कंपनियों में नियुक्ति योग्य कर्मचारियों में मौजूद कौशल को लेकर खामियों के प्रति चिंता देखी गई है. यह चिंताएं विगत दो वर्षो में कुछ ज्य़ादा बढ़ी हैं. 2020 में भारतीय कंपनियों ने कौशल में कमी को अपनी सबसे बड़ी बाधा माना था. यह उनके सामने मौजूद चुनौतियों का कुल 34 प्रतिशत हिस्सा था. लेकिन 2022 में यह बढ़कर 60 प्रतिशत हो गया है.
युवाओं के डिजिटल कौशल के लिए भारतीय पहल
नौकरी की बदलती आवश्यकताओं और नए कौशल की जरूरतों को देखते हुए भारत सरकार ने युवाओं को डिजिटल कौशल, प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान करने के लिए नई नीति और कार्यक्रम बनाए हैं. डिजिटल इंडिया मिशन, जो भारत सरकार का डिजिटल ट्रान्सफॉरमेशन का फ्लैगशिप प्रोग्राम है, में नौ प्रमुख स्तंभ अथवा ग्रोथ एरियाज् हैं. इसमें से एक है, “आईटी फॉर जॉब्स” जिसमें युवाओं को आईटी/आईटीईएस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है. आईटी सेक्टर में नौकरी के लिए 10 मिलियन युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस काम को सरकार के विभिन्न मंत्रालय और विभाग मिलकर संयुक्त रूप से संचालित कर रहे हैं.
2015 में नेशनल स्कील डेवलपमेंट मिशन (एनएसडीएम) की शुरुआत की गई थी, ताकि कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के संदर्भ में सभी क्षेत्रों और राज्यों में एकरूपता लाई जा सके. एनएसडीएम के तहत कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने नेशनल स्कील डेवलपमेंट कार्पोरेशन (एनएसडीसी) की स्थापना की. एनएसडीसी के माध्यम से कौशल विकास के क्षेत्र की अनेक पहलों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के सहयोग से पूरा करने का मॉडल तैयार किया गया. उदाहरण के तौर पर एनएसडीसी ने एक ई–स्कील इंडिया, ‘एक ई–लर्निग एग्रीगेटर’ बनाया, जिसमें बिजनेस–टू–कंज्यूमर ई–लर्निग पोर्टल्स को स्कीलिंग इकोसिस्टम के लिए संगठित करने और ई–लर्निग सामग्री बनाकर ई–लर्निंग कंटेंट जुटाने का काम किया जा सके. इसके अलावा एमएसडीई ने विभिन्न कैपेसिटी–बिल्डिंग इनिशिएटिव भी शुरू किये हैं. इसमें से अनेक इनिशिएटिव का उद्देश्य युवाओं के डिजिटल कौशल पर ध्यान केंद्रित करना है.
स्त्रोत : ‘एर्मजन्स ऑफ इंडिया एज द स्कील कैपिटल ऑफ द वर्ल्ड : पॉसीबिलिटिज् एंड पाथ अहेड’ (‘दुनिया की कौशल राजधानी के रूप में भारत का उदय: संभावनाएं और आगे का रास्ता’)
सरकार और निजी क्षेत्र के सहयोग से तैयार, संयुक्त पाठ्यक्रम विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम, यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारतीय युवा को ऐसा कौशल प्रदान किया जाए जो उन्हें उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार कर दे. इसके अलावा इस क्षेत्र में अन्य पहल के तहत एनएसडीसी ने तकनीकी क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी WhatsApp, Cisco, LinkedIn, IBM and Simplilearn के साथ हाथ मिलाते हुए यूथ डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम विकसित किए हैं और एमएसडीई के डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेनिंग (डीजीटी) ने माइक्रोसॉफ्ट और एनएएसएससीओएम (नॉसकॉम) फाउंडेशन के साथ मिलकर देश के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट) के विद्यार्थियों के लिए ई–लर्निग मॉड्यूल्स भी बनाए हैं.
हाल ही में जून 2022 में केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने एक डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका फोकस विशेष रूप से उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर होगा. यह प्रोग्राम 10 मिलियन विद्यार्थियों को प्रमाणन, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और रोजगार के माध्यम से डिसरप्टिव और ईमजिंर्ग टेक में प्रशिक्षण देगा.
कुछ अन्य ऐतिहासिक योजनाएं भी लाभकारी साबित हुई हैं. द डिजिटल साक्षरता अभियान (दिशा) के माध्यम से 4.25 मिलियन गैर आईटी साक्षर नागरिकों को डिजिटल कौशल प्रदान किया गया है. द प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (पीएमजीडीआईएसएचए) के तहत ग्रामीण क्षेत्र के 60 मिलियन नागरिकों को डिजिटल साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा है ताकि यह नागरिक कम्प्यूटर तथा अन्य डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने के लिए बेसिक फंक्शन्स सीख सकें. इन योजनाओं का मुख्य लक्ष्य युवा विशेष न होने के बावजूद, इसमें शामिल होने की आयु सीमा 14 से 60 वर्ष होने से यह बात तो तय है कि इससे काफी मात्र में युवाओं को भी लाभ मिला है.
2022 में सरकार के दो मुख्य हस्तक्षेपों की वजह से भारत की डिजिटल कौशल पहल को और भी धार मिली है. 2022-23 का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने अग्रणी डीईएसएच स्टैक ई–पोर्टल लॉन्च करने की घोषणा की थी. यह पोर्टल नागरिकों को API-बेस्ड प्लेटफॉर्मस और ऑनलाइन ट्रेनिंग के माध्यम से स्कीलिंग, अपस्कीलिंग और रीस्कीलिंग के अवसर उपलब्ध करवाने का काम करेगा. हाल ही में जून 2022 में केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री ने एक डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम लॉन्च किया, जिसका फोकस विशेष रूप से उभरती और भविष्य की प्रौद्योगिकियों पर होगा. यह प्रोग्राम 10 मिलियन विद्यार्थियों को प्रमाणन, इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप और रोजगार के माध्यम से डिसरप्टिव और ईमजिंर्ग टेक में प्रशिक्षण देगा. यह एक विस्तृत, महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसमें अनेक मंत्रालय, सरकारी एजेंसियां और टेक फर्म शामिल होंगे. इस प्रोग्राम के लॉन्च होने के पहले सप्ताह में ही एक मिलियन विद्यार्थियों ने इसमें अपना नाम लिखवा दिया है. ऐसे में साफ है कि इसकी शुरुआत बेहद उत्साहजनक रही है.
डिजिटल स्कील की खामियों को ख़त्म करना
उपरोक्त डिजिटल कौशल पहल की पहुंच और विस्तार के बावजूद इस क्षेत्र में अब भी काफी खामियां मौजूद हैं. यह खामियां भारतीय युवा, उनके नियोक्ता और देश की बढ़ती चिंताओं का कारण है.
हालांकि नौकरी पाने के लिए आवश्यक कौशल और नौकरी विशेष तकनीकी ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास हो रहे हैं, इसके बावजूद शिक्षा अब भी सबसे अधिक महत्व रखती है. इसका कारण यह है कि नियोक्ता अब भी नई नियुक्ति करते वक्त या कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि करते वक्त उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता को काफी महत्व देते हैं. हालांकि द इंडिया स्किल्स रिपोर्ट 2022 से पता चलता है कि देश के शिक्षित युवाओं में 48.7 प्रतिशत ही रोजगार पाने के योग्य है. हकीकत यह है कि उद्योग जगत की आवश्यकताओं और उच्च शिक्षा संस्थानों में दी जा रही शिक्षा में काफी अंतर है. इसी वजह से अब निजी क्षेत्र, इसमें भी विशेषत: तकनीकी क्षेत्र ने हस्तक्षेप करते हुए ऐसे फाउंडेशन कोर्सेस और इन–सर्विस लर्निंग मॉड्यूल बनाए हैं. यह मॉड्यूल्स इतने व्यापक हैं कि यह पारंपरिक विश्वविद्यालयों की जगह लेने लगे हैं. कंपनियां अब अपने नए कर्मचारियों को ऐसा कौशल प्रशिक्षण देने लगी हैं, जो उन्हें सामान्य तौर पर विश्वविद्यालय में ही सीख लेना चाहिए था. लेकिन जो लोग विशेष तरह के कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल नहीं होते या नौकरी पाने में असफल होते हैं अथवा वहां उपलब्ध प्रशिक्षण नहीं लेते उनके लिए रोजगार के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल न होना अंधकारमय भविष्य की हकीकत बन जाता है. इसकी फिर उनको आर्थिक कीमत चुकानी पड़ती है. आज, G-20 देशों के बीच भारत में मौजूद डिजिटल कौशल की खामी के कारण हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर सबसे ज्यादा (औसतन 2.3 प्रतिशत अंक प्रति वर्ष) प्रभावित हो रही है.
युवाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा उपलब्ध अवसरों को लेकर जागृति का अभाव और यह धारणा है कि वर्तमान में उपलब्ध कार्यक्रम उनकी प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करते.
मुख्यत: भारत के डिजिटल स्कीलिंग प्रोग्राम को तकनीक के क्षेत्र में उभरते प्राथमिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं के प्रति ज्यादा अनुकूल होना चाहिए. इसके लिए निजी क्षेत्र के साथ निरंतर सलाह और बातचीत हो, ताकि निजी क्षेत्र को कोर्स डिजाइन और कन्टेन्ट तैयार करने में शामिल किया जा सके. उनके साथ पाठ्येत्तर कौशल कार्यक्रम तैयार करने के साथ–साथ विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम तैयार करने के मसले पर भी परामर्श करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है. वर्तमान में कंपनियों के पास टेक्नॉलॉजी डिजाइन, डिजिटल प्रायवेसी, साइबर सिक्यूरिटी, क्लाउड आर्किटेक्चर डिजाइन, द इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), बिग डेटा, डेटा एनालिटिक्स और इंफरेमेटिक्स, एआई, डीप लर्निग और मशीन लर्निग के क्षेत्र में तकनीकी कौशल और जानकारी वाले उम्मीदवारों की ज्यादा और मजबूत मांग देखी जा रही है. ऐसे में कौशल विकास की दिशा में होने वाली पहल को इन आवश्यकताओं को पूरा करने पर तत्काल ध्यान देना होगा, ताकि युवाओं में मौजूद तकनीकी प्रतिभा की कमी को दूर किया जा सके.
हालांकि तकनीकी दक्षताओं के साथ ही मानव केंद्रित विशेषताओं का विकास भी किया जाना आवश्यक है. जैसा कि क्लॉस श्र्वॉब अपने क्लासिक ‘द फोर्थ इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन’ में इंगित करते हैं, “ऐसे कौशल की मांग बढ़ेगी जो श्रमिकों को तकनीकी प्रणालियों के साथ या इन टेक्नॉलॉजिकल इनोवेशन्स की खामियों को दूर करने वाले क्षेत्र में डिजाइन, निर्माण और काम करने में सक्षम बनाता हो.” यह बात भारतीय अनुभव से साबित होती है, जिसमें डिजिटल कौशल रिपोर्ट में लगातार रचनात्मकता, सामाजिक बुद्धिमत्ता, टीमवर्क, अनुकूलन क्षमता, और श्रमिकों में बेहतर संचार कौशल जैसे गुणों की जरूरत बताई गई है.
कौशल विकास कार्यक्रम के कुछ बिंदु विशेष रूप से युवाओं के लिए आकर्षक हैं. युवा भारतीय को सर्टिफिकेशन अर्थात एक प्रमाणपत्र की आवश्यकता है, जिसे वह आधिकारिक तौर पर प्रदर्शित कर सके. वे दो सप्ताह से लेकर छह माह के गहन कार्यक्रम को पसंद करते हैं, जिसमें ऑनलाइन के साथ–साथ क्लासरूम वाला घटक भी शामिल हो. अधिकांश युवा ऐसा प्रशिक्षण पाना पसंद करते हैं, जिसमें उन्हें छात्रवृत्ति के रूप में आार्थिक लाभ मिले और इसके साथ ही किसी निजी कंपनी का प्रमाणपत्र दिया जाए, जो आगे जाकर उनके लिए उपयोगी साबित हो.
हालांकि युवाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा उपलब्ध अवसरों को लेकर जागृति का अभाव और यह धारणा है कि वर्तमान में उपलब्ध कार्यक्रम उनकी प्रशिक्षण की आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करते.
अब इमर्जिंग टेक पर एमएसडीई की ओर से जून 2022 में शुरू किए गए प्रोग्राम को देखकर लगता है कि यह प्रोग्राम युवाओं की उन सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाला है, जिसे युवा कौशल विकास की ‘आदर्श’ पहल मानते हैं. इस दिशा में इसी तरह की पहल कर उसे आक्रामकता के साथ बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है. डिजिटल रूप से कुशल श्रमिकों की राष्ट्रीय मांग 2025 तक नौ गुना बढ़ने की संभावना है. और यह युवा भारत को प्राथमिकता देकर उसे भविष्य के लिए तैयार करने का न चूकने वाला अवसर है.