Author : Vivek Mishra

Published on Jan 04, 2023 Updated 0 Hours ago

ज़ेलेंस्की की संयुक्त राज्य अमेरिका की बहुचर्चित यात्रा एक तनावपूर्ण युद्ध को उसके निर्णायक अंजाम तक पहुंचाने के लिए काफ़ी नहीं है 

ज़ेलेंस्की की वॉशिंगटन यात्रा: रणनीतिक बढ़त हासिल करने की एक कोशिश

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की (जिन्हें अपने साधारण और अनौपचारिक पोशाकों के लिए जाना जाता है) अपने चिर-परिचित अंदाज़ में वॉशिंगटन के दौरे पर पहुंचे, जिसे उनके युद्ध के पक्ष में अमेरिकी समर्थन जुटाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ़, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सेना के शीर्ष अधिकारियों के साथ एक लंबी बैठक करते हुए सैन्य प्रमुखों द्वारा पेश किए गए लघु और मध्यम अवधि के रणनीतिक प्रस्तावों के माध्यम से अपने पक्ष की कमियों का जायज़ा लिया. दरअसल, सर्दी के मौसम ने दोनों ही पक्षों के लिए ही तैयारी और खुद को फिर से एकजुट करने का मौका दिया है, हालांकि यूक्रेन को आशंका है कि कहीं रूसी सेना इस दौरान अचानक हमला न कर दे. बाइडेन का ये कहना कि ‘यूक्रेन के प्रति समर्थन तब तक जारी रहेगा जब तक इसकी जरूरत पड़ेगी’ और दूसरी तरफ़ पुतिन का ये दावा कि इस युद्ध को जारी रखने में किसी भी तरह की वित्तीय समस्याएं आड़े नहीं आएंगी और उनकी सरकार सेना को हर तरह की मदद मुहैया कराएगी, दोनों तरफ़ से जारी इस तरह की बयानबाजियों से यही लगता है कि आने वाला समय निराशाजनक और विवादों से घिरा हुआ होगा.

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का वॉशिंगटन दौरा कई लिहाज़ से प्रतीकात्मक है. एक साल पहले शुरू हुए युद्ध के बाद से यह उनकी यूक्रेन के बाहर किसी देश की पहली यात्रा है; इस दौरे ने यह दिखाया कि पश्चिमी शक्तियां अमेरिका के नेतृत्व में कीव का राजनीतिक समर्थन करती हैं 

राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का वॉशिंगटन दौरा कई लिहाज़ से प्रतीकात्मक है. एक साल पहले शुरू हुए युद्ध के बाद से यह उनकी यूक्रेन के बाहर किसी देश की पहली यात्रा है; इस दौरे ने यह दिखाया कि पश्चिमी शक्तियां अमेरिका के नेतृत्व में कीव का राजनीतिक समर्थन करती हैं; अपनी भावपूर्ण व्यक्तिगत अपील के बलबूते उन्होंने रणनीतिक सैन्य सहयोग का आश्वासन हासिल किया है जो युद्ध को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है; इसने लंबे समय से चले आ रहे युद्ध में यूक्रेन के पक्ष में धारणा बनाने में सफ़लता हासिल की है, और शायद इस दौरे से जुड़ी सबसे ख़ास बात ये है कि ज़ेलेंस्की ने मुखर स्वर में कहा है कि अमेरिकी सहायता "परोपकार" नहीं है, और साथ ही वह रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर राष्ट्रपति बाइडेन की "न्यायपूर्ण शांति" की स्थापना की महत्त्वाकांक्षा से अलग सोच रखते हैं, जहां वह रूस से सुलह करने की बजाय लड़ाई को जारी रखने के पक्षधर हैं, और जिस तरह उन्होंने अपने पक्ष को बारीकी से पेश किया है, उनकी क्षवि एक मजबूत नेता के रूप स्थापित हुई है. भले ही उनकी बातें और उनकी राजनीतिक मंशा सुनने में वाजिब और शानदार लगती हों, लेकिन ज़मीनी तौर पर उनके अमल से जुड़ी कठिनाईयां, वित्तीय और सैन्य ज़रूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता, आधारभूत ढांचे की गिरावट और रूस के लगातार जारी हमले, ये सभी एक साथ मिलकर यूक्रेन को भीतरी स्तर पर खोखला कर सकते हैं, जिसकी भरपाई लगभग असंभव है.

उपलब्धियां

ज़ेलेंस्की के दौरे के परिणामस्वरूप, अमेरिकी कांग्रेस ने यूक्रेन के लिए सबसे बड़े सहायता पैकेजों में से एक को मंज़ूरी दी, जिसके तहत कीव और अमेरिका के नाटो सहयोगियों को 45 अरब अमेरिकी डॉलर से ज्यादा की सहायता राशि का आवंटन किया गया. इस मंज़ूरी के साथ ही यूक्रेन की दी गई कुल अमेरिकी सहायता 100 अरब अमेरिकी डॉलर के क़रीब पहुंच गई है.

ज़ेलेंस्की के दौरे की शायद सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि अमेरिका ने उन्हें पैट्रियट मिसाइल सिस्टम को लेकर आश्वासन दिया है. अमेरिकी कंपनी रेथियॉन ने पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम का निर्माण किया है, जिसे अमेरिका के सबसे आधुनिक डिफेंस सिस्टम में से एक माना जाता है. एक पैट्रियट बैटरी की क़ीमत 1 अरब अमेरिकी डॉलर तक हो सकती है, और वर्तमान में 18 देशों द्वारा इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. युद्ध क्षेत्र में अपनी महत्ता के बावजूद, पैट्रियट सिस्टम यूक्रेन के लिए कुछ नई मुसीबतें खड़ी कर सकता है. एक तरफ़ यूक्रेन की रूस के खिलाफ़ लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता बढ़ जाएगी, वहीं पैट्रियट सिस्टम के कारण रूस अपनी जवाबी कार्रवाई में यूक्रेनी शहरों को निशाना बनाते हुए लंबी दूरी के लक्षित हमले कर सकता है, जैसा कि खेरसॉन पर हुए नए मिसाइल हमलों से स्पष्ट है. यूक्रेन में पैट्रियट सिस्टम की तैनाती रूस को उसके शहरों एवं महत्त्वपूर्ण इमारतों पर और अधिक ड्रोन हमले करने के प्रति उकसा सकती है. बेहद सस्ते ड्रोन भी पैट्रियट सिस्टम को ध्वस्त कर सकते हैं क्योंकि ज़ेलेंस्की की बाइडेन से की गई व्यक्तिगत अपील के बावजूद यूक्रेन में पैट्रियट सिस्टम की आपूर्ति सीमित है. अगर यूक्रेन को खुले तौर पर और बिना किसी नियंत्रण के ऐसी सैन्य क्षमताओं से लैस किया जाता है, जो युद्ध के लिए निर्णायक सिद्ध हों, तो अमेरिका और रूस के बीच सीधे टकराव की स्थिति पैदा होगी और ऐसी कोई भी स्थिति अमेरिकी सरकार, कांग्रेस या उसकी जनता को स्वीकार नहीं है. इसके अलावा, पैट्रियट सिस्टम की तैनाती में कई महीने लग सकते हैं क्योंकि उससे पहले यूक्रेनियों को प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी.

दूसरा प्रभाव भू-राजनीतिक स्तर पर देखने को मिल रहा है. यूक्रेन को ज्यादा से ज्यादा वित्तीय और सैन्य सहायता देकर जिस तरह से इस युद्ध में अमेरिका ने अपनी भूमिका और अधिक स्पष्ट किया है, ठीक वैसे ही रूस भी अमेरिका के प्रतिद्वंद्वियों और उसके दुश्मनों के साथ सांठ-गांठ करने की अपनी हिचक को पीछे छोड़ रहा है. इस दिशा में दो महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं: एक तरफ़ रूस चीन के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने का प्रयास कर रहा है और वहीं दूसरी तरफ़ उसने ईरान और उत्तर कोरिया के साथ अपने रक्षा संबंधों को और आगे बढ़ाया है. यहां तक कि जब ज़ेलेंस्की ने अमेरिका के दौरे पर थे, ठीक उसी समय रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बैठक कर रहे थे, जहां प्रमुख रूप से "रूसी-चीनी संवाद और व्यावहारिक सहयोग के अभूतपूर्व स्तर" को लेकर वार्ता की गई. यूरोप में युद्ध शुरू होने के बाद, और कुछ नहीं तो ईरान और रूस के संबंध और मजबूत हुए हैं. ईरान द्वारा रूस को अपने शहीद-136 ड्रोन की आपूर्ति को खुले तौर पर स्वीकारना और उसकी "प्रभावशीलता" को लेकर शेखी बघारना उसकी रूस के प्रति अनियंत्रित सहयोग की रणनीति को दर्शाता है, जो एक दोहरे उद्देश्य को पूरा करने में सक्षम है: अमेरिका के खिलाफ एक वैकल्पिक भू-राजनीतिक धड़े को मजबूत करना और ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के जरिए भविष्य की वार्ताओं (जैसे स्थगित परमाणु वार्ता) में रियायतें देने के लिए बाध्य करना.

अमेरिका का यूक्रेन को समर्थन

 

जिस तरह से अमेरिका यूक्रेन को पूर्ण राजनीतिक समर्थन और पर्याप्त सैनिक सहायता देना चाहता है, उसे डर है कि वैश्विक शक्ति केंद्र के दोनों तरफ़ कई ताकतें एकजुट होने लगी हैं. उत्तर कोरिया और रूस के बीच मजबूत गठजोड़ के स्पष्ट प्रमाण हैं. अमेरिका ने दावा किया है कि उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि उत्तर कोरिया ने रूस के वैगनर समूह को इन्फेंट्री रॉकेट और मिसाइलों की आपूर्ति की है और वह मास्को को और अधिक सैन्य उपकरण देने की योजना बना रहा है. पश्चिम विरोधी गठजोड़ की बढ़ती हुई संभावना के बीच, रूस ने अपनी हिचक तोड़ दी है, जहां राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध को लंबी अवधि तक जारी रखने के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. रूस द्वारा बेलारूसी ज़मीन को अपने सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल करने की संभावना का इस युद्ध पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर अभी विचार नहीं किया गया है. ख़ासतौर पर, रूस ने बेलारूस में इस्कंदर टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम और एस-400 डिफेंस सिस्टम को तैनात किया है, जो युद्ध के लिए तैयार हैं. इसने रूस को नए सामरिक विकल्प दिए हैं, जिन्हें वह हमले और अपने बचाव दोनों के लिए इस्तेमाल कर सकता है. इसके अलावा, रूस यूक्रेनी हमलों के खिलाफ अपनी वायु रक्षा क्षमता को मजबूत करने के लिए तेजी से हाथ-पांव मार रहा है.

स्पष्ट रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध ठहराव की स्थिति में पहुंच गया है. हालांकि, युद्ध के निर्णायक मोड़ पर पहुंचने के साथ ही ज़मीनी हक़ीकत तेज़ी से बदल सकती है. रूस और यूक्रेन दोनों ही एक ऐसे मुहाने पर खड़े हैं, जहां से उनके भविष्य की कोई निश्चित तस्वीर नहीं दिखाई दे रही है. 

स्पष्ट रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध ठहराव की स्थिति में पहुंच गया है. हालांकि, युद्ध के निर्णायक मोड़ पर पहुंचने के साथ ही ज़मीनी हक़ीकत तेज़ी से बदल सकती है. रूस और यूक्रेन दोनों ही एक ऐसे मुहाने पर खड़े हैं, जहां से उनके भविष्य की कोई निश्चित तस्वीर नहीं दिखाई दे रही है. यूक्रेन के लिए केवल अमेरिका के समर्थन पर बहुत ज्य़ादा निर्भर रहना मूर्खतापूर्ण साबित हो सकता है, जहां अमेरिका आंतरिक स्तर पर यूक्रेन को समर्थन को लेकर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन प्रतिनिधियों के बीच आपसी तनातनी से जूझ रहा है. अमेरिकी कांग्रेस ने 45 अरब अमेरिकी डॉलर के सहायता पैकेज को मंजूरी देकर जिस तरह से यूक्रेन का बड़े पैमाने पर समर्थन किया है, उससे ये पता चलता है कि डेमोक्रेट इस बात को लेकर बहुत आशान्वित नहीं हैं कि युद्ध के लंबे समय तक खिंचने पर रिपब्लिकन यूक्रेन के प्रति अपने समर्थन को जारी रखेंगे. जैसा कि साफ़ है, रिपब्लिकन जनवरी से निचले सदन को अपने नियंत्रण में लेने के लिए तैयार हैं, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में विपक्षी दल (रिपब्लिकन) के नेता केविन मैकार्थी पहले ही इस मुद्दे पर अपनी बात रख चुके हैं कि "वह हर किसी को ब्लैंक चेक पकड़ाए जाने के पक्षधर नहीं हैं।"

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