Author : Harsh V. Pant

Published on Oct 03, 2022 Commentaries 0 Hours ago

अमेरिका में बाइडेन प्रशासन की दक्षिण एशियाई नीति इन दिनों सुर्खियों में है. पाकिस्‍तान में शाहबाज सरकार के बाद दोनों देशों के रिश्‍तों में निकटता बढ़ी है. बाइडेन ने भारत को भी साधने में जुटा है. आखिर बाइडेन प्रशासन की नीति में यह बदलाव क्‍यों आया है.

क्‍या भारत-पाकिस्‍तान को एक साथ साधने में जुटा बाइडेन प्रशासन

अमेरिका में बाइडेन प्रशासन की दक्षिण एशियाई नीति इन दिनों सुर्खियों में है. इसके पूर्व उनके पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की दक्षिण एशियाई नीति भिन्‍न थी. ट्रंप प्रशासन ने भारत को प्रमुखता दी थी. उस दौरान अमेरिका और पाकिस्‍तान के संबंध सबसे निचले स्‍तर पर चले गए थे. पाकिस्‍तान में शाहबाज सरकार के बाद दोनों देशों के रिश्‍तों में निकटता बढ़ी है. उधरबाइडेन प्रशासन भारत को भी साधने में जुटा है. आखिर दक्षिण एशिया में बाइडेन प्रशासन की नीति में यह बदलाव क्‍यों आया है. क्‍या बाइडेन प्रशासन के कार्यकाल में भारत के साथ संबंधों में गिरावट देखी जा रही है. इन सब मामलों में क्‍या है एक्‍सपर्ट की राय.

बीजिंग के साथ पाकिस्तान के करीबी संबंध यह बताते हैं कि इस्लामाबाद दक्षिण एशिया में अमेरिकी लक्ष्यों की मदद करने में अधिक बाधा के रूप में देखा जा सकता है. ट्रंप के कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान भी एक महत्वपूर्ण कारक था.

ट्रंप और बाइडेन की दक्षिण एशियाई नीति में फर्क

विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि प्रारंभ में बाइडेन और पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन का झुकाव दक्षिण एशिया नीति को लेकर एक जैसा ही था. दोनों पाकिस्तान के साथ काम करने वाले अपरिभाषित संबंधों के पक्षधर हैं. साथ ही दोनों दक्षिण एशिया को अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता के चश्मे से देखते हैं. बीजिंग के साथ पाकिस्तान के करीबी संबंध यह बताते हैं कि इस्लामाबाद दक्षिण एशिया में अमेरिकी लक्ष्यों की मदद करने में अधिक बाधा के रूप में देखा जा सकता है. ट्रंप के कार्यकाल में भारत और पाकिस्तान ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान भी एक महत्वपूर्ण कारक था.

दक्षिण एशिया में बदली बाइडेन नीति

प्रो पंत का कहना है अमेरिका की दक्षिण एशियाई नीति का प्रभाव भारत पर प्रत्‍यक्ष रूप से पड़ता है. इसलिए यह जरूरी होता है कि बाइडेन प्रशासन की दक्षिण एशियाई नीति क्‍या है. प्रो पंत ने कहा कि पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप और इमरान खान के समय दोनों देशों के बीच संबंध काफी तल्‍ख रहे. उस दौरान भारत और अमेरिका के मधुर संबंध रहे. पूर्व राष्‍ट्रपति ट्रंप कई बार भारत की यात्रा पर आए और देश के प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी कई बार अमेरिका के दौरे पर गए थे.

पाकिस्‍तान और अमेरिका के बीच चीन बड़ा फैक्‍टर

प्रो पंत का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच दूरी का एक प्रमुख कारण चीन भी रहा है. उन्‍होंने कहा कि पाक‍िस्‍तान-चीन की निकटता ट्रंप को कभी रास नहीं आई. इमरान खान के दौरान पाकिस्‍तान और चीन एक दूसरे के काफी करीब थे. ऐसी स्थिति में दोनों देशों के बीच कटुता बनी रही. ट्रंप ने अपने कार्यकाल में इमरान से एक बार भी संवाद नहीं किया. इतना ही नहीं अमेरिका ने एफ-16 के लिए पाकिस्‍तान को फंड नहीं मुहैया कराया था. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के अमेरिका पर उनकी सरकार को अपदस्थ करने की साजिश रचने के आरोपों के बाद संबंधों में और खटास आ गई थी.

प्रो पंत का कहना है कि ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और पाकिस्‍तान के बीच दूरी का एक प्रमुख कारण चीन भी रहा है. उन्‍होंने कहा कि पाक‍िस्‍तान-चीन की निकटता ट्रंप को कभी रास नहीं आई. इमरान खान के दौरान पाकिस्‍तान और चीन एक दूसरे के काफी करीब थे.

शाहबाज सरकार में अमेरिका से सामान्‍य हुए रिश्‍ते

प्रो पंत ने का कि पाकिस्‍तान में शाहबाज सरकार के गठन के बाद अमेरिका के साथ रिश्‍ते सामान्‍य हो रहे हैं. अमेरिका के विदेश मंत्री के एक सलाहकार ने हाल ही में पाकिस्‍तान की यात्रा की थी. बाइडेन प्रशासन ने भी 45 करोड़ डालर के हथियार और उपकरण एफ-16 फाइटर जेट के लिए दिए हैं. अमेरिका ने बाढ़ से पीड़‍ित पाकिस्‍तान को अन्‍य आर्थिक मदद भी मुहैया कराई है. इससे यह संकेत मिलता है कि दोनों देश एक दूसरे के निकट आ रहे हैं. पाकिस्‍तान में नई सरकार के गठन के बाद पाक के नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी अमेरिका गए थे. उन्‍होंने कहा कि इस क्रम को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जाना चाहिए.

भारत-पाकिस्‍तान दोनों को साधने की जुगत में बाइडेन प्रशासन

प्रो पंत ने कहा कि इमरान खान के सत्‍ता से हटते ही अमेरिका के रुख में बदलाव देखने को मिलता है. शहबाज शरीफ के पाकिस्तान का नया पीएम बनने के बाद पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के पाकिस्तान के सशस्त्र बलों के साथ स्वस्थ सैन्य संबंध हैं. पाकिस्‍तान को एफ-16 पर फंड मुहैया कराना भारत को अखर रहा है. भारत इस पर अपनी आपत्ति जता चुका है. हालांकिबाइडेन प्रशासन की नीति दोनों देशों को साधने की है. राष्‍ट्रपति बाइडेन भारत को नाराज नहीं करना चाहते हैं. बाइडेन प्रशासन जानता है कि दक्षिण एशिया में रणनीतिक स्थिरता के लिए भारत का मजबूत रहना बेहद जरूरी है. यही कारण है कि अमेरिकी प्रशासन एफ-16 पर लगातार अपनी सफाई दे रहा है.


बाइडेन और शरीफ की मुलाकात के मायने 

बाइडेन प्रशासन और पाकिस्‍तान के संबंधों में वह तल्‍खी नहीं है. अमेरिका अब पाकिस्‍तान के प्रति उतना कठोर नहीं है. यही कारण है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन न्‍यूयार्क में पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात करने को तैयार हुए. संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के सत्र के दौरान शहबाज शरीफ को बाइडेन से मुलाकात का मौका मिला. बाइडेन के सत्‍ता में आने के बाद यह किसी पाकिस्‍तानी पीएम से उनका पहला संवाद होगा. इतना ही नहीं पाकिस्‍तान में नई सरकार के गठन के बाद पाक के नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी अमेरिका गए थे.

***

यह लेख जागरण में प्रकाशित हो चुका है.

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.