Published on Jul 21, 2022 Updated 0 Hours ago

भारत के पास युवाओं को डिजिटल कौशल प्रदान करने की पुख्ता व्यवस्था मौजूद है, लेकिन इसमें अनेक महत्वपूर्ण खामियां भी हैं. यह खामियां अब युवा भारतीयों, उन्हें रोजगार प्रदान करने वालो और देश के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं.

‘विश्व युवा कौशल दिवस 2022: युवा भारत को रखें सबसे आगे’

आजादी का अमृत महोत्सव (75 वर्षमना रहे भारत में काम करने के तरीके में व्यापक परिवर्तन  रहा है इसका कारण और लक्षण तेजी से होता डिजिटाइजेशन और तकनीकी परिवर्तन हैअब कंपनियां बड़ी तेजी के साथ समय की बचत करने और गुणवत्ता को बढ़ाने वाली तकनीक को अपनाने में जुटी हुई हैंजिसमें बुनियादी डिजिटल संसाधन से लेकर एकीकृत 4IR टेक्नॉलॉजी शामिल हैतेजी से बढ़ रहा पेशेवर लोगों का समूह अब 400 मिलियन हो चुका हैइसके साथ ही देश के हर हिस्से में अब आईसीटी आधारित हाईब्रीड वर्क कल्चर उभर रहा है और इसकी वजह से देश में अभूतपूर्व बदलाव आ रहा है.

देश के हर हिस्से में अब आईसीटी आधारित हाईब्रीड वर्क कल्चर उभर रहा है और इसकी वजह से देश में अभूतपूर्व बदलाव आ रहा है.

नई तकनीक के आगमन के साथ ही भारत में काम करने वाली कंपनियां भी अब अतिरिक्त कर्मचारियों को नियुक्ति देने को लेकर आशान्वित दिखाई दे रही हैं. 2020 में हुए एक सर्वे के अनुसार 33 प्रतिशत कंपनियों ने डिजिटल ट्रान्सफॉरमेशन की वजह से नए कर्मचारियों को नियुक्त करने की आवश्यकता महसूस कीजबकि केवल 19 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उन्हें वर्तमान कर्मचारियों की संख्या कम करनी होगी.

हालांकि, कंपनियों में नियुक्ति योग्य कर्मचारियों में मौजूद कौशल को लेकर खामियों के प्रति चिंता देखी गई है. यह चिंताएं विगत दो वर्षो में कुछ ज्य़ादा बढ़ी हैं. 2020 में भारतीय कंपनियों ने कौशल में कमी को अपनी सबसे बड़ी बाधा माना था. यह उनके सामने मौजूद चुनौतियों का कुल 34 प्रतिशत हिस्सा था. लेकिन 2022 में यह बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है. उदाहरण के तौर पर गार्टनर स्टडी के अनुसार भारतीय आईटी उद्योग में प्रतिभा की कमी को सबसे महत्वपूर्ण बाधा (65 प्रतिशतमाना गया.  प्रतिभा की कमी के कारण नई प्रौद्योगिकी के विस्तार को अपनाने में परेशानी होती हैएक अनुमान के अनुसार 2024 तक नई प्रौद्योगिकी के विस्तार की मांग बीस गुना तक बढ़ जाएगी.

कौशल की खामी और अपर्याप्त रूप से तैयार प्रतिभा आने वाले समय में युवा भारतीयों के काम पाने के अवसर में रुकावट डालकर उन्हें आगे बढ़ने से रोकेगी. इस वजह से इन प्रतिभाओं को अपने यहां काम देने वाले नियोक्ताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए भी ऐसे कर्मचारी नुकसानदेह साबित होंगेऐसे में जब भारत विश्व युवा कौशल दिवस 2022 मना रहा हैतो देश के कौशल विकास इकोसिस्टम को इन खामियों को दूर करने की दिशा में काम करना होगाऐसा करने पर ही हम भारत को डिजिटल शताब्दी के लिए तैयार कर उसके युवाओं को 4IR-रेडी करते हुए इसका मुख्य चालक बनाने में सफल हो सकते हैं.

कंपनियों में नियुक्ति योग्य कर्मचारियों में मौजूद कौशल को लेकर खामियों के प्रति चिंता देखी गई है. यह चिंताएं विगत दो वर्षो में कुछ ज्य़ादा बढ़ी हैं. 2020 में भारतीय कंपनियों ने कौशल में कमी को अपनी सबसे बड़ी बाधा माना था. यह उनके सामने मौजूद चुनौतियों का कुल 34 प्रतिशत हिस्सा था. लेकिन 2022 में यह बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है.

युवाओं के डिजिटल कौशल के लिए भारतीय पहल 

नौकरी की बदलती आवश्यकताओं और नए कौशल की जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने युवाओं को डिजिटल कौशलप्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करने के लिए नई नीति और कार्यक्रम बनाए हैंडिजिटल इंडिया मिशनजो भारत सरकार का डिजिटल ट्रान्सफॉरमेशन का फ्लैगशिप प्रोग्राम हैमें नौ प्रमुख स्तंभ अथवा ग्रोथ एरियाज् हैंइसमें से एक है, “आईटी फॉर जॉब्स” जिसमें युवाओं को आईटी/आईटीईएस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता हैआईटी सेक्टर में नौकरी के लिए 10 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा हैइस काम को सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग मिलकर संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं.

2015 में नेशनल स्कील डेवलपमेंट मिशन (एनएसडीएमकी शुरुआत की गई थीताकि कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के संदर्भ में सभी क्षेत्रों और राज्यों में एकरूपता लाई जा सकेएनएसडीएम के तहत कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीईने नेशनल स्कील डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएसडीसीकी स्थापना कीएनएसडीसी के माध्यम से कौशल विकास के क्षेत्र की अनेक पहलों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग से पूरा करने का मॉडल तैयार किया गयाउदाहरण के तौर पर एनएसडीसी ने एक स्कील इंडिया, ‘एक लर्निग एग्रीगेटर’ बनायाजिसमें बिजनेसटूकंज्यूमर लर्निग पोर्टल्स को स्कीलिंग इकोसिस्टम के लिए संगठित करने और लर्निग सामग्री बनाकर लर्निंग कंटेंट जुटाने का काम किया जा सकेइसके अलावा एमएसडीई ने विभिन्न कैपेसिटीबिल्डिंग इनिशिएटिव भी शुरू किये हैंइसमें से अनेक इनिशिएटिव का उद्देश्य युवाओं के डिजिटल कौशल पर ध्यान केंद्रित करना है.

स्त्रोत : ‘एर्मजन्स ऑफ इंडिया एज द स्कील कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड : पॉसीबिलिटिज् एंड पाथ अहेड’ (‘दुनिया की कौशल राजधानी के रूप में भारत का उदय: संभावनाएं और आगे का रास्ता’)

सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से तैयारसंयुक्त पाठ्यक्रम विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रमयह सुनिश्चित कर रहा है कि भारतीय युवा को ऐसा कौशल प्रदान किया जाए जो उन्हें उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार कर देइसके अलावा इस क्षेत्र में अन्य पहल के तहत एनएसडीसी ने तकनीकी क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी  WhatsAppCiscoLinkedInIBM and  Simplilearn के साथ हाथ मिलाते हुए यूथ डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम विकसित किए हैं और एमएसडीई के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (डीजीटीने माइक्रोसॉफ्ट और एनएएसएससीओएम (नॉसकॉमफाउंडेशन के साथ मिलकर देश के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूटके विद्यार्थियों के लिए लर्निग मॉड्यूल्स भी बनाए हैं.

हाल ही में जून 2022 में केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने एक डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका फोकस विशेष रूप से उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर होगा. यह प्रोग्राम 10 मिलियन विद्यार्थियों को प्रमाणन, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और रोजगार के माध्यम से डिसरप्टिव और ईमजिंर्ग टेक में प्रशिक्षण देगा.

कुछ अन्य ऐतिहासिक योजनाएं भी लाभकारी साबित हुई हैं डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशाके माध्यम से 4.25 मिलियन गैर आईटी साक्षर नागरिकों को डिजिटल कौशल प्रदान किया गया है प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचएके तहत ग्रामीण क्षेत्र के 60 मिलियन नागरिकों को डिजिटल साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है ताकि यह नागरिक कम्प्यूटर तथा अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने के लिए बेसिक फंक्शन्स सीख सकेंइन योजनाओं का मुख्य लक्ष्य युवा विशेष  होने के बावजूदइसमें शामिल होने की आयु सीमा 14 से 60 वर्ष होने से यह बात तो तय है कि इससे काफी मात्र में युवाओं को भी लाभ मिला है.

2022 में सरकार के दो मुख्य हस्तक्षेपों की वजह से भारत की डिजिटल कौशल पहल को और भी धार मिली है. 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने अग्रणी डीईएसएच स्टैक पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की थीयह पोर्टल नागरिकों को API-बेस्ड प्लेटफॉर्मस और ऑनलाइन ट्रेनिंग के माध्यम से स्कीलिंगअपस्कीलिंग और रीस्कीलिंग के अवसर उपलब्ध करवाने का काम करेगाहाल ही में जून 2022 में केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने एक डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम लॉन्च कियाजिसका फोकस विशेष रूप से उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर होगा. यह प्रोग्राम 10 मिलियन विद्यार्थियों को प्रमाणनइंटर्नशिपअप्रेंटिसशिप और रोजगार के माध्यम से डिसरप्टिव और ईमजिंर्ग टेक में प्रशिक्षण देगा. यह एक विस्तृतमहत्वाकांक्षी कार्यक्रम हैजिसमें अनेक मंत्रालयसरकारी एजेंसियां और टेक फर्म शामिल होंगेइस प्रोग्राम के लॉन्च होने के पहले सप्ताह में ही एक मिलियन विद्यार्थियों ने इसमें अपना नाम लिखवा दिया हैऐसे में साफ है कि इसकी शुरुआत बेहद उत्साहजनक रही है.

डिजिटल स्कील की खामियों को ख़त्म करना



उपरोक्त डिजिटल कौशल पहल की पहुंच और विस्तार के बावजूद इस क्षेत्र में अब भी काफी खामियां मौजूद हैंयह खामियां भारतीय युवाउनके नियोक्ता और देश की बढ़ती चिंताओं का कारण है.

हालांकि नौकरी पाने के लिए आवश्यक कौशल और नौकरी विशेष तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास हो रहे हैंइसके बावजूद शिक्षा अब भी सबसे अधिक महत्व रखती हैइसका कारण यह है कि नियोक्ता अब भी नई नियुक्ति करते वक्त या कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि करते वक्त उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता को काफी महत्व देते हैंहालांकि  इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2022 से पता चलता है कि देश के शिक्षित युवाओं में 48.7 प्रतिशत ही रोजगार पाने के योग्य हैहकीकत यह है कि उद्योग जगत की आवश्यकताओं और उच्च शिक्षा संस्थानों में दी जा रही शिक्षा में काफी अंतर हैइसी वजह से अब निजी क्षेत्रइसमें भी विशेषततकनीकी क्षेत्र ने हस्तक्षेप करते हुए ऐसे फाउंडेशन कोर्सेस और इनसर्विस लर्निंग मॉड्यूल बनाए हैंयह मॉड्यूल्स इतने व्यापक हैं कि यह पारंपरिक विश्वविद्यालयों की जगह लेने लगे हैंकंपनियां अब अपने नए कर्मचारियों को ऐसा कौशल प्रशिक्षण देने लगी हैंजो उन्हें सामान्य तौर पर विश्वविद्यालय में ही सीख लेना चाहिए था. लेकिन जो लोग विशेष तरह के कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल नहीं होते या नौकरी पाने में असफल होते हैं अथवा वहां उपलब्ध प्रशिक्षण नहीं लेते उनके लिए रोजगार के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल  होना अंधकारमय भविष्य की हकीकत बन जाता हैइसकी फिर उनको आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती हैआज, G-20 देशों के बीच भारत में मौजूद डिजिटल कौशल की खामी के कारण हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर सबसे ज्यादा (औसतन 2.3 प्रतिशत अंक प्रति वर्ष) प्रभावित हो रही है. 

युवाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा उपलब्ध अवसरों को लेकर जागृति का अभाव और यह धारणा है कि वर्तमान में उपलब्ध कार्यक्रम उनकी प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करते.

मुख्यतभारत के डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम को तकनीक के क्षेत्र में उभरते प्राथमिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं के प्रति ज्यादा अनुकूल होना चाहिए.  इसके लिए निजी क्षेत्र के साथ निरंतर सलाह और बातचीत होताकि निजी क्षेत्र को कोर्स डिजाइन और कन्टेन्ट तैयार करने में शामिल किया जा सकेउनके साथ पाठ्येत्तर कौशल कार्यक्रम तैयार करने के साथसाथ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम तैयार करने के मसले पर भी परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया हैवर्तमान में कंपनियों के पास टेक्नॉलॉजी डिजाइनडिजिटल प्रायवेसीसाइबर सिक्यूरिटी, क्लाउड आर्किटेक्चर डिजाइन इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), बिग डेटाडेटा एनालिटिक्स और इंफरेमेटिक्सएआईडीप लर्निग और मशीन लर्निग के क्षेत्र में तकनीकी कौशल और जानकारी वाले उम्मीदवारों की ज्यादा और मजबूत मांग देखी जा रही हैऐसे में कौशल विकास की दिशा में होने वाली पहल को इन आवश्यकताओं को पूरा करने पर तत्काल ध्यान देना होगाताकि युवाओं में मौजूद तकनीकी प्रतिभा की कमी को दूर किया जा सके.

हालांकि तकनीकी दक्षताओं के साथ ही मानव केंद्रित विशेषताओं का विकास भी किया जाना आवश्यक हैजैसा कि क्लॉस श्र्वॉब अपने क्लासिक ‘ फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन’ में इंगित करते हैं, “ऐसे कौशल की मांग बढ़ेगी जो श्रमिकों को तकनीकी प्रणालियों के साथ या इन टेक्नॉलॉजिकल इनोवेशन्स की खामियों को दूर करने वाले क्षेत्र में डिजाइननिर्माण और काम करने में सक्षम बनाता हो.” यह बात भारतीय अनुभव से साबित होती हैजिसमें डिजिटल कौशल रिपोर्ट में लगातार रचनात्मकतासामाजिक बुद्धिमत्ताटीमवर्कअनुकूलन क्षमताऔर श्रमिकों में बेहतर संचार कौशल जैसे गुणों की जरूरत बताई गई है.

कौशल विकास कार्यक्रम के कुछ बिंदु विशेष रूप से युवाओं के लिए आकर्षक हैंयुवा भारतीय को सर्टिफिकेशन अर्थात एक प्रमाणपत्र की आवश्यकता हैजिसे वह आधिकारिक तौर पर प्रदर्शित कर सकेवे दो सप्ताह से लेकर छह माह के गहन कार्यक्रम को पसंद करते हैंजिसमें ऑनलाइन के साथसाथ क्लासरूम वाला घटक भी शामिल होअधिकांश युवा ऐसा प्रशिक्षण पाना पसंद करते हैंजिसमें उन्हें छात्रवृत्ति के रूप में आार्थिक लाभ मिले और इसके साथ ही किसी निजी कंपनी का प्रमाणपत्र दिया जाएजो आगे जाकर उनके लिए उपयोगी साबित हो

हालांकि युवाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा उपलब्ध अवसरों को लेकर जागृति का अभाव और यह धारणा है कि वर्तमान में उपलब्ध कार्यक्रम उनकी प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करते.

अब इमर्जिंग टेक पर एमएसडीई की ओर से जून 2022 में शुरू किए गए प्रोग्राम को देखकर लगता है कि यह प्रोग्राम युवाओं की उन सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला हैजिसे युवा कौशल विकास की ‘आदर्श’ पहल मानते हैंइस दिशा में इसी तरह की पहल कर उसे आक्रामकता के साथ बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता हैडिजिटल रूप से कुशल श्रमिकों की राष्ट्रीय मांग 2025 तक नौ गुना बढ़ने की संभावना हैऔर यह युवा भारत को प्राथमिकता देकर उसे भविष्य के लिए तैयार करने का  चूकने वाला अवसर है

The views expressed above belong to the author(s). ORF research and analyses now available on Telegram! Click here to access our curated content — blogs, longforms and interviews.

Authors

Anirban Sarma

Anirban Sarma

Anirban Sarma is Deputy Director of ORF Kolkata and a Senior Fellow at ORF’s Centre for New Economic Diplomacy. He is also Chair of the ...

Read More +
Basu Chandola

Basu Chandola

Basu Chandola is an Associate Fellow. His areas of research include competition law, interface of intellectual property rights and competition law, and tech policy. Basu has ...

Read More +