Author : Harsh V. Pant

Published on Oct 28, 2023 Commentaries 0 Hours ago
BRI से भी अमेरिका को चुनौती

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव ( BRI ) के दूसरे दशक में प्रवेश के मौके पर विकासशील देशों की इकॉनमी में अरवों डॉलर का निवेश जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराते हुए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने पिछले हफ्ते BRI फोरम में कहा कि ‘चीन अच्छा प्रदर्शन तभी कर सकता है जब दुनिया अच्छा प्रदर्शन कर रही हो… जब चीन अच्छा करता है तो दुनिया और अच्छा करती है.’ यही नहीं, जैसी कि अपेक्षा थी, पश्चिमी देशों पर निशाना साधते हुए उन्होंने यह भी कहा कि हम इकतरफा पाबंदियां लगाने, आर्थिक दादागिरी दिखाने और सप्लाई चेन में बाधा डालने के खिलाफ हैं.

BRI की उपलब्धियां बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे उनकी इस पहल ने इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को उभरते वैश्विक आर्थिक विमर्श के केंद्र में लाकर विकासशील दुनिया की मदद की है.

पिछली बार के BRI फोरम में आए 37 नेताओं के मुकाबले इस बार इसमें महज 24 वैश्विक नेता मौजूद थे.

  • ऐसे समय में जब चीनी इकॉनमी की सेहत पर सवाल उठ रहे हैं, शी स्वाभाविक ही यह दिखाना चाहते थे कि बिजनेस को लेकर चीन का रुख काफी खुला है. उन्होंने जहां क्रॉस बॉर्डर ट्रेड और सर्विसेस सेक्टर में निवेश बढ़ाने और डिजिटल प्रोडक्ट्स का बाजार विस्तृत करने की बात कही, वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विदेशी निवेश से बंदिशें हटाने का भी वादा किया.
  • करीब तीन साल लंबे लॉकडाउन से जनवरी 2023 में बाहर आने के बाद चीन का यह पहला अंतरराष्ट्रीय आयोजन तो था ही, शी के एक प्रमुख प्रोजेक्ट का सेलिब्रेशन भी था. BRI की उपलब्धियां बताते हुए उन्होंने कहा कि कैसे उनकी इस पहल ने इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी को उभरते वैश्विक आर्थिक विमर्श के केंद्र में लाकर विकासशील दुनिया की मदद की है.

उन्होंने बताया कि कैसे चीन ने एक ग्लोबल नेटवर्क तैयार करने की कोशिश की है जिसमें इकॉनमिक कॉरिडोर, इंटरनेशनल ट्रांसपोर्टेशन रूट और इन्फॉर्मेशन हाईवे के साथ-साथ रेलवे, रोड, एयरपोर्ट्स, पाइपलाइंस और पॉवरग्रिड भी होंगे. इनसे संबंधित देशों में सामान, पूंजी, और मानव संसाधन का फ्लो बढ़ेगा और हजारों साल पुराने सिल्क रोड को आज के दौर में नई अहमियत मिलेगी.

शी ने यह संकेत देने का भी प्रयास किया कि वह BRI में कुछ बदलाव लाने को तैयार हैं ताकि मुख्यतया डिजिटल इकॉनमी और सस्टेनेबल ग्रीन डिवेलपमेंट पर जोर देते हुए उच्चस्तरीय विकास की ओर बढ़ा जा सके.

  • इसमें दो राय नहीं कि BRI ग्लोबल इकॉनमिक ऑर्डर में पीछे छूट चुके देशों को आर्थिक वैश्वीकरण के नए चरण से जोड़ने के लिहाज से एक अच्छा आइडिया है.

समस्या इसके अमल के तरीकों में थी, जिसकी वजह से न केवल बहुत सारे देश कर्ज के जाल में फंस गए बल्कि कई प्रॉजेक्ट वित्तीय व पर्यावरणीय कसौटियों पर कमजोर साबित हुए और ऐसे केंद्रीकृत प्रॉजेक्ट की व्यावहारिकता सवालों के घेरे में आई .

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इस फोरम के जरिए शी चिनफिंग को यह भी दिखाना था कि BRI प्रॉजेक्ट को लेकर उनके देश की प्रतिबद्धता कायम है. यह ऐसा प्रॉजेक्ट है जो न केवल उभरते ग्लोबल ऑर्डर में चीन की जिओ-पॉलिटिकल पोजिशनिंग से जुड़ा है वल्कि जिओ-इकॉनमिक्स के लिहाज से भी उतना ही अहम है.

BRI में कुछ बदलाव लाने को तैयार 

  • शी ने यह संकेत देने का भी प्रयास किया कि वह BRI में कुछ बदलाव लाने को तैयार हैं ताकि मुख्यतया डिजिटल इकॉनमी और सस्टेनेबल ग्रीन डिवेलपमेंट पर जोर देते हुए उच्चस्तरीय विकास की ओर बढ़ा जा सके.
  • चीन के राष्ट्रपति ने इस प्रॉजेक्ट में शामिल कंपनियों के लिए ईमानदारी और बेहतर मूल्यांकन व्यवस्था बनाने की वात कही. इसे ध्यान में रखते हुए रिसर्च और ट्रेनिंग कार्यक्रमों के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों को प्रॉजेक्ट से जोड़ा जाएगा. BRI को दुनिया भर में जिस तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ रही है और जिस तरह से BRI के विकल्प लॉन्च किए जा रहे हैं, उसके मद्देनजर शी चिनफिंग के लिए इसमें सुधार करते हुए दिखना जरूरी था . ये सुधार किस तरह से जमीन पर अमल में आते हैं, उसी से BRI का भविष्य तय होगा और चीन की विश्वसनीयता भी .
  • शी चिनफिंग के लिए BRI फोरम दुनिया के सामने अमेरिकी अगुआई वाली विश्व व्यवस्था का विकल्प पेश करने का मौका भी था. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अफगानिस्तान के कार्यकारी उद्योग व वाणिज्य मंत्री नूरुद्दीन अजीज की मौजूदगी ने इस मौके की अहमियत बढ़ा दी. 
  • पुतिन निस्संदेह फोरम के स्टार थे. रूस ने अभी तक BRI

पर आधिकारिक रूप से हस्ताक्षर नहीं किया है, फिर भी पुतिन BRI फोरम के लिए चीन गए.

  • दरअसल, रूस और चीन मिलकर पश्चिमी देशों को चुनौती दे रहे हैं. दोनों ने हमास पर इस्राइल की जवाबी कार्रवाई की भी आलोचना की है.
  • असल में, यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद से ही जहां पश्चिमी देश रूस को अलग-थलग करने की कोशिश करने लगे, वहीं चीन, रूस के साथ खड़ा रहा और वह रूस के सबसे अहम ट्रेड पार्टनर के तौर पर उभरा.

फोरम में एक और दिलचस्प मौजूदगी रही तालिबान की, जिसका मकसद अमेरिका को यह संदेश देना था कि उसके मंसूबे तोड़ने के लिए ही सही, पर चीन इस ‘अछूत’ देश के साथ अपने संपर्क को और बढ़ाने वाला है. चीन ने अभी तक तालिबान को कूटनीतिक मान्यता नहीं दी है लेकिन पिछले महीने अफगानिस्तान में अपना राजदूत भेजने वाला पहला देश जरूर बन गया है.

  • चीन और पाकिस्तान इसी साल यह घोषणा भी कर चुके कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को अफगानिस्तान तक बढ़ाया जाएगा. बहरहाल, BRI समारोह का मकसद ग्लोबल साउथ की विकास जरूरतें पूरी करने से ज्यादा अमेरिकी अगुआई वाली विश्व व्यवस्था का विकल्प प्रदान करने वाले एक देश के रूप – में चीन की बढ़ती हैसियत को रेखांकित करना था. लेकिन BRI 1 की चुनौतियां बढ़ती जा रही है. फोरम में कहे गए शी के शब्द भी – इस तथ्य को मान्यता देते हैं कि अगर BRI के दूसरे दशक को . पहले दशक के मुकाबले ज्यादा कामयाब बनाना है तो चीन के नजरिए में बदलाव अनिवार्य होगा.
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Harsh V. Pant

Harsh V. Pant

Professor Harsh V. Pant is Vice President – Studies and Foreign Policy at Observer Research Foundation, New Delhi. He is a Professor of International Relations ...

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