेप करने और ऑपरेशंस को प्रभावित करने में जुटी हुई हैं.[41] 2018 में ऑल-चाइना जर्नलिस्ट्‌स एसोसिएशन (ACJA) ने बेल्ट एंड रोड जर्नलिस्ट्‌स फोरम का आयोजन किया था, जिसमें लगभग 50 देशों के प्रतिभागी शामिल हुए थे. अप्रैल 2019 में चीन ने बेल्ट एंड रोड न्यूज नेटवर्क को लांच किया. इसका उद्देश्य BRI के लिए सूचना केंद्र के रूप में काम करना था, जो चीन के हितों को ध्यान में रखकर जानकारी साझा करेगा और पूर्णत: वित्तपोषित वर्कशॉप्स का आयोजन करेगा.[42] सिन्हुआ ने भी BRI देशों में अपनी समकक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग करने के समझौते किए हैं. इसके MNCs को भी BRI अथवा चाइना इंटरनेशनल इंपोर्ट एक्जीबिशन के साथ जुड़ना ज़रूरी है.[43] अंतरराष्ट्रीय फोरम का लाभ उठाते हुए बीजिंग BRI और ग्लोबल विकास पहल (GDI) का बहुराष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ विलय करने को कहता है. इसमें संयुक्त राष्ट्र (UN) के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का भी समावेश है.[44]

 

चीन का लक्ष्य अपने सूचना वातावरण को वैश्विक करना है. इसके लिए वह BRI तथा स्मार्ट/सेफ सिटीज इनिशिएटिव्स के माध्यम से सस्ते सर्विलांस और सेंसरशिप तकनीक [k] का वितरण करना चाहता है. इसके बराबर ही चीन ऐसे अंतरराष्ट्रीय मापदंडों को बढ़ावा देना चाहता है जो उसके द्वारा निर्यात होने वाली सूचना नियंत्रण प्रौद्योगिकियों केसाथ अनुरूप हो, क्योंकि दूसरे देशों की ओर से इन तकनीकों का उपयोग किए जाने पर चीन की नीतियों को सामान्य दिखने में आसानी हो जाती है.[45]

 

चीनी प्रचार संगठन

 

चीन के प्रचार सिस्टम में CCP तथा सरकार की अनेक एजेंसियां शामिल हैं. प्रचार, वैचारिक तथा सांस्कृतिक कार्य के लिए CCP की ओर से प्राधिकृत द सेंट्रल लीडिंग ग्रुप फॉर प्रोपोगैंडा यानी केंद्रीय अग्रणी समूह ही प्रचार का सारा काम देखता है. चित्र 1 में प्रचार कार्य के लिए ज़िम्मेदार प्रमुख संगठनों को दर्शाया गया है.

 

चित्र1 : चीनी प्रचार संगठन

Chinese Global Media Strategies And Their Footprints In South Asia

स्रोत: ASPI[46]

 

चीन की पश्चिमी परिधि में रणनीतिक रूप से दक्षिण एशिया स्थित है. यहां कुल वैश्विक भूभाग में से महज 3.5 प्रतिशत भूभाग में ही दुनिया की लगभग एक चौथाई आबादी बसती है. ऐसे में चीन के लिए पश्चिमी दिशा की ओर विस्तार करने का आदर्श अवसर मौजूद है. दक्षिण एशिया की आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी सबसे ज़्यादा है, लेकिन वहां भ्रष्टाचार तथा निरक्षरता का प्रमाण बेहद अधिक है. इन कारणों के चलते दक्षिण एशिया एक अस्थिर, जटिल तथा अविकसित संदर्भों वाला इलाका है. उसकी यह स्थिति चीन के लिए BRI का उपयोग करते हुए इस इलाके में विकास को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित करने का सटीक मौका उपलब्ध करवाती है. 

 

दक्षिण एशिया में चीनी मीडिया

दक्षिण एशियाई देशों में चीन के मीडिया अभियान को मुख्यत: पारंपरिक चीनी सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया यानी रेडियो, टेलीविजन तथा प्रिंट के माध्यम से ही चलाया गया है.[47] मालदीव के अलावा सभी दक्षिण एशियाई देशों में चीनी सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया की मौजूदगी सर्ववदित है. चीन ने अनेक मीडिया हाऊसेस्‌ की स्थापना की है. चीन ने सांस्कृतिक तथा भाषाई प्रशिक्षण और नि:शुल्क चीन यात्रा के माध्यम से अपने प्रचार अभियान को चलाने के लिए इन मीडिया हाऊसेस्‌ में अनेक पत्रकारों को नौकरी भी दी है. 2012 में चीनी विदेश मंत्रालय ने चाइनीज पब्लिक डिप्लोमेसी एसोसिएशन (CPDA) नामक संगठन की स्थापना की थी. यह संगठन पत्रकारिता में फेलोशिप उपलब्ध करवाता है. 2016 में इसके पहले कार्यक्रम में भारत, पाकिस्तान और नेपाल; इंडियन न्यूज मीडिया जैसे कि इंडो-एशियन न्यूज सर्विस (IANS), जनसत्ता और द इंडियन एक्सप्रेस के पेशेवरों ने हिस्सा लिया था.[48]

 दक्षिण एशिया की अपनी विशेष आवश्यकताएं है. उधर चीन भी BRI के माध्यम से सस्ती और उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का एक बड़ा अवसर मुहैया करवा रहा है. इन अवसरों के परिप्रेक्ष्य में चीन की मीडिया रणनीति में एक बदलाव हो रहा है. 

सिन्हुआ का भारत, बांग्लादेश समेत अन्य देशों के आउटलेट्‌स के साथ कंटेंट-शेयरिंग समझौता है. दक्षिण एशिया की अपनी विशेष आवश्यकताएं है. उधर चीन भी BRI के माध्यम से सस्ती और उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का एक बड़ा अवसर मुहैया करवा रहा है. इन अवसरों के परिप्रेक्ष्य में चीन की मीडिया रणनीति में एक बदलाव हो रहा है. वह अब दक्षिण एशिया में देश-विशेष मीडिया सहयोग और प्रभाव का उपयोग करने लगा है. 

 

बांग्लादेश

 

चीन ने बांग्लादेश के इंर्फोमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (ICT) इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को वित्त पोषित करने के लिए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसमें दो प्रमुख विकास परियोजनाओं को लाभ होगा. इसमें पहली परियोजना है ‘मॉर्डनाइजेशन ऑफ टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क फॉर डिजिटल कनेक्टिविटी’ यानी 'डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए दूरसंचार नेटवर्क का आधुनिकीकरण' तथा दूसरा है ‘डेवलपमेंट ऑफ ICT इंट्रा-नेटवर्क फॉर बांग्लादेश गर्वनमेंट फेज- III’ यानी 'बांग्लादेश सरकार चरण-III के लिए ICT इंट्रा-नेटवर्क का विकास' (इंफो सरकार-3 प्रोजेक्ट).[49]

 

नेपाल 

 

गलवान घाटी में भारत तथा चीन के बीच हुई झड़प के बाद चीन के आग्रह पर नेपाल ने भारत के साथ दीर्घावधि से लंबित कार्टोग्राफिक यानी नक्शों से संबंधित विवाद को नए सिरे से उठाया. नेपाल ने एक नया राजनीतिक नक्शा जारी कर दिया और इसमें भारतीय इलाके में आने वाले कालापानी, लिपुलेख तथा लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र दर्शा दिया.[50] इसके तुरंत बाद भारत की सीमा से सटे नेपाल के FM रेडियो ने एक मीडिया अभियान चलाना शुरू कर दिया. इस ‘रेडियो युद्ध’ का उद्देश्य काठमांडु के दावे का समर्थन करना था. भारत ने इस दावे को पहले ही “कृत्रिम विस्तार” तथा “असमर्थनीय” बता दिया है.[51] तीन मई 2024 को नेपाल ने एक नए 100 NPR करेंसी नोट छापने की घोषणा की. इस नोट पर छापे गए नक्शे में विवादित क्षेत्रों को शामिल किया गया है.[52] चीनी कंपनी हुआवै ने नेपाल में मोबाइल टेलीफोन नेटवर्क स्थापित किया है, जबकि ZTE ने नेपाल टेलीकॉम्स की राष्ट्रव्यापी मोबाइल फोन क्षमता को उन्नत किया है.[53] सितंबर 2023 में मोबाइल वर्ल्ड के साथ हुआवै ने तिब्बती इलाके में दुनिया का सबसे ऊंचा भौतिक 5G बेस स्टेशन स्थापित किया. इसका उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं एवं पर्वतारोहियों को इंटरनेट तक पहुंच मुहैया करवाना है.[54]

 

मालदीव

 

मालवीद में ऊरेडू[55] और धीरागु[56] जैसी कंपनियों ने 5G नेटवर्क लांच किया है. इसमें चीन-आधारित हुआवै ही मुख्य 5G नेटवर्क उपकरण आपूर्तिकर्ता है. चीन में निर्मित संचार के ये उपकरण बैकडोर उपलब्ध करवाते हैं, जिनका उपयोग करके अवैध रूप से मोबाइल कम्युनिकेशन के माध्यम से डाटा एकत्रित किया जा सकता है.

 

पाकिस्तान 

 

चीन के BeiDou GPS सिस्टम का पाकिस्तान सबसे पहला विदेशी उपयोगकर्ता था. ऐसा करते हुए उसने दोनों देशों के बीच सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम्स को लेकर समन्वय बढ़ाने को लेकर किए गए द्विपक्षीय समझौते पर बल दिया था.[57] गलवान संघर्ष के दौरान चीन ने अपने पक्ष में नैरेटिव खड़ा करने के लिए पाकिस्तान से ही सहायता मांगी थी. कोच्चि की एक साइबर सिक्योरिटी फर्म ने पाकिस्तान से उपजने वाले अनेक फेक ट्विटर और टेलीग्राम अकाउंट्‌स की शिनाख़्त की थी जो लद्दाख गतिरोध को लेकर मनगढ़ंत ख़बरें प्रसारित कर रहे थे.[58] चीन तथा पाकिस्तान ने CPEC रैपिड रिस्पांस इंर्फोमेशन नेटवर्क जैसी पहल की है. इसी प्रकार दोनों देश अब अपने ख़िलाफ़ होने वाले दुष्प्रचार का मुकाबला करने के लिए चाइना-पाकिस्तान मीडिया कॉरिडोर (CPMC) बनाने की योजना पर काम कर रहे है ताकि दोनों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हो सकें.[59]



भारत

 

2017 से चार अलग-अलग अवसरों पर चीन ने अरुणाचल प्रदेश स्थित 62 स्थानों के नामों में एकतरफा बदलाव किया है. उसकी यह कोशिश भारतीय क्षेत्रों पर अपना दावा पुख़्ता करने के लिए है.[60]  2020 में चीनी टेलीकॉम कंपनी शाओमी ने भी शाओमी मैप्स पर अरुणाचल प्रदेश को भारत का ही हिस्सा बताया था.[61] चीन की ओर से भारत में कार्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंडिंग के माध्यम से निवेश को लेकर काफी समय खर्च करके कोशिश की जा रही है. चीनी कंपनियों की ओर से CSR फंड्‌स के उपयोग को लेकर बरती जा रही अस्पष्टता को लेकर भी भारतीय सिविल सोसाइटी और रणनीतिक समुदाय में चिंता व्यक्त की जा रही है. ऐसा माना जाता है कि शाओमी, भारत में, विशेषत: टेक सिटीज्‌ में, अपने CSR फंड्‌स का उपयोग प्रो-चाइना माहौल बनाने के लिए करता है.[62] कम्युनिकेशन नेटवर्क्स को लेकर सुलह करने वाली हुआवै के बारे में कहा जाता है कि वह गुप्त रूप से भारत में इंफ्लुएंस ऑपरेशंस चला रही है.[63] अपनी CSR गतिविधियों के माध्यम से कंपनी विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के बड़े हिस्से पर ध्यान केंद्रीत कर रही है. हुआवै ने भारत में अनेक मामलों में जीत दर्ज़ की है. उसके पास भारत में वकीलों और शीर्ष अधिवक्ताओं की बड़ी टीम भी मौजूद है. सात अक्टूबर 2020 को चीन ने भारतीय मीडिया को ताइवान नेशनल डे (अक्टूबर 10) तथा ताइवानी नेताओं की गतिविधियों के कवरेज को लेकर धमकाया भी था.[64]

 

भारतीय पत्रकारों के पोस्ट-फेलोशिप लेखन में भी चीन की तरफ झूकाव देखा जाता है. इसमें भारत की ओर से चीनी एप्पस्‌ पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना की गई है, जबकि डोकलाम गतिरोध के दौरान भी चीन का समर्थन किया गया था.[65] इसके साथ ही सुरक्षा संस्थान ने पाया है कि चीनी स्वामित्व वाला UC ब्राउजर, भारत में एंड्रॉइड हैंडसेट्‌स पर खबरों को फिल्टर कर रहा था, ताकि वह धारणाओं और परिणामों को आकार दे सकें.[66] इतना ही नहीं यू ट्यूब भी ऐसी टिप्पणियों को स्वत: डिलीट कर रहा था, जिसमें चीनी-भाषा में CCP की आलोचना करने वाले वाक्यांश दिखाई देते थे.[67] चाइना रेडियो इंटरनेशनल (CRI) का एक तमिल ब्रॉडकास्ट यानी प्रसारण नियमित रूप से भारत की तमिल-भाषाई आबादी में चीनी दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता रहता है. यह ब्रॉडकास्ट लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल LAC पर भारतीय सेना की कार्यवाहियों की सरेआम आलोचना करते हुए क्षेत्रीय महत्वकांक्षा और भारतीय हितों के टकराव का आरोप लगाता है.[68]

 

चीनी कंपिनयों की ओर से पैदा होने वाले मीडिया संबंधी ख़तरों के बढ़ने की आशंका के कारण भारत ने इस ब्रीफ को लिखते वक़्त तक 321 एप्पस्‌ को प्रतिबंधित कर दिया था. लेकिन ऐसी अनेक कंपनियां अब भी स्थानीय स्तर पर मौजूद है जो वेग प्रावइवेसी पॉलिसी यानी अस्पष्ट निजता नीति के दम पर अवैध रूप से उपयोगकर्ताओं के डाटा तक अपनी पहुंच रखती हैं.[69] दिसंबर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हैदराबाद में चल रही अपनी एक जांच के दौरान चाइनीज लोन एप्प के माध्यम से की जा रही धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया था. ED की ओर से दर्ज़ की गई शिकायत के अनुसार इन एप्पस्‌ ने अनेक लोगों को ऊंचे ब्याज दर तथा डाटा संबंधी धमकी देकर अपने जाल में फांस लिया था.[70] मई 2022 में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने एक चीनी जासूस जुनवेई हान को पश्चिम बंगाल की सीमा के पास पकड़ा था. उसने स्वीकार किया कि वह 1,300 भारतीय सिम कार्ड चीन लेकर गया था, ताकि इनसे वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा सके.[71] चीनी सरकार से संलग्न शेन्झेन स्थित एक टेक कंपनी तथा CCP 10,000 से अधिक प्रभावशाली भारतीय हस्तियों की निगरानी करती है. इसमें प्रशासन, खेल, धर्म और विभिन्न आपराधिक मामलों में जुड़े लोगों का समावेश है.[72] चीन ने ख़ुफ़िया जानकारी एकत्रित करने के लिए कुछ भारतीय पत्रकारों को भी भर्ती कर रखा है. [l] खबरों के अनुसार CCP अब कुछ जासूसों को भी LinkedIn (लिंकड्‌इन) पर फ़र्ज़ी बिजनेस प्रोफाइल तैयार करने का काम सौंप रही है. इसका उद्देश्य लिंकड्‌इन पर मौजूद पूर्व सरकारी कर्मचारी तथा निजी क्षेत्र के ऐसे कर्मचारियों की शिनाख़्त कर उन्हें आकर्षक कारोबारी प्रस्ताव देकर उनसे सरकार से जुड़ी गोपनीय जानकारी निकलवाना है.[73]

 

भारत के तीन सबसे बड़े न्यूज एग्रीगेटर्स जैसे डेलीहंट, न्यूजडॉग एवं UCWeb में चीन ने भारी निवेश किया हुआ है. चीनी स्वामित्व वाले ये मंच भारत की अंदरुनी स्थिरता और शांति के लिए ख़तरा हैं. इसका कारण यह है कि इन मंचों का अत्यधिक ध्यान और पहुंच स्थानीय भाषाओं में है, जिसमें क्षेत्रीय बोली का भी समावेश है.[74]

 

हाल के वर्षों में चीन ने भारत की सबसे बड़े फिल्म उद्योग यानी मुंबई स्थित बॉलीवुड को प्रभावित करने की रणनीति पर भी काम शुरू किया है. वह अब बॉलीवुड में कुछ प्रोजेक्ट्‌स में सह-निर्माता बन रहा है. भारतीय फिल्मों में ख़ुद को सह-निर्माता के रूप में स्थापित करने की योजना को गति देने के लिए ही चीन ने 2019 में हुए बीजिंग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में चाइना-इंडिया फिल्म को-प्रोडक्शन डायलॉग का आयोजन करते हुए इसमें भारतीय फिल्म उद्योग की नामी हस्तियों को आमंत्रित किया था. CCP ने एक विशेष उद्योग संस्था स्थापित करते हुए इसका नेतृत्व भारतीय लॉबिस्ट को सौंपा है. यह उद्योग संस्था बॉलीवुड के साथ बातचीत करेगी. इसके पहले भी CCP चाइना फिल्म एसोसिएशन तथा चाइना फेडरेशन ऑफ लिटरेरी एंड आर्ट सर्कल जैसी इकाईयों के माध्यम से इंडिया-चाइना फिल्म सोसाइटी जैसे समूह का गठन कर चुका है.[75] इन तरह की कोशिशों के माध्यम से चीन बॉलीवुड के नैरेटिव को आकार देने के लिए वहां के हितधारकों, भारतीय अभिनेताओं के साथ समन्वय साध रहा है. इसके अलावा वह चीन में भारतीय फिल्मों को मिली सफ़लता से संबंधित डाटा गढ़ते हुए उनकी शान में कसीदे पढ़ रहा है. इन प्रयासों के अलावा वह भारतीय संगीत तथा वीडियो प्लेटफार्म्स का अधिगृहण भी कर रहा है.

 

निश्चित ही भारत की फिल्मों पर चीन का इंफ्लुएंस ऑपरेशंस सिलसिलेवार है, लेकिन यह बेहद सूक्ष्म है. कुछ चुनिंदा मामलों में फिल्म नियामक संस्थाओं में मौजूद कुछ प्रसिद्ध लोगों ने यह सुनिश्चित किया है कि बॉलीवुड में चीनी हित को बेहतर प्रतिनिधित्व मिल सके. [m] अप्रैल 2016 में शाओमी की अगुवाई में हंगामा डिजिटल मीडिया एंटरटेनमेंट में 25 मिलियन अमेरिकी डालर का निवेश किया गया था. चीनी कंपनियां अब भारत में अग्रणी संगीत एवं वीडियो मंचों पर भी वर्चस्व स्थापित कर रही है. शीर्ष चीनी इंटरनेट कंपनी टेनसेंट ने 2018 में ही भारत की सबसे बड़ी म्युजिक स्ट्रीमिंग सर्विस, गाना में 115 मिलियन अमेरिकी डालर का निवेश किया था. चीन ने अब भारतीय प्रसारण के क्षेत्र में भी प्रवेश की कोशिशें शुरू कर दी हैं.[76] सफ़लता के लिए चीनी बाज़ार पर बॉलीवुड की अत्यधिक निर्भरता भारतीय फिल्मों को चाइनीज सेंसेरशिप को स्वीकारने के लिए बाध्य कर सकती है. ऐसा होने पर अभिव्यक्ति की आजादी पर यह आघात ही कहा जाएगा.

 

चीनी मीडिया के हथकंडों में अब विदेशों में उथल-पुथल मचाने की कोशिशें भी शामिल हैं. वह इसमें धन-शोधन रणनीति का उपयोग करते हुए चीन में मौजूद कंपनियों को बाहर जाने से भी रोकती है. ऐसे ही कुछ मामलों को लेकर ख़बरें भी आयी थी, जिसमें 2020 के दिसंबर में एक स्थानीय कम्युनिस्ट नेता की अगुवाई में हुआ श्रमिकों का आंदोलन शामिल था. यह आंदोलन एप्पल की उस योजना के ख़िलाफ़ किया गया था, जिसमें कंपनी ने भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित कोलार में iPhones बनाने का फ़ैसला लिया था. इसके अलावा 2018 में तमिलनाडू के तूतूकुड़ी स्थित सबसे बड़ी कॉपर यानी तांबा उत्पादक फैक्ट्री स्टरलाइट कॉपर के बंद होने के मामले को देखा जा सकता है. इस फैक्ट्री के बंद होने से चीन को ही फ़ायदा हुआ था.[77]

 

निश्चित रूप से भारत में चीनी निवेश दक्षिण एशिया के अन्य देशों या BRI देशों की तुलना में काफ़ी मामूली ही है. लेकिन इसका प्रभाव काफ़ी बड़ा है. भारत ने भले ही BRI के साथ नहीं जुड़ने का फ़ैसला लिया हो, लेकिन चीन ने टेक बाज़ार के माध्यम से भारतीय बाज़ार तक अपनी पहुंच बनाने में सफ़लता हासिल कर ली है. वह यहां के र्स्टाटअप्स में निवेश कर रहा है और स्मार्टफोन तथा एप्प के माध्यम से भारतीय ऑनलाइन क्षेत्र में भी घुसपैठ कर रहा है. चीनी निवेशकों ने भारतीय र्स्टाटअप्स में लगभग 4 बिलियन अमेरिकी डालर का निवेश किया है. मार्च 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार भारत के 30 में से 18 यूनिकॉर्नस्‌ चीन द्वारा वित्त-पोषित हैं.[78] BRI में चीनी उत्पाद और मानदंड, भौतिक तथा वर्चुअल दोनों ही, का समावेश है. भारत ने भले ही भौतिक कॉरिडोर से ख़ुद को हटा लिया है, लेकिन लगता है कि वह अनजाने में ही वर्चुअल कॉरिडोर शामिल हो गया है.

निष्कर्ष

चीन ने विदेशी दर्शकों को अपने पसंदीदा नैरेटिव की ओर आकर्षित करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग किया है. ऐसा दिखाई देता है कि चीन अब जनता की राय के साथ मेल खाने वाली तकनीक का एकीकरण करते हुए ग्लोबल सूचना माहौल को अपने पक्ष में मोड़ने में पारंगत हो गया है.

 शत्रुभाव रखने वाली चाइनीज मीडिया रणनीति का मुकाबला करने के लिए दक्षिण एशिया में इसकी मौजूदगी को एक अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्ति मानना होगा. इसका सामना करने के लिए पहले यह बात स्वीकारनी होगी कि इस क्षेत्र में चीन की मौजूदगी बढ़ रही है. इस बात को स्वीकार करने के बाद ही चीनी प्रचार को कम करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने की ज़रूरत है.

सूचना माहौल में चीन की ओर से की जा रही छेड़छाड़ यदि अबाधित रूप से जारी रही तो इसके चलते डिजिटल तानाशाही पनपेगी और अनेक पक्षपाती या पूर्वाग्रह तथा रिक्तियां पैदा होंगी. ऐसे में अनेक देश अपनी आर्थिक और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भूलाकर बीजिंग के ही हितों को प्राथमिकता देने लगेंगे. BRI की ओर से चाइनीज मीडिया क्षमताओं में बेतहाशा वृद्धि के लिए उपलब्ध करवाया गया मंच तथा उसके साथ चीनी कानूनों का उसके क्षेत्र से बाहर विस्तारित होने की वजह से चीन की वैश्विक स्तर पर छाप में और इज़ाफ़ा ही हुआ है.

 

चीन ने दक्षिण एशिया में अपनी संवेदनशील नीति वाली स्थितियों का समर्थन करने के लिए अपने ड्यूल-यूज मीडिया क्लाउट यानी दोहरे-उपयोग वाले मीडिया शक्ति को बढ़ाया है. इसका उपयोग करते हुए वह अपने ख़िलाफ़ नकारात्मक रिपोर्टिंग को न्यूनतम भी रखता है. शत्रुभाव रखने वाली चाइनीज मीडिया रणनीति का मुकाबला करने के लिए दक्षिण एशिया में इसकी मौजूदगी को एक अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्ति मानना होगा. इसका सामना करने के लिए पहले यह बात स्वीकारनी होगी कि इस क्षेत्र में चीन की मौजूदगी बढ़ रही है. इस बात को स्वीकार करने के बाद ही चीनी प्रचार को कम करने के लिए तत्काल आवश्यक कदम उठाए जाने की ज़रूरत है.

Endnotes

[a] Beijing’s highest profile outlets for foreign audiences are China Central Television (CGTN), China Daily, China Radio International (CRI), Xinhua, and China News Service (CNS). Xinhua, the Chinese official state news agency, launched 40 new foreign bureaus between 2009 and 2011, reaching a total of 162 in 2017; as of August 2021, it maintained 181 bureaus in 142 countries and regions. The CCP’s International Liaison Department (ILD) focuses on engaging ruling party members globally to promote Beijing’s governance and economic strategies. Globally, ILD has ties with more than 600 political entities in over 160 countries. See: https://www.state.gov/how-the-peoples-republic-of-china-seeks-to-reshape-the-global-information-environment/

[b] Chinese propaganda outlets have made payments to countries’ newspapers to publish inserts that are designed to look like real news articles but often contain a pro-Beijing spin on contemporary news events. See: https://www.state.gov/how-the-peoples-republic-of-china-seeks-to-reshape-the-global-information-environment/

[c] The arrest of journalist Rajeev Sharma for espionage on behalf of China.

[d] The ongoing investigation of Fraser Cameron, Head of Brussels-based EU Asia Centre, for leaking information to China.

[e] Between 1997 and 2022, Beijing’s cyberspace authorities initiated cyberattacks and threatened the families of more than 5,500 overseas Uyghurs. In addition, out of 1,150 Uyghurs detained by Asian and African countries from 1997 to January 2022, 424 Uyghurs were repatriated to China. See: Bradley Jardine, “Great Wall of Steel: China’s Global Campaign to Suppress the Uyghurs,” WoodrowWilson Center, Kissinger Institute on China and the United States, March 2022.

[f] The word qingbao in Chinese means both ‘intelligence’ and ‘information’, and it neatly encapsulates the unique nature and breadth of China’s vast spying system, which combines formal and informal techniques, both overt and covert, to obtain new intelligence. There is often a fine line between theft and the voluntary transfer of know-how, and China has been pushing the latter to its limit. Over the years, the CCP has built a comprehensive system for spotting and acquiring foreign technologies by multiple means.

[g] In comparing Chinese and Russian digital threats, Christopher Krebs said, “When we think about Russia, they’re trying to disrupt the system, and China is trying to manipulate the system, so that requires us to take different approaches.” See: https://ipdefenseforum.com/2019/03/china-may-be-biggest-hacking-social-media-threat-to-u-s/

[h] Examples include US clothes retailer Gap which faced uproar in social media and had to apologise after it sold T-shirts in Canada that depicted China without Taiwan as integral to it. French luxury brand Dior, had to extend its apology to China when a video appeared on China's Weibo platform showing an employee in front of a map of China that did not include Taiwan. Hotel chain Marriott, for its part, was the subject of anger on Chinese social media after conducting a customer survey that treated Taiwan, Tibet, and Hong Kong as countries distinct from China. Since 2017, communication campaigns of companies that include Audi, Delta Airlines, Dolce & Gabbana, Lotte, MAC, Medtronic, Skoda, and Zara have been publicly criticised by China—often also sanctioned—even when the campaigns were not targeted at the Chinese market. Most of the companies had no choice but to apologise so as not to jeopardise their market position in China.

[i] A tweet by Houston Rockets GM Daryl Morey in support of pro-democracy protesters in Hong Kong unleashed retaliation from China that put the team and the entire NBA on notice. See: https://www.npr.org/2019/10/09/768373843/analysis-the-long-arm-of-china-and-free-speech

[j] In several Hollywood films, references to Tibet, Taiwan, or Japan and negative scenes involving Chinese people have been removed. See: https://www.scmp.com/lifestyle/entertainment/article/3023568/nine-films-show-how-china-influences-hollywood-iron-man-3).  The 2019 film Abominable also included a scene showing the “nine-dash line”, subtly endorsing Beijing’s South China Sea claims. See: https://edition.cnn.com/2019/10/15/asia/vietnam-abominable-south-china-sea-intl-hnk/index.html

[k] Some Chinese devices contain inbuilt censorship capabilities for users outside China. Lithuania’s National Cyber Security Centre found that Xiaomi phones had default censorship in place for over 449 phrases, including “Free Tibet” and “Taiwan independence”. Interestingly, this feature is inactive in Xiaomi phones supplied to Europe but can be remotely activated. See: https://www.reuters.com/business/media-telecom/lithuania-says-throw-away-chinese-phones-due-censorship-concerns-2021-09-21/

[l] In a notable case, on 19 September 2020, Delhi Police apprehended veteran freelance journalist Rajeev Sharma for sharing sensitive details of India’s border strategy with Chinese intelligence agencies. See: https://www.thehindu.com/news/national/arrested-scribe-rajeev-sharma-was-passing-info-on-border-strategy-to-chinese-intelligence-police/article32648112.ece

[m] In one such case, producers of the film Rockstar had to blur a flag with “Free Tibet” written on it. See: https://archive.nytimes.com/india.blogs.nytimes.com/2011/11/16/bollywood-film-rockstar-disappoints-tibetan-youth/

[1] Joseph S. Nye, “The Information Revolution and Power,” Current History 113, no. 759 (2014): 20, doi:10.1525/curh.2014.113.759.19.

[2] Niranjan Sahoo, “As CCP Turns 100, Attention Must Shift to Its Influence Operations,” Observer Research Foundation, July 7, 2021, https://www.orfonline.org/expert-speak/as-ccp-turns-100-attention-must-shift-to-its-influence-operations.

[3] Mo Jinwei and Zhou Qingan, “How 21st-Century China Sees Public Diplomacy as a Path to Soft Power,” Global Asia, September 2012, https://www.globalasia.org/v7no3/cover/how-21st-century-china-sees-public-diplomacy-as-a-path-to-soft-power_mo-jinweizhou-qingan

[4] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment (Washington DC: Global Engagement Center, September 28, 2023)  https://www.state.gov/how-the-peoples-republic-of-china-seeks-to-reshape-the-global-information-environment/.

[5] Constantino Xavier and Jabin Jacob, Introduction: Studying China’s Themes, Partners and Tools in South Asia, CSEP, 2023, https://csep.org/reports/introduction-studying-chinas-themes-partners-and-tools-in-south-asia/.

[6] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment,7.

[7] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 24.

[8] Abhijnan Rej, “2 Recent Alleged Episodes of Chinese Espionage Raise Worrying and Difficult Questions,” The Diplomat, September 21, 2020, https://thediplomat.com/2020/09/two-recent-alleged-episodes-of-chinese-espionage-raise-worrying-and-difficult-questions/.

[9]  United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 26.

[10]  IANS, “China Misusing Interpol to Hunt Down Minorities, Dissidents,” daiji world, November 16, 2021, https://www.daijiworld.com/news/newsDisplay?newsID=894165.

[11] Matt Delaney, “China Establishes Police Station in New York City,” The Washington Times, October 2, 2022, https://www.washingtontimes.com/news/2022/oct/2/report-china-operates-overseas- police-stations-tra/.

[12] Ij-Reportika, “New Exposé on the Chinese Police Stations Around the World,”  Straight To The News That Matters, December 16, 2022, https://softmachine.net/new-expose-on-the-chinese-police-stations-around-the-world/.

[13] Sui-Lee Wee and Muyi Xiao, “Afghan Uyghurs Fear Deportation as Taliban Cozy Up to China,” The New York Times, September 23, 2021, https://www.nytimes.com/2021/09/23/world/asia/ afghanistan-uyghurs-china-taliban.html.

[14] Anastasya Lloyd-Damnjanovic, “A Preliminary Study of PRC Political Influence and Interference Activities in American Higher Education,” Wilson Center for International Scholars, August 2018: 2.

[15] Sheena Chestnut Greitens and Rory Truex, “Repressive Experiences among China Scholars: New Evidence from Survey Data,” SSRN Electronic Journal, August 1, 2018, doi:10.2139/ssrn.3243059.

[16] “China: Foreign Journalists Face Travel Restrictions, Harassment / IFJ,” International Federation of Journalists, September 20, 2024, https://www.ifj.org/media-centre/news/detail/category/press-releases/article/china-foreign-journalists-face-travel-restrictions-harassment.

[17] Brendan S. Mulvaney, “The PLA’s New Information Support Force,” China Aerospace Studies Institute, Air University, April 22, 2024, https://www.airuniversity.af.edu/CASI/Display/Article/3749754/the-plas-new-information-support-force/.

[18] Ujjawal Upadhaya, “Analysing Information Support Force (ISF) of China and its Impact on India,” CENJOWS, July 2024, https://cenjows.in/wp-content/uploads/2024/07/Ujjawal_Upadhyay_Issue_Brief_Jul_2024.pdf.

[19]  Kalpit A. Mankiker and Satyam Singh, “Tracking China’s Moves on Information Warfare,” Observer Research Foundation, May 22, 2024, https://www.orfonline.org/expert-speak/tracking-china-s-moves-on-information-warfare.

[20] Paszak Pawal, “China’s Growing Influence in International Organizations,” Warsaw Institute, October 14, 2020, https://warsawinstitute.org/chinas-growing-influence-international-organizations/.

[21] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 23.

[22] Dinesh C. S Mayal, "China’s Shaping of Global Information Environment and Winning Without Fighting," USI of India 154, no. 635 (2024): 65.

[23] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment,3.

[24] Ian Williams, “How China Spies on the West,” The Spectator, January 23, 2022, https://www.spectator.co.uk/article/how-china-spies-on-the-west/.

[25] Jack Murphy, “Chinese Espionage Methodology,” Sofrep, March 6, 2014,  https://sofrep.com/news/chinese-espionage-methodology/.

[26] CECC, The Long Arm of China: Exporting Authoritarianism with Chinese Characteristics, (Washington: U.S. Government Publishing Office, 2017), 43, https://www.congress.gov/115/chrg/CHRG-115hhrg28385/CHRG-115hhrg28385.pdf.

[27] J. Brandt, et al., “Winning the Web, How Beijing Exploits Search Results to Shape Views of Xinjiang and COVID-19,” Brookings, May 2022, https://www.brookings.edu/wp-content/uploads/2022/05/FP_20220525_china_seo_v2.pdf.

[28] “Coronavirus: Twitter Removes More Than 170,000 Pro-China Accounts,” BBC, June 12, 2020, https://www.bbc.com/news/business-53018455.

[29]  United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 36.

[30] Kartik Bommakanti, “China’s ‘Three Warfares’ Strategy in Action: Implications for the Sino-India Boundary, the Arctic, and Antarctica,” Observer Research Foundation,  February 7, 2024, https://www.orfonline.org/research/china-s-three-warfares-strategy-in-action-implications-for-the-sino-india-boundary-the-arctic-and-antarctica.

[31]  Sai P. Banoth, “Chinese Cartographic Aggression Against India,” Centre for Joint Warfare Studies, August 19, 2023, https://cenjows.in/wp-content/uploads/2023/08/Sai_Priya_Banoth_IB_Aug_2023 _CENJOWS.pdf.

[32] Kerstin L. Friedrich, “China Public Diplomacy- International Companies Face Increasing Reputational Risks,” Mercator Institute for China Studies (MERICS), April 2019: 6, https://merics.org/sites /default/files/2020-04/SCREEN_Merics_China-Monitor_PublicDiplomacy_english_02_0.pdf.

[33] CECC, Long Arm of China.

[34]  Benjamin Lee, “China Continues to Exert Damaging Influence on Hollywood, Report Finds,” The Guardian, August 5, 2020, https://www.theguardian.com/film/2020/aug/05/china-hollywood-films-damaging-impact-report.

[35] “China Says to More Closely Regulate Influencer Management Firms,” Reuters, March 18, 2022, https://www.reuters.com/legal/litigation/china-says-more-closely-regulate-influencer-management-firms-2022-03-17/.

[36] Joshua Kurlantzick, “Beijing Targets Chinese-Language Media: In Asia and Elsewhere,” Council on Foreign Relations, February 10, 2023, https://www.cfr.org/blog/beijing-targets-chinese-language-media-asia-and-elsewhere.

[37] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment,27.

[38]  Fan Yang, “Translating Tension: Chinese-language Media in Australia,” Lowy Institute, September 29, 2021, https://www.lowyinstitute.org/publications/translating-tension-chinese-language-media-australia.

[39] “Hong Kong National Security Law: What is It and is It Worrying?,” BBC News, March 19, 2024, https://www.bbc.com/news/world-asia-china-52765838.

[40] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 36

[41]  Sameer Patil and Prithvi Gupta, “The Digital Silk Road in the Indo-Pacific: Mapping China’s Vision for Global Tech Expansion,” Observer Research Foundation, January 3, 2024, https://www.orfonline.org/research/the-digital-silk-road-in-the-indo-pacific-mapping-china-s-vision-for-global-tech-expansion.

[42] Sarah Cook, “Beijing's Global Megaphone,” Freedom House, January 11, 2020, https://freedomhouse.org/report/special-report/2020/beijings-global-megaphone.

[43] Friedrich, “China Public Diplomacy- International Companies Face Increasing Reputational Risks”

[44] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 19.

[45] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment, 13.

[46] Samantha Hoffman et al., Truth and reality with Chinese characteristics The building blocks of the propaganda system enabling CCP information campaigns, Australia, Australian Strategic Policy Institute, 2024, https://www.aspi.org.au/report/truth-and-reality-chinese-characteristics.

[47] Custer Samantha et al., Silk Road Diplomacy: Deconstructing Beijing’s Toolkit to Influence South and Central Asia, Williamsburg, AiDDATA, December 2019, https://docs.aiddata.org/ad4/pdfs/Silk_Road_Diplomacy_Report.pdf, 9.

[48] Ananth Krishnan, “China is Buying Good Press Across the World, One Paid Journalist at a Time,” ThePrint, November 24, 2018, https://theprint.in/opinion/china-is-paying-foreign-journalists-including-from-india-to-report-from-beijing/154013/.

[49]  Xinhua, “China to Finance Bangladesh’s Mega ICT Projects,” China Daily, September 12, 2017, https://www.chinadaily.com.cn/business/2017-09/12/content_31886 278.htm.

[50] Dhanwati Yadav, “Is the Growth of Sino-Nepal Relations Reducing Nepal’s Autonomy?,” China Brief 21, no. 5 (2021), https://jamestown.org/program/is-the-growth-of-sino-nepal-relations-reducing-nepals-autonomy/.

[51] Pradeep Vijayan, “Nepal Comes with Another Provocation: Uses FM Radio Stations for Broadcasting Anti-India Speeches, Nepal Govt, India Nepal Border, FM Radio,” East Coast Daily, June 21, 2020, https://www.eastcoastdaily.in/2020/06/21/nepal-comes-with-another-provocation-uses-fm-radio-stations-for-broadcasting-anti-india-speeches.html.

[52] PTI, “Rs 100 Nepal Currency Note to Have New Map That Includes Lipulekh, Limpiyadhura and Kalapani,” Deccan Herald, May 4, 2024, https://www.deccanherald.com/world/rs-100-nepal-currency-note-to-have-new-map-that-includes-lipulekh-limpiyadhura-and-kalapani-3007524.

[53] Bawa Singh and Shahbaz Shah, “China`s Strategic Foray in the Post-Monarchy Nepal: Implications for India,” MisiónJurídica 9, no. 10 (2016), https://www.revistamisionjuridica.com/strategic-foray-in-the-post-monarchy-nepal-implications-for-india/

[54]  Huawei, “China Mobile Teams Up with Huawei to Deploy the First FTTR-B Network on Mount Everest,” September 27, 2023, https://www.huawei.com/en/news/2023/9/chinamobile-huawei-fttrb.

[55] Telecom Lead, “Ooredoo Launches 5G Services in Maldives,” December 31, 2020,  https://www.telecomlead.com/5g/ooredoo-launches-5g-services-in-maldives-98195.

[56] Total Telecom, “Dhiraagu Launches the First 5G Service in Maldives and South Asia,” December 14, 2021,  https://totaltele.com/dhiraagu-launches-the-first-5g-service-in-maldives-and-south-asia/.

[57]  APP, “Pakistan ‘Key Partner’ of China’s Satellite Programme,” The Express Tribune, June 22, 2020, https://tribune.com.pk/story/%202247760/pakistan-key-partner-chinas-satellite-programme.

[58] Toby Antony, “Ladakh Standoff: Hundreds of Fake Twitter Accounts from Pakistan Spread Lies in Chinese garb,” The New Indian Express, June 18, 2020, https://www.newindianexpress.com/nation/2020/Jun/18/ ladakh-standoff-hundreds-of-fake-twitter-accounts-from-pakistan-spread-lies-in-chinese-garb-2158243.html.

[59] United States Government, How the People’s Republic of China Seeks to Reshape the Global Information Environment.

[60] DHNS, “China’s Name Game Vexes India Yet Again,” Deccan Herald, April 5, 2024, https://www.deccanherald.com/opinion/editorial/china-s-name-game-vexes-india-yet-again-2965767.

[61] “Xiaomi Phones Fail to Show Arunachal Weather; Netizens Link It with India-China Border Dispute,” Business Today, December 2, 2020, https://www.businesstoday.in/latest/corporate/story/xiaomi-phones-fail-to-show-arunachal-weather-netizens-link-it-with-india-china-border-dispute-276226-2020-10-19.

[62] National Security Trust- Helpful Foundation, “India's National Security Threat From CHINA,”  March 29, 2024, https://helpful.foundation/indias-national-security-threat-from-china/.

[63] Law and Society Alliance, China Bought Influence in Bollywood, Universities, Think-tanks, Tech Industry: LSA Study Report, September 5, 2021: 41, https://lawandsocietyalliance .in/2021/09/05/china-bought-influence-in-bollywood-universities-think-tanks-tech-industry-lsa-study-report.

[64] Elizabeth Roche, “India Dismisses China's Directives to Indian Media,” Mint, October 8, 2020, https://www.livemint.com/news/india/india-dismisses-china-s-directives-to-indian-media-on-coverage-of-taiwan-s-national-day-11602167766057.html.

[65]  “China Bought Influence in Bollywood, Universities, Think-tanks, Tech Industry: 25”

[66] Samir Saran, “No Huawei in 5G is a Start, No China in Critical Infrastructure Should Be Next,” Observer Research Foundation, July 2, 2020, https://www.orfonline.org/expert-speak/no-huawei-in-5g-is-a-start-no-china-in-critical-infrastructure-should-be-next.

[67] Sam Shead, “YouTube Automatically Deleted Comments That Criticized China's Communist Party,” CNBC, May 27, 2020, https://www.cnbc.com/2020/05/27/youtube-china-communisty-party-comments.html.

[68] Amrita Nayak Dutta, “India Uses AIR Chinese Services to Broadcast Commentary on Galwan ‘Transgression’ By China,” ThePrint, June 192020, https://theprint.in/india/india-uses-air-chinese-service-to-broadcast-commentary-on-gaiwan-

transgression-by-china/444506

[69] Sneha ,“List of 321 Chinese Mobile Apps Banned by Indian Government | 5 Digital Strikes by PM Modi on China,” SarkariYojana List 2024, February 2, 2024, https://www.yogiyojana.co.in/2023/01/list-chinese-mobile-apps-banned-indian-govt.html.

[70] Express News Service, “Chinese Apps Loan Scam: ED Spots Rs 1,400 Crore Transaction,” The New Indian Express, December 19, 2021, https://www.newindianexpress.com/ states/telangana/2021/dec/19/chinese-apps-loan-scam-ed-spots-rs-1400-crore-transaction-2397220.html.

[71] “Arrested Chinese Spy Confesses of Smuggling 1300 Indian Sim Cards to China used for hacking and financial fraud,” OpIndia, June 12, 2021, https://www.opindia.com/2021/06/chinese-spy-arrested-malda-confess-smuggling-1300-indian-sim-cards-to-china/.

[72] “China Watching: President, PM, Key Opposition Leaders, Cabinet, CMs, Chief Justice of India…the List Goes on,” Indian Express, September 15, 2020, https://indianexpress.com/article/%20express-exclusive/china-watching-big-data-president-kovind-pm-narendra-modi-opposition-leaders-chief-justice-of-india-zhenhua-data-information-technology-6594861/.

[73] “How a Chinese Spy Used LinkedIn to Target Western Intelligence, Security Officials,” Times of India, August 24, 2023, https://timesofindia.indiatimes.com/gadgets-news/how-a-chinese-spy-used-linkedin-to-target-western-intelligence-security-officials/articleshow/103013425.cms.

[74] “China Bought Influence in Bollywood, Universities, Think-tanks, Tech Industry: 24”

[75]  “China Bought Influence in Bollywood, Universities, Think-tanks, Tech Industry: 9-12”

[76] “China Bought Influence in Bollywood, Universities, Think-tanks, Tech Industry: 12”

[77] Vamshi Krishna Gajula, “Is China Using Aamir Khan For Money Laundering In India,” August 10, 2022, https://vamshikrishnag.blogspot.com/2022/08/is-china-using-aamir-khan-for-money.html.

[78] Amit Bhandari, Blaise Fernandes, and Aashna Agarwal, Chinese Investments in India, Indian Council on Global Relations, 2020: 6, https://www.gatewayhouse.in/wp-content/uploads/2020/03/Chinese-Investments-in-India-Report_2020_Final.pdf.

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