Published on Jul 28, 2023 Commentaries 0 Hours ago
भारतीय सेनाओं की थिएटर कमान बनाने की योजना: प्रस्तावित पुनर्गठन की स्थिति क्या है?

भारतीय सेनाओं में सुधारों को साकार करने के लिए 4 स्टार जनरल रैंक के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पद सृजित किए जाने के लगभग चार साल बाद भी थिएटर कमान संभालने का काम अटक अटक कर चल रहा है. हाल ही में आई ख़बरें इशारा करती हैं कि बहुत सोच विचार, असहमतियों और परिचर्चाओं के बाद थल सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच शायद उस वैचारिक रूपरेखा  पर सहमति बन गई लगती है, जो भारतीय सेना के सबसे बड़े पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त करेगी. मोटे तौर पर थिएटर कमान के तहत सेनाओं के अलग अलग अंग एक ही कमान की संरचना के अंतर्गत लाए जाते हैं. थिएटर कमान एक ख़ास भौगोलिक क्षेत्र में एक ही कमांडर की निगरानी में काम करती हैं. इससे सेनाएं अपने संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए आपस में तालमेल के साथ आक्रामक और रक्षात्मक अभियान चलाती हैं.

थिएटर कमान की संरचना, भारतीय सेनाओं के मौजूदा स्वरूप से बिल्कुल उलट है. ख़ास तौर से 19 मौजूदा कमानों में से 17 तो केवल एक ही सेना यानी थल सेना की सात, वायु सेना की सात और नौसेना की तीन कमानों पर केंद्रित है.

भारत के लिए उसकी उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर नाज़ुक हालात को देखते हुए, थिएटर कमान बनाना ज़रूरी हो गया है, जिससे भविष्य में किसी संघर्ष से निपटने के लिए तीनों सेनाएं एकीकृत नज़रिए से काम करें. अनुमान बताते हैं कि भविष्य में चीन के साथ कोई युद्ध हुआ, तो भारत को युद्ध में अपनी पांच मिलिट्री कमान के अलावा भी और संसाधन इस्तेमाल करने पड़ेंगे. जैसा कि RAND कॉरपोरेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि भविष्य में होने वाली जंगों में साइबर युद्ध सभी तरह के संघर्ष शामिल होंगे. इसीलिए थिएटर कमान जैसी संरचना तैयार करना और भी ज़रूरी हो गया है.

थिएटर व्यवस्था पर आधारित होने से भारत को युद्ध लड़ने की एकीकृत क्षमता प्राप्त होगी, जिससे ख़तरों से बचाने  के साथ साथ सेनाओं के संचालन का ख़र्च भी कम होगा. थिएटर कमान से तीनों सेनाओं के संघर्ष का सामना करने की क्षमता के बीच भी तालमेल बैठाया जा सकेगा.

महत्वपूर्ण बात ये है कि थिएटर कमान की संरचना, भारतीय सेनाओं के मौजूदा स्वरूप से बिल्कुल उलट है. ख़ास तौर से 19 मौजूदा कमानों में से 17 तो केवल एक ही सेना यानी थल सेना की सात, वायु सेना की सात और नौसेना की तीन कमानों पर केंद्रित है. केवल अंडमान और निकोबार कमान और देश के परमाणु हथियारों के ज़ख़ीरों पर नियंत्रण रखने वाली स्ट्रैटेजिक फोर्सेज की कमान ही तीनों सेनाओं की साझा कमान के तौर पर काम करती हैं.

वैसे तो दिवंगत पूर्व CDS जनरल बिपिन रावत ने 2023 की शुरुआत तक थिएटर कमान को कार्यकारी बनाने की योजना तैयार की थी. लेकिन, कई कारणों से उस योजना पर अमल नहीं किया जा सका है. इन मतभेदों में तीनों सेनाओं के बीच कमान के ढांचे, उसके दायरे और नियंत्रण को लेकर वाद-विवाद भी शामिल हैं.

इसके अलावा, तीनों सेनाओं के बीच विवाद इस बात को लेकर भी है कि एक अकेली कमान के अंतर्गत युद्ध लड़ने के कौन कौन से हथियार तैनात किए जाएंगे. इसके साथ साथ, इसके साथ साथ हथियारों, उनको इस्तेमाल करने वाले माध्यमों और संसाधनों के एक थिएटर से दूसरे थिएटर के बीच आदान-प्रदान के मसले ने भी इस व्यवस्था को लागू करने में देरी में योगदान दिया है.

भारत के सिवा, दुनिया की प्रमुख सैन्य ताक़तों जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस की सेनाएं थिएटर कमान से ही संचालित होती हैं. 2016 के बाद से चीन ने भी अपनी सेनाओं को थिएटर कमान के तहत संगठित करना शुरू किया है. इसमें पश्चिमी थिएटर कमान भी शामिल है, जिसके दायरे में अन्य क्षेत्रों के अलावा, भारत के साथ लगने वाली वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) भी आती है.

वैसे तो अभी ये तय नहीं है कि भारत में कितने थिएटर कमान बनाए जाएंगे. मगर सार्वजनिक रूप से जो दस्तावेज़ उपलब्ध हैं, उनके मुताबिक़ पिछले तीन वर्षों ने थिएटर कमान संरचना ने अलग अलग तरह के आकार लिए हैं.

थिएटर कमान की रूपरेखा

2021 में आई शुरुआती ख़बरों के मुताबिक़, तीनों सेनाएं भारत की मौजूदा 17 कमानों को चार या पांच थिएटर कमान में एकजुट करने पर विचार कर रही हैं.

माना जाता है कि इन थिएटर कमानों में नॉर्दर्न लैंड थिएटर जिसमें जम्मू-कश्मीर लद्दाख और सेंट्रल सेक्टर शामिल होंगे, वेस्टर्न लैंड थिएटर, जो पाकिस्तान पर ध्यान केंद्रित करेगा, ईस्टर्न लैंड थिएटर, दि मैरीटाइम थिएटर कमान और एयर डिफेंस कमान शामिल होंगी. इसके साथ साथ इन कमान को लॉजिस्टिक्स और ट्रेनिंग कमान से भी मदद मिलेगी. लेकिन, ऐसा लगता है कि 2023 में CDS जनरल अनिल चौहान के निर्देशन में इस योजना पर नए सिरे से काम किया गया है और अब इसके बजाय तीन एकीकृत थिएटर कमान बनाने का प्रस्ताव दिया गया है.

2023 में CDS जनरल अनिल चौहान के निर्देशन में इस योजना पर नए सिरे से काम किया गया है और अब इसके बजाय तीन एकीकृत थिएटर कमान बनाने का प्रस्ताव दिया गया है.

ख़बरों के मुताबिक़, ये थिएटर कमान थ्री स्टार अधिकारियों यानी लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल या फिर वाइस एडमिरल रैंक के अधिकारी के नियंत्रण में रहेंगी. कहा जा रहा है कि इस योजना पर तीनों सेनाओं के बीच सहमति लगभग बन गई है.

इन तीनों प्रस्तावित थिएटर कमानों की ज़िम्मेदारी चीन से लगने वाली सीमा, पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमा और नौसैनिक कमान के ज़रिए दक्षिणी भारत में समुद्री सीमा की रखवाली करने की होगी. महत्वपूर्ण बात है कि पहले की योजना में जिस एयर डिफेंस कमान (ADC) को बनाने का प्रस्ताव था, उसे अब ख़ारिज कर दिया गया है. वायुसेना, शुरुआत से ही एयर डिफेंस कमान बनाने के ख़िलाफ़ थी. वायुसेना के पास संसाधनों कमी- फिर चाहे कर्मचारी हों या फिर लड़ाकू विमानों की सीमित संख्या– ने ही शायद एयर डिफेंस कमान के ख़याल को त्यागने पर मजबूर किया होगा. भारत की वायुसेना को लड़ाकू विमानों की 42 स्क्वॉड्रन रखने की इजाज़त है. लेकिन, आज की तारीख़ में एयरफोर्स के पास केवल 31 स्क्वॉड्रन हैं. इसके अलावा, वायुसेना को इस बात की फ़िक्र भी सता रही थी कि उसे अपने संसाधन तमाम अलग अलग कमानों के बीच साझा करने होंगे. कमान में नेतृत्व के बंटवारे को लेकर भी वायुसेना के मन में दुविधा थी.

मोटा-मोटी इन तीन थिएटर कमान के गठन की दिशा में आगे बढ़ना, अधिक व्यावहारिक  पुनर्गठन लग रहा है, जहां मौजूदा कमानों को मिलाकर कई बड़े कमान बनाने के बजाय उनको तीन बड़ी इकाइयों में समाहित किया जा रहा है. अगर कई बड़ी थिएटर कमान बनाई जातीं, तो शायद प्रशासनिक समस्याएं खड़ी हो सकती थीं. चूंकि थिएटर कमान में तीनों सेनाओं के अधिकारियों को एक दूसरे के क्षेत्र में काम करना होगा, ऐसे में सेना की मानव संसाधन नीतियों में भी बदलाव का काम चल  रहा है. हाल ही में सेनाओं ने 102 अधिकारियों को उनकी सेवाओं से अलग सेना में तैनात किया है, जिससे वो दूसरी सेना के कामकाज  को बख़ूबी समझ सकें.

एकीकरण को सुनिश्चित करने के लिए ये तबादले एक महत्वपूर्ण क़दम हैं और इनसे साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि अब थिएटर कमान बनाने की दिशा में काम आगे बढ़ चला है.

थिएटर कमान बनाने के फ़ायदे

थिएटर कमान बनाने का सबसे बड़ा फ़ायदा तो यही है कि इससे युद्ध में भारत की तीनों सेनाओं की क्षमताओं का इस्तेमाल मिलाकर किया जा सकेगा. तीनों सेनाएं अपने संसाधनों को कुशलता से एकजुट करके इस्तेमाल कर सकेंगी, जिससे हथियार चलाने के मंचों, हथियार व्यवस्थाओं और दूसरी संपत्तियों का अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा.

राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के बग़ैर थिएटर कमान के पास न तो अपने कामकाज का कोई ख़ाका होगा और न ही कोई ऐसा नीतिगत लक्ष्य, जिसके लिए उन्हें काम करना होगा.

लंबी अवधि में थिएटर कमान सैन्य बलों के लॉजिस्टिक्स प्रबंधन में भी सुधार लाएंगी. तीनों सेनाओं के सामूहिक उपयोग का एक ढांचा तैयार होने पर सेनाओं के अलग अलग उपयोग के बजाय संसाधनों का सामूहिक इस्तेमाल हो सकेगा. इससे तीनों सेनाओं द्वारा अलग अलग स्तर पर एक ही तरह की चीज़ें ख़रीदने को भी रोका जा सकेगा.

इस समय भारत की विभिन्न सैन्य कमानें अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों में स्थित हैं. इस वजह से कई बार साझा अभ्यासों और अभियानों के दौरान संवाद की समस्याएं पैदा हो जाती हैं. क्योंकि योजनाओं और रणनीतियों को लागू करने के लिए अलग अलग स्तरों पर मंज़ूरी लेनी पड़ती है. एकीकृत कमान संरचना बनने पर संवाद की ये प्रक्रियाएं अधिक आसान और कुशल बनाई जा सकेंगी.

इसके अलावा नीतिगत क्षेत्र में, एकीकृत कमान संरचना होने पर तीनों सेनाओं के प्रतिनिधि एक साथ बैठकर फ़ैसले कर सकेंगे. इससे युद्ध ही नहीं, शांतिकाल में भी रणनीति की योजनाएं अधिक कुशलता से बनाई जा सकेंगी.

थिएटर कमान के लिए चुनौतियां

वैसे तो सैद्धांतिक तौर पर थिएटर कमान के फ़ायदों पर विचार करने की ज़रूरत है. लेकिन, भारत ये व्यवस्था लागू करने उससे पहले अभी लंबा सफ़र तय करना है. तीनों सेनाओं के थिएटर कमान बनाने से पहले संस्थागत सुस्ती और यथास्थिति बनाए रखने में यक़ीन करने वाले अपने अपने हित पर ज़ोर देने की सोच से पार पाना होगा.

इसके अलावा, ऐसा लगता है कि अभी हमारा देश थिएटर कमान में सेनाओं के कर्मचारियों के काम करने की शैक्षणिक बुनियाद तैयार करने के लिहाज़ से काफ़ी पीछे चल रहा है. स्टाफ कॉलेज और वॉर कॉलेज के पाठ्यक्रमों को नए सिरे से तैयार किया जा सकता है, जिससे अधिकारियों को एक दूसरे के मुख्यालयों में काम आने वाले कौशल और ज्ञान से लैस किया जा सके. लंबी अवधि में इससे सैन्य अधिकारियों को थिएटर कमान में ऊंचे ओहदों पर काम करने के लिए तैयार किया जा सकेगा.

इसके अलावा बहुत से रिटायर्ड सैन्य पेशेवरों ने बिना किसी ठोस राष्ट्रीय सुरक्षा नीति (NSS) के थिएटर कमान बनाने की आलोचना की है. उनका मोटे तौर पर यही तर्क है कि राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के बग़ैर थिएटर कमान के पास न तो अपने कामकाज का कोई ख़ाका होगा और न ही कोई ऐसा नीतिगत लक्ष्य, जिसके लिए उन्हें काम करना होगा.

मोटे तौर पर अब जबकि भारत अपनी सेनाओं के सबसे बड़े पुनर्गठन की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तो निश्चित रूप से इससे सैन्य बलों की ताक़त बढ़ने वाली है. लेकिन, ऐसे परिवर्तन के बीच सही संतुलन बनाने के लिए कुछ संस्थागत और वैचारिक परिवर्तनों को शामिल करना होगा.

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